100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 12, 2025 02:41 56 0

राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद

नीति आयोग ने सिफारिश की है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों (State Science and Technology Councils) के लिए अपने ‘मुख्य अनुदान समर्थन’ में कटौती करे तथा उन्हें ‘परियोजना आधारित समर्थन’ तक सीमित कर दे।

  • ये सिफारिशें ‘राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों के सुदृढ़ीकरण हेतु रोडमैप’ (Roadmap for Strengthening State Science and Technology Councils) रिपोर्ट में दी गई हैं।

राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (S&T) परिषदों के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

  • कमजोर शासन संरचना: अधिकांश राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदें नियमित रूप से शासी परिषद बैठकें आयोजित नहीं करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप निर्णय लेने में देरी होती है एवं नीति कार्यान्वयन खंडित होता है।
  • वित्तपोषण की कमी एवं कम उपयोग: परिषदें केंद्रीय अनुदानों पर अत्यधिक निर्भर हैं, अनियमित निधि जारी होती हैं एवं बोझिल अनुमोदन प्रक्रियाओं के कारण कम उपयोग होता है।
  • कुशल जनशक्ति की कमी: कई स्वीकृत पद रिक्त रहते हैं, जिससे अनुसंधान कार्य एवं परियोजना कार्यान्वयन प्रभावित होता है।
  • सीमित संस्थागत सहयोग और कम उद्योग सहभागिता होना।
  • नियामक एवं प्रशासनिक बाधाएँ: कठोर नियम एवं जटिल प्रक्रियाएँ समय पर निधि उपयोग तथा परियोजना कार्यान्वयन में बाधा डालती हैं।

सिफ़ारिशें

  • वित्तीय सहायता एवं संसाधन जुटाना
    • पर्याप्त राज्य निधि: राज्यों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए GSDP का कम-से-कम 0.5% आवंटित करना होगा।
    • परियोजना आधारित केंद्रीय अनुदान: मुख्य निधि से प्रदर्शन आधारित निधि की ओर स्थानांतरण (पूर्वोत्तर एवं केंद्रशासित प्रदेशों को छोड़कर)।
    • प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन: परिभाषित मुख्य निष्पादन संकेतक (KPIs) से जुड़े परिणाम-संचालित वित्तपोषण को लागू करना।
  • मानव संसाधन एवं क्षमता निर्माण
    • संतुलित कार्यबल: वैज्ञानिक एवं गैर-वैज्ञानिक अनुपात 70:30 बनाए रखना।
    • नियमित कर्मचारी: राज्य मुख्य पदों को वित्तीय एवं संरचनात्मक रूप से समर्थन देगा।
  • राज्य-केंद्रित भूमिका एवं उप-संरचनाएँ
    • राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मानचित्रण: स्थानीय आवश्यकताओं की पहचान करना एवं क्षेत्रीय नीतियाँ बनाना।
    • उप-संरचनाएँ निर्मित करना: पेटेंट प्रकोष्ठ, इनक्यूबेशन केंद्र, TRL इकाइयाँ, तकनीकी हस्तांतरण इकाइयाँ आदि स्थापित करना।
  • कार्यक्रमों एवं गतिविधियों का पुनरुद्धार
    • अनुसंधान एवं विकास परियोजना सहायता: राज्य शैक्षणिक/अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को प्राथमिकता देना; केवल राज्य-प्रासंगिक परियोजनाओं के लिए केंद्रीय संस्थानों का समर्थन करना।
    • पुरस्कार: राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के अनुरूप वार्षिक पुरस्कार प्रदान करने की शुरूआत  करना।
    • फेलोशिप एवं अनुदान: युवा प्रतिभाओं को पोषित करने के लिए छात्रवृत्ति, इंटर्नशिप एवं यात्रा अनुदान प्रदान करना।
  • सहयोग एवं पारिस्थितिकी तंत्र संबंध
    • विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के बीच आपसी सहयोग: जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY), वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), शिक्षा मंत्रालय (MOE), उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) आदि जैसे विभागों के साथ सक्रिय सहयोग स्थापित करना।
    • उद्योग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के नेटवर्क: कार्यक्रमों के सह-वित्तपोषण के लिए स्थानीय उद्योगों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को शामिल करना।

राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस

भारत का मत्स्य उत्पादन 11 वर्षों में 95.79 लाख टन से बढ़कर 195 लाख टन हो गया है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ‘नीली क्रांति’ की सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

  • केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्यपालन विभाग ने 10 जुलाई, 2025 को ICAR-CIFA, भुवनेश्वर में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस (National Fish Farmers Day) मनाया।

विकास एवं उपलब्धियाँ

  • अंतर्देशीय मत्स्यपालन एवं जलीय कृषि: अंतर्देशीय मत्स्यपालन एवं जलीय कृषि में 140% की वृद्धि दर्ज की गई, जो भारत के जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग को दर्शाता है।
  • झींगा उत्पादन एवं निर्यात: पिछले दशक में झींगा उत्पादन में 270% की वृद्धि देखी गई।
    • समुद्री खाद्य निर्यात 60,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया, भारत ने झींगा निर्यात में वैश्विक नेतृत्व बरकरार रखा।

शुरू की गई प्रमुख पहलें

  • 17 मत्स्यपालन क्लस्टर (कुल क्लस्टरों की संख्या – 34)
    • मौजूदा उदाहरण: मोती (हजारीबाग), समुद्री शैवाल (लक्षद्वीप), तिलापिया (छत्तीसगढ़), खारा जल (आंध्र प्रदेश) आदि
  • ICAR प्रशिक्षण कैलेंडर
  • बीज प्रमाणीकरण और हैचरी संचालन दिशा-निर्देश (गुणवत्ता तथा मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए)।

नीली क्रांति

  • ‘नीली क्रांति’ जलीय कृषि एवं मत्स्यपालन के तीव्र एवं सतत् विकास को संदर्भित करती है, जिसका उद्देश्य मत्स्य उत्पादन बढ़ाना तथा मछुआरों तथा मत्स्यपालकों की आजीविका में सुधार करना है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.