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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 01, 2025 03:00 33 0

गुरु तेग बहादुर 

(Guru Tegh Bahadur)

भारतीय रेलवे नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में, विशेष रूप से युवा पीढ़ी के मध्य उनकी शिक्षाओं और बलिदानों के बारे में जागरूकता हेतु कार्यक्रम आयोजित करेगा।

गुरु तेग बहादुर जी के बारे में

  • नौवें सिख गुरु: गुरु तेग बहादुर जी (वर्ष 1621-1675) नौवें सिख गुरु थे, उन्हें अपनी आध्यात्मिक समझ और न्याय की रक्षा के लिए याद किए जाते हैं।
  • जन्म: 1 अप्रैल, 1621 को अमृतसर, पंजाब में जन्म हुआ; गुरु हरगोबिंद (छठे गुरु) और माता नानकी के सबसे छोटे पुत्र थे।
  • प्रारंभिक नाम और शिक्षा: मूल नाम त्याग मल था; गुरु हरगोबिंद से युद्ध कला, तीरंदाजी, घुड़सवारी और आध्यात्मिक शिक्षा का प्रशिक्षण लिया।
  • ‘तेग बहादुर’: मुगल सेना (तेग = तलवार) के विरुद्ध युद्ध में वीरता प्रदर्शन के बाद अर्जित।
  • पुत्र: गोबिंद राय, जो बाद में गुरु गोबिंद सिंह के नाम से थे, 10वें सिख गुरु बने।
  • शिक्षाएँ और योगदान
    • उन्होंने सत्यनिष्ठ जीवन, विनम्रता, उच्च नैतिक आचरण और मानवाधिकारों का समर्थन किया।
    • भौतिकवाद से विरक्ति और एक ईश्वर के प्रति समर्पण का आग्रह किया।
    • उन्होंने 115 भजनों की रचना की, जो गुरु ग्रंथ साहिब में समाहित हैं।
    • निर्भयता और निर्वैर के मूल्यों पर जोर दिया गया।
  • शहादत (शहीदी दिवस)
    • कारण: उन्होंने औरंगजेब की कश्मीरी पंडितों को जबरन इस्लाम में धर्मांतरित करने की नीति का विरोध किया।
    • फाँसी: नवंबर 1675 में दिल्ली में उन्हें सार्वजनिक रूप से फाँसी दे दी गई (चाँदनी चौक, जो वर्तमान में गुरुद्वारा शीशगंज साहिब नामक स्थान है।)
    • स्मरणोत्सव: उनकी शहादत को प्रतिवर्ष शहीदी दिवस (वर्ष 2024 में 6 दिसंबर को) के रूप में मनाया जाता है।
  • विरासत
    • उन्हें न्याय, समानता और धार्मिक सहिष्णुता के प्रणेता के रूप में सम्मानित किया जाता है।
    • उनका जीवन और बलिदान सिख दर्शन के ‘संत-सिपाही’ (संत-सैनिक) का केंद्र बिंदु बना हुआ है।

सिख गुरुओं की सूची

  1. गुरु नानक देव जी (1469-1539): सिख धर्म के संस्थापक।
  2. गुरु अंगद देव जी (1504-1552): गुरुमुखी लिपि की खोज।
  3. गुरु अमर दास जी (1479-1574): सिख धर्म के प्रसार के लिए मंजी प्रणाली की स्थापना की।
  4. गुरु राम दास जी (1534-1581): अमृतसर शहर की स्थापना की।
  5. गुरु अर्जन देव जी (1563-1606): पवित्र ग्रंथ आदि ग्रंथ का संकलन किया।
  6. गुरु हरगोबिंद जी (1595-1644): मिरी और पीरी (लौकिक और आध्यात्मिक अधिकार) की अवधारणा पेश की।
  7. गुरु हर राय जी (1630-1661): पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया।
  8. गुरु हर कृष्ण जी (1656-1664): अपनी करुणा और रोगियों के उपचार के लिए प्रसिद्ध थे।
  9. गुरु तेग बहादुर जी (1621-1675): धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शहीद हुए।
  10. गुरु गोबिंद सिंह जी (1666-1708): 1699 ईसवी में खालसा पंथ की स्थापना की, जिससे सिखों की पहचान मजबूत हुई।

INS तमाल और INS सूरत 

भारतीय नौसेना के जहाज INS तमाल और INS सूरत द्विपक्षीय नौसैनिक संबंध में वृद्धि करने और भारत-सऊदी रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए सऊदी अरब के जेद्दा पहुँचे।

