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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 12, 2025 03:21 9 0

ई-गवर्नेंस 2026 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार योजना

हाल ही में, प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग ने डिजिटल गवर्नेंस में उत्कृष्टता तथा नवाचार को सम्मानित करने के लिए 23वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार 2026 के लिए नामांकन (1 सितंबर – 15 अक्टूबर 2025) आमंत्रित किए हैं।

राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार 2026 योजना के बारे में

  • राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार पहली बार वर्ष 2003 में स्थापित किए गए थे।
  • उद्देश्य: ये पुरस्कार ई-गवर्नेंस पहलों के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता को सम्मानित एवं प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष प्रदान किए जाते हैं।
    • इन पुरस्कारों का उद्देश्य महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों को मान्यता देना, प्रभावी प्रथाओं को साझा करने को बढ़ावा देना एवं डिजिटल गवर्नेंस में नवाचारों को बढ़ावा देना है।
    • राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन (National Conference on e-Governance- NCeG) के दौरान प्रतिवर्ष पुरस्कार दिए जाते हैं।
    • वर्ष 2026 के पुरस्कार “विकसित भारत@2047” के दृष्टिकोण के अनुरूप डिजिटल गवर्नेंस में उपलब्धियों को उजागर करेंगे।
  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय (प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग  (DARPG)
  • श्रेणियाँ
    • डिजिटल परिवर्तन हेतु सरकारी प्रक्रिया पुनर्रचना में उत्कृष्टता।
    • नागरिक-केंद्रित वितरण प्रदान करने में उत्कृष्टता।
    • सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु सरकारी डेटा साझाकरण एवं उपयोग में उत्कृष्टता।
    • ई-गवर्नेंस में जिला-स्तरीय पहल में उत्कृष्टता (पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्य + अन्य राज्य)।
    • ई-गवर्नेंस के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का अभिनव उपयोग।
    • AI, ब्लॉकचेन, IoT आदि में उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने में उत्कृष्टता।
    • आपदा प्रबंधन के लिए डेटा का सर्वोत्तम उपयोग।
    • ई-गवर्नेंस में स्टार्ट-अप के लिए विशेष श्रेणी।
  • पात्रता: केंद्रीय मंत्रालय/विभाग, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकारें, जिला प्रशासन एवं स्टार्ट-अप
    • परियोजनाएँ कम-से-कम एक वर्ष से जारी होनी चाहिए।
  • पुरस्कार लाभ: विजेता संगठन को ट्रॉफी एवं प्रमाण पत्र।
    • सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुकरण को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता।
  • महत्त्व: सफल ई-गवर्नेंस मॉडलों के अनुकरण को बढ़ावा देता है।
    • बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए सरकारी संस्थाओं के बीच प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करता है।
    • डिजिटल इंडिया, जीवन में आसानी एवं आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों के साथ संरेखित।

पशु स्टेम सेल बायोबैंक एवं प्रयोगशाला

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NIAB) में भारत के अपनी तरह के पहले अत्याधुनिक पशु स्टेम सेल बायोबैंक एवं पशु स्टेम सेल प्रयोगशाला का उद्घाटन किया।

संबंधित तथ्य

  • मंत्री ने पशु स्वास्थ्य की रक्षा एवं किसानों की आजीविका की सुरक्षा के लिए NIAB द्वारा विकसित पाँच अग्रणी तकनीकों का भी अनावरण किया।

पशु स्टेम सेल बायोबैंक के बारे में

  • अवस्थिति एवं संस्थान: जैव प्रौद्योगिकी विभाग के जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान नवाचार परिषद (BRIC) के अंतर्गत एक प्रमुख संस्थान, NIAB में स्थित।

  • राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (NBM) द्वारा समर्थित।
  • कार्य: विभिन्न पशु प्रजातियों से प्राप्त उच्च-गुणवत्ता वाले स्टेम सेल का भंडारण एवं संरक्षण।
  • साझेदारी: HiMedia प्रयोगशालाओं के सहयोग से विकसित।
  • उद्देश्य: पशु चिकित्सालयों, अनुसंधान संस्थानों, अस्पतालों एवं उद्योग को गुणवत्ता-नियंत्रित पशु स्टेम सेल तथा स्वदेशी, लागत-प्रभावी ‘सेल कल्चर मीडिया’ प्रदान करना।
  • उपकरण: स्टेम सेल कल्चर यूनिट, 3D बायोप्रिंटर, बैक्टीरियल कल्चर लैब, क्रायोस्टोरेज, आटोक्लेव रूम, उन्नत एयर हैंडलिंग सिस्टम, निर्बाध पावर बैकअप।
  • फोकस क्षेत्र: पुनर्योजी चिकित्सा, पशुधन के लिए कोशिकीय चिकित्सा, रोग मॉडलिंग, ऊतक अभियांत्रिकी, प्रजनन जैव प्रौद्योगिकी।

स्टेम सेल बैंकिंग क्या है?

