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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 28, 2025 03:34 30 0

ULPGM-V3

हाल ही में भारत ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल में राष्ट्रीय ओपन एरिया रेंज में ULPGM-V3  का सफल उड़ान परीक्षण किया।

ULPGM परियोजना के बारे में

  • परिचय: UAV-लॉन्च्ड प्रिसिजन गाइडेड म्यूनिशन (ULPGM) एक DRDO द्वारा विकसित हवा-से–सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) द्वारा उच्च-सटीक हमलों के लिए डिजाइन किया गया है।
  • निर्माता: अडानी समूह एवं भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) के द्वारा निर्मित।
  • सहयोगी: MSME, स्टार्ट-अप एवं विकास-सह-उत्पादन भागीदार (DcPP)
  • विकल्प
    • ULPGM V1: मूल डिजाइन एवं अवधारणा को मान्य करने के लिए आधारभूत प्रोटोटाइप के रूप में कार्य किया।
    • ULPGM V2: परिष्कृत विशेषताओं के साथ उत्पादन के लिए तैयार संस्करण को चिह्नित किया।
    • ULPGM V3 (ULM-ER): विस्तारित रेंज (ER) एवं उन्नत इन्फ्रारेड गाइडेड क्षमता प्रदान करता है।

ULPGM-V3 (ULM-ER) की मुख्य विशेषताएँ

  • विस्तारित रेंज संस्करण: ULPGM-V3 या ULM-ER के रूप में जाना जाने वाला, यह मिसाइल प्रणाली का नवीनतम एवं सबसे उन्नत संस्करण है।
  • गाइडेड सिस्टम: इमेजिंग इन्फ्रारेड (IIR) निष्क्रिय होमिंग का उपयोग करता है, जिससे दिन एवं रात दोनों ही अभियानों के दौरान फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता प्राप्त होती है।
    • फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता इसे प्रक्षेपण के बाद बिना किसी अतिरिक्त संचालक मार्गदर्शन के लक्ष्यों पर स्वायत्त रूप से प्रहार करने में सक्षम बनाती है।
  • सीमा एवं वजन
    • अधिकतम सीमा: 4 किमी. (दिन) एवं 2.5 किमी. (रात)।
    • वजन: 12.5 किलोग्राम।
  • प्रणोदन: बेहतर प्रहार प्रदर्शन के लिए दोहरे-प्रणोद ठोस प्रणोदन इकाई से सुसज्जित।
  • लक्ष्य क्षमता: यह प्रणाली स्थिर एवं गतिशील लक्ष्यों के विरुद्ध प्रभावी है और विविध युद्ध परिदृश्यों के अनुरूप अनेक वारहेड विकल्पों के साथ सुसज्जित है।
  • संचार: बेहतर लक्ष्य समन्वय के लिए द्विदिशीय डेटालिंक की सुविधा।

सामरिक महत्त्व

  • UAV प्लेटफॉर्मों से सटीक प्रहार क्षमता को बढ़ाता है।
  • स्वदेशी रक्षा विनिर्माण एवं तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

स्टार्ट-अप 20 एंगेजमेंट ग्रुप

हाल ही में दक्षिण अफ्रीका की G20 अध्यक्षता में जोहान्सबर्ग में स्टार्ट-अप 20 का तीसरा संस्करण शुरू किया गया, जिसमें नीतिगत दिशा में कई महत्त्वपूर्ण पहल की गईं।

स्टार्ट-अप20 के बारे में

  • परिचय: स्टार्ट-अप 20, G20 का एक आधिकारिक सहभागिता समूह है, जिसे भारत की वर्ष 2023 G20 अध्यक्षता के तहत वैश्विक स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को एक समर्पित नीति मंच प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है।
  • आयोजन: प्रारंभ में भारत द्वारा प्रस्तावित एवं G20 अध्यक्षता द्वारा समर्थित।
  • संरचना एवं प्रशासन
    • यह G20 इंडिया शेरपा एवं स्टार्ट-अप 20 सचिवालय द्वारा समर्थित है।
    • सचिवालय: यह स्टार्ट-अप 20 गतिविधियों के समन्वय, संचार एवं प्रशासन के लिए एक केंद्रीय भाग के रूप में कार्य करता है।
      • यह संवाद एवं सहयोग को सुगम बनाने के लिए बैठकों, कार्यशालाओं तथा अन्य कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जिम्मेदार होगा।
  • निर्णय: सिफारिशों को विकसित और अंतिम रूप देने के लिए सर्वसम्मति-आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाता है, जिन्हें बाद में चर्चा हेतु G20 अध्यक्ष को प्रस्तुत किया जाता है।
  • तीन संस्करण: भारत वर्ष 2023, ब्राजील वर्ष 2024 एवं दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2025
    • वैश्विक स्टार्ट-अप नेताओं, MSMEs एवं युवा उद्यमियों द्वारा समर्थित।

