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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 05, 2025 03:30 54 0

ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा सौदों में वृद्धि

ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपनी पहली बैठक में, रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने स्वदेशी सोर्सिंग के माध्यम से ₹1.05 लाख करोड़ मूल्य के 10 पूँजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (Acceptance of Necessity) प्रदान की है।

भारत के रक्षा अधिग्रहण के बारे में

  • AoN निम्नलिखित की खरीद के लिए प्रदान किए गए
    • बख्तरबंद रिकवरी वाहन
    • इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली
    • त्रि-सेवाओं के लिए एकीकृत कॉमन इन्वेंट्री प्रबंधन प्रणाली
    • सतह-से-वायु में प्रहार करने वाली मिसाइलें।
  • स्वदेशी पर बल: हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) मंजूरी में ₹30,000 करोड़ मूल्य की स्वदेशी त्वरित प्रतिक्रिया सतह-से-वायु में मार करने वाली मिसाइल (Quick Reaction Surface-to-Air Missile- QRSAM) प्रणाली शामिल है।
  • संयुक्त क्षमता निर्माण: खरीद निर्णयों का उद्देश्य एकीकृत कॉमन इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम (ICIMS) जैसी प्रणालियों के माध्यम से त्रि-सेवा क्षमताओं को मजबूत करना है, जिससे सेना, नौसेना एवं वायु सेना के बीच लॉजिस्टिक तथा परिचालन समन्वय में वृद्धि होती है।
  • नौसेना रक्षा क्षेत्र: भारत मूर्ड माइंस, माइन काउंटर मेजर वेसल्स, सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स एवं सुपर रैपिड गन माउंट्स खरीदकर अपनी नौसेना परिसंपत्तियों का आधुनिकीकरण भी कर रहा है, जिससे तटीय तथा ‘ब्लू-वाटर’ सुरक्षा दोनों में सुधार हो रहा है। 
  • महत्त्व: इन अधिग्रहणों का उद्देश्य गतिशीलता, वायु रक्षा एवं आपूर्ति शृंखला दक्षता को बढ़ाना है, यह सुनिश्चित करना है कि सशस्त्र बल संवेदनशील सीमाओं, विशेष रूप से पाकिस्तान तथा चीन के साथ त्वरित प्रतिक्रिया के लिए तैयार हैं।

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) के बारे में

  • DAC रक्षा उपकरणों की पूँजीगत खरीद के लिए सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।
  • नोडल मंत्रालय: रक्षा मंत्रालय एवं इसकी अध्यक्षता भारत के रक्षा मंत्री करते हैं।
  • कार्य: DAC आवश्यकता की स्वीकृति (AoN) प्रदान करती है, खरीद प्राथमिकताएँ निर्धारित कर स्वदेशीकरण तथा आत्मनिर्भरता लक्ष्यों के साथ संरेखण सुनिश्चित करती है।

गार्सिनिया कुसुमा

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय पत्रिका फेडेस रिपर्टोरियम ने असम के बामुनबारी क्षेत्र में खोजी गई एक नई प्रजाति, ‘गार्सिनिया कुसुमा’ को प्रकाशित किया, जो राज्य की समृद्ध पुष्प विविधता में वृद्धि करती है।

‘गार्सिनिया कुसुमा’ के बारे में

  • गार्सिनिया कुसुमा एक द्विलिंगी सदाबहार वृक्ष है, जो गार्सिनिया वंश से संबंधित है, जो अपने उष्णकटिबंधीय वितरण एवं औषधीय क्षमता के लिए जाना जाता है।
  • जलवायु एवं भौगोलिक परिस्थितियाँ: यह प्रजाति असम के उष्णकटिबंधीय तराई वर्षावनों में पनपती है एवं बक्सा जिले (असम) में पाई जाती है, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता एवं आर्द्र जलवायु के लिए जाना जाता है।
  • विशेषताएँ: ‘गार्सिनिया कुसुमा’ 18 मीटर तक बढ़ता है एवं फरवरी से अप्रैल तक पुष्पन करता है, जबकि फल मई तथा जून के बीच आते हैं।
    • इसमें प्रति पुष्पगुच्छ में 15 तक पुंकेसर वाले फूल लगते हैं।
  • विशेषताएँ: यह गार्सिनिया अस्सामिका, गार्सिनिया कोवा एवं गार्सिनिया सक्सिफोलिया के समान है, लेकिन यह फूल की संरचना, पुंकेसर की संख्या एवं काले रंग के रालयुक्त स्राव जैसी फल विशेषताओं में भिन्न है।
  • पारंपरिक एवं औषधीय उपयोग: फलों के गूदे को धूप में सुखाकर ताजा शर्बत बनाया जाता है, जिसका उपयोग हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए किया जाता है। इसे ‘मछली की करी’ में भी मिलाया जाता है।
  • नृवंशविज्ञान संबंधी महत्त्व: स्थानीय रूप से, इस फल का उपयोग मधुमेह एवं पेचिश के उपचार के लिए पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है। इसके खट्टे बीज को नमक, मिर्च तथा सरसों के तेल के साथ कच्चा खाया जाता है। 
  • असम की वानस्पतिक प्रजाति में योगदान: इस खोज के साथ, असम में अब गार्सिनिया की 12 प्रजातियाँ एवं तीन किस्में दर्ज हैं, जो राज्य की वानस्पतिक विरासत को समृद्ध करती हैं तथा चल रहे पारिस्थितिकी अनुसंधान का समर्थन करती हैं।

