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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 19, 2025 04:00 5 0

ग्लाइफोसेट (Glyphosate)

 

मध्य प्रदेश के धार जिले में अनधिकृत ग्लाइफोसेट (Glyphosate) प्रतिरोधी कपास के बीजों का उपयोग किया जा रहा है, जबकि भारत में खेती के लिए इन्हें कानूनी रूप से मंजूरी नहीं मिली है।

ग्लाइफोसेट के बारे में

  • यह एक शाकनाशी है, जिसका उपयोग खरपतवारों एवं घासों को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
  • ग्लाइफोसेट के सोडियम लवण रूप का उपयोग पौधों की वृद्धि को नियंत्रित करने और विशिष्ट फसलों को पकाने के लिए किया जाता है।
  • उत्पत्ति: वर्ष 1970 में तैयार किया गया था।
  • रासायनिक नाम: N-(फॉस्फोनोमेथिल) ग्लाइसिन (IUPAC)।
  • क्रिया विधि: एक आवश्यक पादप एंजाइम (EPSPS) को अवरुद्ध करता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है।
  • भारत में उपयोग: इसे केवल चाय बागानों एवं चाय की फसल के साथ संबद्ध गैर-बागान क्षेत्रों में उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है।
  • अनुप्रयोग
    • ग्लाइफोसेट प्रतिरोधी (राउंड-अप रेडी) के रूप में तैयार की गई जीएम फसलें, फसलों को नुकसान पहुँचाए बिना सुरक्षित अनुप्रयोग की अनुमति देती हैं।
    • गैर-कृषि क्षेत्र: वनस्पति नियंत्रण के लिए सड़कों के किनारे, औद्योगिक स्थलों, लॉन में लगाया जाता है।

भारत में GM कपास की अनुमति

  • मोनसेंटो द्वारा विकसित बोलगार्ड I (BG I) एवं बोलगार्ड II (BG II), पिंक बॉलवर्म के प्रति प्रतिरोधी हैं।

कपास की फसल के बारे में

  • उष्णकटिबंधीय फसल: कपास एक उष्णकटिबंधीय फसल है, जो मुख्यतः भारत के अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में उगाई जाती है।
  • तापमान एवं वर्षा: यह 21°C से 30°C के तापमान में पनपती है एवं इसे 50-75 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
  • मिट्टी के प्रकार: कपास विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न मिट्टियों में पनपती है:-
    • उत्तरी भारत में अच्छी जल निकासी वाली, गहन जलोढ़ मिट्टी
    • मध्य भारत में अलग-अलग गहनता वाली काली चिकनी मिट्टी
    • दक्षिणी भारत में मिश्रित काली एवं लाल मिट्टी।
  • संवेदनशीलता: यह फसल लवणता के प्रति कुछ सहनशीलता दर्शाती है, लेकिन जलभराव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती है, जिससे अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी आवश्यक हो जाती है।
  • भारत कपास उत्पादन में दूसरे स्थान पर है, जिसका अनुमानित उत्पादन वर्ष 2023-24 में 323.47 लाख गाँठ (5.84 MMT) है, जो विश्व कपास उत्पादन का 23.83% है।
  • भारत में प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र
    • उत्तरी क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान
    • मध्य क्षेत्र: गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश
    • दक्षिणी क्षेत्र: तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक।

स्लाइनेक्स-25 (SLINEX-25)

भारतीय नौसेना के जहाज श्रीलंका-भारत नौसैनिक अभ्यास स्लाइनेक्स-25 (SLINEX-25) के 12वें संस्करण में भाग लेने के लिए कोलंबो पहुँचे।

स्लाइनेक्स-25 (SLINEX-25) के बारे में

  • उत्पत्ति: वर्ष 2005 में भारत एवं श्रीलंका के बीच एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में इसकी संकल्पना की गई थी।
  • उद्देश्य: बहुआयामी समुद्री अभियानों को संयुक्त रूप से संचालित करते हुए अंतर-संचालन क्षमता, समुद्री सहयोग एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ाना।
  • अभ्यास संरचना: दो चरणों में आयोजित किया जाता है:- बंदरगाह चरण एवं समुद्री चरण
  • पूर्व संस्करण: दिसंबर 2024 में भारत के विशाखापत्तनम में आयोजित किया गया था।
  • नौसैनिक बेड़े
    • भारतीय नौसेना: INS राणा (निर्देशित मिसाइल विध्वंसक) एवं INS ज्योति (बेड़ा टैंकर)।
    • श्रीलंकाई नौसेना: SLNS गजबाहु एवं विजयबाहु (दोनों उन्नत अपतटीय गश्ती पोत)।
    • दोनों नौसेनाओं के विशेष बलों ने भी भाग लिया।