स्टार्ट-अप 20, 2025 फोकस क्षेत्र 

  •  पाँच कार्यबलों का गठन 
    • संस्थापन एवं गठबंधन
    • वित्त एवं निवेश
    • समावेश एवं स्थिरता
    • व्यापार एवं बाजार पहुँच
    • नगरीय एवं ग्रामीण उद्यमिता।
  • निजी क्षेत्र के नेतृत्व एवं कार्यान्वयन योग्य नीतियों पर जोर दिया गया।

G20 के बारे में

  • G20 आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंच है।
  • स्थापना: G20 की स्थापना वर्ष 1999 में वित्तीय संकटों के समय में, शुरुआत में वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंक गवर्नरों की एक बैठक के रूप में की गई थी।
  • सदस्य: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्किए , यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूरोपीय संघ तथा अफ्रीकी संघ (वर्ष 2023 से)।
  • वर्ष 2025 शिखर सम्मेलन: दक्षिण अफ्रीका में आयोजित, समावेशी विकास, स्थिरता एवं वैश्विक डिजिटल परिवर्तन पर केंद्रित।
  • G20 सहभागिता समूह: यह हितधारकों को G20 नेताओं को सुझाव देने के लिए संरचित मंच प्रदान करता है।
  • प्रमुख सहभागिता समूहों में शामिल हैं:
    • B20 (व्यवसाय), C20 (नागरिक समाज), L20 (श्रम संघ), S20 (विज्ञान), W20 (महिलाएँ), T20 (थिंक टैंक), Y20 (युवा) एवं स्टार्ट-अप20 (स्टार्ट-अप एवं SMEs)
    • ये समूह वैश्विक शासन के लिए समावेशी, हितधारक-संचालित नीतिगत इनपुट तैयार करते हैं।

भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS)

केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने संसद को सूचित किया कि ISRO वर्ष 2026 तक भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के अंतर्गत तीन नेविगेशन उपग्रह प्रक्षेपित करेगा।

  • प्रक्षेपित किए जाने वाले उपग्रह
    • NVS-03: वर्ष 2025 के अंत तक प्रक्षेपित किए जाने हैं।
    • NVS-04 एवं NVS-05: प्रत्येक प्रक्षेपण के बीच छह महीने का अंतराल होगा।
  • इन प्रक्षेपणों का उद्देश्य IRNSS प्रणाली की पूर्ण परिचालन क्षमता को बहाल करना है।

IRNSS के बारे में

  • IRNSS, जिसे नाविक (नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन) के रूप में भी जाना जाता है, ISRO द्वारा विकसित एक स्वदेशी क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है।
  • इसका उद्देश्य भू-समकालिक (GSO) एवं भू-स्थिर (GEO) कक्षाओं में उपग्रहों के संयोजन का उपयोग करके विश्वसनीय अवस्थिति निर्धारण तथा सेवाएँ प्रदान करना है, जो आधारभूत बुनियादी ढाँचे द्वारा समर्थित हैं।
  • भारत एवं आस-पास के 1,500 किलोमीटर के दायरे में नेविगेशन सेवाएँ प्रदान करने के लिए 7 उपग्रहों का एक समूह है।

प्रदान की गई सेवाएँ

  • स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस (SPS): सभी उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध।
  • प्रतिबंधित सेवा (RS): एन्क्रिप्टेड, केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं (जैसे- सैन्य) के लिए उपलब्ध।
  • अब तक प्रक्षेपित उपग्रह
    • IRNSS के तहत कुल 11 उपग्रह प्रक्षेपित किए गए।
    • 2 उपग्रह (वर्ष 2017 में IRNSS-1H एवं जनवरी 2025 में NVS-02) प्रक्षेपण/कक्षा संबंधी विसंगतियों के कारण कार्य करने में विफल रहे।
    • 1 उपग्रह को मिशन अवधि पूरी होने के बाद सेवामुक्त कर दिया गया।
    • 4 उपग्रह वर्तमान में केवल एक-दिशीय संदेश प्रसारण प्रदान करते हैं, जैसे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अलर्ट।
    • केवल 4 उपग्रह अब सक्रिय रूप से स्थान डेटा प्रदान करते हैं।

