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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 22, 2025 04:20 8 0

‘अग्नि 5’ इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल

 

भारत ने ओडिशा के APJ अब्दुल कलाम द्वीप से अग्नि-5 इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (Intermediate Range Ballistic Missile- IRBM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

‘अग्नि 5’ इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल के बारे में

  • सीमा: 5,000 किमी. से अधिक (पूरे एशिया, यूरोप एवं अफ्रीका के कुछ हिस्सों को कवर करती है)
  • चरण: तीन-चरणीय, ठोस-ईंधन मिसाइल।
  • मार्गदर्शन: रिंग लेजर गायरो-बेस्ड इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (Ring Laser Gyro-based Inertial Navigation System- RINS) एवं माइक्रो इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (Micro Inertial Navigation System- MINS) का उपयोग करके उच्च सटीकता के साथ उन्नत नेविगेशन तथा मार्गदर्शन प्रणालियों से लैस।
  • प्रक्षेपण प्लेटफॉर्म: सड़क एवं ‘रेल-मोबाइल’ लॉन्चर, जो उत्तरजीविता को बढ़ाते हैं।
  • युद्धक क्षमता: परमाणु या पारंपरिक पेलोड (~1.5 टन) ले जा सकता है।
  • प्रौद्योगिकी: तीव्र तैनाती एवं उच्च गतिशीलता के लिए मिश्रित सामग्री वाले एयरफ्रेम, कैनिस्टर लॉन्च सिस्टम को शामिल किया गया है।
    • कैनिस्टराइज्ड लॉन्च सिस्टम एक मिसाइल लॉन्च तंत्र है, जिसमें मिसाइल को ‘रोड-मोबाइल या रेल-मोबाइल’ लॉन्चर पर लगे एक सीलबंद कैनिस्टर से सीधे संगृहीत, परिवहन एवं दागा जाता है।
  • महत्त्व
    • रणनीतिक निवारण: यह परमाणु त्रय के तहत अपनी रणनीतिक निवारण क्षमता को मजबूत करने एवं नो फर्स्ट यूज (No First Use- NFU) नीति के ढाँचे के भीतर एक विश्वसनीय न्यूनतम निवारण क्षमता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने के भारत के प्रयास का हिस्सा है।
    • द्वितीय-आक्रमण क्षमता: भारत के परमाणु सिद्धांत की उत्तरजीविता एवं विश्वसनीयता को बढ़ाती है।
    • स्वदेशी तकनीक: एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के अंतर्गत मिसाइल तकनीक में DRDO की आत्मनिर्भरता को दर्शाती है।
    • भू-राजनीतिक संकेत: भारत को तुलनात्मक IRBM/ICBM क्षमता वाले चुनिंदा देशों (अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्राँस) के समूह में स्थान देता है।

भारत, EAEU ने टर्म्स ऑफ रिफरेन्स  (ToR) पर हस्ताक्षर किए

भारत एवं यूरेशियन आर्थिक संघ (Eurasian Economic Union- EAEU) ने मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement- FTA) पर वार्ता शुरू करने के लिए टर्म्स ऑफ रिफरेन्स  (Terms of Reference- ToR) पर हस्ताक्षर किए हैं।

संबंधित तथ्य

  • भारत एवं EAEU के मध्य व्यापार कारोबार वर्ष 2024 में 69 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो वर्ष 2023 की तुलना में 7% अधिक है।
  • भारत EAEU का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद – 6.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर।

यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) के बारे में

  • प्रकृति: एक अंतरराष्ट्रीय संगठन, जो पूर्व सोवियत राज्यों के बीच क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देता है।
  • स्थापना: 29 मई, 2014 को हस्ताक्षरित यूरेशियन आर्थिक संघ संधि के माध्यम से निर्मित, एवं आधिकारिक तौर पर 1 जनवरी, 2015 को लागू हुआ।
  • सदस्यता: पाँच देश संघ का हिस्सा हैं – रूस, बेलारूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान एवं आर्मेनिया।

