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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 16, 2025 04:03 6 0

अपार आईडी

APAAR ID

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने वर्ष 2026 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए पंजीकरण एवं उम्मीदवारों की सूची (List of Candidates- LOC) जमा करने हेतु अपार (APAAR) ID अनिवार्य कर दी है।

अपार (APAAR) ID के बारे में

  • ऑटोमेटेड परमानेंट अकादमिक अकाउंट रजिस्ट्री (APAAR) भारत में प्रत्येक छात्र को शैक्षणिक रिकॉर्ड को एकीकृत करने के लिए दिया गया 12 अंकों का एक विशिष्ट पहचानकर्ता है।
  • वर्ष 2024-25 शैक्षणिक सत्र से शुरू होने वाले विद्यालयों के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया।
  • उद्देश्य: अपार (APAAR) ID राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)-2020 के ‘एक राष्ट्र, एक छात्र ID’ के दृष्टिकोण को लागू करने के लिए डिजाइन की गई है, जो एक छात्र की जीवन भर की शैक्षणिक उपलब्धियों को एक ही डिजिटल प्रोफाइल में समेकित करती है।
  • लक्ष्य: इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत में कक्षा 1 से 12 तक के सभी छात्रों को शामिल करना है।
  • जुलाई 2025 तक 2.36 करोड़ से अधिक आईडी पहले ही बनाई जा चुकी हैं।

बोर्ड परीक्षा 2026 के लिए कार्यान्वयन

  • शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से, अपार (APAAR) ID निम्नलिखित के लिए अनिवार्य है:
    • कक्षा 9 एवं कक्षा 11 के छात्रों का पंजीकरण।
    • कक्षा 10 एवं कक्षा 12 के छात्रों के लिए LOC (List of Candidates) का संकलन जमा करना।
  • पंजीकरण एवं LOC प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व विद्यालयों को अपार (APAAR) ID प्राप्त करनी होगी, जो जल्द ही शुरू होने की संभावना है।

महत्त्व

  • सुव्यवस्थित छात्र रिकॉर्ड: यह प्रत्येक छात्र के लिए एक एकीकृत शैक्षणिक पहचान तैयार करता है, जिससे कक्षाओं, विद्यालयों और राज्यों में रिकॉर्ड की निर्बाध निगरानी संभव होती है।
  • कम प्रशासनिक त्रुटियाँ: परीक्षा पंजीकरण एवं प्रमाणन में दोहराव तथा विसंगतियों को कम करता है।
  • डिजिटल एकीकरण: NEP-2020 के अंतर्गत अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) एवं अन्य शिक्षा डेटाबेस के साथ एकीकरण को सुगम बनाता है।
  • नीतिगत संरेखण: भारतीय शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता, दक्षता एवं सुवाह्यता का समर्थन करता है, जो संस्थानों के बीच स्थानांतरित होने वाले छात्रों के लिए महत्त्वपूर्ण है।

डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए ट्राई का संपत्ति रेटिंग ढाँचा 

ट्राई ने डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए संपत्तियों की रेटिंग हेतु मैनुअल जारी किया है, जिससे उच्च गति, विश्वसनीय डिजिटल पहुँच के लिए इमारतों की तैयारी का आकलन करने हेतु एक राष्ट्रीय मानक तैयार हुआ है।

फ्रेमवर्क के बारे में

  • परिचय: यह फ्रेमवर्क भारत की पहली मानकीकृत प्रणाली है, जो डिजिटल कनेक्टिविटी विनियमन, 2024, मैनुअल के तहत विकसित ‘इन-बिल्डिंग डिजिटल कनेक्टिविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर’ एवं प्रदर्शन के आधार पर संपत्तियों का मूल्यांकन एवं रेटिंग करती है।
  • उद्देश्य
    • डिजिटल कनेक्टिविटी रेटिंग एजेंसियों (DCRAs) के लिए एक समान मूल्यांकन पद्धति स्थापित करता है।
    • यह संपत्ति प्रबंधकों (Property Managers- PMs) एवं सेवा प्रदाताओं हेतु  भविष्य के लिए तैयार डिजिटल कनेक्टिविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर (DCI) की योजना बनाने, उसे लागू करने एवं बनाए रखने हेतु एक संदर्भ फ्रेमवर्क के रूप में कार्य करता है।

