हाल ही में केरल के त्रिशूर में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री ने सक्थन थंपुरन (Sakthan Thampuran) की एक मूर्ति को बदलने की घोषणा की।
सक्थन थंपुरन (Sakthan Thampuran)
सक्थन थंपुरन को त्रिशूर शहर का वास्तुकार माना जाता है।
राजा राम वर्मा कुंजीपिल्लई (Raja Rama Varma Kunjipillai) या राम वर्मा IX ( Rama Varma IX), जिन्हें आज ‘सक्थन थंपुरन’ के नाम से जाना जाता है, ने वर्ष 1790 से 1805 तक कोचीन क्षेत्र पर शासन किया था।
त्रिशूर पूरम की शुरुआत सक्थान थंपुरन ने की थी। त्रिशूर पूरम केरल की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिकता का एक भव्य उत्सव है।
अरब लीग
(Arab League)
13 वर्षों में पहली बार अरब लीग की बैठक में तुर्किए भाग लेगा।
अरब लीग
स्थापना: अरब लीग, जिसे औपचारिक रूप से अरब राष्ट्रों की लीग के रूप में जाना जाता है, इसकी स्थापना वर्ष 1945 में केवल छह देशों के साथ की गई थी।
सदस्य: वर्तमान में इसके 22 सदस्य देश हैं, जिन्होंने अन्य मुद्दों के अलावा आर्थिक और सैन्य मामलों पर सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
संस्थापक सदस्य: मिस्र, सीरिया, लेबनान, इराक, ट्रांसजॉर्डन (अब जॉर्डन), सऊदी अरब और यमन।
अन्य सदस्य: लीबिया, सूडान, ट्यूनीशिया, मोरक्को, कुवैत, अल्जीरिया, बहरीन, ओमान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, मॉरिटोनिया, सोमालिया, फिलिस्तीन मुक्ति संगठन, जिबूती और काॅमोरोस।
उद्देश्य: साझा हित के मामलों पर अपने सदस्यों के बीच समन्वय में सुधार करना।
इस लीग की स्थापना युद्ध के बाद के औपनिवेशिक विभाजनों से संबंधित चिंताओं के साथ-साथ फिलिस्तीनी क्षेत्र पर यहूदी राज्य के उभार के विरोध के प्रत्युत्तर में की गई थी।
Su-30MKI विमान
हाल ही में रक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) ने Su-30MKI विमान हेतु 240 AL-31FP एयरो इंजन के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 26,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए है।
वर्तमान में भारतीय वायुसेना कुल 259, Su-30 MKI लड़ाकू विमानों का संचालन करती है।
Su-30MKI: यह एक बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है, जिसे सुखोई डिजाइन ब्यूरो (रूसी एयरोस्पेस कंपनी) और HAL द्वारा भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
विनिर्माण: इन एयरो इंजनों का निर्माण HAL के कोरापुट डिवीजन द्वारा किया जाएगा।
रूसी इंजनों को भारत में HAL द्वारा लाइसेंस के तहत असेंबल किया जाता है।
खरीद: इसे HAL से खरीद (भारतीय) श्रेणी के तहत खरीदा जाएगा। ‘खरीद (भारतीय)’ श्रेणी में भारतीय विक्रेताओं से उत्पाद खरीदना शामिल है, जो या तो:
कुल अनुबंध मूल्य के कम-से-कम 50% स्वदेशी सामग्री के साथ स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित इंजन।
कुल अनुबंध मूल्य का कम-से-कम 60% स्वदेशी सामग्री होना चाहिए, भले ही वह इंजन स्वदेशी रूप से डिजाइन या विकसित न किया गया हो।
महत्त्व: इन इंजनों में 54% से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी।
सांख्यिकी पर स्थायी समिति (Standing Committee on Statistics)
हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय(MoSPI) ने जनगणना आयोजित करने में देरी पर उठाई गई चिंताओं के विषय में सांख्यिकी पर स्थायी समिति को भंग कर दिया है।
सांख्यिकी पर स्थायी समिति (SCoS)
गठन: SCoS का गठन जुलाई 2023 में किया गया था।
13 जुलाई, 2023 को सरकार ने आर्थिक सांख्यिकी पर स्थायी समिति (Standing Committee on Economic Statistics-SCES) का नाम परिवर्तित करने और उसके कवरेज के दायरे का विस्तार करने के बाद 14 सदस्यीय SCoS का गठन किया था।
