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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 10, 2025 04:40 65 0

शत्रु संपत्ति

हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सैफ अली खान एवं उनके परिवार को भोपाल की संपत्तियों का एकमात्र उत्तराधिकारी घोषित करने वाले वर्ष 1999 के निर्णय को पलट दिया।

सैफ अली खान संपत्ति विवाद के बारे में

  • उत्तराधिकार एवं विवाद: सैफ अली खान को साजिदा बेगम के माध्यम से भोपाल की संपत्तियाँ विरासत में मिलीं, लेकिन वर्ष 1999 में, शाही परिवार के अन्य सदस्यों ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के तहत इसे चुनौती दी।
  • शत्रु संपत्ति का नामकरण: वर्ष 2014 में, शत्रु संपत्ति के संरक्षक ने 15,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की इन संपत्तियों को, आबिदा बेगम के वर्ष 1950 में पाकिस्तान चले जाने के कारण, शत्रु संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया था।
  • कानूनी घटनाक्रम: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जनवरी 2025 में सैफ अली खान को अपीलीय प्राधिकारी के पास जाने की सलाह दी।
    • वर्तमान में, इसने वर्ष 1999 के मुकदमे के निर्णय को पलट दिया है एवं अब मामले को नई कार्यवाही के लिए निचली अदालत में वापस भेज दिया है।

शत्रु संपत्ति क्या है?

  • परिभाषा: शत्रु संपत्ति, उन संपत्तियों (चल एवं अचल) को संदर्भित करती है, जो उन व्यक्तियों द्वारा भारत में छोड़ी जाती हैं, जो पाकिस्तान तथा चीन जैसे शत्रु देशों में प्रवास कर गए थे।
  • वर्ष 1965 एवं वर्ष 1971 में भारत तथा पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों एवं वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद, भारत सरकार ने पाकिस्तान या चीन की नागरिकता अपनाने वाले व्यक्तियों के स्वामित्व वाली संपत्तियों तथा व्यवसायों का नियंत्रण अपने अधिकार में ले लिया।

कानूनी प्रावधान

  • शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968: ऐसी संपत्तियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक के पास स्थायी रूप से सौंपने का प्रावधान करता है।
  • शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं मान्यता) अधिनियम, 2017
    • ‘शत्रु विषय’ का विस्तार करके इसमें शत्रु नागरिकों के भारतीय नागरिक उत्तराधिकारियों को भी शामिल किया गया है।
    • उत्तराधिकार या हस्तांतरण पर रोक लगाता है, भले ही कानूनी उत्तराधिकारी शत्रु नागरिक न हो।
    • शत्रु विषय की मृत्यु या राष्ट्रीयता में परिवर्तन के बावजूद संरक्षक स्वामित्व बनाए रखते हैं।

न्यायिक मिसाल

  • भारत संघ बनाम राजा मोहम्मद अमीर मोहम्मद खान (2005): सर्वोच्च न्यायालय ने एक पाकिस्तानी नागरिक (महमूदाबाद के राजा) के भारतीय उत्तराधिकारी के पक्ष में फैसला सुनाया एवं उसके उत्तराधिकार के अधिकारों को मान्यता दी।
    • हालाँकि, वर्ष 2017 के संशोधन ने भविष्य के मामलों के लिए ऐसी व्याख्याओं को रद्द कर दिया।

दिल्ली का शीश महल

हाल ही में दिल्ली के शालीमार बाग में पुनर्निर्मित मुगलकालीन शीश महल को जनता के लिए पुनः खोल दिया गया।

