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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 14, 2025 03:45 9 0

टाटो-II जल विद्युत परियोजना

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने अरुणाचल प्रदेश के शियोमी (Shi Yomi) जिले में 700 मेगावाट की टाटो-II जलविद्युत परियोजना (HEP) के निर्माण को मंजूरी दी।

टाटो-II जलविद्युत परियोजना के बारे में

  • टाटो-II जलविद्युत परियोजना, सियोम नदी (Siyom River) पर एक नदी-प्रवाह परियोजना है।
    • यह टाटो-I (Tato-I), हीओ (Heo), नयिंग (Naying) एवं हिरोंग (Hirong) परियोजनाओं के समूह का हिस्सा है।
    • यह राज्य में रुकी हुई 13 जलविद्युत परियोजनाओं के पुनरुद्धार में सहायक है।
      • रन-ऑफ-रिवर परियोजना एक प्रकार की जलविद्युत उत्पादन परियोजना है, जिसमें नदी के जल को एक चैनल के माध्यम से, किसी बड़े जलाशय का निर्माण किए बिना, बिजलीघर की ओर मोड़ दिया जाता है।
      • यह नदी के प्राकृतिक प्रवाह और ऊँचाई में कमी पर निर्भर करता है।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: नीपको अरुणाचल जलविद्युत निगम (केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम साझेदारी) के अंतर्गत उत्तर-पूर्वी विद्युत निगम (North Eastern Electric Power Corporation- NEEPCO)।
  • नियोजित क्षमता: 700 मेगावाट।
  • उद्देश्य: पूर्वोत्तर भारत में विद्युत आपूर्ति को बढ़ावा देना एवं राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड को स्थिर करने में सहायता करना।
  • विद्युत आवंटन: अरुणाचल प्रदेश को इस परियोजना से 12% निःशुल्क विद्युत मिलेगी, साथ ही स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (LADF) के लिए 1% अतिरिक्त राशि निर्धारित की गई है।
    • LADF एक समर्पित निधि है, जिसे प्रोजेक्ट डेवलपर्स (आमतौर पर बड़ी अवसंरचना या जल विद्युत कंपनियाँ) द्वारा परियोजना से प्रभावित क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास के वित्तपोषण के लिए बनाया जाता है।

सियोम नदी के बारे में

  • अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी है।
  • उद्गम: अरुणाचल प्रदेश के उत्तर-पूर्वी छोर पर चीन-भारत सीमा के निकट, मिश्मी पहाड़ियों के पास।

  • मार्ग: पश्चिमी सियांग जिले से दक्षिण की ओर बहती है, फिर अलोंग (आलो) जैसे महत्त्वपूर्ण शहरों से होकर गुजरती है एवं पासीघाट के पास ब्रह्मपुत्र नदी (अरुणाचल प्रदेश में सियांग कहा जाता है) में मिल जाती है।
  • सहायक नदियाँ एवं विशेषताएँ: हिमालय की ढलानों से निकलने वाली कई छोटी धाराओं जैसे कि टाईंग नदी (Taying River), टूटिंग नदी (Tuting River) एवं मिपी नदी (Mipi River) से जल प्राप्त करती है।
    • इस नदी बेसिन की विशेषताएँ खड़ी घाटियाँ, घाटियाँ एवं समृद्ध जैव विविधता हैं।

भारत-सिंगापुर हरित एवं डिजिटल समुद्री गलियारा (GDMC)

हाल ही में भारत-सिंगापुर हरित एवं डिजिटल समुद्री गलियारे (Green & Digital Maritime Corridor–GDMC) पर मुंबई डायलॉग 2025 में चर्चा की गई, जो इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 (27–31 अक्टूबर) से पूर्व आयोजित हुआ।