सबरंग: ट्रांसजेंडर क्लिनिक

भारत का पहला ट्रांसजेंडर-नेतृत्व वाला क्लिनिक, जो USAID फंडिंग फ्रीज के कारण जनवरी 2025 में बंद हो गया था, टाटा ट्रस्ट के समर्थन से हैदराबाद में सबरंग क्लिनिक के रूप में फिर से प्रारंभ हो गया है।

ट्रांसजेंडर क्लिनिक के बारे में

  • मूल रूप से वर्ष 2021 में MITR क्लिनिक के रूप में लॉन्च किया गया, यह भारत की पहली स्वास्थ्य सेवा सुविधा थी, जो पूरी तरह से ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों द्वारा संचालित एवं प्रबंधित थी।
  • उद्देश्य एवं सेवाएँ: क्लिनिक सामान्य स्वास्थ्य सेवाएँ, हार्मोन थेरेपी परामर्श, लैंगिक पुष्टि सहायता, HIV/STI उपचार, मनोवैज्ञानिक परामर्श एवं मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपेक्षा मुक्त वातावरण में प्रदान करता है।
  • समुदाय-केंद्रित मॉडल: क्लिनिक पूरी तरह से ट्रांसजेंडर कर्मचारियों द्वारा संचालित है, जो एक विश्वसनीय, समावेशी स्थान को बढ़ावा देता है एवं अपनी स्थापना के बाद से 3,000 से अधिक रोगियों की सेवा कर चुका है।
  • विस्तार एवं समावेशिता: सबरंग, जिसका अर्थ है ‘सभी रंग‘, क्लिनिक अब स्वास्थ्य सेवा बाधाओं का सामना करने वाले अन्य हाशिए पर स्थित समलैंगिक एवं लैंगिक-विविध व्यक्तियों को सेवाएँ प्रदान करता है।
  • स्वतंत्र संचालन: क्लिनिक ने संभावित सरकारी समर्थन के बावजूद स्वतंत्र बने रहने का निर्णय लिया तथा समुदाय द्वारा त्वरित सेवा प्रदान करने एवं वर्षों से अर्जित विश्वास को महत्त्व दिया।

सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास संस्थान

राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (NIPCCD) का आधिकारिक तौर पर नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास संस्थान कर दिया गया है। 

संस्थान के बारे में

  • यह एक भारतीय सरकारी संगठन है, जो महिला एवं बाल विकास के क्षेत्रों में स्वैच्छिक कार्रवाई, अनुसंधान, प्रशिक्षण तथा दस्तावेजीकरण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
  • वर्ष 1966 में स्थापित, यह केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत काम करता है एवं इसने देश भर में क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से अपनी पहुँच का विस्तार किया है। 
  • मुख्यालय: नई दिल्ली में स्थित है। 
  • क्षेत्रीय केंद्र: गुवाहाटी, बंगलूरू, लखनऊ, इंदौर एवं मोहाली। 

सावित्रीबाई फुले के बारे में 

  • वह एक समाज सुधारक, कवि एवं सशक्त महिला थीं, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के दौरान भारत के सामाजिक सुधार आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 
  • जन्म: 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के नायगाँव गाँव में जन्म हुआ। मात्र 9 वर्ष की आयु में उनकी शादी ज्योतिराव फुले से हुई, जो उस समय 13 वर्ष के थे।
  • मृत्यु: 10 मार्च, 1897 को प्लेग से लड़ते हुए। 
  • योगदान: भारत की पहली महिला शिक्षिका, वर्ष 1848 में पुणे में पहला कन्या विद्यालय स्थापित किया।

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