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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal June 20, 2025 06:04 69 0

असम में नोथोपेगिया पौधे के जीवाश्म की खोज

हाल ही में असम के माकुम कोलफील्ड के ‘कोलबेड्स’ में नोथोपेगिया पौधे की जीवाश्म पत्तियों की खोज की गई, जिससे दक्षिण एशिया की प्राचीन जैव विविधता पर नई अंतर्दृष्टि सामने आई।

अध्ययन के बारे में

  • विषय: अध्ययन का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत से पश्चिमी घाट में अपने वर्तमान आश्रय तक नोथोपेगिया पौधे की विकास यात्रा का पता लगाना है।
  • प्रकाशन: यह अध्ययन ‘रिव्यू ऑफ पैलियोबॉटनी एंड पैलिनोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
  • खोजकर्ता: जीवाश्म पत्तियों की खोज बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (BSIP) लखनऊ (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्वायत्त संस्थान) के शोधकर्ताओं द्वारा की गई थी।
  • अवधि निर्धारण: ये जीवाश्म पत्तियाँ ओलिगोसीन युग के अंत (24-23 मिलियन वर्ष पहले) की हैं एवं यह नोथोपेगिया पौधे की प्रजाति का विश्व का सबसे पुराना ज्ञात रिकॉर्ड है।
  • तकनीक: पूर्वोत्तर भारत के प्राचीन पर्यावरण के पुनर्निर्माण के लिए इस हर्बेरियम की तुलना करने में, क्लाइमेट लीफ एनालिसिस मल्टीवेरिटी प्रोग्राम (Climate Leaf Analysis Multivariate Program) जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया।
  • निष्कर्ष
    • अध्ययन से पता चला कि उत्तर-पूर्व क्षेत्र में गर्म, आर्द्र जलवायु विद्यमान थी, जो ओलिगोसीन काल के अंत में वर्तमान पश्चिमी घाट के समान थी।
    • जलवायु परिवर्तन: विवर्तनिकी संचलन के कारण भूगर्भीय गतिविधियों ने उत्तर-पूर्व में महत्त्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन हुआ, जिससे तापमान, वर्षा एवं वायु के पैटर्न में बदलाव आया।
      • इन बदलावों ने इस क्षेत्र को नोथोपेगिया जैसी उष्णकटिबंधीय प्रजातियों के लिए अनुपयुक्त बना दिया, जिससे यह असम से विलुप्त हो गई।
  • महत्त्व
    • शोध इस बात की जानकारी देता है कि पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरणीय दबावों के अनुकूल कैसे होते हैं एवं कुछ प्रजातियाँ आकस्मिक परिवर्तनों को कैसे सहन करती हैं।
    • नोथोपेगिया के प्राचीन प्रवास को समझना पश्चिमी घाट जैसे हॉटस्पॉट पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जो प्राचीन पौधों की वंशावली के लिए अभयारण्य के रूप में कार्य करते हैं।

नोथोपेगिया के बारे में

  • परिवार: नोथोपेगिया एनाकार्डिएसी परिवार में फूलों के पौधों की एक प्रजाति है।
  • मूल: यह पौधा भारत, बांग्लादेश एवं श्रीलंका की मूल प्रजाति है।
    • नोथोपेगिया हेनेना गैम्बल को छोड़कर, अन्य सभी प्रजातियाँ पश्चिमी घाट एवं दक्षिण-पश्चिम भारत तक ही सीमित हैं।
  • विशेषता: इस प्रजाति की विशेषता छोटे पर्णपाती वृक्ष हैं जिनमें साधारण पत्तियाँ, रेसमोस पुष्पक्रम, यूनिसेक्सुअल टेट्रामेरस फूल एवं ड्रूपेसियस फल होते हैं।

ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2025

विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2025 (शीर्षक: प्रभावी ऊर्जा संक्रमण 2025 को बढ़ावा देना) में भारत 118 देशों में से 71वें स्थान पर है।

ऊर्जा संक्रमण सूचकांक क्या है?

  • ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) एक वैश्विक रैंकिंग प्रणाली है जो मापन करती है कि देश स्वच्छ, अधिक सुरक्षित एवं निष्पक्ष ऊर्जा प्रणाली की ओर कितनी अच्छी तरह आगे बढ़ रहे हैं।
  • WEF रिपोर्ट ने देशों को इस आधार पर मापन किया:
    • सुरक्षा: उनकी ऊर्जा प्रणालियाँ कितनी विश्वसनीय हैं।
    • स्थायित्व: उनके ऊर्जा स्रोत कितने हरित एवं पर्यावरण के अनुकूल हैं।
    • समानता: विभिन्न समूहों में ऊर्जा कितनी निष्पक्ष रूप से साझा की जाती है।
    • तत्परता: राजनीतिक इच्छाशक्ति, धन, नवाचार, बुनियादी ढाँचा एवं कुशल लोग।

ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2025 के मुख्य निष्कर्ष

  • भारत की रैंक एवं प्रदर्शन
    • भारत 118 देशों में 71वें स्थान पर है।
  • शीर्ष एवं निचले स्थान पर स्थित देश 
    • शीर्ष 5 प्रदर्शनकर्ता: स्वीडन, फिनलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड। 
    • चीन 12वें, अमेरिका 17वें, पाकिस्तान 101वें स्थान पर रहा। 
    • कांगो सबसे निचले स्थान पर रहा है।

विश्व मगरमच्छ दिवस

ओडिशा सरकार ने मगरमच्छ संरक्षण के 50 वर्ष पूरे होने पर 17 जून को विश्व मगरमच्छ दिवस मनाया।

विश्व मगरमच्छ दिवस के बारे में

  • यह पहली बार वर्ष 2017 में मगरमच्छों के संरक्षण प्रयासों एवं उनके साथ जिम्मेदार सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए मनाया गया था।
  • बेलीज चिड़ियाघर के साथ साझेदारी में मगरमच्छ अनुसंधान गठबंधन (जनवरी 2016 में स्थापित बेलीज-आधारित गैर-लाभकारी संगठन) द्वारा शुरू किया गया।
  • उद्देश्य: मगरमच्छ प्रजातियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना एवं उनके संरक्षण को बढ़ावा देना।
  • वर्ष 2025 थीम: ‘मगरमच्छों एवं समुदायों को जोड़ना’ (Connecting crocodiles and communities)

भारत के मगरमच्छ संरक्षण के बारे में

  • भारत ने वर्ष 1975 में मगरमच्छ संरक्षण परियोजना शुरू की थी।
  • ओडिशा ने मगरमच्छों की तीन प्रजातियों को बचाने के प्रयासों का नेतृत्व किया एवं यह तीनों प्रजातियों वाला एकमात्र राज्य है
    • घड़ियाल (Fish-Eating Crocodile): महानदी नदी।
    • खारे जल का मगरमच्छ (Saltwater Crocodile): भितरकनिका मैंग्रोव।
    • मगर मगरमच्छ (Mugger Crocodile): रामतीर्थ के पास वनों वाली नदियाँ।
  • ओडिशा में प्रजनन केंद्र: घड़ियालों के लिए टिकरपाड़ा एवं खारे जल के मगरमच्छों के लिए डांगमाल प्रजनन केंद्र है।

मगरमच्छ की प्रजाति

अनुमानित संख्या

भारत में प्रमुख स्थान

घड़ियाल 3,000 चंबल नदी (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान), गंडक, महानदी
खारे जल का मगरमच्छ  2,500 भितरकनिका (ओडिशा), सुंदरबन (पश्चिम बंगाल), अंडमान एवं निकोबार
मगर 8,000–10,000 रामतीर्थ (ओडिशा), गिर (गुजरात), चंबल, अन्य नदियाँ

भारत में मगरमच्छ की प्रजातियाँ

  • घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस)
    • संरक्षण स्थिति- IUCN स्थिति: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
    • CITES: परिशिष्ट-I
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (भारत): अनुसूची I
  • खारे पानी का मगरमच्छ (क्रोकोडाइलस पोरोसस)
    • संरक्षण स्थिति – IUCN स्थिति: कम चिंताजनक
    • CITES: परिशिष्ट-I (ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिण पूर्व एशिया में कुछ आबादी को छोड़कर)
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: अनुसूची-I
  • मार्श क्रोकोडायल (क्रोकोडाइलस पलुस्ट्रिस)
    • संरक्षण स्थिति – IUCN स्थिति: संकटग्रस्त
    • CITES: परिशिष्ट I
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: अनुसूची-I

बारियोनिक पदार्थ की खोज

‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में ‘फास्ट रेडियो बर्स्ट’ (FRBs) से उत्पन्न संकेतों का उपयोग करके ब्रह्मांड के साधारण/बैरियोनिक पदार्थ के पहले से ‘लुप्त’ आधे हिस्से का सफलतापूर्वक पता लगाने की रिपोर्ट दी गई है।

ब्रह्मांड में पदार्थ के प्रकार 

  • साधारण पदार्थ (15%): बैरियन (प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन) द्वारा निर्मित, तारे, गैस, ग्रह, जीवित प्राणी आदि का निर्माण करता है। 
  • डार्क मैटर (85%): अदृश्य, रहस्यमय पदार्थ जो केवल अपने गुरुत्वाकर्षण प्रभावों के माध्यम के लिए जाना जाता है। 

बैरियोनिक पदार्थ क्या है? 