शीश महल के बारे में

  • निर्माता: शीश महल का निर्माण वर्ष 1653 में मुगल सम्राट शाहजहाँ के शासनकाल में इज्ज-उन-निसा बेगम द्वारा करवाया गया था।
  • स्थापत्य शैली: यह शाहजहाँ की भव्य डिजाइन संवेदनशीलता के अनुरूप सममित योजना, जटिल अलंकरण एवं जल-सुविधाओं के समावेश के साथ पारंपरिक मुगल वास्तुकला को दर्शाता है।
  • अनूठी विशेषताएँ: महल का नाम, ‘शीश महल’ (दर्पणों का महल), इसके दर्पण कार्य से अलंकृत आंतरिक भाग को दर्शाता है, हालाँकि समय के साथ इसका अधिकांश भाग खराब हो गया है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: वर्ष 1658 में औरंगजेब के प्रथम राज्याभिषेक स्थल के रूप में यह ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
    • शालीमार बाग को मूल रूप से ऐजाबाद गार्डन (Aizzabad Garden) कहा जाता था, जिसे इज्ज-उन-निशा बेगम की स्मृति में बनाया गया था।
    • ‘शालीमार’ नाम ‘शाला’ एवं ‘मारा’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘आनंद का निवास’, यह शब्द कथित तौर पर स्वयं शाहजहाँ द्वारा दिया गया था।
  • आसपास के चारबाग शैली के बगीचे (चार भागों वाला एक पैराडाइज गार्डेन), जो जलमार्गों से विभाजित है, को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा मूल आकृति को प्रतिबिंबित करने के लिए पुनर्निर्मित किया गया था।
  • पारंपरिक सामग्रियों का उपयोग: जीर्णोद्धार में पारंपरिक मुगल सामग्रियों जैसे चूने की सुर्खी, लखौरी ईंटें, एवं गुड़, बेलगिरी तथा उड़द दाल जैसी जैविक सामग्रियों का उपयोग किया गया, जिससे ऐतिहासिक प्रामाणिकता सुनिश्चित हुई।

सिएरा लियोन

अटलांटिक महासागर के बढ़ते जलस्तर के कारण सिएरा लियोन के टर्टल द्वीपसमूह (Turtle Islands) में स्थित न्यांगई द्वीप (Nyangai Island) की दो-तिहाई भूमि एक दशक से भी कम समय में जलमग्न हो गई।

सिएरा लियोन के बारे में

  • भौगोलिक स्थिति: सिएरा लियोन, जिसकी राजधानी फ्रीटाउन है, पश्चिम अफ्रीका में स्थित है, जिसकी सीमा उत्तर एवं पूर्व में गिनी, दक्षिण में लाइबेरिया तथा पश्चिम में अटलांटिक महासागर से लगती है।
    • यह पृथ्वी के उत्तरी एवं पश्चिमी गोलार्द्ध में अवस्थित है।
  • क्षेत्रीय विस्तार एवं भू-भाग: इसका क्षेत्रफल 71,740 वर्ग किमी. है एवं इसमें वनाच्छादित पहाड़ियाँ, तटीय मैंग्रोव दलदल, नदी के मैदान तथा माउंट बिंटुमनी जैसे आंतरिक पर्वतों सहित विविध परिदृश्य हैं।
  • नदियाँ: रोकेल, सेवा एवं मोआ जैसी प्रमुख नदियाँ देश को एक-दूसरे से जोड़ती हैं।
  • जलवायु संवेदनशीलता: सिएरा लियोन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, विशेष रूप से समुद्र के जलस्तर में वृद्धि एवं तटीय कटाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिससे दो मिलियन से अधिक तटीय निवासियों को खतरा है।
  • द्वीपों का सांस्कृतिक एवं आर्थिक महत्त्व: टर्टल एवं प्लांटैन द्वीपों का गहरा सांस्कृतिक महत्त्व है तथा वे मत्स्यन, व्यापार एवं ऐतिहासिक पर्यटन के केंद्र हैं, लेकिन अब वे जलमग्न होने के कगार पर हैं।

डार्क वेब

केरल के एक इंजीनियर को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (Narcotics Control Bureau- NCB) ने डार्क वेब के जरिए कथित तौर पर एक बड़ा ड्रग ऑपरेशन चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

  • वह कथित तौर पर एक “लेवल-फोर डार्कनेट विक्रेता” था एवं उसके पास लगभग ₹1 करोड़ मूल्य की LSD ब्लॉटर, केटामाइन तथा क्रिप्टोकरेंसी थी।

डार्क वेब क्या है?