संस्थागत संरचना

  • यूरेशियन आर्थिक आयोग (Eurasian Economic Commission- EEC)
    • प्रकृति: संघ का स्थायी नियामक निकाय।
    • भूमिका: EAEU के कामकाज एवं विकास की देख-रेख।
    • अध्यक्षता: सदस्य देशों के बीच प्रतिवर्ष बारी-बारी से, प्रत्येक वर्ष एक देश संघ का अध्यक्ष होता है।
    • वर्तमान अध्यक्ष: कजाखस्तान से बकीत्जान सागिनतायेव (Bakytzhan Sagintayev)।
  • यूरेशियन आर्थिक संघ का न्यायालय: विवाद समाधान का कार्य करता है एवं EAEU के कानूनी ढाँचे की व्याख्या करता है।
  • EAEU का सीमा शुल्क संघ: सदस्य देशों के बीच एक सीमा शुल्क संघ।

मुक्त व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements- FTAs) के बारे में

  • परिभाषा: FTA दो या दो से अधिक देशों के बीच की व्यवस्थाएँ हैं, जिनका उद्देश्य टैरिफ, कोटा एवं आयात/निर्यात प्रतिबंधों जैसी व्यापार बाधाओं को कम करना या समाप्त करना है।
  • ये टैरिफ में कटौती एवं गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करके तरजीही बाजार (Preferential Market) पहुँच प्रदान करते हैं।

भारत के प्रमुख व्यापार समझौते

  • भारत-आसियान FTA
  • भारत-दक्षिण कोरिया व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (Comprehensive Economic Partnership Agreement- CEPA)
  • भारत-जापान CEPA
  • भारत-श्रीलंका FTA
  • भारत-UAE CEPA

टर्म्स ऑफ रिफरेन्स (ToR) औपचारिक ढाँचे या मार्गदर्शक दस्तावेज को संदर्भित करती हैं, जो वार्ता का दायरा, उद्देश्य, समय-सीमा आदि निर्धारित करती हैं।

“अन्न-चक्र” आपूर्ति शृंखला

हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System- PDS) के अंतर्गत “अन्न-चक्र” आपूर्ति शृंखला अनुकूलन उपकरण के कार्यान्वयन के बारे में राज्यसभा को जानकारी दी।

अन्न चक्र के बारे में

  • पहल: खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा विश्व खाद्य कार्यक्रम एवं IIT-दिल्ली स्थित नवाचार एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण फाउंडेशन (FITT) के साथ मिलकर PDS लॉजिस्टिक्स को अनुकूलित करने हेतु शुरू की गई।
  • उद्देश्य: खाद्यान्नों की तेज, लागत-प्रभावी एवं पर्यावरण-अनुकूल आवाजाही सुनिश्चित करते हुए, इष्टतम मार्गों की पहचान हेतु उन्नत एल्गोरिदम का उपयोग करना।
  • पैमाना: देश भर में 4.37 लाख उचित मूल्य की दुकानों एवं लगभग 6,700 गोदामों को शामिल करते हुए 81 करोड़ लाभार्थियों को सम्मिलित करता है।
  • प्रभाव: 30 राज्यों में मार्ग अनुकूलन, जिससे सालाना लगभग ₹250 करोड़ की बचत होगी।
  • एकीकरण: यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (Unified Logistics Interface Platform- ULIP) के माध्यम से रेलवे के फ्रेट ऑपरेशंस इनफॉरमेशन सिस्टम (FOIS) पोर्टल से जुड़ा एवं PM गति शक्ति प्लेटफॉर्म में एकीकृत, FPSs एवं गोदामों का मानचित्रण।
  • लाभ: डिलीवरी की गति में सुधार, ईंधन की खपत में कमी, लाजिस्टिक लागत में कमी, तथा कार्बन उत्सर्जन में कटौती।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के बारे में

  • PDS भारत की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था है, जिसे खाद्यान्न की कमी से निपटने के लिए रियायती कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • कानूनी ढाँचा: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), वर्ष 2013 के तहत कार्य करता है, जो लगभग दो-तिहाई आबादी (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार) को कवर करता है।
  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित।

PM गति शक्ति

  • बहु-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान, जिसे बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देने एवं भारत के विनिर्माण क्षेत्र को प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त देने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • उद्देश्य: बुनियादी ढाँचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना एवं समन्वित क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
  • सहयोग: भारत सरकार के 16 मंत्रालयों एवं विभागों को एक एकीकृत प्लेटफॉर्म  पर लाता है।

स्यूडोमोनास एरुगिनोसा

शोधकर्ताओं ने अब यह पहचान की है कि जीवाणु स्यूडोमोनास एरुगिनोसा में एक जीन बाईस्टेबल एक्सप्रेशन (Bistable Expression) प्रदर्शित करता है, जिससे इस बारे में नई जानकारी मिलती है कि यह इतना विषैला क्यों है?

