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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 19, 2025 03:49 52 0

हरियाणा में 2,000 वर्ष प्राचीन बौद्ध स्थल की खोज

हाल ही में IIT कानपुर ने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (Ground Penetrating Radar) का उपयोग करते हुए, हरियाणा के यमुना नगर जिले में प्राचीन बौद्ध स्तूपों एवं संरचनात्मक अवशेषों के संकेत की खोज की हैं।

ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (Ground Penetrating Radar) के बारे में

  • एक भू-भौतिकीय विधि, जो रडार स्पंदों का उपयोग करके भूमिगत इमेज तैयार करती है। यह सतह के ‘एक्स-रे’ के समान है, जिससे वैज्ञानिक एवं इंजीनियर बिना खुदाई किए भूमिगत वस्तुओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

मुख्य विशेषताएँ

  • बौद्ध स्तूप के साक्ष्य: तकनीक: ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार ने गोलाकार संरचनाओं, पुरानी दीवारों एवं 6-7 फीट गहरे कमरों को प्रदर्शित किया, जो 2,000 वर्ष प्राचीन बौद्ध स्थल का संकेत देते हैं।
  • खोज स्थल
    • टोपरा कलाँ: शक्तिशाली ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार संकेतों ने एक प्राचीन मंदिर के पास एक दबी हुई अर्द्ध-गोलाकार संरचना, संभवतः एक स्तूप, का संकेत दिया।
    • ‘जरासंध का किला’: यहाँ एक टीले पर भी एक गोलाकार संरचना के संकेत मिले, जो एक अन्य स्तूप से मेल खाता है।
  • ऐतिहासिक महत्त्व
    • स्थानीय मौखिक परंपराओं के अनुसार, यह स्थल बौद्ध काल या संभवतः महाभारत काल का हो सकता है।
    • ये खोजें उपमहाद्वीप में प्राचीन व्यापार मार्गों, धार्मिक नेटवर्क एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं।
    • यदि इसी तरह की संरचनाएँ मिलती हैं, तो यह इस प्राचीन सभ्यता के व्यापक प्रसार एवं प्रभाव की व्याख्या कर सकती हैं।

प्रमुख बौद्ध स्थल

  • लुंबिनी, नेपाल: बुद्ध की जन्मस्थली के रूप में मान्यता प्राप्त, यह भारतीय बौद्ध स्थलों से निकटता से जुड़ा हुआ है।
  • बोधगया, बिहार: बोधि वृक्ष के नीचे बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति का स्थल।
    • महाबोधि मंदिर, बोधगया: बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति का स्थल, वर्ष 2002 से UNESCO विश्व धरोहर स्थल।
    • वैशाली, बिहार: जहाँ बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश दिया एवं अपने परिनिर्वाण की घोषणा की।
    • राजगीर एवं नालंदा, बिहार: बौद्ध शिक्षा तथा प्राचीन मठों के प्रसिद्ध केंद्र।
  • सारनाथ, उत्तर प्रदेश: वह स्थान जहाँ बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
    • कुशीनगर, उत्तर प्रदेश: बुद्ध के महापरिनिर्वाण (अंतिम परिनिर्वाण) का स्थान।
  • साँची, मध्य प्रदेश: प्राचीन स्तूपों एवं बौद्ध स्मारकों का केंद्र, जो बौद्ध वास्तुकला तथा विरासत को प्रदर्शित करते हैं।
  • मैक्लॉडगंज, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश: यहाँ दलाई लामा एवं निर्वासित तिब्बती सरकार का प्रमुख स्थल है, जो एक प्रमुख तिब्बती बौद्ध केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • एलोरा गुफाएँ, महाराष्ट्र: एक UNESCO विश्व धरोहर स्थल, जहाँ बौद्ध, हिंदू एवं जैन परंपराओं के शैलकृत मंदिर प्रदर्शित हैं।
    • अजंता गुफाएँ: प्राचीन बौद्ध मठों एवं बुद्ध के जीवन को दर्शाने वाले भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध।

