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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 24, 2025 03:18 57 0

एटालिन जल विद्युत  परियोजना (Etalin Hydel Project)

भारत का केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय अरुणाचल प्रदेश स्थित एटालिन जल विद्युत परियोजना का पुनर्मूल्यांकन करेगा, वहीं हाल ही में चीन ने विश्व के सबसे बड़े जल विद्युत संयंत्र के निर्माण की शुरुआत की है।

एटालिन जल विद्युत परियोजना के बारे में

  • परिचय: एटालिन जलविद्युत परियोजना, अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी में अवस्थित 3,087 मेगावाट की एक रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है।
  • विकास: सतलुज जल विद्युत निगम (SJVN) लिमिटेड द्वारा।
  • संरचना: इस परियोजना में दिबांग नदी की सहायक नदियों, द्रि एवं तालो पर कंक्रीट के गुरुत्व बाँधों का निर्माण शामिल है।
  • परियोजना का उद्देश्य: इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर जल भंडारण के बिना जल विद्युत उत्पन्न करना है।

रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना क्या है?

  • यह एक जलविद्युत परियोजना है, जो किसी बड़े बाँध या जलाशय की आवश्यकता के बिना, नदी के प्राकृतिक प्रवाह एवं ऊँचाई से गिरते हुए जल का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करती है।

दिबांग नदी के बारे में

  • दिबांग नदी ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख दाहिने किनारे की सहायक नदी है।
  • उद्गम: इसका उद्गम अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी दिबांग घाटी जिले में भारत-चीन सीमा पर केया दर्रे के पास होता है।
  • नदी का मार्ग: यह अरुणाचल प्रदेश एवं असम राज्यों से होकर प्रवाहित होती है।
    • असम के मैदानी क्षेत्रों में, यह लोहित एवं सियांग नदियों से मिल जाती है, जो मिलकर ब्रह्मपुत्र नदी बनाती हैं।

कर्नाटक नया देवदासी कानून 

कर्नाटक देवदासी प्रथापर अपने वर्ष 1982 के कानून में सुधार के लिए कर्नाटक देवदासी (रोकथाम, निषेध, राहत एवं पुनर्वास) विधेयक को अंतिम रूप दे रहा है, जिसका उद्देश्य मजबूत पुनर्वास तथा अधिकारों की कानूनी मान्यता प्रदान करना है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

  • वैधता एवं उत्तराधिकार: देवदासियों से जन्मे बच्चों को हिंदू पर्सनल लॉ के तहत उत्तराधिकार संबंधी प्रावधान के तहत वैधमाना जाएगा।
  • DNA परीक्षण: बच्चे को अपने पिता की मान्यता प्राप्त करने का अधिकार है, पितृत्व की पहचान करने के लिए DNA परीक्षण का उपयोग किया जा सकता है।
  • निजता का अधिकार: आधार, PAN या पासपोर्ट जैसे पहचान-पत्रों के लिए आवेदन करते समय बच्चों को अपने पिता का नाम बताने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
  • भरण-पोषण का अधिकार: पुरुष बालक (अल्पव्यस्क होने तक) एवं महिलाएँ (विवाह तक) नामित पिता से भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं।
  • कठोर दंड: देवदासी समर्पण में शामिल होने पर न्यूनतम सजा को दो वर्ष (शून्य से बढ़ाकर) एवं अधिकतम सजा को तीन वर्ष से बढ़ाकर पाँच वर्ष कर दिया गया है, साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
  • पुनर्वास उपाय: यह विधेयक देवदासियों के लिए भूमि, आवास, पेंशन एवं स्वास्थ्य सहायता सुनिश्चित करता है तथा उनकी तीव्र सामाजिक-आर्थिक कमजोरियों का समाधान करता है।

देवदासी प्रथा के बारे में

  • परिभाषा: देवदासी प्रथा में प्रायः वंचित समुदायों की युवा लड़कियों को देवताओं की सेवा के नाम पर मंदिरों में समर्पित कर दिया जाता है, जो एक ऐसी प्रथा है, जो आजीवन सामाजिक शोषण का कारण बनती है।
  • प्राचीन उत्पत्ति: ऐतिहासिक रूप से, देवदासियाँ मंदिरों में नृत्य एवं धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने वाली महिलाएँ थीं, जिन्हें धार्मिक परंपराओं की संरक्षक माना जाता था और समाज में उन्हें प्रायः सम्मानजनक स्थान प्राप्त था।
    • यह प्रथा प्रारंभिक मध्ययुगीन दक्षिण भारतीय साहित्य एवं शिलालेखों में, विशेष रूप से छठी से नौवीं शताब्दी ईसवी के बीच, दिखाई देती है।
  • आधुनिक प्रथा: समय के साथ, यह प्रथा भारत के कुछ क्षेत्रों में जाति आधारित बंधुआ यौन शोषण के स्वरूप में परिवर्तित हो गई है, जो मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करती है।