  • प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन (बैरियोन) द्वारा निर्मित है जो परमाणु का निर्माण करते हैं। 
  • इसमें सभी दृश्यमान संरचनाएँ शामिल हैं: तारे, गैस, धूल, ग्रह एवं जीवित प्राणी।
  • यह डार्क मैटर से भिन्न है, जो विद्युत चुंबकीय बलों के साथ अंतःक्रिया नहीं करता है तथा केवल अपने गुरुत्वाकर्षण प्रभावों के माध्यम से ही जाना जाता है।

महत्त्व

  • इससे लंबे समय से चली आ रही ब्रह्माण्ड संबंधी संकल्पनाएँ सिद्ध हो गई है, जबकि साधारण पदार्थ की कुल मात्रा सैद्धांतिक रूप से बिग बैंग गणनाओं से ज्ञात थी, लेकिन इसका लगभग 50% हिस्सा अब तक अज्ञात था।

फास्ट रेडियो बर्स्ट (Fast Radio Bursts- FRBs)

  • अंतरिक्ष से रेडियो तरंगों का अत्यंत संक्षिप्त लेकिन शक्तिशाली स्पंदन।
  • केवल मिलीसेकंड तक रहता है, लेकिन उतनी ऊर्जा मुक्त कर सकता है जितनी सूर्य एक वर्ष में मुक्त करता है
  • उनकी सटीक उत्पत्ति अनिश्चित है, संभावित कारकों में मैग्नेटर्स (अत्यधिक चुंबकीय न्यूट्रॉन तारे) शामिल हैं।
  • अपने संकेतों को अंतरिक्ष में कैसे प्रसारित किया जाता है, इसका विश्लेषण करके ब्रह्मांड में पदार्थ वितरण की जाँच करने के लिए उपकरण के रूप में कार्य करते हैं।

ऑपरेशन सिंधु

भारत सरकार ने ईरान से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है।

ऑपरेशन सिंधु के बारे में

  • उद्देश्य: ईरान-इजराइल क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारतीय नागरिकों का सुरक्षित पुनर्वास एवं प्रत्यावर्तन सुनिश्चित करना।
  • नोडल मंत्रालय: विदेश मंत्रालय (भारत सरकार)।
    • ईरान एवं आर्मेनिया में भारतीय दूतावासों द्वारा समर्थित।
  • सिंधु (इंडस) नदी के नाम पर, ईरान एवं व्यापक पश्चिम एशियाई क्षेत्र के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक।

भारत के पिछले सफल मिशनों जैसे:-

  • ऑपरेशन कावेरी (सूडान, वर्ष 2023)।
  • ऑपरेशन दोस्त (तुर्किए सीरिया भूकंप, वर्ष 2023)।
  • ऑपरेशन गंगा (यूक्रेन संघर्ष, वर्ष 2022)।
  • ऑपरेशन देवी शक्ति (अफगानिस्तान, वर्ष 2021)।
  • वंदे भारत मिशन (कोविड-19 प्रत्यावर्तन, वर्ष 2020)।

नया गोल्डन ट्रंप कार्ड

संयुक्त राज्य अमेरिका के वाणिज्य सचिव के अनुसार, इस वर्ष लॉन्च किए गए नए गोल्डन ट्रंप कार्ड के लिए लगभग 70,000 लोग पहले ही साइन अप कर चुके हैं। 

ट्रंप कार्ड के बारे में

  • ट्रंप कार्ड एक नई वीजा योजना है जो 5 मिलियन डॉलर में USA में स्थायी नागरिकता प्रदान करेगी। 
  • कहा जाता है कि यह कार्ड EB-5 अप्रवासी निवेशक वीजा कार्यक्रम का स्थान ग्रहण करेगा। 
    • EB-5 वीजा उन अप्रवासियों को स्थायी निवास प्रदान करता है जो किसी ऐसे व्यवसाय में लगभग 1 मिलियन डॉलर का निवेश करते हैं जो रोजगार उत्पन्न करता है, या ग्रामीण या आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र में 800,000 डॉलर का निवेश करते हैं।

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