सदस्य: 10 सरकारी सदस्य, 4 गैर-सरकारी सदस्य (प्रतिष्ठित शिक्षाविद)
सदस्यों की संख्या 16 तक हो सकती है।
सांख्यिकी पर स्थायी समिति के अधिदेश
सभी सर्वेक्षणों की समीक्षा: SCoS को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के तहत किए गए सभी सर्वेक्षणों की रूपरेखा और परिणामों की समीक्षा करने का कार्य सौंपा गया है।
डेटा गैप की पहचान: SCoS आधिकारिक सांख्यिकी में डेटा गैप की पहचान करने के लिए जिम्मेदार है। यह उन क्षेत्रों को चिह्नित करेगा, जहाँ डेटा की कमी है और इन अंतराल को दूर करने के लिए रणनीति तैयार करेगा।
प्रशासनिक सांख्यिकी की खोज: समिति को डेटा परिणामों में सुधार के लिए प्रशासनिक सांख्यिकी के उपयोग करने का दायित्व सौंपा गया है।
तकनीकी सलाहकार की भूमिका: SCoS सर्वेक्षण के विभिन्न पहलुओं पर मंत्रालय को तकनीकी सलाह प्रदान करेगा, जिसमें डिजाइन, सर्वेक्षण पद्धति और परिणामों को अंतिम रूप देना शामिल है।
ग्रहीय सुरक्षा
(Planetary Protection)
हाल ही में चीन ने अपने मंगल मिशन, तियानवेन-3 को वर्ष 2028 तक स्थगित करने की घोषणा की है और ग्रहीय सुरक्षा सिद्धांत (Planetary Protection Principle) का पालन करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
ग्रहीय सुरक्षा सिद्धांत
परिभाषा: पृथ्वी से अन्य खगोलीय पिंड तक अंतरिक्ष मिशनों में, ग्रहीय सुरक्षा यह विचार है कि पृथ्वी एवं खगोलीय पिंड के जैववमंडल को ‘एलियन’ सूक्ष्मजीवी जीवन द्वारा संदूषण से बचाना महत्त्वपूर्ण है। यह अंतरग्रहीय मिशनों का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है, जैसे कि पृथ्वी से चंद्रमा या मंगल तक।
महत्त्व: यह सिद्धांत पृथ्वी और अन्य खगोलीय पिंडों के जीवमंडल को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
यह सुनिश्चित करता है कि ग्रहीय जैवमंडल स्थिर बना रहे तथा अंतरिक्ष मिशनों के बाहरी प्रभावों से अप्रभावित रहे।
विधिक आधार: इस सिद्धांत का कानूनी आधार बाह्य अंतरिक्ष संधि (1967) के अनुच्छेद-IX में निहित है।
इसमें सदस्य देशों से पृथ्वी और अन्य ग्रहों के पर्यावरण में ‘हानिकारक संदूषण’ और प्रतिकूल परिवर्तनों से बचाने की अपेक्षा की गई है।
अनुपालन की विधि: अंतरिक्ष यान को तीन दिनों तक 120°C ताप पर गर्म किया जाता है, जिससे न्यूनतम सूक्ष्मजीव संदूषण सुनिश्चित होता है।
मिशन लागत और डिजाइन पर प्रभाव: यह प्रक्रिया अंतरिक्ष मिशनों की तकनीकी माँग और लागत दोनों को बढ़ाती है, लेकिन जैवमंडल की शुद्धता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है।
NIDHI i-TBI
केंद्रीय मंत्री ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की पहल ‘DST-NIDHI’ के 8 वर्ष पूर्ण होने पर आठ नए ‘NIDHI i-TBI’ का उद्घाटन किया है।
NIDHI पहल
यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (भारत सरकार) के नवाचार एवं उद्यमिता प्रभाग द्वारा परिकल्पित एवं विकसित एक व्यापक कार्यक्रम है।
शुभारंभ: नवाचारों के विकास एवं उपयोग हेतु राष्ट्रीय पहल (National Initiative for Developing and Harnessing innovations-NIDHI) कार्यक्रम, वर्ष 2016 में प्रारंभ किया गया था।
उद्देश्य: नवाचारों की खोज, समर्थन और विस्तार के माध्यम से स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना।
वित्तपोषण: राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (NSTEDB) द्वारा।
कार्यक्रम के प्रमुख घटक
निधि- प्रयास (युवा और महत्त्वाकांक्षी नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप को बढ़ावा देना और गति प्रदान करना)
निधि उद्यमी-इन-रेजिडेंस (Entrepreneurs-In-Residence/EIR) कार्यक्रम उद्यमिता का विकल्प चुनने वाले छात्रों को फेलोशिप प्रदान करता है।