स्यूडोमोनास एरुगिनोसा के बारे में

  • प्रकृति: एक ग्राम-नेगेटिव, वायवीय, बीजाणु-रहित जीवाणु है, जो मृदा एवं जल में पाया जाता है, अत्यधिक अनुकूलनीय तथा एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होता है।
  • रोगजनकता: एक अवसरजन्य (Opportunistic) रोगजनक के रूप में कार्य करता है, जो जलने से पीड़ित व्यक्तियों, प्रतिरक्षाविहीन व्यक्तियों एवं दीर्घकालिक फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त रोगियों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है।
  • संक्रमण: निमोनिया, मूत्रमार्ग के संक्रमण, रक्तप्रवाह के संक्रमण, केराटाइटिस (आँखों का संक्रमण), एवं शल्य चिकित्सा के बाद या जलने के घाव के संक्रमण के लिए जिम्मेदार।
  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध: कई स्ट्रेन मल्टीड्रग रेसिस्टेंट (Multidrug-Resistant- MDR) हैं, जिससे उपचार मुश्किल हो जाता है; विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा नए एंटीबायोटिक विकास के लिए एक प्राथमिक रोगजनक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • उच्च जोखिम वाले समूह: अस्पताल में भर्ती मरीज, खासकर वे जो वेंटिलेटर, कैथेटर पर हैं। या उनके शरीर पर खुले घाव है। 
  • संचरण: संक्रमण दूषित सतहों, जल, मृदा या सीधे संपर्क के जरिए फैलता है।

बाईस्टेबल एक्सप्रेशन (Bistable Expression)  क्या है?

  • बाईस्टेबल एक्सप्रेशन (Bistable Expression) एक जैविक या आनुवंशिक प्रणाली को संदर्भित करती है, जिसमें एक कोशिका क्रमिक या मध्यवर्ती प्रतिक्रिया दिखाने के बजाय जीन एक्सप्रेशन की दो अलग-अलग अवस्थाओं (चालू या बंद) में स्थिर रूप से मौजूद रह सकती है।

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम (NICDC)

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम (National Industrial Corridor Development Corporation- NICDC) हिसार में एक एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर (Integrated Manufacturing Cluster- IMC) विकसित करने में हरियाणा सरकार का सहयोग करेगा।

  • IMC हिसार, अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है।

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम (NICDC) के बारे में

  • उत्पत्ति: दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (DMIC) से आरंभ, DMICDC लिमिटेड की स्थापना वर्ष 2008 में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के DPIIT के अंतर्गत एक स्पेशल पर्पज व्हीकल (Special Purpose Vehicle) के रूप में की गई थी।
  • पुनर्गठन: वर्ष 2016 में, DMIC ट्रस्ट का विस्तार NICDIT में किया गया, बाद में वर्ष 2020 में, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम के अंतर्गत DMICDC का नाम बदलकर NICDC  लिमिटेड कर दिया गया।
  • अधिदेश: राज्य सरकारों को सहयोग देते हुए, निवेश क्षेत्रों, औद्योगिक क्षेत्रों, नोड्स, क्लस्टरों, आर्थिक क्षेत्रों एवं टाउनशिप सहित औद्योगिक गलियारों का विकास करना।
  • कार्य: मास्टर प्लान, व्यवहार्यता अध्ययन, DPRs तैयार करना, वित्तीय साधनों, ऋणों, संसाधन जुटाने एवं ऋण योजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाना।

अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा (AKIC) के बारे में

  • क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में विस्तृत।
  • विस्तार: अमृतसर (पंजाब) से दानकुनी (पश्चिम बंगाल) तक।
  • आधार: ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) द्वारा संचालित, जो इस गलियारे के लिए ‘प्राथमिक लाजिस्टिक’ एवं संपर्क सहायता के रूप में कार्य करता है।
  • संपर्क लाभ: प्रयागराज से हल्दिया तक विस्तृत राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के साथ अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) प्रणाली का लाभ उठाकर लाजिस्टिक में सुधार एवं परिवहन लागत को कम किया जाएगा।

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारे – 11 गलियारे ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ का निर्माण करते हैं।

नए आपदा प्रबंधन तकनीकी प्लेटफॉर्म का शुभारंभ

हाल ही में भारत सरकार ने आपदा तैयारी एवं प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करने के लिए तीन नई प्रमुख पहल शुरू की हैं।

आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए एकीकृत नियंत्रण कक्ष (Integrated Control Room for Emergency Response- ICR-ER)