  • यह भविष्य में चिकित्सा एवं पुनर्योजी चिकित्सा में उपयोग के लिए संभावित जीवन रक्षक स्टेम कोशिकाओं को एकत्रित करने, संसाधित करने तथा संग्रहीत करने की प्रक्रिया है।

कालाहांडी का परिवर्तन

कभी अभाव का प्रतीक रहा ओडिशा का कालाहांडी जिला, जो पहले सबसे अविकसित जिलों में से एक था वर्तमान में समावेशी ग्रामीण विकास के एक महत्त्वपूर्ण केंद्र में परिवर्तित हो गया है।

पूर्व स्थिति (2000 के दशक से पहले)

  • ओडिशा के सबसे गरीब जिलों में से एक, जो भुखमरी एवं गरीबी के लिए जाना जाता था।
  • ओडिशा की अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद (GDDP) का हिस्सा < 1% (वर्ष 2001)
  • प्रति व्यक्ति आय लगभग ₹19,000।
  • निर्वाह कृषि पर निर्भरता, खराब सड़कें, स्वास्थ्य एवं शिक्षा में कम निवेश।

निर्णायक स्थिति

  • वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में स्थापित लांजीगढ़ में वेदांता की एल्युमिना रिफाइनरी सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव का उत्प्रेरक बन गई।
  • यहाँ का औद्योगीकरण समुदाय-आधारित था, शोषणकारी नहीं।

आर्थिक विकास

  • विकास दर: वर्ष 2003-2015 के बीच, सकल घरेलू उत्पाद (GDDP) में 16% से अधिक की वृद्धि हुई, जो ओडिशा के राज्य औसत 6-8% से दोगुने से भी अधिक है।
  • विकास सहभागी एवं सहजीवी रहा है, जिसमें उद्योग जनजातीय पहचान के साथ सह-अस्तित्व में रहा है।

प्रभाव

  • नीति आयोग रैंकिंग (आकांक्षी जिला कार्यक्रम)
    • स्वास्थ्य एवं पोषण: 35.48% सुधार के साथ ओडिशा में प्रथम।
    • शिक्षा: 45.72% वृद्धि के साथ ओडिशा में द्वितीय।
  • प्रोजेक्ट सखी: लगभग 5,000 आदिवासी महिलाएँ सूक्ष्म उद्यमों (मशरूम की खेती, गेंदा की खेती, ढोकरा एवं सौरा कला) में संलग्न।
  • शैक्षणिक प्रगति: वर्ष 2025 की बोर्ड परीक्षाओं में 96% एवं 97% अंक प्राप्त करने वाले छात्र, इंजीनियरिंग, चिकित्सा तथा अनुसंधान क्षेत्र में करियर बनाने वाले आदिवासी छात्र।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम

  • वर्ष 2018 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य उन जिलों का कायाकल्प करना है, जिन्होंने अन्य जिलों की तुलना में प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम प्रगति दिखाई है।

INS संध्याक

भारतीय नौसेना का जहाज संध्याक, सिंगापुर के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय यात्रा पर सिंगापुर के चांगी नौसैनिक अड्डे पर पहुँचा।

संबंधित तथ्य

  • उद्देश्य: सिंगापुर की समुद्री एजेंसियों के साथ तकनीकी/व्यावसायिक आदान-प्रदान को सुगम बनाना एवं हाइड्रोग्राफिक सहायता संबंधों को बनाए रखना।
  • कूटनीति: भारतीय नौसेना के हाइड्रोग्राफिक विभाग के अंतर्गत क्षेत्रीय हाइड्रोग्राफिक क्षमता निर्माण में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

INS संध्याक के बारे में

  • उन्नत हाइड्रोग्राफी क्षमता युक्त पहला स्वदेशी सर्वे वेसल लार्ज  (Survey Vessel Large)
  • फरवरी 2024 में कमीशन किया गया।
  • विकास: गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता
  • भूमिकाएँ
    • प्राथमिक: सुरक्षित समुद्री नौवहन के लिए बंदरगाहों, नौवहन चैनलों/मार्गों, तटीय क्षेत्रों एवं गहरे समुद्रों का पूर्ण पैमाने पर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना।
    • द्वितीयक: SAR/मानवीय अभियानों, नौसैनिक मिशनों एवं अस्पताल सुविधाओं के साथ एक हेलीकॉप्टर को जहाज पर ले जाने में सक्षम।
  • महत्त्व: आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के तहत भारत के जहाज निर्माण कौशल को प्रदर्शित करता है एवं राष्ट्रीय अमृत काल उद्देश्यों के साथ संरेखित है।