हरित एवं डिजिटल समुद्री गलियारे (GDMC) के बारे में

  • यह एक विशिष्ट नौवहन मार्ग, जहाँ देश समुद्री परिचालनों को कार्बन-मुक्त एवं डिजिटल बनाने के लिए सहयोग करते हैं।
    • कार्बन-मुक्त: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए बंदरगाहों पर कम या शून्य कार्बन ईंधन (हरित हाइड्रोजन, अमोनिया) एवं बंकरिंग अवसंरचना के विकास को बढ़ावा देता है।
    • डिजिटलीकरण: इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजीकरण, रियल-टाइम ट्रैकिंग एवं डेटा विनिमय को अपनाना, जिसके परिणामस्वरूप बंदरगाहों पर तेजी से बदलाव, परिचालन लागत में कमी तथा सुरक्षा में सुधार होता है।
  • अनुरूप: अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) का लक्ष्य नौवहन से कार्बन उत्सर्जन को कम करना है।

भारत-सिंगापुर GDMC के बारे में

  • यह द्विपक्षीय सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरा है तथा हाल ही में मुंबई में आयोजित उच्च स्तरीय ‘लीडर्स डायलॉग’ ने इसके भविष्य के विकास की नींव रखी है।
  • द्विपक्षीय समुद्री सहयोग: भारत एवं सिंगापुर के मध्य व्यापार, निवेश तथा प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान को मजबूत करता है।
    • इसमें रक्षा सहयोग भी शामिल है, जैसे कि सिंगापुर-भारत समुद्री द्विपक्षीय अभ्यास (Singapore–India Maritime Bilateral Exercise- SIMBEX)।
  • रणनीतिक एवं नीतिगत संरेखण: यह इंडिया मैरीटाइम वीक-2025 के अग्रदूत के रूप में कार्य करता है, जिसमें हरित नौवहन एवं डिजिटलीकरण में संयुक्त परियोजनाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
    • सतत् समुद्री संचालन के लिए समुद्री अमृत काल विजन 2047 (Maritime Amrit Kaal Vision 2047) एवं हरित सागर दिशा-निर्देशों (Harit Sagar Guidelines) का समर्थन करता है।
  • अन्य गलियारों के साथ पूरकता: यह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (India-Middle East-Europe Economic Corridor- IMEEC) एवं अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor- INSTC) का पूरक है।
  • GDMC का महत्त्व 
    • सतत् व्यापार एवं हरित नौवहन: भारत एवं सिंगापुर के बीच कम कार्बन वाले समुद्री व्यापार को बढ़ावा देता है।
    • दक्षता एवं सुरक्षा: डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से समुद्री दक्षता, परिचालन विश्वसनीयता एवं सुरक्षा को बढ़ाता है।
    • सामरिक संपर्क: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की समुद्री उपस्थिति को मजबूत करता है एवं ब्लू इकोनॉमी पहलों का समर्थन करता है।
    • नीति एवं वैश्विक नेतृत्व: भारत की एक्ट ईस्ट नीति एवं वैश्विक समुद्री नेतृत्व की महत्त्वाकांक्षाओं को सुदृढ़ करता है।
    • प्रौद्योगिकी एवं कौशल विकास: प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, नवाचार एवं समुद्री कौशल विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है।

INS हिमगिरी

भारतीय नौसेना, विशाखापत्तनम में INS हिमगिरी का जलावतरण करने जा रही है।

INS हिमगिरी के बारे में

  • हिमगिरी, नीलगिरी श्रेणी (प्रोजेक्ट 17A) का तीसरा जहाज है। 
  • यह अपनी श्रेणी का पहला P17A है, जिसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा निर्मित किया गया है।
  • इसे वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (Warship Design Bureau- WDB) द्वारा डिजाइन किया गया है एवं वॉरशिप ओवरसीइंग टीम (कोलकाता) द्वारा इसका प्रबंधन किया जाता है।