श्रीलंका के साथ भारत का अन्य अभ्यास: अभ्यास मित्र शक्ति।

पड़ोसी देशों के साथ अन्य प्रमुख संयुक्त अभ्यास

  • बांग्लादेश: अभ्यास संप्रीति
  • नेपाल: अभ्यास सूर्य किरण
  • म्याँमार: IMBEX
  • थाईलैंड: अभ्यास मैत्री (MAITREE)
  • मालदीव: अभ्यास एकुवेरिन।

डीप-सी ड्राइव (Deep-Sea Dive)

दो भारतीय जलयात्री राजू रमेश एवं कमांडर जतिंदर पाल सिंह (सेवानिवृत्त), ने अटलांटिक महासागर में क्रमशः 4,025 मीटर तथा 5,002 मीटर की गहराई तक गोता लगाकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जो भारत का अब तक का सबसे गहरा समुद्री अभियान था।

संबंधित तथ्य

  • महत्त्व: भारत गहरे समुद्र में अन्वेषण क्षमता वाले छह से भी कम देशों में शामिल हो गया है।
  • साझेदारी: IFREMER (फ्राँस का समुद्री अनुसंधान संस्थान) के सहयोग से फ्राँसीसी पनडुब्बी नॉटाइल का उपयोग करके गोता लगाया गया।
    • भारतीय प्रतिनिधित्व: चेन्नई स्थित पाँच सदस्यीय राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology- NIOT)
  • व्यवहार्यता कदम: इस उपलब्धि को भारत के समुद्रयान मिशन की प्रस्तावना के रूप में देखा जा रहा है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2027 तक मत्स्य (MATSYA)-6000 में तीन जलयात्रियों को 6,000 मीटर की गहराई तक भेजना है।

समुद्रयान मिशन

  • मिशन का फोकस: भारत के गहरे समुद्र मिशन का एक हिस्सा, जिसका उद्देश्य समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग करना है।
    • बहुधात्विक खनिजों (मैंगनीज, निकल, तांबा, कोबाल्ट) का अन्वेषण करना।
  • भू-रणनीतिक संदर्भ: भारत की 11,098 किलोमीटर लंबी तटरेखा एवं विशाल अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) ब्लू इकोनॉमी के लिए प्रमुख अवसर प्रदान करते हैं।

मत्स्य (MATSYA)-6000

  • डिजाइन: चौथी पीढ़ी का पनडुब्बी, 12 घंटे की सहनशक्ति एवं 96 घंटे की आपातकालीन उत्तरजीविता क्षमता के साथ।
  • विशेषताएँ
    • उच्च-घनत्व वाली Li-Po बैटरी।
    • आपातकालीन बचाव प्रणालियाँ।
  • परीक्षण: पूर्ण किए गए गीले परीक्षण (वर्ष 2025 में, L&T शिपयार्ड, तमिलनाडु)।

डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission- DOM) के बारे में

  • उद्देश्य: गहरे समुद्रों का अन्वेषण, समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग हेतु प्रौद्योगिकियों का विकास एवं जलवायु परिवर्तन एवं प्रदूषण से निपटने हेतु भारत सरकार की पहल।
  • नोडल मंत्रालय: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES)।
  • डीप ओशन मिशन के घटक
    • डीप-सी खनन एवं मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास
    • महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास
    • डीप-सी जैव विविधता के अन्वेषण एवं संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार
    • डीप ओशन सर्वेक्षण एवं अन्वेषण
    • महासागर से ऊर्जा एवं मीठा जल
    • महासागर जीव विज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन।