INS तमाल  (INS Tamal) के बारे में

  • श्रेणी और उत्पत्ति
    • क्रिवाक-श्रेणी के फ्रिगेट का आठवाँ जहाज, यंतर शिपयार्ड, रूस में निर्मित।
    • तुशील-श्रेणी का दूसरा जहाज, तलवार और तेग श्रेणियों का उन्नत संस्करण।
  • स्वदेशी घटक: इसमें 26% भारतीय प्रणालियाँ शामिल हैं, जिनमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, HUMSA-NG सोनार, रडार और संचार प्रणालियाँ शामिल हैं।
  • हथियार और प्रणालियाँ
    • ऊर्ध्वाधर रूप से प्रक्षेपित, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (SAM)।
    • उन्नत 100 मिमी. तोप,  हैवी टॉरपीडो, पनडुब्बी रोधी रॉकेट।
    • उन्नत EO/IR प्रणालियाँ, निगरानी और अग्नि-नियंत्रण रडार।
    • यह एयरबोर्न अर्ली वार्निंग (AEW) और एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) ऑपरेशनों हेतु बहुउद्देश्य हेलीकॉप्टरों का संचालन करता है।
    • उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और नेटवर्क केंद्रित युद्ध प्रणालियों से सुसज्जित।
  • डिजाइन और क्षमता: 125 मीटर लंबा, 3,900 टन, उन्नत गोपनीय क्षमता, उच्च सहनशक्ति और 30 समुद्री मील से अधिक की गति।
  • परिचालन क्षमताएँ: चारों आयामों – वायु, सतह, जल और विद्युतचुंबकीय – में बहुआयामी आक्रमण क्षमताएँ।
  • प्रतीकवाद और पहचान: तमाल इंद्र की पौराणिक तलवार को संदर्भित करता है; शुभंकर जांबवंत और यूरेशियन भूरे भालू से प्रेरित है।

INS सूरत के बारे में

  • प्रकार: निर्देशित मिसाइल विध्वंसक
  • वर्ग: परियोजना 15B के अंतर्गत चौथा और अंतिम स्टील्थ निर्देशित मिसाइल विध्वंसक, INS विशाखापत्तनम, INS मोरमुगाओ और INS इंफाल के बाद।
  • डिजाइन: विस्थापन: 7,400 टन; लंबाई: 164 मीटर।
  • गति: 30 समुद्री मील
  • निर्माता: मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL)।
  • प्रणोदन: चार गैस टर्बाइनों के साथ COGAG (कंबाइंड गैस-एंड-गैस) प्रणोदन प्रणाली द्वारा संचालित।
  • हथियार और आयुध
    • SAM, एंटी-शिप मिसाइलों, टॉरपीडो और उन्नत सेंसरों से लैस।
    • नेटवर्क-केंद्रित युद्ध के लिए आधुनिक संचार प्रणालियों से सुसज्जित।
  • महत्व: परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को एकीकृत करने वाला पहला भारतीय नौसेना युद्धपोत।

दारुमा गुड़िया (Daruma doll)

 

 

जापान की अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शोरिनजान दारुमा-जी मंदिर, ताकासाकी के मुख्य पुजारी रेव सेशी हिरोसे द्वारा दारुमा गुड़िया भेंट की गई, जो दृढ़ता और सौभाग्य का सांस्कृतिक प्रतीक है।

दारुमा गुड़िया के बारे में

  • उत्पत्ति: पारंपरिक जापानी पेपर ‘माचे’ द्वारा निर्मित गुड़िया, जो ‘जेन’ बौद्ध धर्म के पाँचवीं शताब्दी के संस्थापक बोधिधर्म के आधार पर निर्मित है।
  • प्रतीकात्मकता: दृढ़ता, लचीलापन और लक्ष्य-निर्धारण का प्रतीक।
  • सांस्कृतिक अभ्यास
    • नेत्र अनुष्ठान: लक्ष्य निर्धारित करते समय एक आँख चित्रित की जाती है; और लक्ष्य प्राप्ति पर दूसरी।
    • आकार और अर्थ: इसका गोल आधार इसे झुकाने पर सीधा खड़ा होने देता है → कहावत को दर्शाता है “सात बार गिरो, आठ बार उठो।”
  • भारतीय संबंध
    • भारत के काँचीपुरम् के एक भिक्षु, बोधिधर्म (जापान में दारुमा दाइशी) से प्रेरित।
    • बोधिधर्म ने नौ वर्षों तक दीवार की ओर मुख करके ध्यान साधना की; इसी कारण उनके शरीर की विशेष आकृति (हाथ और पैर) का वर्णन किया जाता है।
    • दारुमा शब्द संस्कृत के धर्म से लिया गया है।