केंद्रीय क्षेत्र

  • फाइबर रेडीनेस: उच्च गति ब्रॉडबैंड प्रदान करने के लिए ‘फाइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर’ की उपलब्धता एवं तैयारी का आकलन करता है।
  • इनडोर मोबाइल कवरेज: आधुनिक निर्माण सामग्री, विशेष रूप से 4G/5G आवृत्तियों के लिए, से होने वाले नुकसान को दूर करते हुए, घर के अंदर मोबाइल सिग्नल की शक्ति का मूल्यांकन करता है।
  • Wi-Fi एक्सेस एवं उपयोगकर्ता अनुभव: इनडोर एरिया में Wi-Fi कवरेज, ब्रॉडबैंड स्पीड एवं समग्र उपयोगकर्ता संतुष्टि का मापन करता  है।

महत्त्व

  • उपभोक्ता विकल्प में सुधार: ये रेटिंग खरीदारों, किराएदारों एवं व्यवसायों को वास्तविक डिजिटल कनेक्टिविटी प्रदर्शन के आधार पर संपत्ति संबंधी निर्णय लेने में मदद करेंगी।
    • 80% से अधिक मोबाइल डेटा का उपयोग घर के अंदर एवं उच्च आवृत्ति बैंड में होने के कारण, 4G तथा 5G के सिग्नल प्रायः आधुनिक निर्माण सामग्री के कारण कमजोर हो जाते हैं।
  • डेवलपरों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है: इमारतों के डिजाइन एवं निर्माण चरणों में डिजिटल बुनियादी ढाँचे के एकीकरण को प्रोत्साहित करता है।
  • समावेशी विकास का समर्थन करता है: कार्य, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा एवं दैनिक डिजिटल सेवाओं के लिए मजबूत ‘इन-बिल्डिंग नेटवर्क’ आवश्यक हो गए हैं।

TRAI के बारे में

  • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) भारत में दूरसंचार एवं प्रसारण सेवाओं को विनियमित करने वाला वैधानिक निकाय है।
  • स्थापना: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के तहत वर्ष 1997 में गठित।
  • भूमिका
    • शुल्क निर्धारण/संशोधन सहित दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करता है।
    • सेवा की गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
    • निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देता है एवं उपभोक्ता हितों की रक्षा करता है।

सभासार

केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ग्राम सभा की बैठकों की रिकॉर्डिंग से ‘मिनिट्स ऑफ मीटिंग’ तैयार करने की प्रक्रिया को स्वचालित करने के लिए AI-संचालित ‘सभासार’ टूल लॉन्च करेगा।

सभासार के बारे में

  • परिचय: सभासार एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित बैठक सारांश उपकरण है, जो ग्राम सभा या पंचायत बैठकों की ऑडियो एवं वीडियो रिकॉर्डिंग से ‘मिनिट्स ऑफ मीटिंग’  (Minutes of Meeting- MoM) का प्रतिलेखन एवं निर्माण करता है।
  • उद्देश्य: ग्राम सभा बैठकों के दस्तावेजीकरण को सुव्यवस्थित एवं मानकीकृत करना, पंचायत शासन में दक्षता, पारदर्शिता तथा सुगमता में सुधार करना।

मुख्य विशेषताएँ

  • AI एवं NLP एकीकरण: उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग  (NLP) का उपयोग करता है।
    • NLP एक AI क्षेत्र है, जो कंप्यूटरों को अनुवाद, सारांश एवं भावना विश्लेषण जैसे कार्यों के लिए मानव भाषा को समझने, व्याख्या करने तथा उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है।
  • बहुभाषी समर्थन: यह भारत सरकार के राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन, भाषिणी के साथ एकीकृत है।
    • यह कन्नड़ एवं अंग्रेजी सहित 13 भारतीय भाषाओं का समर्थन करता है, जिससे विविध भाषायी क्षेत्रों के लिए समावेशिता सुनिश्चित होती है तथा इसके आगे विस्तार की योजना है।
  • संरचित आउटपुट: यह अच्छी तरह से प्रारूपित, आधिकारिक रूप से तैयार कार्यवृत्त तैयार करता है, जिसका उपयोग सीधे प्रशासनिक और कानूनी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिससे मैन्युअल प्रतिलेखन के प्रयासों में काफी कमी आती है।