भारत NCX 2025

हाल ही में नई दिल्ली में भारत NCX 2025 साइबर सुरक्षा अभ्यास का आयोजन किया गया।

भारत NCX 2025 के बारे में

  • उद्देश्य: लाइव सिमुलेशन एवं रणनीतिक अभ्यासों के माध्यम से भारतीय साइबरस्पेस की परिचालन तैयारियों को बढ़ाना।
  • थीम:भारतीय साइबरस्पेस की परिचालन तैयारियों को बढ़ाना” (Enhancing the Operational Preparedness of Indian Cyberspace)
  • शामिल नोडल एजेंसियाँ: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) एवं राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU)
  • रणनीतिक लक्ष्य: साइबर खतरों को रोकने, कमजोरियों को कम करने एवं राष्ट्रीय बुनियादी ढाँचे को प्रभावित करने वाली साइबर घटनाओं से तेजी से उबरने के लिए भारत की क्षमता में सुधार करना।

भारत NCX 2025 की मुख्य विशेषताएँ

  • रणनीतिक नेतृत्व की भागीदारी: STRATEX अभ्यास का उद्देश्य शीर्ष नेतृत्व को काल्पनिक राष्ट्रीय साइबर संकटों के प्रबंधन में शामिल करते हुए, ‘रियल टाइम’ आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया को सशक्त बनाना है।
  • सार्वजनिक-निजी सहयोग: CISO कॉन्क्लेव एवं स्टार्ट-अप प्रदर्शनी के माध्यम से, यह आयोजन एक सुरक्षित, आत्मनिर्भर डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए नवाचार तथा साझेदारी को बढ़ावा देता है।

वानुअतु

बढ़ते समुद्र स्तर और चरम मौसम की घटनाओं का सामना कर रहा प्रशांत द्वीपीय राष्ट्र वानुअतु, जलवायु परिवर्तन से निपटने में राष्ट्रों की कानूनी जिम्मेदारियों को स्पष्ट करने हेतु अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में एक वाद दायर कर रहा है।

वानुअतु के बारे में

  • अवस्थिति: दक्षिण प्रशांत महासागर में अवस्थित एक द्वीपीय राष्ट्र, मेलानेशिया का एक भाग है।
  • यह ऑस्ट्रेलिया के पूर्व, फिजी के पश्चिम एवं सोलोमन द्वीपसमूह के दक्षिण-पूर्व में अवस्थित है।
  • इसमें 80 से अधिक द्वीप (65 बसे हुए) हैं, जो लगभग 400 मील (650 किमी.) में विस्तृत Y-आकार में व्यवस्थित हैं।
  • भूमि सीमा का अभाव: एक वृहद विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) से विस्तृत।
  • राजधानी: पोर्ट विला, इफाते द्वीप पर अवस्थित।
  • प्रमुख द्वीप: एस्पिरिटु सैंटो, मालाकुला एवं इफाते।
  • भौगोलिक विशेषताएँ
    • इस क्षेत्र की भौगोलिक संरचना में ज्वालामुखीय मूल के ऊबड़-खाबड़ पर्वत, ऊँचे पठार, तटीय मैदान और अपतटीय प्रवाल भित्तियाँ शामिल हैं।
    • यह क्षेत्र माउंट यासुर (जो विश्व के सबसे सुगम सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है), मानारो और गैरेट जैसे सक्रिय ज्वालामुखियों का आवास है।
    • एस्पिरिटु सैंटो पर स्थित माउंट तब्वेमासाना देश की सबसे ऊँची चोटी है।

लोकमान्य तिलक

भारतीय प्रधानमंत्री ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

बाल गंगाधर तिलक के बारे में

  • महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक चितपावनी ब्राह्मण परिवार में जन्मे।
  • लोकमान्य तिलक, जिनका नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सम्मानपूर्वक लिया जाता है, एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता, समाज सुधारक और प्रसिद्ध लाल-बाल-पाल नामक त्रिगुट के केंद्रीय स्तंभ थे।
  • स्वराज (स्वशासन) के लिए उनके दृढ़ प्रयास के कारण, अंग्रेजों ने उन्हें भारतीय अशांति का जनक कहा था।