AI उपग्रह

NASA एक नई कृत्रिम बुद्धिमत्ता-सक्षम उपग्रह प्रणाली का परीक्षण कर रहा है, जिसे डायनेमिक टार्गेटिंगकहा जाता है। यह प्रणाली उपग्रहों को पृथ्वी से आदेशों की प्रतीक्षा किए बिना अपनी कक्षा में ही स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है।

डायनेमिक टार्गेटिंग क्या है?

  • डायनेमिक टार्गेटिंग, NASA की एक पहल है, जिसका उद्देश्य उपग्रहों को ऑनबोर्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त करना है।
  • यह AI प्रणाली उपग्रहों को निम्नलिखित कार्य करने में सक्षम बनाती है:-
    • भू-भाग को रियल टाइम में स्कैन करना।
    • उपयोगी डेटा (जैसे, बादल रहित चित्र) की पहचान करना।
    • इमेज लेने का निर्णय लेना।
    • पृथ्वी से निर्देशों की आवश्यकता के बिना प्रतिक्रिया करना।

यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • डेटा की बर्बादी कम करती है: अनुपयोगी चित्रों को कैप्चर करने से बचाती है।
  • ऐसे डेटा को संसाधित एवं प्रसारित करने में समय, ऊर्जा तथा संसाधनों की बर्बादी होती है।
  • AI लाभ: भंडारण एवं बैंडविड्थ की आवश्यकता कम करती है।
    • उपयोगी डेटा की रियल टाइम में फिल्टरिंग की अनुमति देती है।
    • मानव विश्लेषकों को कम-मूल्य वाले डेटा की समीक्षा से मुक्त करता है।
  • भविष्य  के रणनीतिक उपयोग के मामले
    • वनाग्नि, ज्वालामुखी गतिविधियों एवं तापीय विसंगतियों का पता लगाना।
    • तूफानी पैटर्न, जलवायु-संबंधी परिवर्तनों एवं आपदा क्षेत्रों की निगरानी।
    • स्वायत्त प्रतिक्रिया को सक्षम बनाता है, जिससे पूर्व चेतावनी प्रणालियों में सुधार होता है।

नारियल का तेल

नारियल के तेल की खुदरा कीमतें ₹460/किग्रा. तक पहुँच गईं, जो भारत में सभी खाद्य तेलों में सबसे अधिक है।

नारियल के तेल के बारे में

  • नारियल का तेल नारियल की सूखी गिरी से निकाला जाता है और इसका उपयोग खाद्य पदार्थों के साथ-साथ विभिन्न गैर-खाद्य उद्योगों में भी किया जाता है।
  • उपयोग: भारत में, वार्षिक रूप से उत्पादित 5.7 लाख टन तेल में से केवल 3.9 लाख टन का उपयोग खाना पकाने एवं तलने के लिए किया जाता है; शेष सौंदर्य प्रसाधनों, साबुन एवं बालों के तेल में जाता है।
    • नारियल के तेल की खपत लगातार आयातित खाद्य तेलों जैसे ताड़, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के मुकाबले घट रही है, जिनकी कुल घरेलू खपत में लगभग 72% हिस्सेदारी है।
  • विशेषताएँ: यह संतृप्त वसा से भरपूर होता है, इसमें रोगाणुरोधी गुण होते हैं एवं पारंपरिक रूप से दक्षिण भारतीय खाना पकाने में, विशेष रूप से केरल में, इसका उपयोग किया जाता रहा है।

भारत में नारियल उत्पादन की स्थिति

  • भारत वर्ष 2023 में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा नारियल उत्पादक देश था एवं वित्त वर्ष 2022 के दौरान विश्व के कुल उत्पादन का लगभग 31.45% हिस्सा था।
  • केंद्र के नारियल विकास बोर्ड (CDB) के अनुसार, भारत में शीर्ष तीन नारियल उत्पादक राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल हैं।
  • नारियल विकास बैंक (CBD) भारत सरकार द्वारा नारियल उद्योग के संवर्द्धन एवं विकास के लिए स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
    • यह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
    • इसका मुख्यालय कोच्चि, केरल में अवस्थित है।