शोरिनजान दारुमा जी मंदिर (ताकासाकी, गुन्मा) के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 1697 में निर्मित; दारुमा नामक स्थान गुड़ियों का उद्गम स्थल माना जाता है।
  • सफलता और विजय के आशीर्वाद के लिए जाना जाता है; ऐतिहासिक रूप से सम्राटों तथा शोगुनों द्वारा यहाँ दर्शन किए जाते रहे हैं।
  • वर्तमान में यह छात्रों, व्यापारियों और स्थानीय लोगों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है।
  • ताकासाकी शहर जापान में दारुमा गुड़ियों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है।
  • मुख्य पुजारी रेव. सेशी हिरोसे (1981 से) ज़ेन बौद्ध धर्म में प्रशिक्षित तथा 40 वर्ष पूर्व भारत आए थे।

राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (State Energy Efficiency Index- SEEI) 

विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency- BEE) ने ऊर्जा दक्षता में राज्य-स्तरीय प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (SEEI), 2024 जारी किया है।

राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक, 2024 के बारे में

  • अवलोकन: प्रगति की निगरानी, ​​सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और राज्यों के मध्य प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने के लिए ऊर्जा कुशल अर्थव्यवस्था गठबंधन (AEEE) के सहयोग से BEE द्वारा विकसित।
  • संस्करण: छठा संस्करण, जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल किया गया है।
  • कवरेज: भवन, उद्योग, नगरपालिका सेवाएँ, परिवहन, कृषि, डिस्कॉम और विभिन्न क्षेत्रों की पहलों को शामिल करते हुए 66 संकेतकों वाला नया कार्यान्वयन-केंद्रित ढाँचा।
  • अंकों के आधार पर प्रदर्शन श्रेणियाँ
    • फ्रंट रनर (>60%), 
    • अचीवर्स (50-60%), 
    • कन्टेन्डर्स (30-50%), और 
    • एस्परेंट (<30%)।
  • ऊर्जा खपत के आधार पर समूहीकरण (Grouping by Energy Consumption- TFEC):
    • समूह 1: >15 MTOE (मिलियन टन तेल के बराबर)
    • समूह 2: 5 – 15 MTOE
    • समूह 3: 1 – 5 MTOE
    • समूह 4: <1 MTOE

SEEI 2024 के प्रमुख निष्कर्ष

शीर्ष प्रदर्शक

  • समूह 1: महाराष्ट्र
  • समूह 2: आंध्र प्रदेश
  • समूह 3: असम
  • समूह 4: त्रिपुरा

प्रमुख क्षेत्रीय प्रगति

  • 24 राज्यों ने ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (Energy Conservation Building Code- ECBC), 2017 अधिसूचित की है।
  • 10 राज्यों ने MSME ऊर्जा दक्षता नीतियाँ तैयार की हैं।
  • 31 राज्यों ने विद्युत गतिशीलता नीतियाँ अपनाई हैं।
  • 13 राज्य सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों को बढ़ावा दे रहे हैं; केरल में 74% कार्यान्वयन हुआ है।
  • सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने राज्य ऊर्जा दक्षता कार्य योजनाएँ (State Energy Efficiency Action Plans – SEEAP) तैयार की हैं।
  • 31 राज्यों ने ऊर्जा परिवर्तन पर राज्य-स्तरीय संचालन समितियाँ गठित की हैं।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency- BEE) के बारे में

  • स्थापना: ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के अंतर्गत वर्ष 2002 में स्थापित वैधानिक निकाय।
  • नोडल मंत्रालय: विद्युत मंत्रालय।
  • उद्देश्य: भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करना।
  • कार्य: ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में निर्दिष्ट नियामक और प्रचारात्मक दोनों भूमिकाएँ निभाता है।
  • नियामक कार्य
    • उपकरणों और वाणिज्यिक भवनों के लिए न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन मानक तैयार करना।
    • ऊर्जा प्रबंधकों और ऊर्जा लेखा परीक्षकों को प्रमाणित करना।

सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या

 

सर्वोच्च न्यायालय में दो नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ न्यायालय में कुल न्यायाधीशों की संख्या 34 हो गई।