  • इंटरनेट का एक हिस्सा, जो सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नहीं किया जाता है एवं जिसे एक्सेस करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर (जैसे- टाॅर) की आवश्यकता होती है।
  • ऑनलाइन गतिविधियों को गोपनीय एवं निजी रखने के लिए डिजाइन किया गया है, जो कानूनी तथा अवैध दोनों उद्देश्यों की पूर्ति कर सकता है।

डार्क वेब की उत्पत्ति

  • इस अवधारणा की शुरुआत 1990 के दशक में हुई, जब अमेरिकी नौसेना अनुसंधान प्रयोगशाला ने सरकारी संचार को सुरक्षित करने के लिए ‘द अनियन रूटिंग’ (टाॅर) विकसित किया।
  • टाॅर उपयोगकर्ता की पहचान छिपाने के लिए प्याज की तरह इंटरनेट ट्रैफिक को कई परतों में एन्क्रिप्ट करके कार्य करता है।

कानूनी एवं नैतिक उपयोग के मामले

  • मुखबिर अपनी पहचान उजागर किए बिना संवेदनशील जानकारी साझा करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।
  • दुर्व्यवहार के शिकार, राजनीतिक रूप से असंतुष्ट कार्यकर्ता सुरक्षित संचार के लिए इस पर निर्भर करते हैं।
  • पत्रकार एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता इसका प्रयोग स्रोतों की सुरक्षा तथा गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए करते हैं।
  • सत्तावादी देशों में बिना सेंसर की गई जानकारी तक पहुँच रखने वाले नागरिक इसका उपयोग करते हैं। 

अवैध उपयोग के मामले

  • ड्रग्स, हथियारों, चोरी किए गए डेटा, अश्लील सामग्री एवं अन्य अवैध वस्तुओं का व्यापार।
  • प्रायः साइबर अपराधियों द्वारा इसकी गुमनाम प्रकृति के कारण इसका प्रयोग किया जाता है।

लेवल-फोर विक्रेता क्या है?

  • डार्कनेट मार्केटप्लेस प्रायः विक्रेताओं का मूल्यांकन करने के लिए प्रतिष्ठा-आधारित ‘टियर सिस्टम’ का उपयोग करते हैं।
  • विक्रेता का मूल्यांकन बेची जाने वाली दवाओं की क्षमता एवं दी जाने वाली “ग्राहक सेवा” पर निर्भर करता है।

डीप वेब: उन सभी वेब सामग्री को संदर्भित करता है, जो सर्च इंजन द्वारा अनुक्रमित नहीं होती हैं, लेकिन यदि URL या लॉगिन क्रेडेंशियल ज्ञात हों तो नियमित ब्राउजर से सुलभ होती हैं।

बैटरी पासपोर्ट

भारत EV सुरक्षा को बढ़ाने, गुणवत्ता सुनिश्चित करने एवं ट्रेस करने योग्य डिजिटल बैटरी डेटा के माध्यम से वैश्विक निर्यात को समर्थन देने के लिए “बैटरी पासपोर्ट” प्रणाली शुरू करने के लिए तैयार है।

बैटरी पासपोर्ट क्या है?