कीमतों में उछाल के कारक

  • वैश्विक आपूर्ति में कमी: प्रमुख उत्पादक फिलीपींस एवं इंडोनेशिया में अलनीनो एवं सूखे के कारण कम पैदावार देखी गई है, जिससे वैश्विक निर्यात योग्य स्टॉक में कमी आई है।
  • बायोडीजल के लिए डायवर्जन: फिलीपींस ने अक्टूबर 2024 से डीजल में नारियल तेल-आधारित नारियल मिथाइल एस्टर (CME) का अनिवार्य मिश्रण लागू किया है, जिससे खाद्य निर्यात की उपलब्धता कम हो गई है।
  • निर्यात प्रतिबंध एवं पुराने बागान: इंडोनेशिया कच्चे नारियल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।

ईरान-E3 परमाणु वार्ता

संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की संभावित धमकियों और अमेरिका-इजरायल के हमलों के बीच, ईरान ने 25 जुलाई, 2025 को इस्तांबुल में E3 देशों के साथ स्पष्ट एवं प्रत्यक्ष परमाणु वार्ता की।

E3 के साथ ईरान की वार्ता के बारे में

  • संघर्ष के बाद पहली उच्च-स्तरीय वार्ता: इस्तांबुल बैठक जून 2025 में ईरान तथा इजरायल एवं अमेरिका के बीच हुए संघर्ष के बाद से ईरान व E3 के बीच पहली औपचारिक राजनयिक वार्ता थी।
  • मुख्य मुद्दे: वार्ता प्रतिबंधों में राहत, ईरान के यूरेनियम संवर्द्धन कार्यक्रम एवं JCPOA ढाँचे के तहत स्नैपबैक तंत्रके संभावित क्रियान्वयन पर केंद्रित थी।
    • स्नैपबैक तंत्रएक ऐसी प्रक्रिया है, जो ईरान द्वारा अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किए जाने की स्थिति में उस पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को तुरंत पुनः लागू करने की अनुमति देती है, और यह प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो शक्ति को दरकिनार कर सकती है।
  • ईरान का रुख: ईरान ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों हेतु यूरेनियम संवर्द्धन के अपने अधिकार पर बल दिया तथा हालिया संघर्षों और स्नैपबैकतंत्र की संभावनाओं को लेकर E3 देशों की भूमिका की आलोचना की।
  • अगला कदम: दोनों पक्ष परामर्श जारी रखने पर सहमत हुए।

E3 (फ्राँस, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम) के बारे में

  • E3 का तात्पर्य फ्राँस, जर्मनी एवं UK से है, ये तीन यूरोपीय शक्तियाँ हैं, जिन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत से, विशेष रूप से ईरान के परमाणु संकट के दौरान, विदेश नीति एवं परमाणु अप्रसार पर घनिष्ठ समन्वय किया है।
  • JCPOA का उद्देश्य: वर्ष 2015 की संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के मूल हस्ताक्षरकर्ताओं के रूप में, E3 का उद्देश्य परमाणु प्रसार को रोकना एवं साथ ही राजनयिक समाधान को बढ़ावा देना है।
  • ईरान के साथ जुड़ाव: वर्ष 2018 में अमेरिका के परमाणु समझौते से हटने के बावजूद, E3 देश समझौते को जीवित रखने, वार्ता की प्रक्रिया को सुगम बनाने और क्षेत्रीय तनाव को रोकने हेतु सक्रिय रूप से प्रयासरत रहे।
  • वर्तमान स्थिति: उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि ईरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 के तहत निर्धारित परमाणु प्रतिबंधों का अनुपालन नहीं करता है, तो वे अक्टूबर 2025 से पूर्व स्नैपबैक तंत्रको सक्रिय करने की कार्रवाई करेंगे।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का संकल्प 2231 (2015) संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA), ईरान परमाणु समझौते का समर्थन करता है एवं ईरान के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।

कोल्हापुरी चप्पल

इटली के प्रतिष्ठित लक्ज़री फैशन ब्रांड ‘प्राडा’ ने हाल ही में स्वीकार किया है कि उसकी नवीनतम फुटवियर डिजाइन भारत की पारंपरिककोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित है। भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त इन सदियों पुरानी चप्पलों की डिजाइन से समानता को लेकर उठे विवाद और आलोचना के बाद कंपनी को यह स्वीकारोक्ति देनी पड़ी।।