रक्षा उत्पादन सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुँचा

भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2024-25 में ₹1,50,590 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया, जो आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत देश की रक्षा निर्माण क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।

उत्पादन उपलब्धि

  • वृद्धि: वित्त वर्ष 2023-24 के ₹1.27 लाख करोड़ के उत्पादन की तुलना में लगभग 18%।
  • दीर्घकालिक वृद्धि: वित्त वर्ष 2019-20 के ₹79,071 करोड़ से 90% वृद्धि।

रक्षा निर्यात

  • वित्त वर्ष 2024-25: ₹23,622 करोड़, अब तक का सर्वोच्च।
  • वृद्धि: वित्त वर्ष 2023-24 के ₹21,083 करोड़ के निर्यात से ₹2,539 करोड़ (12.04%) की वृद्धि।

महत्त्व

  • रणनीतिक: रक्षा निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है।
  • आर्थिक: औद्योगिक आधार का विस्तार एवं निर्यात क्षमताओं को बढ़ावा।
  • भविष्य का दृष्टिकोण: निरंतर नीतिगत समर्थन, निजी क्षेत्र की भागीदारी एवं वैश्विक बाजार में बढ़ती उपस्थिति के साथ सतत विकास की उम्मीद।
  • लक्ष्य: वर्ष 2029 तक रक्षा उत्पादन में ₹3 लाख करोड़ एवं निर्यात में ₹50,000 करोड़ का लक्ष्य।

आत्मनिर्भर भारत पहल के बारे में

  • आत्मनिर्भर भारत पहल, ऐसे भारत की परिकल्पना प्रस्तुत करती है जो संरक्षणवादी या अलगाववादी बने बिना, अपनी शर्तों पर दुनिया के साथ जुड़ता है।
  • इसके पाँच स्तंभ हैं:
    • अर्थव्यवस्था: प्रतिकूलता को लाभ में बदलने के लिए एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित करना।
    • बुनियादी ढाँचा: आधुनिक भारत की पहचान को आकार देना।
    • प्रणालियाँ: 21वीं सदी की अत्याधुनिक तकनीक द्वारा संचालित।
    • जनसांख्यिकी: एक जीवंत एवं स्वस्थ जनसांख्यिकी पर ध्यान केंद्रित करना।
    • माँग: माँग एवं आपूर्ति श्रृंखला की शक्ति का बुद्धिमानी से उपयोग करना।

भारत पूर्वानुमान प्रणाली

हाल ही में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत पूर्वानुमान प्रणाली (Bharat Forecast System- BharatFS), एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन वैश्विक मौसम पूर्वानुमान मॉडल, का शुभारंभ किया।

भारत पूर्वानुमान प्रणाली के बारे में

  • भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BharatFS) भारत का अपना अति-उन्नत मौसम पूर्वानुमान मॉडल है।
  • यह एक अति-स्मार्ट “मौसम कंप्यूटर” की तरह है जो बहुत छोटे क्षेत्रों 6 किमी. जितनी छोटी दूरी के लिए मौसम संबंधी पूर्वानुमान करता है, जो कि अधिकांश अन्य देशों की प्रणालियों की तुलना में कहीं अधिक विस्तृत है।
  • ग्रिड: त्रिकोणीय घन अष्टफलकीय (TCo) गतिशील ग्रिड का उपयोग करके 6 किमी क्षैतिज रिज़ॉल्यूशन पर संचालित होता है।
  • यह GFS T1534 (~12 किमी) एवं विशिष्ट वैश्विक मॉडल (9-14 किमी) से आगे निकल जाता है।
  • सुपर कंप्यूटर की भूमिका: नए सुपर कंप्यूटर अर्का (IITM-पुणे) एवं अरुणिका (NCMRWF-नोएडा) ने पूर्वानुमान रनटाइम को लगभग 12 घंटे से घटाकर 3-6 घंटे कर दिया है।
  • बेहतर पूर्वानुमान: पिछले परिचालन मॉडल की तुलना में अत्यधिक वर्षा की पूर्वानुमान के लिए 30% बेहतर सटीकता।
  • स्थानीयकृत लाभ: छोटे पैमाने पर मौसम संबंधी विशेषताओं को कैप्चर करता है, जिससे कृषि, जलाशय प्रबंधन एवं बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण में सहायता मिलती है।
  • विकास एवं सहयोग
    • प्रमुख संस्थान: भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM), पुणे।
    • सहयोगी एजेंसियाँ: NCMRWF-नोएडा एवं भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD)।