पृथ्वी-II एवं अग्नि-I बैलिस्टिक मिसाइलें

कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों पृथ्वी-II एवं अग्नि-I का 17 जुलाई, 2025 को ओडिशा के चाँदीपुर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

  • एकीकृत बल कमान द्वारा किए गए इन परीक्षणों ने सभी परिचालन एवं तकनीकी मानकों को प्रमाणित किया।
  • ये परीक्षण भारत की परमाणु एवं वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देते हैं।

पृथ्वी-II बैलिस्टिक मिसाइल के बारे में

  • प्रकार: कम दूरी की, एकल-चरणीय, द्रव-ईंधन द्वारा संचालित सतह-से-सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है।
  • विकास: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत विकसित।
  • सीमा: लगभग 250-350 किमी.।
  • पेलोड: पारंपरिक एवं परमाणु दोनों विकल्पों सहित 500 किलोग्राम से 1,000 किलोग्राम तक के आयुध ले जाने में सक्षम।
  • उपयोगकर्ता: मुख्य रूप से भारतीय वायु सेना के लिए विकसित, वर्ष 2003 में एकीकृत बल कमान में शामिल किया गया।
  • विशेषताएँ: एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलों से बचने के उपायों के साथ डिजाइन किया गया है एवं इसमें बेहतर नेविगेशन क्षमता है।

अग्नि-I बैलिस्टिक मिसाइल के बारे में

  • प्रकार: कम से मध्यम दूरी की, एकल-चरणीय, ठोस-ईंधन आधारित बैलिस्टिक मिसाइल।
  • DEDO द्वारा विकसित, विशेष रूप से कारगिल युद्ध के बाद, पृथ्वी-II एवं लंबी दूरी की अग्नि मिसाइलों के बीच की दूरी के अंतर को कम करने के लिए डिजाइन किया गया।
  • सीमा: 700-1200 किमी., हल्के पेलोड के साथ 1200 किमी. तक।
  • पेलोड: पारंपरिक एवं परमाणु आयुधों सहित 1,000 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है।
  • गतिशीलता: सड़क एवं रेल द्वारा गतिशील, बेहतर उत्तरजीविता प्रदान करता है।
  • उपयोगकर्ता: भारतीय सेना की एकीकृत बल कमान द्वारा प्रयुक्त।
  • भविष्य: एक उन्नत दो-चरणीय संस्करण, अग्नि-1P, को बेहतर सटीकता एवं विश्वसनीयता के साथ विकसित किया जा रहा है, जो संभवतः पुरानी अग्नि-1 तथा अग्नि-2 मिसाइलों का स्थान ले सकता है।

तावके तेल क्षेत्र, इराक

हाल ही में इराक के कुर्दिस्तान क्षेत्र में हुए ड्रोन हमलों ने तेल उत्पादन को बाधित कर दिया है। 17 जुलाई, 2025 को तावके तेल क्षेत्र (नॉर्वे के DNO द्वारा संचालित) पर हमला हुआ।

तावके तेल क्षेत्र के बारे में

  • अवस्थिति: उत्तरी इराक के कुर्दिस्तान क्षेत्र के अंतर्गत, दुहोक प्रांत के जखो प्रशासन क्षेत्र में स्थित एक तटवर्ती क्षेत्र।
    • कुर्दिस्तान क्षेत्र मुख्य रूप से इराक, ईरान, सीरिया एवं तुर्की में जातीय कुर्दों के निवास वाले क्षेत्रों को संदर्भित करता है।
  • संचालक: नॉर्वेजियन तेल एवं गैस कंपनी DNO।
  • रणनीतिक महत्त्व: एक महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादन स्थल
    • तावके तेल क्षेत्र ने वर्ष 2024 में प्रतिदिन औसतन 78,615 बैरल तेल का उत्पादन किया।

