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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 25, 2025 04:20 54 0

ध्रुव नीति 

सरकार ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पूरे भारत में डिजिटल एड्रेस की संरचना और प्रबंधन को आधुनिक बनाने के लिए ध्रुव नीति (Dhruva Policy) प्रारंभ की है।

ध्रुव (DHRUVA) अर्थात्डिजिटल हब फॉर रिफरेन्स एंड यूनिक वर्चुअल एड्रेसके बारे में

  • ध्रुव एक मानकीकृत, अंतर-संचालनीय और जियोकोडेड डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम की परिकल्पना करता है, जिसका उद्देश्य डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल एड्रेसिंग का निर्माण करना है।
  • आधार: ध्रुव अपनी मूल अवधारणा, एड्रेस-एज-ए-सर्विस (AaaS) पर आधारित है।
    • AaaS, एड्रेस डेटा प्रबंधन से जुड़ी सेवाओं की एक शृंखला है, जो उपयोगकर्ताओं, सरकारी संस्थाओं और निजी क्षेत्र के संगठनों के बीच सुरक्षित तथा कुशल संबंधों को बढ़ावा देती है।
  • उद्देश्य: एड्रेस डेटा प्रबंधन को एक प्रमुख सार्वजनिक अवसंरचना के रूप में स्थापित करना, जिससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में निर्बाध डेटा एकीकरण संभव हो सके।

विशेषताएँ

  • डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर (DIGIPIN): यह एक ओपन सोर्स राष्ट्रव्यापी जियो-कोडेड एड्रेसिंग सिस्टम है, जो भारत को लगभग 4 मीटर x 4 मीटर के ग्रिडस में विभाजित करता है और प्रत्येक ग्रिड को अक्षांश और देशांतर निर्देशांकों के आधार पर एक अद्वितीय 10-नंबर अल्फान्यूमेरिक कोड प्रदान करता है।
  • इंटरऑपरेबिलिटी: ध्रुव सिस्टम सरकार, नागरिकों और निजी व्यवसायों के मध्य इंटरऑपरेबल है ताकि सुरक्षित और समावेशी समाधानों का सह-विकास किया जा सके।
  • गोपनीयता: यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में एड्रेस की जानकारी का सुरक्षित, सहमति-आधारित साझाकरण सुनिश्चित करता है।
  • स्वदेशी: इसका ओपन-सोर्स आर्किटेक्चर घरेलू नवाचार का समर्थन करता है और पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।

अनुप्रयोग 

  • नवाचार को उत्प्रेरित करना: ध्रुव शासन, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स और वित्तीय समावेशन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नवाचार को उत्प्रेरित करेगा।
  • कुशल सेवा वितरण: यह सार्वजनिक रूप से सुलभ है और आपातकालीन प्रतिक्रिया, लॉजिस्टिक्स दक्षता और नागरिक सेवा वितरण में सुधार का समर्थन करता है।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया: जियो-कोडेड एड्रेसिंग सिस्टम एंबुलेंस सेवा, अग्निशमन सेवा जैसी तत्काल और त्वरित आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगा।
  • लॉजिस्टिक्स: ध्रुव देश में लॉजिस्टिक्स संबंधी बाधाओं को दूर करने में मदद करेगा।

एक ग्रह की उत्पत्ति: ओरियन से नए साक्ष्य (Genesis of a Planet: New Clues from Orion)

हाल ही में खगोलविदों ने ओरियन तारामंडल में स्थित एक नवीन तारे, HOPS-315, के चारों ओर चट्टानी वाष्प से ठोस पदार्थ के रूप में क्रिस्टलीकरण होने का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण प्राप्त किया है।

किसी ग्रह की उत्पत्ति पर प्रमुख साक्ष्य

  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और ALMA (Atacama Large Millimeter/submillimeter Array) का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने ओरियन तारामंडल में स्थित HOPS-315 नामक तारे से मात्र 2.2 खगोलीय इकाई (AU) की दूरी पर क्रिस्टलीय सिलिकेट और सिलिकॉन मोनोऑक्साइड गैस की उपस्थिति दर्ज की है।
    • 1 AU (खगोलीय इकाई) पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी (149.6 मिलियन किमी.) है।
  • फोर्स्टेराइट, एनस्टेटाइट और अस्थायी सिलिका क्रिस्टल की उपस्थिति पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे पुराने उल्कापिंडों में विद्यमान खनिजों के अनुरूप है, जो समान संघनन प्रक्रियाओं की पुष्टि करती है।
  • स्पेक्ट्रल डेटा और सिमुलेशनों से यह संकेत मिलता है कि धूल कण लगभग 1,300 केल्विन तापमान पर वाष्पित होकर गैस में परिवर्तित हो जाते हैं और फिर तापमान कम होने पर ठंडे होकर ठोस क्रिस्टलीय कणों के रूप में पुनः संघनित हो जाते हैं।