SN 2023zkd: एक नया सुपरनोवा 

खगोलविदों ने एक नए प्रकार के सुपरनोवा (SN 2023zkd) की खोज की है, जो तब देखा गया जब एक विशाल तारा, जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पास के ब्लैक होल से अंतर्संबंधित था, ने ब्लैक होल को अपने अंदर खींचने की कोशिश की।

संबंधित तथ्य

  • सुपरनोवा का नाम: SN 2023zkd सुपरनोवा 
  • स्थान: पृथ्वी से 730 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित अंतरिक्ष में।
  • AI पहचान: वास्तविक समय में असामान्य विस्फोटों की स्कैनिंग करने वाले एक AI एल्गोरिथम द्वारा पहली बार देखा गया।
  • तारकीय प्रणाली: इसमें लगभग 10 सौर द्रव्यमान का एक तारा शामिल था, जो समान द्रव्यमान के एक ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहा था।

सुपरनोवा घटना

  • अंतःक्रिया: जैसे ही वे निकट आए, तारे ने ब्लैक होल को अपनी तरफ खींचने का प्रयास किया, जबकि ब्लैक होल ने तारकीय पदार्थ को अवशोषित लिया, जिससे विस्फोट हो गया।
  • वैकल्पिक परिदृश्य: संभवतः ब्लैक होल ने प्राकृतिक विस्फोट से पूर्व तारे को विखंडित कर दिया होगा, तथा मलबे को निगल लिया होगा; इसके बाद सुपरनोवा उत्सर्जन, आस-पास की गैस से टकराने वाले मलबे से उत्पन्न हुआ होगा।
  • परिणाम: दोनों परिदृश्यों से एक एकल, अधिक विशाल ब्लैक होल का निर्माण हुआ।

सुपर नोवा क्या है?

  • सुपरनोवा एक शक्तिशाली विस्फोट है, जो तब होता है, जब किसी तारे का ईंधन समाप्त हो जाता है एवं वह ढह जाता है, जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा तथा प्रकाश निकलता है।

कावेरी वन्यजीव अभयारण्य

हाल ही में कर्नाटक के कावेरी वन्यजीव अभयारण्य (Cauvery Wildlife Sanctuary- CWS) में लगभग 10 दिन के दो बाघ शावक मृत पाए गए।

कावेरी वन्यजीव अभयारण्य (CWS) के बारे में

  • स्थापना: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत वर्ष 1987 में संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया।
  • स्थान: कावेरी नदी के किनारे स्थित, यह कर्नाटक के मांड्या, चामराजनगर एवं रामनगर जिलों में फैला हुआ है।
  • महत्त्व: बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान, बिलिगिरी रंगास्वामी मंदिर (BRT) वन्यजीव अभयारण्य एवं मलाई महादेश्वर वन्यजीव अभयारण्य को जोड़ने वाले वन्यजीव गलियारे के रूप में कार्य करता है।
  • धर्मपुरी वन, तमिलनाडु (कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य) के साथ सीमा साझा करता है।
  • जलवायु: अर्द्ध-शुष्क, दक्षिण-पश्चिम एवं उत्तर-पूर्वी मानसून दोनों से वर्षा होती है।
  • वनस्पति: शुष्क पर्णपाती एवं काँटेदार वन, नदी तटवर्ती क्षेत्र तथा सदाबहार शोल।
  • वनस्पति: टर्मिनलिया अर्जुन, सिजीगियम क्यूमिनी, हार्डविकिया बिनाटा, अल्बिजिया अमारा, टैमारिंडस इंडिका।
  • जीव-जंतु
    • प्रमुख प्रजातियाँ: बाघ, एशियाई हाथी, तेंदुआ, ढोल, स्लोथ बियर।
    • अन्य प्रजातियाँ: साँभर, चित्तीदार हिरण, बार्किंग डियर, जंगली सूअर, शेवरोटेन, मकॉक, भूरे रंग की बड़ी गिलहरी, चिकने बालों वाला ऊदबिलाव, हंप बैक्ड महासीर (मछली)।
    • पक्षी-जीव: 280 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ, जिनमें सफेद पूँछ वाला गिद्ध, नीलगिरि वुड पिजन एवं यलो थ्रोटेड बुलबुल शामिल हैं।

डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान (DSNP) 