महत्त्व

  • शासन दक्षता: दस्तावेजीकरण को स्वचालित करता है, जिससे अधिकारियों का समय बचता है तथा वे सेवा वितरण तथा अन्य शासन संबंधी जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।
  • पारदर्शिता एवं जवाबदेही: सटीक एवं हस्तक्षेपरहित बैठक रिकॉर्ड सुनिश्चित करता है, जिससे स्थानीय निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में विश्वास बढ़ता है।
  • समावेशिता एवं सुगम्यता: बहुभाषी समर्थन पूरे भारत में पंचायत पदाधिकारियों की समान भागीदारी सुनिश्चित करता है, चाहे उनकी भाषायी पृष्ठभूमि कुछ भी हो।

नोट: यह उपकरण सबसे पहले त्रिपुरा में तैनात किया जाएगा, जिसमें 15 अगस्त 2025 को विशेष ग्राम सभाओं के लिए सभी 1,194 ग्राम पंचायतों एवं पारंपरिक स्थानीय निकायों को शामिल किया जाएगा तथा इसे पूरे देश में लागू करने की योजना है।

सौर क्षेत्र के लिए ALMM

भारत ने मॉडलों एवं निर्माताओं की अनुमोदित सूची (Approved List of Models and Manufacturers- ALMM) के अंतर्गत 100 गीगावाट सौर PV मॉड्यूल निर्माण क्षमता प्राप्त कर ली है, जो आत्मनिर्भरता एवं स्वच्छ ऊर्जा की प्रगति को दर्शाता है।

सौर ऊर्जा क्षेत्र में उपलब्धि

  • तीव्र क्षमता वृद्धि: विनिर्माण क्षमता केवल चार वर्षों में बारह गुना से अधिक बढ़कर, वर्ष 2021 में 8.2 गीगावाट से वर्ष 2025 में 100 गीगावाट हो गई, जिसमें 100 निर्माता एवं 123 इकाइयाँ शामिल हैं।
  • नीतिगत रूप से संचालित सफलता: उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना एवं ALMM नीति जैसी पहलों ने प्रतिस्पर्द्धात्मकता, दक्षता तथा वैश्विक माँग की तत्परता को बढ़ावा दिया।

मॉडलों एवं निर्माताओं की अनुमोदित सूची (ALMM) के बारे में

  • परिचय: ALMM में सरकारी परियोजनाओं, सरकारी सहायता प्राप्त परियोजनाओं एवं PM KUSUM तथा सौर पीवी रूफटॉप योजनाओं जैसी योजनाओं में उपयोग के लिए पात्र सौर पीवी मॉड्यूल निर्माता शामिल हैं।
    • इसमें वे परियोजनाएँ भी शामिल हैं, जो केंद्र या राज्य सरकारों को बिजली बेच रही हैं।
  • उद्देश्य: यह सुनिश्चित करके आयात प्रतिस्थापन करना कि भारतीय निर्माता प्रत्यक्ष आयात प्रतिबंध लगाए बिना, प्रतिस्पर्द्धी रूप से घरेलू माँग को पूरा कर सकें।
  • शुभारंभ: केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) द्वारा वर्ष 2019 में प्रस्तुत।
    • पहली सूची मार्च, 2021 में 8.2 गीगावाट क्षमता के साथ प्रकाशित की गई थी।
  • धीमा कार्यान्वयन: नियम-पूर्व अनुबंधों से बँधे नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों की चिंताओं के कारण, जब चीन से सस्ते आयात की अधिकता थी, इसे शुरू में दो वर्ष के लिए स्थगित रखा गया था।
  • पुनः लागू: आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना जैसी नीतियों के माध्यम से घरेलू विनिर्माण क्षमता में सुधार के बाद 1 अप्रैल, 2024 को लागू किया गया।