INS हिमगिरी की विशेषताएँ

  • मल्टी-मिशन प्लेटफॉर्म: वायु-रोधी, सतह-रोधी एवं पनडुब्बी-रोधी युद्ध के लिए सुसज्जित है।
  • स्ट्राइक एवं डिफेंस सिस्टम: इसमें ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल (जहाज-रोधी एवं जमीनी हमला करने की क्षमता) तथा बराक 8 सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं।
  • निगरानी एवं युद्ध प्रणालियाँ: AESA रडार एवं उन्नत युद्ध प्रबंधन प्रणालियों के साथ एकीकृत।
  • प्रणोदन प्रणाली: परिचालन लचीलेपन के लिए संयुक्त डीजल एवं गैस टर्बाइन प्रणोदन का उपयोग करती है।
  • चालक दल क्षमता एवं विमानन: 225 कर्मियों की क्षमता एवं पूर्ण हेलीकॉप्टर संचालन का समर्थन करता है।

INS उदयगिरि

भारतीय नौसेना विशाखापत्तनम में INS उदयगिरि का जलावतरण करेगी।

INS उदयगिरी के बारे में

  • INS उदयगिरी, प्रोजेक्ट 17A स्टील्थ फ्रिगेट्स का दूसरा जहाज है, जिसका निर्माण मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited- MDL), मुंबई द्वारा किया गया है।
  • यह वर्ष 2007 में सेवामुक्त हुए पूर्ववर्ती INS उदयगिरी का आधुनिक अवतार है एवं नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया 100वाँ जहाज है।

INS उदयगिरी की विशेषताएँ

  • उन्नत स्टील्थ क्षमता: इस जहाज में रडार, तापीय एवं ध्वनिक संकेतों को कम करने के लिए उन्नत स्टील्थ आधारित उपाय शामिल हैं, जिससे प्रतिकूल वातावरण में इसका पता लगाना कठिन हो जाता है।
  • अत्याधुनिक प्रणालियाँ: यह उभरते समुद्री खतरों का मुकाबला करने के लिए उन्नत हथियारों, आधुनिक सेंसरों एवं अत्याधुनिक युद्ध तकनीकों से लैस है।
  • बहु-मिशन परिचालन भूमिका: INS उदयगिरि पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों से निपट सकता है, जिससे समुद्री युद्ध के पूरे क्षेत्र में संचालन संभव हो पाता है।

प्रोजेक्ट 17A (P-17A) फ्रिगेट के बारे में

  • प्रोजेक्ट 17A, प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक-श्रेणी) फ्रिगेट का उन्नत अनुवर्ती है, जिसमें उन्नत स्टील्थ उन्नत सेंसर, आधुनिक हथियार एवं एक एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली शामिल है।
  • इस परियोजना के अंतर्गत आने वाले कुछ प्रमुख जहाजों में INS नीलगिरी, INS उदयगिरी एवं INS तारागिरी शामिल हैं।

खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी पर 18वाँ अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी पर 18वें अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड को संबोधित किया।

खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी पर 18वें अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड के बारे में

  • आयोजक: होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र (Homi Bhabha Centre for Science Education- HBCSE), टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research- TIFR) के अंतर्गत, प्रधानमंत्री कार्यालय एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के सहयोग से।
  • मेजबान देश: भारत (मुंबई)।
  • प्रतिभागी: 64 देशों के 300 से अधिक हाईस्कूल के छात्र एवं 140 संरक्षक।
  • सबसे बड़ा IOAA संस्करण: अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं साझा शिक्षण को दर्शाता है।