इराक

  • अवस्थिति: इराक पश्चिमी एशिया में अवस्थित है।
  • सीमाएँ: इराक कई देशों के साथ सीमा साझा करता है:
    • उत्तर में तुर्किए।
    • पूर्व में ईरान।
    • दक्षिण-पूर्व में फारस की खाड़ी एवं कुवैत।
    • दक्षिण में सऊदी अरब।
    • दक्षिण-पश्चिम में जॉर्डन।
    • पश्चिम में सीरिया।

थ्री पर्सन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने ‘थ्री-पर्सन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)’ तकनीक का सफल उपयोग करते हुए आठ शिशुओं के सफल निषेचन एवं भ्रूण विकास में सफलता प्राप्त की है एवं उनका आनुवंशिक माइटोकॉन्ड्रियल रोग से बचाव किया है।

थ्री पर्सन  इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) या माइटोकॉण्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी (MRT) के बारे में

  • संदर्भ: माताओं द्वारा अपने बच्चों को गंभीर माइटोकॉण्ड्रियल रोग होने से रोकने की एक तकनीक। 
  • उद्देश्य: वंशानुगत माइटोकॉण्ड्रियल रोगों के प्रसार को रोकता है, जो मस्तिष्क एवं हृदय जैसे अंगों को प्रभावित करते हैं तथा केवल माँ द्वारा ही संचारित होते हैं।
  • आनुवंशिक संरचना: ‘थ्री पर्सन चाइल्ड’ कहे जाने के बावजूद, 99.9% से अधिक DNA जैविक माता-पिता से आनुवंशिक रूप में प्राप्त होते हैं।

यह कैसे कार्य करता है?

  • मैटरनल स्पिंडल ट्रान्सफर (MST): माँ के निषेचित अंडाणु से केंद्रक (माता-पिता का मुख्य DNA) दाता के स्वस्थ, केंद्रक रहित (केंद्रक हटाए गए) अंडाणु में स्थानांतरित किया जाता है।
    • इस पुनर्निर्मित अंडाणु को फिर पिता के शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जाता है एवं प्रत्यारोपित किया जाता है।
  • प्रोन्यूक्लियर ट्रांसफर (PNT): माता एवं दाता दोनों के अंडाणुओं को पिता के शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जाता है।
    • माता-पिता के निषेचित अंडाणु से प्रोन्यूक्लिआई (प्रारंभिक केंद्रक) को दाता के निषेचित निषेचित अंडाणु में स्थानांतरित किया जाता है।
    • फिर इस नए भ्रूण को प्रत्यारोपित किया जाता है।

मुख्य तथ्य

  • DNA: दाता माइटोकॉण्ड्रिया से DNA का केवल एक छोटा-सा अंश ही प्रदान करता है, जिससे रूप-रंग जैसे लक्षणों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  • जर्मलाइन संशोधन: इसे ‘जर्मलाइन’ संशोधन माना जाता है क्योंकि माइटोकॉण्ड्रियल DNA आनुवंशिक होता है, विशेष रूप से मादा संतानों में।
  • विनियमन: कुछ देशों (जैसे, वर्ष 2015 से UK) में यह अत्यधिक विनियमित एवं कानूनी है।
    • भारत में थ्री पर्सन IVF स्पष्ट रूप से कानूनी या विनियमित नहीं है।
    • यद्यपि सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 मौजूद है, फिर भी कोई विशिष्ट कानून नैदानिक उपयोग के लिए MRT की अनुमति नहीं देता है, जिससे यह एक नियामक अस्पष्ट क्षेत्र में रहता है—UK जैसे देशों के विपरीत, जहाँ इसे औपचारिक रूप से अनुमति है।
  • सफलता: जुलाई 2025 तक, UK में इस पद्धति का उपयोग करके आठ स्वस्थ शिशुओं का जन्म हुआ है, जो माइटोकॉण्ड्रियल रोग से मुक्त हैं।