एक ग्रह की उत्पत्ति के बारे में

  • ग्रहों का निर्माण एक बहु-चरणीय और दीर्घकालिक ब्रह्मांडीय प्रक्रिया है, जो गैस और धूल द्वारा निर्मित एक घूमती हुई डिस्क (जिसे प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क कहा जाता है) के भीतर आरंभ होती है, जो किसी नवजात तारे के चारों ओर स्थित होती है।
  • इस डिस्क के अंदर, सूक्ष्म धूल के कण आपस में टकराते हैं, चिपकते हैं, चट्टानों में विकसित होते हैं और अंततः पूर्ण आकार के ग्रहों का निर्माण करते हैं, जबकि गैसें वायुमंडल तथा कक्षाओं को आकार देने में मदद करती हैं।

ओरियन के बारे में

  • ओरियन शब्द प्रायःओरियन आर्म को संदर्भित करता है, जो मिल्की वे आकाशगंगा की एक छोटी सर्पिल भुजा है।
  • इसमें ओरियन नेबुला स्थित है, जो लगभग 1,344 प्रकाश वर्ष दूर एक विशाल तारा निर्माण क्षेत्र है और इसमें कई नवीन तारे तथा प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क हैं।
    • एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश एक वर्ष में तय करता है, लगभग 9.46 ट्रिलियन किलोमीटर।

डॉटकॉम बबल

हाल ही में विश्लेषकों ने पाया है कि अमेरिकी बाजारों में तकनीकी शेयरों का संकेंद्रण 1990 के दशक के डॉटकॉम बबल (Dotcom Bubble) के स्तर को पार कर गया है।

डॉटकॉम बबल के बारे में

  • उत्पत्ति: डॉटकॉम बबल 1990 के दशक के अंत में इंटरनेट आधारित कंपनियों के प्रति निवेशकों के भारी उत्साह के बीच उभरा, जिनका लाभ बहुत कम या बिल्कुल नहीं था।
  • बाजार प्रभाव: यह मार्च 2000 में अपने चरम पर था, लेकिन एक वर्ष के भीतर ही 65% तक गिर गया और उस स्तर को पुनः प्राप्त करने में 14 वर्ष लग गए।
  • स्टॉक मूल्यांकन: बबल के दौरान कई तकनीकी स्टॉक्स अत्यधिक ऊँचे आय गुणकों (Earnings multiples) पर कारोबार कर रहे थे, जबकि IPO गतिविधियों और बाजार प्रवृत्तियों ने अस्थिरता और कृत्रिम रूप से तीव्र वृद्धि को बढ़ावा दिया।

AI बूम के बारे में

  • वर्तमान परिदृश्य: वर्ष 2025 में, तकनीकी कंपनियाँ S&P 500 के कुल बाजार पूँजीकरण का लगभग 34% हिस्सा साझा करेंगी, जो वर्ष 2000 में दर्ज 33% हिस्सेदारी से भी अधिक है।
  • शीर्ष तकनीकी प्रभुत्व: बाजार पूँजीकरण के आधार पर अमेरिका की शीर्ष 10 कंपनियों में से आठ तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियाँ हैं,  जैसे कि Apple, Nvidia और Microsoft जिनका सम्मिलित रूप से S&P 500 सूचकांक में लगभग 40% योगदान है।
  • मूल्यांकन और जोखिम: हालाँकि तकनीकी कंपनियों का मूल्यांकन उच्च है (S&P तकनीकी कंपनियों का अग्रिम आय का 29.5 गुना), फिर भी यह स्तर डॉटकॉम युग के चरम, लगभग 50 गुना मूल्यांकन, की तुलना में अपेक्षाकृत कम है।
  • पूँजी आवश्यकताएँ: जनरेटिव AI विकास के लिए वर्ष 2028 तक वैश्विक डेटा सेंटर निवेश में $2.9 ट्रिलियन की आवश्यकता है, जिससे निकट भविष्य में लाभप्रदता की चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • चेतावनी संकेत: यदि AI की प्रगति धीमी हो जाती है या उद्योग के पूर्वानुमानों में व्यवधान उत्पन्न होता है, तो अधिक मूल्यांकित तकनीकी शेयरों में भारी गिरावट आ सकती है।

यूनेस्को से अमेरिका का बाहर होना

हाल ही में यूनेस्को की महानिदेशक ने अमेरिका के यूनेस्को से हटने के निर्णय पर गहरा खेद व्यक्त किया है।