अनुप्रयोग

  • लाभ प्राप्त क्षेत्र: मानसून निगरानी, विमानन, चक्रवात एवं आपदा प्रबंधन, कृषि, जलमार्ग, रक्षा तथा बाढ़ पूर्वानुमान।
  • आपदा तैयारी: अत्यधिक मौसम की घटनाओं के लिए तीव्र एवं लक्षित आपदा प्रतिक्रिया।
  • पंचायत-स्तरीय कवरेज: फसल नियोजन, सिंचाई समय-निर्धारण एवं कटाई संबंधी निर्णयों में सहायता करता है।

जिनेवा में INC-5.2 वार्ता

प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने हेतु एक कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण को अंतिम रूप देने हेतु अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC-5.2) का पाँचवाँ सत्र जिनेवा (5-14 अगस्त 2025) में संचालित हो रहा है।

अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC) के बारे में

  • उत्पत्ति: मार्च 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-5.2) के पुनः आरंभ हुए पाँचवें सत्र में अपनाए गए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव के तहत गठित।
  • अधिकार: समुद्री प्रदूषण सहित प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय, कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन विकसित करना।
  • कार्यक्षेत्र: एक व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से प्लास्टिक के संपूर्ण जीवन चक्र – उत्पादन, डिजाइन एवं निपटान  पर ध्यान केंद्रित करना।
  • समय-सीमा: वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में कार्य शुरू हुआ, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 के अंत तक वार्ता पूरी करना है।
  • मुख्य सत्र:
    • INC-1: वर्ष 2022, पुंटा डेल एस्टे, उरुग्वे।
    • INC-2: वर्ष 2023, पेरिस, फ्राँस।
    • INC-3: वर्ष 2023, नैरोबी, केन्या (मध्य बिंदु)।
    • INC-4: वर्ष 2024, ओटावा, कनाडा।
    • INC-5.1: वर्ष 2024, बुसान, कोरिया गणराज्य।
    • INC-5.2: अगस्त 2025, जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड।

इजराइल में गैलिली सागर

इजराइल की मीठे जल की झील, गैलिली सागर, हाल ही में लाल हो गई है, जिससे आसपास के निवासियों एवं पर्यटकों में दहशत फैल गई है।

संबंधित तथ्य

  • रंग में यह परिवर्तन शैवाल के कारण हुआ है, एवं अधिकारियों ने पुष्टि की है कि जल सुरक्षित है।
  • जल मंत्रालय ने क्लोरोफाइटा समूह के एक हरित शैवाल, बोट्रियोकोकस ब्राउनी को इसका कारण बताया है।
  • सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर, शैवाल एक प्राकृतिक लाल रंगद्रव्य (कैरोटेनॉयड्स) उत्पन्न करते हैं जो झील के कुछ हिस्सों में जमा होकर लाल रंग का हो जाता है।
  • बोट्रियोकोकस ब्राउनी का अध्ययन इसकी बड़ी मात्रा में हाइड्रोकार्बन उत्पन्न करने की क्षमता के लिए किया गया है, जो इसे एक संभावित जैव ईंधन बनाता है।

गैलिली सागर के बारे में

  • यह उत्तरी इजराइल में जॉर्डन रिफ्ट घाटी के भीतर, समुद्र तल से लगभग 210 मीटर नीचे स्थित है।
  • इसकी सीमा निचली गैलिली पहाड़ियों (पश्चिम एवं दक्षिण-पश्चिम) तथा गोलान हाइट्स (पूर्व) से लगती है।
  • इस क्षेत्र की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील।
  • अन्य नाम: किन्नेरेट सागर, गेनेसरेट झील, गिनोसार सागर, तिबेरिया सागर, तिबेरिया झील, बहर तुबरिया।
  • यह मुख्य रूप से जॉर्डन नदी, साथ ही गलील पहाड़ियों से आने वाली धाराओं एवं मौसमी नदियों द्वारा पोषित है।
  • इसमें गर्म जल के झरने हैं एवं यह 27 मछली प्रजातियों का आवास है, जिनमें से कई स्थानिक हैं।
  • यह तिबेरियास, हम्मत गदेर, कोराजिम, कफरनहूम एवं तबघा जैसे ऐतिहासिक शहरों से घिरा हुआ है।
  • अरब प्लेट के अफ्रीका से खिसकने के कारण लाखों वर्षों में इसका निर्माण हुआ।
  • जलवायु: सामान्य सर्दियाँ (~14°C) एवं गर्म ग्रीष्मकाल (~31°C), केले, खजूर, खट्टे फल तथा सब्जियों जैसी फसलों के लिए उपयुक्त।