माइटोकॉण्ड्रियल रोगों के बारे में

  • माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिकाओं का “पॉवरहाउस” कहा जाता है क्योंकि ये ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। यदि माइटोकॉण्ड्रियल DNA (mtDNA) उत्परिवर्तित हो जाता है, तो यह कई गंभीर एवं घातक स्थितियों का कारण बन सकता है, जो उच्च ऊर्जा माँग वाले अंगों, जैसे- मस्तिष्क, मांसपेशियों, हृदय तथा यकृत को प्रभावित करते हैं।
  • ये रोग विशेष रूप से माँ से अनुवांशिक रूप में मिलते हैं।
  • सामान्य उदाहरणों में माइटोकॉण्ड्रियल एन्सेफैलोमायोपैथी, लैक्टिक एसिडोसिस एंड स्ट्रोक एपिसोड (MELAS), मायोक्लोनिक एपिलेप्सी विथ रैग्ड रेड फाइबर्स (MERRF), लेबर हेरेडिटरी ऑप्टिक न्यूरोपैथी (LHON ), एवं लेह सिंड्रोम शामिल हैं।

केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA)

केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority- CARA) ने दत्तक ग्रहण प्रक्रिया के दौरान संरचित परामर्श सेवाओं को सुदृढ़ एवं संस्थागत बनाने के लिए व्यापक निर्देश जारी किए हैं।

नए निर्देशों के प्रमुख पहलू

  • अनिवार्य परामर्श: परामर्श अब दत्तक ग्रहण से पूर्व, दत्तक ग्रहण के दौरान एवं दत्तक ग्रहण के बाद के चरणों में एक महत्त्वपूर्ण एवं अनिवार्य घटक है।
  • योग्य परामर्शदाता: राज्य दत्तक ग्रहण बोर्डों को जिला एवं राज्य स्तर पर योग्य पेशेवरों (बाल मनोविज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक कार्य पृष्ठभूमि) को नामित या सूचीबद्ध करना होगा।
  • हितधारक समर्थन: इसका उद्देश्य भावी दत्तक माता-पिता, दत्तक बच्चों (विशेषकर बड़े बच्चों) एवं जैविक माता-पिता के लिए मनोसामाजिक समर्थन को सुदृढ़ करना है।
  • विशिष्ट परिस्थितियाँ: गैर-समायोजन संबंधी मुद्दों या दत्तक ग्रहण में संभावित व्यवधानों के लिए दत्तक ग्रहण के बाद परामर्श आवश्यक है।
  • कानूनी समर्थन: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (संशोधित 2021) एवं दत्तक ग्रहण विनियम, 2022 के अंतर्गत निर्देश जारी किए जाते हैं।

CARA के बारे में

  • संस्थागत पहचान: CARA, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत, दत्तक ग्रहण के लिए भारत का सर्वोच्च वैधानिक निकाय है।
  • स्थिति: वर्ष 1990 में स्वायत्त संस्था के रूप में स्थापित; किशोर न्याय अधिनियम 2015 के माध्यम से वैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
  • भूमिका: एक नोडल निकाय जो अनाथ, परित्यक्त एवं आत्मसमर्पित बच्चों के देश के भीतर एवं देश के बाहर दत्तक ग्रहण की निगरानी तथा विनियमन करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय भूमिका: हेग कन्वेंशन, 1993 के अंतर्गत देश के बाहर दत्तक ग्रहण के लिए नामित केंद्रीय प्राधिकरण।
  • ढाँचा: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अंतर्गत संचालित होता है एवं बाल देखभाल संस्थानों (CCI) से जुड़ा हुआ है।

OECD-FAO कृषि आउटलुक 2025-2034

हाल ही में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) एवं संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की एक संयुक्त रिपोर्ट द्वारा कृषि परिदृश्य 2025-2034 जारी किया गया।

  • यह राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्तर पर कृषि वस्तुओं (मत्स्य सहित) तथा उनके बाजारों की दस वर्षीय संभावनाओं का एक व्यापक आकलन प्रस्तुत करता है।

प्रमुख वैश्विक प्रवृत्ति (वर्ष 2034 तक)