सर्वोच्च न्यायालय की संरचना

  • वर्तमान क्षमता: 34 न्यायाधीश (1 मुख्य न्यायाधीश + 33 अन्य न्यायाधीश)
  • संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद-124(1) में कहा गया है कि “भारत का एक सर्वोच्च न्यायालय होगा जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश (CJI) होगा तथा सात से अधिक अन्य न्यायाधीश नहीं हो सकते जब तक कि कानून द्वारा संसद अन्य न्यायाधीशों की बड़ी संख्या निर्धारित नहीं करती है।”
  • वर्ष 2019 का संशोधन: सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) संशोधन अधिनियम, 2019 के तहत स्वीकृत क्षमता 31 से बढ़ाकर 34 कर दी गई।
  • मूल क्षमता (1950): 8 न्यायाधीश (1 मुख्य न्यायाधीश + 7 अन्य)।
  • अन्य न्यायाधीशों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि
    • वर्ष 1956 – 10 न्यायाधीश
    • वर्ष 1960 – 13 न्यायाधीश
    • वर्ष 1977 – 17 न्यायाधीश
    • वर्ष 1986 – 25 न्यायाधीश
    • वर्ष 2008 – 30 न्यायाधीश
    • वर्ष 2019 – 33 न्यायाधीश।

न्यायाधीशों की नियुक्ति

  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से की जाती है।
  • कॉलेजियम एक ऐसी प्रणाली है, जो सर्वोच्च न्यायालय (SC) और उच्च न्यायालयों (HC) में न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश करती है।

भारत में कॉलेजियम प्रणाली का विकास

  • प्रथम न्यायाधीश वाद (1981): न्यायालय ने निर्णय दिया कि मुख्य न्यायाधीश की राय केवल परामर्शात्मक है, बाध्यकारी नहीं। इससे कार्यपालिका को प्राथमिकता मिली।
  • द्वितीय न्यायाधीश वाद (1993): न्यायालय ने “परामर्श” की व्याख्या “सहमति” के रूप में की, जिससे कॉलेजियम प्रणाली का जन्म हुआ। प्रारंभ में, इसमें मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल थे।
  • तृतीय न्यायाधीश वाद (1998): कॉलेजियम का विस्तार मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों तक कर दिया गया।
  • चतुर्थ न्यायाधीश वाद (2015): न्यायालय ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) और 99वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया, जिससे कॉलेजियम प्रणाली बहाल हो गई।

राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (National Cyber Forensic Laboratory)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम में दूसरी राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (National Cyber Forensic Laboratory- NCFL) सहित प्रमुख विकास और सुरक्षा संबंधी परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

संबंधित तथ्य

  • वर्ष 2019 में I4C पहल के तहत दिल्ली में पहली राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (NCFL) की स्थापना की गई थी।

फोरेंसिक क्या है?

  • फोरेंसिक, अपराधों की जाँच करने और कानूनी कार्यवाही के लिए साक्ष्य प्रदान करने हेतु वैज्ञानिक विधियों और तकनीकों का अनुप्रयोग है।
  • यह न्यायालय में दावों का समर्थन करने या उन्हें चुनौती देने के लिए भौतिक अथवा डिजिटल साक्ष्य एकत्र करने, संरक्षित करने और उनका विश्लेषण करने पर केंद्रित है।

राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (NCFL) के बारे में

  • NCFL केंद्रीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अधीन कार्य करती है।
  • NCFL विशेष इकाइयों से सुसज्जित है, जिनमें शामिल हैं:
    • मैमोरी फोरेंसिक लैब
    • इमेज एन्हांसमेंट लैब
    • नेटवर्क फोरेंसिक लैब
    • मैलवेयर फोरेंसिक लैब
    • क्रिप्टोकरेंसी फोरेंसिक लैब
    • क्षतिग्रस्त हार्ड डिस्क रिकवरी लैब
    • उन्नत मोबाइल फोरेंसिक लैब।

NCFL का महत्त्व

  • क्षेत्रीय फोकस: सभी 8 पूर्वोत्तर राज्यों की सेवा के लिए समर्पित।
  • कानून प्रवर्तन सहायता: साइबर अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध तस्करी और सीमा संबंधी चुनौतियों से निपटने में पुलिस बलों की सहायता करेगा।
  • फोरेंसिक संचालित पुलिसिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की डिजिटल संपत्तियों की सुरक्षा के लिए 24×7 फोरेंसिक-संचालित पुलिसिंग के लिए डिजाइन किया गया।
  • नीतिगत संरेखण: नए आपराधिक कानूनों के तहत फोरेंसिक-आधारित जाँच पर सरकार के ध्यान का पूरक।