महत्त्व

  • विजन 2047: एक पूर्णतः आत्मनिर्भर एवं विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण केंद्र विकसित करना।
  • आत्मनिर्भर भारत संरेखण: आयात निर्भरता को कम करने एवं भारत के स्वच्छ ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना।
    • वर्ष 2023-24 में, भारत के सौर सेल आयात में चीन से आयात का हिस्सा 90% से अधिक था। हालाँकि, अब यह सौर सेल के लिए घटकर 56% एवं सौर मॉड्यूल के लिए 65% रह गया है।

गाजा संकट पर ‘द एल्डर्स ग्रुप’ की टिप्पणियाँ

हाल ही में, एल्डर्स ग्रुप ने गाजा संकट को एक “अनफोल्डिंग जीनोसाइड” (Unfolding Genocide) घोषित किया है, जो इजरायल द्वारा मानवीय सहायता में बाधा डालने के कारण हुआ है, जिसके कारण अकाल एवं बड़े पैमाने पर नागरिक पीड़ा हुई है।

‘द एल्डर्स ग्रुप’ के बारे में

  • द एल्डर्स, पूर्व राष्ट्राध्यक्षों एवं वरिष्ठ संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों सहित सम्मानित वैश्विक नेताओं का एक स्वतंत्र, गैर-सरकारी समूह है।
  • गठन: वर्ष 2007 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला द्वारा स्थापित।
  • मुख्यालय: लंदन, इंग्लैंड।
  • मिशन: नैतिक अधिकार, मध्यस्थता एवं वकालत के माध्यम से शांति, मानवाधिकार एवं सतत् विकास को बढ़ावा देना।
  • सदस्य: इस समूह में संपूर्ण विश्व के पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, शांति कार्यकर्ता एवं मानवाधिकार अधिवक्ता शामिल हैं।
    • ‘द एल्डर्स ग्रुप’ में वर्तमान में 12 सक्रिय सदस्य हैं।
      • 10 पूर्ण सदस्य एवं 2 उप-अध्यक्ष हैं।

नरसंहार क्या है?

  • नरसंहार के अपराध की रोकथाम एवं दंड पर वर्ष 1948 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार, नरसंहार किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूर्णतः या आंशिक रूप से नष्ट करने के उद्देश्य से किया गया कोई भी कार्य है, जिसमें शामिल हैं:
    • समूह के सदस्यों की हत्या करना।
    • गंभीर शारीरिक या मानसिक क्षति पहुँचाना।
    • जानबूझकर शारीरिक शोषण के उद्देश्य से रहने की स्थिति उत्पन्न करना।
    • जन्म रोकने के उपाय लागू करना।
    • बच्चों को जबरन दूसरे समूह में स्थानांतरित करना।

गाजा पर किए गए अवलोकन

  • सहायता में बाधा: प्रतिनिधियों ने गाजा में, विशेष रूप से मिस्र के साथ रफा सीमा पार से, खाद्य एवं चिकित्सा सहायता में प्रवेश पर जानबूझकर लगाए गए इजरायली प्रतिबंधों की सूचना दी।
  • मानव: उन्होंने व्यापक अकाल, स्वास्थ्य सेवा की बदहाली एवं नवजात माताओं व शिशुओं में गंभीर कुपोषण पर प्रकाश डाला।
  • नागरिक हताहत: प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सहायता प्राप्त करने का प्रयास करते समय बच्चों सहित कई फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए।

द एल्डर्स द्वारा कार्रवाई का आह्वान

  • इजरायल एवं हमास के बीच तत्काल युद्धविराम।
  • गाजा में अभी भी बंधक बनाए गए सभी इजरायली बंधकों की रिहाई।
  • दीर्घकालिक शांति प्रयासों के एक भाग के रूप में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता।
  • इजराइल को हथियारों के हस्तांतरण पर रोक एवं प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर प्रतिबंध।
  • कानूनी एवं कूटनीतिक माध्यमों से कथित “अत्याचार अपराधों” को समाप्त करने के लिए इजराइल पर दबाव।