कोल्हापुरी चप्पलें

  • उत्पत्ति स्थान: कोल्हापुरी चप्पलें महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में बनाई जाती हैं एवं सांगली, सतारा तथा सोलापुर जैसे आसपास के क्षेत्रों में भी बनाई जाती हैं।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: यह शिल्प 12वीं-13वीं शताब्दी का है एवं शुरुआत में राजघरानों द्वारा पहनी जाती थी।
    • महाराजा शाहू जी महाराज के संरक्षण के कारण 18वीं शताब्दी में इसकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: क्षेत्रीय पहचान का प्रतीक एवं अपनी पारंपरिक शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध।
  • सामग्री: गाय, भैंस या बकरी से प्राप्त वनस्पति आधारित चमड़े से निर्मित।
  • संरचना: विस्तृत ब्रेडिंग एवं खुले पैर की शैली के साथ T-स्ट्रैप डिजाइन की विशेषता।
  • GI दर्जा: वर्ष 2019 में, भारत के GI अधिनियम के तहत इसे भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा दिया गया।
  • GI टैग चप्पलों की प्रामाणिकता की रक्षा करता है एवं इसमें महाराष्ट्र तथा कर्नाटक के आठ जिले शामिल हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल इन्हीं क्षेत्रों में कोल्हापुरी का उत्पादन हो सकता है।

पवित्र उपवन का पुनरुद्धार

राजस्थान के सिरावास गाँव ने चूड़ासिद्ध अदावद पवित्र उपवन को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया।

  • चूड़ासिद्ध अदावद पवित्र उपवन लगभग 2,000 पशुओं का भरण-पोषण करता है और इससे पूरे क्षेत्र में समुदाय-नेतृत्व वाले संरक्षण मॉडलों को प्रेरणा मिलती है।
  • कृषि एवं पर्यावरणीय विकास संस्थान (KRAPAVIS) द्वारा समर्थित सिरावास पहल यह दर्शाती है कि समुदाय नेतृत्व वाले प्रयास किस प्रकार जीर्ण-शीर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों को प्रभावी रूप से पुनर्स्थापित कर सकते हैं।

पवित्र उपवन क्या हैं?

  • पवित्र उपवन, वन के वे भाग होते हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से समुदायों द्वारा सांस्कृतिक, आध्यात्मिक या धार्मिक मान्यताओं के कारण संरक्षित किया जाता है, एवं जिन्हें प्रायः देवताओं या पूर्वजों की आत्माओं से जोड़ा जाता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2024 के एक निर्देश ने पवित्र उपवनों का मानचित्रण एवं आधिकारिक अधिसूचना अनिवार्य कर दी है तथा पर्यावरण मंत्रालय से उनके संरक्षण के लिए सक्रिय भागीदारी का आग्रह किया है।

मुख्य विशेषताएँ एवं भूमिकाएँ

  • सांस्कृतिक विरासत: पवित्र उपवन समुदायों के आध्यात्मिक मूल्यों एवं मौखिक परंपराओं का प्रतीक हैं।
  • जैव विविधता केंद्र: ये प्रायः वनस्पतियों एवं जीवों की स्थानिक तथा दुर्लभ प्रजातियों की रक्षा करते हैं।
  • जल सुरक्षा: ‘ग्रोव्स’ मृदा की नमी बनाए रखने एवं चेकडैम तथा तालाबों के माध्यम से जल संरक्षण में मदद करते हैं।
  • आजीविका सहायता: चारा, फल, पत्ते एवं पारंपरिक औषधीय पौधे उपलब्ध कराते हैं।
  • सामुदायिक शासन: स्थानीय समितियों या पारंपरिक संस्थाओं द्वारा प्रबंधित, सहभागी संरक्षण सुनिश्चित करते है।

भारत भर में पवित्र उपवनों के उदाहरण

नाम

समुदाय/जनजाति

राज्य

चूड़ासिद्ध अदावद मेव समुदाय राजस्थान
सरना  मुंडा, उरांव जनजातियाँ झारखंड
कावु  नायर, एझावा समुदाय केरल
देवराय वन भील, वारली जनजातियाँ महाराष्ट्र
लॉ किंतांग खासी जनजाति मेघालय
फुंग्यात  अंगामी, चाखेसांग जनजातियाँ नागालैंड

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