अमेरिकी वापसी के बारे में

  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि संयुक्त राज्य अमेरिका दिसंबर 2026 से प्रभावी रूप से दूसरी बार यूनेस्को से बाहर हो जाएगा।
    • यह उनके पिछले प्रशासन के तहत वर्ष 2017 में की गई वापसी की पुनरावृत्ति है।
  • कारण: अमेरिका का दावा है कि यूनेस्को विभाजनकारी सामाजिक और सांस्कृतिक एजेंडों को बढ़ावा देता है, जो अमेरिका राष्ट्रीय हितों के अनुरूप नहीं हैं।
    • राजनीतिक तनाव में कमी और महत्त्वपूर्ण संगठनात्मक सुधारों के बावजूद, अमेरिका द्वारा बताए गए कारण वर्ष 2017 से अपरिवर्तित हैं।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के बारे में

  • परिचय: यूनेस्को (UNESCO) की स्थापना वर्ष 1945 में शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति तथा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
  • सदस्यता: संगठन के 194 सदस्य और 12 सहयोगी अस्थायी सदस्य हैं।
  • वैश्विक पहल: 2,000 से अधिक विश्व धरोहर स्थलों, जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों और भू-उद्यानों की देख-रेख करता है।
    • विश्व भर में 13,000 से अधिक स्कूलों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालय अध्यक्षों और राष्ट्रीय आयोगों का समन्वय करता है।

विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट

(WiFEX) 

जुलाई 2025 में, विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (WiFEX) ने उत्तर भारत में कोहरे के विज्ञान और पूर्वानुमान क्षमता को सुदृढ़ करने की दिशा में कार्य करते हुए अपने दस वर्ष पूर्ण कर लिए।

विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (WiFEX) के बारे में

  • केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अंतर्गत भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) द्वारा वर्ष 2015 में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGIA), नई दिल्ली पर WiFEX का शुभारंभ किया गया था।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) द्वारा समर्थित।
  • उपलब्धि: WiFEX एक एकल हवाई अड्डा परियोजना से बढ़कर जेवर हवाई अड्डा (नोएडा) और हिसार (हरियाणा) को शामिल करते हुए एक क्षेत्र-व्यापी अवलोकन नेटवर्क बन गया है।
    • यह प्रयोग शीतकालीन कोहरे के वैज्ञानिक अध्ययन हेतु समर्पित विश्व के प्रमुख दीर्घकालिक ओपन-फील्ड अनुसंधान प्रयासों में से एक माना जाता है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य शीतकालीन कोहरे की समझ और पूर्वानुमान में सुधार करना है, विशेष रूप से सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्रों में, ताकि विमानन पर इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सके।
  • अगला चरण (WiFEX-II): WiFEX-II का उद्देश्य उत्तर भारत में हवाईअड्डा सुरक्षा बढ़ाने के लिए स्थानीयकृत, रनवे-विशिष्ट कोहरे संबंधी पूर्वानुमान प्रदान करना है।

सफाई अपनाओ, बीमारी भगाओ 2025 अभियान 

[Safai Apnao, Bimaari Bhagao (SABB) 2025 Campaign]

हाल ही में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने मानसून की तैयारी, स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान सफाई अपनाओ, बीमारी भगाओ 2025 अभियान (SABB) शुरू किया है।

अभियान के मुख्य उद्देश्य

  • मानसून से संबंधित बीमारियों (मलेरिया, डेंगू) से बचाव करना।
  • स्वच्छता के 6 मंत्रोंको बढ़ावा देना: हाथ, घर, आस-पड़ोस, शौचालय, नालियाँ और सार्वजनिक स्थलों की सफाई करना।
  • शहरी सुरक्षा और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना।

महत्त्वपूर्ण पहल

नगर निगम

प्रमुख पहल

पटना नगर निगम (PMC)

रियल टाइम आधारित शिकायत निवारण के साथ मैनहोल की त्वरित मरम्मत के लिए मैनहोल एंबुलेंस का शुभारंभ किया गया।

दिल्ली नगर निगम (MCD) पिंकाथॉन, स्कूल में हाथ धोने का अभियान तथा व्यापक नाली/शौचालय सफाई का आयोजन किया गया।
नवी मुंबई नगर निगम (NMMC) मलेरिया/डेंगू की रोकथाम के लिए स्वच्छता रैली और स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया।
तेलंगाना (एकाधिक ULB) 14,210 किलोमीटर नालियों की सफाई की गई तथा 13 लाख घरों में अपशिष्ट पृथक्करण अभियान चलाया गया।
छत्तीसगढ़ (पंडरिया और रायपुर) स्वयं सहायता समूहों को स्वच्छता के बारे में प्रशिक्षित किया गया तथा घर-घर जाकर स्वच्छता जागरूकता अभियान संचालित किया गया।

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