अभिभाषण के मुख्य अंश

  • भारत की ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक विरासत
    • भारत की खगोलीय परंपरा: आकाश अवलोकन, जिज्ञासा एवं नवाचार की दीर्घकालिक संस्कृति।
    • आर्यभट्ट (5वीं शताब्दी): शून्य का आविष्कार किया एवं पहली बार बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।
  • भारत की समकालीन खगोल विज्ञान एवं अंतरिक्ष विज्ञान उपलब्धियाँ:
    • भारतीय खगोलीय वेधशालाएँ
      • लद्दाख वेधशाला: 4,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, उच्च-तुंगता युक्त प्रेक्षणों के लिए आदर्श।
      • विशाल मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (Giant Metrewave Radio Telescope- GMRT), पुणे: विश्व के सबसे संवेदनशील रेडियो दूरबीनों में से एक, जो पल्सर, क्वासर एवं आकाशगंगाओं को डिकोड करता है।
      • वैश्विक विज्ञान योगदान: स्क्वायर किलोमीटर ऐरे एवं लिगो-इंडिया में भागीदारी।
    • अंतरिक्ष मिशन
      • चंद्रयान-3: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास पहली सफल लैंडिंग।
      • आदित्य-L1 सौर वेधशाला: सौर ज्वालाओं, तूफानों एवं सूर्य की गतिविधियों की निगरानी करती है।
      • ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला: भारत के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन मिशन हेतु चयनित।
  • वैज्ञानिक जिज्ञासा एवं STEM संबंधी शिक्षा 
    • अटल टिंकरिंग लैब्स: 1 करोड़ से अधिक छात्र प्रयोगों के माध्यम से STEM शिक्षा संबंधी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
    • एक राष्ट्र एक सदस्यता: छात्रों एवं शोधकर्ताओं के लिए प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं तक मुफ्त पहुँच।
    • STEM में महिलाएँ: विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी में भारत एक अग्रणी देश है।
    • अनुसंधान निवेश: भारत के वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र में अरबों डॉलर का निवेश।
  • युवा खोजकर्ताओं के लिए प्रोत्साहन: दुनिया भर के युवा वैज्ञानिकों को भारत में अध्ययन, शोध एवं सहयोग करने के लिए निमंत्रण।
  • मानवता के लिए अंतरिक्ष विज्ञान का अनुप्रयोग
    • किसानों के लिए बेहतर मौसम पूर्वानुमान।
    • प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी।
    • वनाग्नि एवं पिघलते ग्लेशियरों की निगरानी।
    • दूरस्थ क्षेत्रों में संचार में सुधार।

UNDP इक्वेटर इनिशिएटिव पुरस्कार

हाल ही में कर्नाटक के धारवाड़ जिले के तीर्था गाँव के बीबी फातिमा स्वयं सहायता समूह (Self-Help Group- SHG) को प्रतिष्ठित यूएनडीपी इक्वेटर इनिशिएटिव पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

UNDP इक्वेटर इनिशिएटिव पुरस्कार के बारे में

  • इसे प्रायः “जैव विविधता संरक्षण के लिए नोबेल पुरस्कार” कहा जाता है।
  • UNDP की ‘इक्वेटर इनिशिएटिव’ के तहत प्रदान किया जाता है।
  • जैव विविधता संरक्षण के माध्यम से गरीबी कम करने के लिए समुदाय आधारित प्रयासों को मान्यता देता है।
  • आवृत्ति: द्विवार्षिक।
  • पुरस्कार राशि: $10,000।
  • वर्ष 2025 विषय: प्रकृति-आधारित जलवायु कार्रवाई के लिए महिला एवं युवा नेतृत्व।
  • पात्रता मानदंड: पहल/कार्रवाई ≥3 वर्षों से चल रही होनी चाहिए।
    • नामांकित व्यक्ति
      • ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय समुदाय-आधारित समूह (UNDP  द्वारा समर्थित) या
      • कहीं भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूल निवासियों का समुदाय।
    • कार्य प्रकृति-आधारित होने चाहिए और कम-से-कम दो या अधिक सतत् विकास लक्ष्यों से संबंधित लाभ प्रदान करने चाहिए।
  • महत्त्व
    • जलवायु परिवर्तन एवं जैव विविधता हानि के स्थानीय समाधानों पर प्रकाश डालता है।
    • महिलाओं एवं युवाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देता है।
    • पारंपरिक ज्ञान को सतत् विकास से जोड़ता है।
    • सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए वैश्विक मान्यता एवं एक मंच प्रदान करता है।

इक्वेटर इनिशिएटिव के बारे में

  • वर्ष 2002 में UNDP द्वारा गरीबी कम करते हुए जैव विविधता के संरक्षण में स्वदेशी लोगों एवं स्थानीय समुदायों का समर्थन करने के लिए शुरू किया गया।
  • महिलाओं एवं युवाओं के नेतृत्व, ज्ञान साझाकरण तथा क्षमता निर्माण को बढ़ावा देता है।