राजनीतिक रणनीति एवं जन आंदोलन

  • प्रारंभिक कांग्रेसी उदारवादियों से अलग, उन्होंने दृढ़ राष्ट्रवाद का समर्थन किया।
  • प्रसिद्ध कथन: “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, एवं मैं इसे लेकर रहूँगा।”
  • सूरत विभाजन (वर्ष 1907): कांग्रेस के विभाजन में तिलक और लाजपत राय के नेतृत्व में उग्रवादियों ने केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद के नामांकन को लेकर उदारवादी गुट का कड़ा विरोध किया, जिससे दल के भीतर वैचारिक मतभेद और अधिक गहरे हो गए।
    • उग्रवादियों ने तिलक और लाजपत राय का समर्थन किया, किंतु उदारवादी गुट के समर्थन से रासबिहारी घोष कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित हुए, जिससे पार्टी के भीतर विचारधारा आधारित गहरी विभाजन रेखा खिंच गई।
  • स्वदेशी, ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार एवं बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया।
  • वर्ष 1916 में लोकमान्य तिलक ने एनी बेसेंट और अन्य नेताओं के साथ मिलकर अखिल भारतीय होमरूल लीग की स्थापना की। वर्ष 1917 तक इस संगठन के सदस्यों की संख्या 32,000 से अधिक हो चुकी थी।
  • लखनऊ समझौते (वर्ष 1916) में केंद्रीय भूमिका निभाई एवं कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के बीच हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया।

वैचारिक विश्वास

  • हिंदू परंपराओं में निहित सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के माध्यम से स्वराज को बढ़ावा दिया।
  • लोगों को एकजुट करने एवं प्रेरित करने के लिए गणेश चतुर्थी (वर्ष 1893) तथा शिवाजी महोत्सव जैसे त्योहारों को पुनर्जीवित किया।
  • भारत की संपत्ति का शोषण करने एवं इसकी संस्कृति का दमन करने के लिए ब्रिटिश शासन की आलोचना की।

शिक्षा में योगदान

  • गोपाल गणेश अगरकर के साथ डेक्कन एजुकेशन सोसायटी (वर्ष 1884) की स्थापना की।
  • राष्ट्रवादी शिक्षा के केंद्र के रूप में पुणे में फर्ग्यूसन कॉलेज (वर्ष 1885) की स्थापना में सहायता की।
  • राष्ट्रीय जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय भाषाओं में शिक्षा का समर्थन किया।

पत्रकारिता एवं लेखन

  • केसरी (मराठी) एवं द मराठा (अंग्रेजी) समाचार-पत्रों का संपादन किया।
  • कई राजद्रोह के आरोपों का सामना किया, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा में दृढ़ रहे।
  • प्रमुख पुस्तकें: गीता रहस्य एवं आर्कटिक होम ऑफ द वेदाज।

वी. एस. अच्युतानंदन

हाल ही में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता वेलिक्ककाथु शंकरन अच्युतानंदन का जुलाई 2025 में 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

वी. एस. अच्युतानंदन के बारे में

  • जन्म 20 अक्टूबर, 1923 को केरल के पुन्नपरा, अलप्पुझा में।
  • मजदूर अधिकारों एवं ‘कॉयर फैक्टरी’ सक्रियता (Coir factory Activism) से प्रारंभिक जुड़ाव।
  • राजनीतिक जीवन: वर्ष 1940 में वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े और बाद में वर्ष 1964 में पार्टी के विभाजन के पश्चात् मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) में शामिल हो गए।
  • त्रावणकोर के दीवान के विरुद्ध पुन्नपरा-वायलार विद्रोह (वर्ष 1946) में सक्रिय रहे एवं जेल गए।
  • केरल के मुख्यमंत्री (वर्ष 2006-2011): वर्ष 2006 में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) से, 82 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने।
  • केरल में उन्हेंजनता के प्रियके रूप में जाना जाता है। वे एक प्रभावशाली संगठनकर्ता, प्रखर विपक्षी नेता और राजनीति में नैतिक मूल्यों के मार्गदर्शक के रूप में स्मरण किए जाते हैं।

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