  • कार्य: लगभग रियल टाइम की जानकारी, रणनीतिक निगरानी, ​​स्थितिजन्य जागरूकता एवं निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।
  • सहायता प्रणाली: ISRO-NRSC द्वारा विकसित राष्ट्रीय आपातकालीन प्रबंधन डेटाबेस (National Database for Emergency Management- NDEM) 5.0 द्वारा संचालित।
  • एकीकरण: रियल टाइम पूर्वानुमान डेटा ट्रांसमिशन के लिए API का उपयोग करता है।
  • उपयोगिता: राहत कार्यों, क्षति आकलन एवं आपदा जोखिम विश्लेषण में सहायता करता है।
  • संचालन: 24×7 कार्य करता है, राज्य एवं केंद्रीय एजेंसियों के साथ प्रतिक्रियाओं का समन्वय करता है।

NDEM लाइट 2.0 ऐप

  • प्रकृति: ISRO-NRSC द्वारा राष्ट्रीय आपातकालीन डेटाबेस ऐप का एक लाइट संस्करण।
  • उद्देश्य: रियल टाइम के कार्यों में जमीनी स्तर के आपदा प्रबंधन अधिकारियों की सहायता करता है।
  • विशेषताएँ: त्वरित प्रतिक्रिया के लिए अधिकारियों को आपदा-विशिष्ट अलर्ट प्रदान करता है।

असम बाढ़ जोखिम क्षेत्रीकरण एटलस

  • विकास: असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Assam State Disaster Management Authority- ASDMA) एवं ISRO-NRSC द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित।
  • उद्देश्य: बाढ़ शमन हेतु एक नियोजन उपकरण के रूप में कार्य करता है।
  • अनुप्रयोग: बाढ़ क्षेत्र विकास, फसल बीमा, बाढ़ नियंत्रण नियोजन एवं राहत केंद्र स्थापना के विनियमन में सहायता करता है।

राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) के बारे में

  • संस्था: अंतरिक्ष विभाग (DoS) के अंतर्गत ISRO का एक प्रमुख केंद्र।
  • अधिदेश
    • उपग्रह डेटा प्राप्ति एवं प्रसंस्करण के लिए भू-केंद्र स्थापित करना।
    • उपग्रह डेटा उत्पादों का निर्माण एवं उपयोगकर्ताओं तक उनका प्रसार करना।
    • आपदा प्रबंधन सहायता सहित विविध क्षेत्रों के लिए सुदूर संवेदन अनुप्रयोगों का विकास करना।

नाइजीरिया

उत्तर-पश्चिम नाइजीरिया के कटसीना राज्य में एक मस्जिद एवं आस-पास के घरों पर हथियार बंद लोगों द्वारा किए गए हमले में मरने वालों की संख्या लगभग 50 हो गई है।

नाइजीरिया के बारे में

  • स्थिति: अफ्रीका के पश्चिमी तट पर स्थित, जिसे अक्सर “जायंट ऑफ अफ्रीका” कहा जाता है।
    • पृथ्वी के उत्तरी एवं पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित।
  • सीमाएँ: नाइजर (उत्तर), चाड एवं कैमरून (पूर्व), बेनिन (पश्चिम), तथा गिनी की खाड़ी (दक्षिण)।
  • जनसंख्या: अफ्रीका का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश।
  • संसाधन: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस से समृद्ध।
    • नाइजीरिया महाद्वीप का सबसे बड़ा तेल एवं गैस उत्पादक देश है।

भौगोलिक विशेषताएँ

  • पर्वत: माउंट डिमलांग, कैमरूनियन हाइलैंड्स।
  • सर्वोच्च  बिंदु: चप्पल वाड्डी (Chappal Waddi) (जिसे ” माउंटेन ऑफ डेथ” भी कहा जाता है)।
  • प्रमुख नदियाँ: नाइजर एवं बेन्यू, जहाँ नाइजर एक डेल्टा बनाती है एवं गिनी की खाड़ी में गिरती है।
  • प्रमुख झीलें: चाड झील, जो चाड, नाइजर एवं कैमरून के साथ साझा की जाने वाली एक मीठे जल की झील है।
  • जलवायु: उत्तर में शुष्क से लेकर दक्षिण में आर्द्र भूमध्यरेखीय तक।
  • वनस्पतियाँ: इसमें वर्षावन, दलदल एवं सवाना घास के मैदान शामिल हैं।

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