निधि एक्सेलेरेटर: एक्सेलेरेटर आमतौर पर 3-6 महीने का फास्ट ट्रैक संरचित कार्यक्रम होता है, जो किसी विचार को अगले चरण तक पहुँचाने में मदद करता है।
निधि-iTBI के बारे में
देश भर में विभिन्न स्थानों पर 8 नए निधि समावेशी-प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर (i-TBI) स्थापित किए गए हैं।
i-TBI एक तीन वर्षीय पहल है, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है, जिससे छात्रों, शिक्षकों, उद्यमियों और आस-पास के समुदायों को लाभ पहुँचे।
एग्रोमेटेरोलॉजी एडवाइजरी
(Agrometeorology Advisory)
हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (Gramin Krishi Mausam Sewa-GKMS) योजना के तहत जिला कृषि-मौसम विज्ञान इकाइयों (District Agro-Meteorology Units-DAMUs) को पुनर्स्थापित करने की योजना बना रहा है।
जिला कृषि-मौसम विज्ञान इकाइयाँ
स्थापना: IMD ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से वर्ष 2018 में 199 जिला कृषि-मौसम विज्ञान इकाइयों की स्थापना की।
DAMU कृषि विज्ञान केंद्रों(KVK) में अवस्थित थे।
उद्देश्य: उप-जिला स्तर पर कृषि संबंधी सलाह तैयार करना और उसका प्रसार करना।
कार्य
सलाह देना: DAMU में मौसम विज्ञान और कृषि विशेषज्ञ बुवाई, कटाई और उर्वरकों, कीटनाशकों तथा सिंचाई जैसे इनपुट उपयोग पर सलाह देने के लिए IMD मौसम डेटा का उपयोग करते हैं।
परामर्श: लाखों किसानों के साथ स्थानीय भाषाओं में टेक्स्ट संदेश, व्हाट्सऐप, समाचार-पत्रों और व्यक्तिगत संचार के माध्यम से परामर्श साझा किए गए।
लाभ
प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ: DAMU ने सूखे और भारी वर्षा जैसी चरम मौसम की घटनाओं के लिए पूर्व चेतावनी प्रदान की, जिससे किसानों को अनुकूलन में मदद मिली।
किसानों पर सकारात्मक प्रभाव: छोटे और सीमांत किसानों के लिए अनेक अध्ययनों ने कृषि-मौसम परामर्श के लाभों पर प्रकाश डाला है।
क्लेड-2 स्ट्रेन
(Clade-2 Strain)
यात्रा से संबंधित Mpox (मंकीपॉक्स) के एक मामले की पुष्टि हुई है, प्रयोगशाला परीक्षणों में रोगी में पश्चिम अफ्रीकी क्लेड 2 वायरस का पता चला है।
क्लेड-2 स्ट्रेन
Mpox, एक संक्रामक जूनोटिक रोग है, जो पॉक्स वायरस (जैसे- चेचक एवं काऊपॉक्स) के परिवार में से एक है, जिसकी विशेषता त्वचा पर दाने उभर आना है।
Mpox के दो प्रकार हैं:
क्लेड I: यह प्रमुख प्रकार है, इसमें मृत्यु दर 3-6% के बीच है तथा यह अधिकतर छोटे बच्चों और प्रतिरक्षा विहीन व्यक्तियों में पाया जाता है।
क्लेड II: यह बहुत कम खतरनाक है, इसमें मृत्यु दर लगभग 0.1 प्रतिशत है।
क्लेड-II अभी भी वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का हिस्सा नहीं है।
मुख्य रूप से यौन संपर्क के माध्यम से फैलने वाले एक नए वायरस क्लेड- 1B का उद्भव विशेष रूप से चिंताजनक है।
संचरण: गिलहरी, डॉर्मिस, बंदरों एवं चूहों जैसे जीव वायरस को संचारित करने में सहायक होते हैं।
पनडुब्बी रोधी युद्धपोत
(Anti-Submarine Warfare Vessels)
हाल ही में कोचीन शिपयार्ड में भारतीय नौसेना के दो एंटीसबमरीन वारफेयर-शैलो वाटर क्राफ्ट्स (ASW-SWC) लॉन्च किए गए है।
एंटीसबमरीन वारफेयर-शैलो वाटर क्राफ्ट्स (ASW-SWC)
ये नए शैलो वाटर क्राफ्ट्स कोचीन शिपयार्ड के साथ आठ ASW-SWC के लिए हुए अनुबंध का हिस्सा हैं, जो भारतीय नौसेना के अभय श्रेणी के ASW कॉर्वेट को प्रतिस्थापित करेंगे।
ये जहाज माहे श्रेणी के जहाजों की शृंखला के तहत चौथे एवं पाँचवें जहाज हैं, जिनका नाम INS मालपे (Malpe) और INS मुल्की (Mulki) रखा गया है।
विशेषताएँ
ये जहाज अधिकतम 25 नॉट की गति से चल सकते हैं तथा इनकी क्षमता 1,800 समुद्री मील है।