  • बैटरियों के लिए डिजिटल पहचान: बैटरी पासपोर्ट एक अद्वितीय डिजिटल रिकॉर्ड है, जो एक QR कोड में एम्बेडेड होता है, जो बैटरी की उत्पत्ति, संरचना एवं प्रदर्शन के बारे में विस्तृत डेटा प्रदान करता है।
  • जीवनचक्र एवं आपूर्ति शृंखला पारदर्शिता: यह कच्चे माल की सोर्सिंग से लेकर रीसाइक्लिंग तक, बैटरी जीवन चक्र की संपूर्ण स्रोत-पहचान क्षमता प्रदान करता है, जिससे सेल के निर्माण वर्ष एवं विंटेज को सत्यापित करने में मदद मिलती है।
  • वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास संरेखण: यूरोपीय संघ के बैटरी विनियमन के समान, बैटरी पासपोर्ट का उद्देश्य भारत के EV पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक गुणवत्ता, सुरक्षा एवं कार्बन रिपोर्टिंग मानकों के अनुरूप बनाना है।

बैटरी पासपोर्ट का महत्त्व

  • सुरक्षा एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करता है: इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाओं के बाद, पासपोर्ट प्रणाली एक ही बैटरी में विभिन्न निर्माण वर्षों में प्रयुक्त सेल जैसी असुरक्षित प्रथाओं को समाप्त करने में मदद करेगी।
  • उपभोक्ता विश्वास एवं सूचित विकल्पों को बढ़ावा देता है: खरीदार एक QR कोड स्कैन करके बैटरी की स्थिति, अपेक्षित जीवनकाल तथा प्रदर्शन के बारे में रियल-टाइम डेटा प्राप्त कर सकते हैं, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक में उपभोक्ता का विश्वास बढ़ता है।
  • बैटरी स्वैपिंग एवं रीसाइक्लिंग का समर्थन करता है: बैटरी पासपोर्ट आगामी बैटरी स्वैपिंग नीति के लिए महत्त्वपूर्ण होंगे, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियों की ट्रैकिंग, नवीनीकरण एवं सुरक्षित निपटान या पुन: उपयोग संभव होगा।
  • इलेक्ट्रिक वाहन निर्यात क्षमता को बढ़ाता है: पता लगाने योग्य, प्रमाणित बैटरी प्रणालियों के साथ, भारत में निर्मित इलेक्ट्रिक वाहन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अधिक अनुरूप होंगे, जिससे वैश्विक बाजार में अधिक अवसर खुलेंगे।
  • हितधारकों के बीच जवाबदेही को प्रोत्साहित करता है: इस प्रणाली में बैटरी निर्माताओं, खननकर्ताओं, पुनर्चक्रणकर्ताओं एवं वाहन निर्माताओं द्वारा डेटा साझाकरण शामिल होगा, जिससे सतत् तथा पारदर्शी आपूर्ति शृंखलाओं को बढ़ावा मिलेगा।

राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति (NOS) योजना

हाल ही में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने धन की कमी के कारण 66 NOS उम्मीदवारों के अनंतिम पुरस्कार-पत्र रोक दिए तथा अतिरिक्त आवंटन की माँग की।

राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति (National Overseas Scholarship- NOS) योजना के बारे में

  • यह योजना भारत में हाशिए पर स्थित समुदायों के छात्रों को प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर एवं डॉक्टरेट की पढ़ाई करने में सक्षम बनाकर सामाजिक सशक्तीकरण तथा आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देने की एक प्रमुख पहल है।
  • नोडल मंत्रालय: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (भारत सरकार)।
  • पात्र लाभार्थी: यह योजना अनुसूचित जातियों (SCs), विमुक्त जनजातियों, अर्द्ध-घुमंतू एवं घुमंतू जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों तथा पारंपरिक कारीगर परिवारों के छात्रों को लाभान्वित करती है।
    • प्रत्येक वर्ष के पुरस्कारों का 30% महिला उम्मीदवारों के लिए निर्धारित है।
  • वित्तपोषित पाठ्यक्रमों के प्रकार: NOS योजना इंजीनियरिंग, प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान एवं परिष्कृत ज्ञान सहित विभिन्न विषयों में मान्यता प्राप्त विदेशी संस्थानों में स्नातकोत्तर तथा Ph.D. कार्यक्रमों का समर्थन करती है।

 

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