डिब्रू-सैखोवा में भूमि उपयोग और भूमि आवरण (Land Use and Land Cover- LULC) परिवर्तनों का विश्लेषण करते हुए “ग्रासलैंड्स इन फ्लक्स” नामक एक अध्ययन, अर्थ साइंस पर एक अंतरराष्ट्रीय, समकक्ष-समीक्षित पत्रिका “अर्थ” में प्रकाशित हुआ था।

अध्ययन के मुख्य अंश

  • पारिस्थितिकी परिवर्तन
    • स्थानीय आक्रमणकारी: बॉम्बैक्स सीबा (सिमालु) एवं लेगरस्ट्रोमिया स्पेशिओसा (अजार) घास के मैदानों की संरचना को बदल रहे हैं।
    • आक्रामक प्रजातियाँ: क्रोमोलेना ओडोराटा, एगेरेटम कोनीजोइड्स (झाड़ियाँ), पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस (जड़ी-बूटी), मिकानिया माइक्रांथा (क्लाइंबर)।
    • परिवर्तन के कारण
      • ब्रह्मपुत्र नदी में बार-बार आने वाली बाढ़।
      • मानवजनित दबाव (पार्क के अंदर मानव बस्तियाँ)।
  • भूमि उपयोग एवं भूमि आवरण (LULC) परिवर्तन (2000-2024)
    • झाड़ीदार भूमि एवं क्षीण वनों में परिवर्तन के कारण घास के मैदानों की संख्या 28.78% (2000) से घट गई।
    • झाड़ीयुक्त क्षेत्र का विस्तार हुआ (वर्ष 2013 तक 81.31 वर्ग किमी.)।
    • वनों के क्षरण में वृद्धि हुई है (वर्ष 2024 तक 80.52 वर्ग किमी.)।
    • खतरे: जैव विविधता का ह्रास, कार्बन भंडारण में कमी, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।
  • वन्यजीवों पर प्रभाव
    • प्रभावित लुप्तप्राय प्रजातियाँ
      • बंगाल फ्लोरिकन (हौबारोप्सिस बेंगालेंसिस)।
      • हॉग डियर (एक्सिस पोर्सिनस)।
      • स्वैम्प ग्रास बैबलर (प्रिनिया सिनेरसेंस)।
    • जंगली घोड़ों (लगभग 200) के आवास नष्ट हो रहे हैं।
  • संरक्षण संबंधी सुझाव
    • चरागाह पुनरुद्धार परियोजना (आक्रामक प्रजातियों पर नियंत्रण, निगरानी में सुधार)।
    • मानव दबाव कम करने के लिए वन ग्रामों का स्थानांतरण।
    • समुदाय-आधारित संरक्षण एवं बेहतर स्टाफिंग।

डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान (Dibru-Saikhowa National Park- DSNP) के बारे में

  • स्थान: पूर्वी असम, ब्रह्मपुत्र नदी (उत्तर) एवं डिब्रू नदी (दक्षिण) के बीच, डिब्रूगढ़ एवं तिनसुकिया जिलों में फैला हुआ।
  • स्थिति: वर्ष 1995 में वन्यजीव अभयारण्य, वर्ष 1997 में यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व एवं वर्ष 1999 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
  • क्षेत्रफल: 765 वर्ग किमी., जिसमें 340 वर्ग किमी. का मुख्य क्षेत्र एवं 425 वर्ग किमी. का बफर जोन शामिल है।
  • विशिष्ट विशेषता: भारत में जंगली घोड़ों का एकमात्र आवास स्थान है।
  • जलवायु: इसमें मुख्यतः नम मिश्रित अर्द्ध-सदाबहार वन, नम मिश्रित पर्णपाती वन, गन्ने एवं घास के मैदान शामिल हैं।
  • विशिष्ट निवास स्थान: पूर्वोत्तर भारत में सबसे बड़ा सैलिक्स दलदली वन (Salix Swamp Forest) है।
  • जीव-जंतु: दुर्लभ सफेद पंखों वाली बत्तख का आवास स्थान, साथ ही वाटर बफैलो, ब्लैक ब्रेस्टेड पैरटबिल (black-breasted parrotbill), बाघ एवं कैप्ड लंगूर जैसे अन्य दुर्लभ जीवों का भी आवास स्थान है।

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