कैंसर AI एवं टेक्नोलॉजी चेलेंज चुनौती (CATCH) अनुदान कार्यक्रम

इंडियाAI के स्वतंत्र व्यावसायिक प्रभाग (Independent Business Division- IBD) ने राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (NCG) के सहयोग से कैंसर AI एंड टेक्नोलॉजी चेलेंज (Cancer AI & Technology Challenge- CATCH) अनुदान कार्यक्रम के शुभारंभ की घोषणा की है।

कैच अनुदान कार्यक्रम के बारे में

  • उद्देश्य: कैंसर की जाँच, निदान, उपचार एवं स्वास्थ्य सेवा संचालन में AI-आधारित नवाचारों को बढ़ावा देना।
  • अनुदान सहायता:
    • प्रायोगिक अनुदान: प्रति परियोजना ₹50 लाख तक (इंडिया AI एवं NCG द्वारा सह-वित्त पोषित)।
    • स्केल-अप फंडिंग: राष्ट्रव्यापी परिनियोजन के लिए ₹1 करोड़ तक (पायलट कार्यक्रम की सफलता के आधार पर)।
  • फोकस क्षेत्र: AI-सक्षम जाँच, निदान, नैदानिक निर्णय समर्थन, रोगी सहभागिता, परिचालन दक्षता, अनुसंधान एवं डेटा संग्रह।
  • पात्रता: स्टार्टअप, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी फर्म, शिक्षा जगत एवं अस्पताल।
  • कार्यान्वयन एवं प्रशासन
    • केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन (DIC) के अंतर्गत एक अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (IBD), इंडियाAII मिशन की कार्यान्वयन एजेंसी है।
      • इसका उद्देश्य AI का लोकतंत्रीकरण, वैश्विक नेतृत्व, तकनीकी आत्मनिर्भरता एवं नैतिक AI की स्थापना करना है।
    • NCG: समन्वित अनुसंधान, उपचार एवं देखभाल के लिए कैंसर केंद्रों का एक नेटवर्क।

विश्व संस्कृत दिवस

9 अगस्त, 2025 को, भारतीय प्रधानमंत्री ने विश्व संस्कृत दिवस पर शुभकामनाएँ प्रदान कीं एवं संस्कृत विरासत के संरक्षण तथा संवर्द्धन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

विश्व संस्कृत दिवस के बारे में

  • विश्व संस्कृत दिवस, प्रतिवर्ष श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त में पड़ती है। इसका उद्देश्य संस्कृत को भारत की एक शास्त्रीय भाषा एवं सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सम्मान देना है।
    • यह तिथि भारत के विभिन्न हिस्सों में रक्षा बंधन एवं उपाकर्म जैसे त्योहारों के साथ सुमेलित है।
  • उत्पत्ति: वर्ष 1969 में भारत सरकार द्वारा दैनिक जीवन में संस्कृत के उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की गई थी।
    • श्रावण पूर्णिमा का चयन प्रतीकात्मक है क्योंकि इसे पारंपरिक रूप से वैदिक शिक्षा एवं अनुष्ठानों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।
  • संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल
    • वर्ष 2005 में संस्कृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया।
      • यह उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा भी है।
    • केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों की स्थापना।
    • संस्कृत शिक्षण केंद्र खोलना।
    • संस्कृत विद्वानों को अनुदान प्रदान करना।
    • ज्ञान भारतम मिशन प्राचीन संस्कृत पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण करेगा।

संस्कृत का महत्त्व

  • एक कालातीत भाषा: संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है, जो सहस्राब्दियों से भारत की आध्यात्मिक, साहित्यिक एवं वैज्ञानिक विरासत का भंडार रही है।
    • यह वेदों, उपनिषदों एवं भगवद् गीता की भाषा है।
  • वैश्विक प्रासंगिकता: इसकी भाषाई संरचना एवं दार्शनिक महत्त्व ने एशिया तथा उसके बाहर की भाषाओं एवं ज्ञान परंपराओं को प्रभावित किया है।
  • आधुनिक भारत में भूमिका: अपने सांस्कृतिक मूल्य के अलावा, संस्कृत भाषा विज्ञान, संगणन विज्ञान एवं पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों में अनुसंधान को प्रेरित करती रही है।

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