रेबीज

सर्वोच्च न्यायलय ने कुत्तों के काटने के कारण रेबीज से होने वाली मौतों में वृद्धि का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार को आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से बंद करने का आदेश दिया है।

रेबीज के बारे में

  • परिचय: रेबीज एक घातक जूनोटिक वायरल रोग है, जो रेबीज वायरस (Rabies Virus- RABV) के कारण होता है एवं मुख्य रूप से जानवरों के काटने या खरोंच से फैलता है।
    • एक बार नैदानिक लक्षण दिखाई देने पर, रेबीज हमेशा घातक होता है, जिससे रोकथाम महत्त्वपूर्ण हो जाती है।

कारण एवं संचरण

  • रेबीज कुत्तों, बिल्लियों, पशुओं, चमगादड़ों, रैकून, स्कंक एवं लोमड़ियों जैसे स्तनधारियों को संक्रमित करता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कुत्तों के काटने एवं खरोंचने से मनुष्यों में रेबीज के 99% मामले होते हैं।
  • रेबीज तब फैलता है जब संक्रमित लार खुले घावों या श्लेष्मा झिल्ली के संपर्क में आती है।
  • उपचार के बिना, यह रोग कोमा एवं मृत्यु का कारण बनता है।

टीकाकरण एवं रोकथाम

  • लक्षण दिखाई देने से पहले कोई WHO-अनुमोदित नैदानिक उपकरण मौजूद नहीं है।
  • टीकों के प्रकार
    • प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (Pre-Exposure Prophylaxis- PrEP): उच्च जोखिम वाले व्यवसायों एवं यात्रियों के लिए।
    • पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (Post-Exposure Prophylaxis- PEP): संदिग्ध एक्सपोजर के बाद, वायरस को तंत्रिका तंत्र में प्रवेश करने से रोकता है।
  • WHO द्वारा पूर्व-योग्य टीके: RABIVAX-S (सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया), VaxiRab N (जाइडस लाइफसाइंसेज), VERORAB (सनोफी पाश्चर)।
  • घाव को तुरंत साबुन एवं जल से धोना तथा समय पर टीकाकरण आवश्यक है।

भारत में रेबीज की स्थिति

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के निष्कर्ष: भारत में रेबीज स्थानिक है एवं वैश्विक रूप से रेबीज से होने वाली मौतों में से 36% यहीं होती हैं।
    • 5-14 वर्ष की आयु के बच्चे प्रायः इसके शिकार होते हैं।
  • रिपोर्ट किए गए मामले: वर्ष 2024 में, भारतीय संसद में 37 लाख से अधिक कुत्ते के काटने के मामले एवं 54 संदिग्ध मानव रेबीज मौतों की सूचना दी गई।
    • वर्ष 2025 के एक शोध अध्ययन में भारत में प्रतिवर्ष 5,726 मानव रेबीज मौतों का अनुमान लगाया गया है,
    • जो आधिकारिक आँकड़ों से कहीं अधिक है।

गौर (बोस गौरस)

झारखंड में गौर (बॉस गौरस-Bos gaurus) के आवास पलामू टाइगर रिजर्व में इनकी संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जो 1970 के दशक में 150 से घटकर मात्र 68 रह गई है।

गौर के बारे में

  • वैज्ञानिक नाम: बॉस गौरस
  • सामान्य नाम: इंडियन बाइसन, गौर।
  • आकार: सबसे लंबी जंगली मवेशी प्रजाति का सबसे बड़ा जीवित सदस्य।
  • रंग: गहरा भूरा से काला रंग।
  • संख्या: वैश्विक स्तर पर लगभग 13,000-30,000, जिसमें भारत में लगभग 85% संख्या निवास करती है।
  • नीलगिरी में जनसंख्या: लगभग 2,000 (वर्ष 2020 का अनुमान, नीलगिरी वन प्रभाग)।
  • भौगोलिक सीमा: दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में आवास, मुख्यतः भारत में।
  • आवास: सदाबहार एवं नम पर्णपाती वन।
  • खतरे: इसके अधिकांश क्षेत्र में आवास की हानि, अवैध शिकार एवं घरेलू मवेशियों से होने वाली बीमारियों, जैसे रिंडरपेस्ट तथा खुरपका-मुँहपका रोग, के प्रति संवेदनशीलता।
  • संरक्षण स्थिति
    • IUCN रेड लिस्ट: संवेदनशील।
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
    • CITES: परिशिष्ट-I