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के बारे में

  • स्थापना: गृह मंत्रालय (MHA) के अंतर्गत साइबर अपराध से निपटने हेतु राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित।
  • उद्देश्य: साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Law Enforcement Agencies- LEA) के लिए एक ढाँचा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करना।
  • मुख्यालय: नई दिल्ली में स्थित।

सीरिया का ड्रूज क्षेत्र

हाल ही में जुलाई 2025 में सीरिया के स्वेदा प्रांत (ड्रूज-बहुल क्षेत्र) में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जो बड़े पैमाने पर झड़पों में परिवर्तित हो गई और अत्यधिक नागरिक हताहत हुए।

संबंधित तथ्य

  • स्वेदा प्रांत सीरिया का सबसे दक्षिणी क्षेत्र है, जो लगभग 5,550 वर्ग किमी. में विस्तृत है तथा इसकी दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी सीमा जॉर्डन से लगती है।

सीरिया के बारे में

  • अवस्थिति: सीरिया, भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर उत्तरी और पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित एक पश्चिमी एशियाई देश है।
  • सीमाएँ: इसकी सीमाएँ तुर्की (उत्तर), इराक (पूर्व और दक्षिण-पूर्व), जॉर्डन (दक्षिण), इजरायल और लेबनान (दक्षिण-पश्चिम) से लगती हैं।
  • भौगोलिक विशेषताएँ
    • पर्वत: एंटी-लेबनान पर्वत (लेबनान की सीमा पर), बिश्री पर्वत (पश्चिम-मध्य और उत्तरी सीरिया)।
    • सबसे ऊँची चोटी: माउंट हरमोन (2,814 मीटर)
    • नदियाँ: फरात नदी (सहायक नदी खाबुर के साथ)।
    • जलवायु: सीरिया की जलवायु भूमध्यसागरीय है, जिसमें हल्की, आर्द्र सर्दियाँ और गर्म, शुष्क ग्रीष्मकाल होते हैं। पूर्वी रेगिस्तानी क्षेत्र शुष्क हैं।

नेशनल डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन (National Deep Water Exploration Mission)

हाल ही में प्रधानमंत्री ने भारत के समुद्र तल के नीचे तेल और गैस भंडार की खोज के लिए नेशनल डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन के शुभारंभ की घोषणा की, जिसका उद्देश्य ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम करना है।

नेशनल डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन के बारे में

  • अवलोकन: समुद्र तल के नीचे अप्रयुक्त तेल और गैस भंडारों की खोज करके भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने की एक प्रमुख पहल।
  • नोडल मंत्रालय: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय।
    • हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (Directorate General of Hydrocarbons- DGH) और सहयोगी अनुसंधान संस्थानों द्वारा समर्थित।

उद्देश्य

  • आयात में कमी: कच्चे तेल (88%) और प्राकृतिक गैस (50%) पर भारत की उच्च आयात निर्भरता को कम करना।
  • घरेलू उत्पादन: भारत की हाइड्रोकार्बन उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देना।
  • ऊर्जा सुरक्षा: भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करना।
  • आत्मनिर्भरता: ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना।

मिशन का महत्त्व

  • आर्थिक लाभ: आयात बिल कम करता है, कल्याण और बुनियादी ढाँचे के लिए संसाधन मुक्त करता है।
  • सामरिक सुरक्षा: वैश्विक ऊर्जा अस्थिरता के बीच घरेलू संसाधनों पर नियंत्रण को मजबूत करता है।
  • घरेलू ऊर्जा उत्पादन को स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तनों के साथ संतुलित करके भारत के नेट-जीरो 2070 विजन का समर्थन करता है।
  • वैश्विक ऊर्जा भू-राजनीति में भारत की स्थिति को मजबूत करता है।

अंडमान बेसिन का सामरिक महत्त्व

  • म्याँमार और उत्तरी सुमात्रा में सिद्ध भंडारों से टेक्टॉनिक निकटता के कारण इसे भारत का अगला तेल और गैस हॉटस्पॉट माना जाता है।
  • वर्तमान ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (Open Acreage Licensing Policy- OALP) के तहत 25 अन्वेषण ब्लॉक प्रस्तावित हैं, जिनका क्षेत्रफल लगभग 2 लाख वर्ग किलोमीटर है।
  • पेट्रोलियम मंत्रालय इस बेसिन को “भारत का अगला तेल और गैस हॉटस्पॉट” मानता है।

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