  • अनाज उपयोग में परिवर्तन: प्रत्यक्ष मानव उपभोग के लिए केवल 40%, जैव ईंधन/औद्योगिक के लिए 27% (23% से ऊपर), एवं पशु आहार के लिए 33%
  • जैव ईंधन उछाल: 0.9% वार्षिक वृद्धि, जिसका नेतृत्व भारत, ब्राजील एवं इंडोनेशिया कर रहे हैं, जो खाद्य-आधारित फीडस्टॉक्स पर अत्यधिक निर्भर हैं।
  • उत्पादन वृद्धि: 1.1% वार्षिक (अधिकांशतः उपज वृद्धि)। भारत एवं दक्षिण-पूर्व एशिया अनाज उपभोग वृद्धि में 39% योगदान देंगे।
  • पशु उत्पाद: बढ़ती माँग, विशेष रूप से मध्यम आय वाले देशों में, मांस/डेयरी उत्पादन (17%) में वृद्धि एवं कृषि ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse Gas- GHG) उत्सर्जन में 6% की वृद्धि का कारण बन रही है।
  • कपास: भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष उत्पादक बनने की ओर अग्रसर है।

भारत की कृषि-विपणन चुनौतियाँ एवं समाधान

  • चुनौतियाँ
    • कमजोर बुनियादी ढाँचा: अपर्याप्त शीत भंडारण/परिवहन के कारण कटाई के बाद ₹92,000 करोड़ का नुकसान।
    • विखंडित बाजार: कोई राष्ट्रीय एकीकृत बाजार नहीं है कृषि उत्पादन बाजार समितियाँ (APMC) राज्यों द्वारा विनियमित है।
      • कृषि विपणन राज्य सूची का एक विषय है, जो राज्य-विशिष्ट APMC अधिनियमों द्वारा विनियमित होता है, जिसके तहत APMC की स्थापना की जाती है।
    • सीमित पहुँच: छोटे किसान बाजार पहुँच एवं कम कीमतों से जूझते हैं।
  • सरकारी कदम
    • राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM): मूल्य पारदर्शिता एवं व्यापक पहुँच के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म।
    • 10,000 किसान उत्पादक संगठन (FPOs) योजना: छोटे किसानों के लिए बाजार तक पहुँच को बढ़ाती है।
    • कृषि बुनियादी ढाँचा कोष (AIF): गोदामों एवं शीत शृंखलाओं जैसे कटाई के बाद के बुनियादी ढाँचे संबंधी उन्नयन हेतु वित्तीय सहायता तथा ब्याज अनुदान प्रदान करता है।
    • कृषि विपणन बुनियादी ढाँचा (AMI): गोदाम निर्माण के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में भंडारण क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित है।

सेनेगल

हाल ही में फ्राँस ने औपचारिक रूप से सेनेगल में अपने अंतिम सैन्य अड्डे को वापस सौंप दिया, जिससे फ्राँस के पास पश्चिम या मध्य अफ्रीका में कोई स्थायी शिविर नहीं रह गया है।

संबंधित तथ्य

  • फ्राँसीसी वापसी ऐसे समय में हुई है, जब साहेल क्षेत्र माली, बुर्किना फासो एवं नाइजर में बढ़ते संघर्ष का सामना कर रहा है, जो दक्षिण में गिनी की खाड़ी के देशों के लिए खतरा बन रहा है।

सेनेगल के बारे में

  • राजधानी: डकार
  • सरकार का स्वरूप: गणतंत्रात्मक शासन।
  • स्थान: अफ्रीका का सबसे पश्चिमी भाग, मॉरितानिया, माली, गिनी एवं गिनी-बिसाऊ की सीमा से संलग्न।
    • पृथ्वी के उत्तरी एवं पश्चिमी गोलार्द्ध में स्थित।
    • पश्चिम में अटलांटिक महासागर तक विस्तृत है।
  • भूगोल: सहारा रेगिस्तान का प्रभुत्व, जिसमें सेनेगल नदी एक प्रमुख जल निकासी प्रणाली है।
  • जलवायु: शुष्क, गर्म जलवायु, मरुस्थलीकरण एक चिंता का विषय है।
  • ऐतिहासिक संदर्भ: वर्ष 1960 में फ्राँस से स्वतंत्रता प्राप्त की।

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