राष्ट्रीय अनुभव पुरस्कार

हाल ही में पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (Department of Pension & Pensioners’ Welfare- DoPPW) ने राष्ट्रीय अनुभव पुरस्कारों की 10वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में समारोहों के आयोजन की घोषणा की।

राष्ट्रीय अनुभव पुरस्कारों के बारे में

  • कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के अंतर्गत पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) द्वारा वर्ष 2015 में प्रारंभ किए गए हैं।
  • उद्देश्य: सेवानिवृत्त कर्मचारियों के व्यक्तिगत संस्मरणों के माध्यम से भारत के प्रशासनिक इतिहास का दस्तावेजीकरण।
  • पुरस्कार योजना: अनुभव पोर्टल पर प्रकाशित उनके संस्मरणों को मान्यता देकर सेवानिवृत्त कर्मचारियों के योगदान का सम्मान करती है।

राष्ट्रीय अनुभव पुरस्कारों की मुख्य विशेषताएँ

  • पात्रता: वे कर्मचारी, जो अगले 8 महीनों के भीतर सेवानिवृत्त हो रहे हैं या पिछले 3 वर्षों के भीतर सेवानिवृत्त हुए हैं।
    • कर्मचारियों द्वारा प्रस्तुत लेखों का मूल्यांकन अनुभव पुरस्कारों के संदर्भ में किया जाता है।
  • अनुभव पोर्टल पर 1 अप्रैल, 2024 से 31 मार्च, 2025 के बीच लेख प्रकाशित किए जाने चाहिए।
  • पुरस्कार
    • वर्ष 2015 में: शुरुआत में 5 राष्ट्रीय अनुभव पुरस्कार एवं 10 अनुभव जूरी पुरस्कार।
    • वर्ष 2023 में: 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों एवं केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (Central Public Sector Enterprises- CPSEs) के कर्मचारियों को शामिल करके भागीदारी का आधार बढ़ाया गया।
    • वर्ष 2024 में: मूल्यांकन प्रक्रिया में निष्पक्षता बढ़ाने के लिए अंकन प्रणाली की शुरुआत।

ईस्टर द्वीप 

हाल ही में एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि समुद्र का जल स्तर बढ़ने से वर्ष 2080 तक ईस्टर द्वीप की प्रतिष्ठित ‘मोई मूर्तियाँ’ जलमग्न हो सकती हैं।

ईस्टर द्वीप के बारे में

  • स्थान: ‘ईस्टर’ द्वीप दक्षिण-पूर्वी प्रशांत महासागर में स्थित है, जो चिली का एक क्षेत्र है।
    • यह पोलिनेशियाई त्रिभुज का हिस्सा है, जिसमें हवाई द्वीप एवं न्यूजीलैंड भी शामिल हैं।
    • यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से पोलिनेशियाई लोगों का आवास स्थल है।
  • इसे ‘रापा नुई’ (इसका स्थानीय नाम) के नाम से भी जाना जाता है।
  • UNESCO पदनाम: रापा नुई राष्ट्रीय उद्यान, जो द्वीप के अधिकांश भाग की रक्षा करता है, एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
  • भूगोल: चट्टानी, लावा से ढके भू-भाग वाला ज्वालामुखी द्वीप।
  • जलवायु: उष्णकटिबंधीय वर्षावन जलवायु।

मोई मूर्तियाँ

  • 1250-1500 ईसवी के मध्य ‘रापा नुई’ लोगों द्वारा बनाई गई मोई मूर्तियाँ, द्वीप की सांस्कृतिक पहचान का केंद्र हैं।
  • ज्वालामुखी चट्टान से निर्मित ये मूर्तियाँ द्वीपवासियों के पूर्वजों के सम्मान में बनाई गई थीं।
  • अधिकांशतः द्वीप की परिधि के आस-पास पाई जाने वाली मोई मूर्तियाँ पत्थर के चबूतरों पर खड़ी हैं, जिन्हें ‘आहू’ के नाम से जाना जाता है, जो एक समारोह स्थल है।

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