लगभग 900 टन विस्थापन वाले इन जहाजों को जल के भीतर निगरानी के लिए स्वदेशी रूप से विकसित सोनार के अनुरूप डिजाइन किया गया है।
क्षमताएँ: प्रत्येक पोत की कुल स्थापित प्रणोदन शक्ति लगभग 12 मेगावाट है और यह हल्के वजन वाले टारपीडो, ASW रॉकेट और माइंस, ‘क्लोज-इन वेपन सिस्टम’ (30 mm गन) तथा 12.7 mm स्टेबलाइज्ड रिमोट-कंट्रोल गन से सुसज्जित है।
ASW-SWC पोत तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों, कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों (Low-Intensity Maritime Operations- LIMO) और बारूदी सुरंग बिछाने के अभियानों में सक्षम हैं।
ब्रिक्स समूह के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों का सम्मेलन
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मुख्य रूप से यूक्रेन एवं रूस के बीच शांति वार्ता पर नए सिरे से वार्ता के लिए ब्रिक्स समूह के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस की यात्रा पर हैं।
गौरतलब है कि व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच (Eastern Economic Forum) में रूसी राष्ट्रपति ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए संभावित मध्यस्थ के रूप में भारत, ब्राजील और चीन का सुझाव दिया है।
ब्रिक्स (BRICS)
ब्रिक्स (BRICS) विश्व की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं अर्थात् ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह का संक्षिप्त नाम है।
नए सदस्यों, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने ब्रिक्स में शामिल होने की पुष्टि कर दी है।
अर्जेंटीना ने ब्रिक्स (BRICS) में शामिल न होने का निर्णय लिया है।
पहला ब्रिक (BRIC) शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस में आयोजित किया गया था। वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के साथ ही यह ब्रिक्स (BRICS) बन गया।
ब्रिक्स (BRICS) की प्रमुख पहल
न्यू डेवलपमेंट बैंक (मुख्यालय: शंघाई): बुनियादी ढाँचे और सतत् विकास के लिए संसाधन जुटाना।
ब्रिक्स आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (BRICS Contingent Reserve Arrangement): अल्पकालिक तरलता संकट को रोकने और वित्तीय स्थिरता को और मजबूत करने के लिए।
ब्रिक्स भुगतान कार्य बल (BRICS Payments Task Force): राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली पर सहयोग करना।
ऐम्फीबिअस ऑपरेशंस के लिए संयुक्त सिद्धांत
(Joint Doctrine For Amphibious Operations)
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) ने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) की बैठक के दौरान ऐम्फीबिअस ऑपरेशंस (Amphibious Operations) के लिए संयुक्त सिद्धांत जारी किया।
ऐम्फीबियन ऑपरेशन्स के लिए संयुक्त सिद्धांत
उद्देश्य: यह सिद्धांत आज के जटिल सैन्य वातावरण में ऐम्फीबिअस ऑपरेशंस के संचालन के लिए कमांडरों को मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
ऐम्फीबिअस क्षमता: ऐम्फीबिअस क्षमता सशस्त्र बलों को युद्ध और शांति दोनों के दौरान हिंद महासागर क्षेत्र में ‘मल्टीट्युड ऑफ ऑपरेशन’ संचालित करने की शक्ति प्रदान करती है।
बहु-डोमेन ऑपरेशन: ये ऑपरेशन बहु-डोमेन ऑपरेशन का एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं और सशस्त्र बलों के बीच सामंजस्य और एकीकरण का सबसे अच्छा उदाहरण हैं।
संयुक्तता और एकीकरण: साइबरस्पेस के लिए संयुक्त सिद्धांत के बाद, यह इस वर्ष जारी किया गया दूसरा संयुक्त सिद्धांत है। यह सशस्त्र बलों के भीतर संयुक्त प्रयासों और एकीकरण के महत्त्व पर जोर देता है।
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