पलामू टाइगर रिजर्व के बारे में

  • अवस्थिति: झारखंड के लातेहार जिले के पश्चिमी भाग में, छोटानागपुर पठार में अवस्थित।
  • स्थिति: वर्ष 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बनाए गए पहले नौ बाघ अभयारण्यों में से एक।
  • ऐतिहासिक उपलब्धि: J.W. निकोलसन के नेतृत्व में पगमार्क पद्धति (वर्ष 1932) का उपयोग करके बाघों की गणना करने वाला विश्व का पहला अभयारण्य।
  • नदियाँ: उत्तरी कोयल, औरंगा एवं बुरहा नदियों का जलग्रहण क्षेत्र,  बुरहा इस सूखाग्रस्त क्षेत्र की एकमात्र बारहमासी नदी है।
  • भूविज्ञान: मुख्यतः नीस, ग्रेनाइट एवं चूना पत्थर द्वारा निर्मित; बॉक्साइट TTHA
  •  कोयले के भंडार से समृद्ध।
  • वनस्पतियाँ: आर्द्र एवं शुष्क पर्णपाती वन, जिनमें साल तथा बाँस प्रमुख वनस्पति हैं।
  • जीव: प्रमुख प्रजातियों में बाघ, एशियाई हाथी, तेंदुआ, भूरा भेड़िया, जंगली कुत्ता, गौर, भालू एवं मृग शामिल हैं।

बिटकॉइन ने नया रिकॉर्ड बनाया

अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती एवं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में क्रिप्टो-अनुकूल सुधारों की संभावना के चलते, बिटकॉइन हाल ही में $124,002.49 के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।

बिटकॉइन क्या है?

  • बिटकॉइन एक विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी है, जो बिना किसी मध्यस्थ के ब्लॉकचेन आधारित ‘पीयर-टू-पीयर’ लेन-देन को सक्षम बनाती है।

क्रिप्टोकरेंसी

  • क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल या आभासी मुद्राएँ हैं, जो सुरक्षा के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती हैं।
  • ये ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर कार्य करती हैं, जो कंप्यूटरों (नोड्स) के एक नेटवर्क द्वारा संचालित एक ‘डिस्ट्रीब्यूटेड अकाउंट’ है।

क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार

  • भुगतान क्रिप्टोकरेंसी: बिना किसी बिचौलिए के ‘पीयर-टू-पीयर’ लेन-देन के लिए डिजाइन की गई। उदाहरण: बिटकॉइन, लाइटकॉइन, बिटकॉइन कैश।
  • स्टेबलकॉइन: अस्थिरता को कम करने के लिए फिएट करेंसी जैसी संपत्तियों से जुड़े होते हैं। उदाहरण: USD कॉइन, टीथर।
  • यूटिलिटी टोकन: किसी उत्पाद या सेवा तक पहुँच प्रदान करते हैं। उदाहरण: फाइलकॉइन (क्लाउड स्टोरेज), चेनलिंक (स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट)।
  • सिक्योरिटी टोकन: स्टॉक या बॉण्ड जैसी निवेश संपत्तियों का डिजिटल प्रतिनिधित्व।
  • सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDCs): केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी फिएट करेंसी के डिजिटल संस्करण। उदाहरण: eRupi, eCNY, डिजिटल युआन।

फेड रिजर्व दर में कटौती के बारे में

फेडरल रिजर्व दर में कटौती, अमेरिकी केंद्रीय बैंक की बेंचमार्क ब्याज दर में कटौती है, जिसका उद्देश्य उधार लागत को कम करके आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है।

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