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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 04, 2025 03:53 18 0

नारियल विकास बोर्ड (CBD)

नारियल विकास बोर्ड (CDB) द्वारा 2 सितंबर को विश्व नारियल दिवस (World Coconut Day) मनाया गया।

  • इसने अपनी नई संशोधित योजनाओं का भी शुभारंभ किया एवं निर्यात उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए।

नारियल विकास बोर्ड (CBD) के बारे में

  • अवलोकन: यह भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है।
  • स्थापना: वर्ष 1981 में
  • मुख्यालय: कोच्चि, केरल।

अधिदेश एवं कार्य

  • भारत में नारियल से संबंधित कृषि एवं उद्योग का विकास करना।
  • योजनाओं का कार्यान्वयन
    • उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि।
    • प्रसंस्करण एवं मूल्य वर्द्धन को बढ़ावा देना।
    • विपणन एवं निर्यात को प्रोत्साहित करना।
    • अनुसंधान, विस्तार एवं किसान प्रशिक्षण को समर्थन देना।
  • प्रमुख फोकस क्षेत्र
    • नारियल की कृषि का एकीकृत विकास।
    • जलवायु-अनुकूल कृषि प्रणालियाँ।
    • मूल्य-वर्द्धित उत्पादों (नारियल पानी, दूध, तेल, सक्रिय कार्बन, कॉयर-आधारित उत्पाद) में विविधीकरण।
    • कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) को बढ़ावा देना।

भारती (BHARATI) पहल

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने 100 कृषि-खाद्य स्टार्ट-अप्स को समर्थन देने के लिए भारती (BHARATI) पहल शुरू की है।

भारती (BHARATI) पहल के बारे में

  • भारती (BHARATI) का अर्थ है:- भारत का कृषि प्रौद्योगिकी, लचीलापन, उन्नति एवं निर्यात सक्षमता हेतु इनक्यूबेशन केंद्र
    • यह एक राष्ट्रीय मंच है, जिसे भारत के कृषि-खाद्य एवं कृषि-तकनीक क्षेत्रों में स्टार्ट-अप्स को समर्थन देने तथा निर्यात में तेजी लाने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • शामिल संगठन: इस पहल का नेतृत्व कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) द्वारा किया जा रहा है, जो वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के अधीन कार्य करता है।
    • इस कार्यक्रम को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का भी समर्थन प्राप्त है।
  • उद्देश्य: नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 100 कृषि-खाद्य एवं कृषि-तकनीक स्टार्ट-अप्स को सशक्त बनाना।
    • वर्ष 2030 तक कृषि-खाद्य निर्यात को 50 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना।
    • कृषि-खाद्य उत्पादन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग एवं लॉजिस्टिक्स में प्रगति को बढ़ावा देना।

विशेषताएँ

  • स्टार्ट-अप समूह: APEDA की वेबसाइट के माध्यम से चुने गए 100 स्टार्ट-अप (सितंबर 2025 से शुरू)।
  • त्वरण कार्यक्रम: उत्पाद विकास, निर्यात तैयारी, अनुपालन एवं बाजार पहुँच पर 3 महीने का प्रशिक्षण।
  • नवाचार पर ध्यान: उच्च-मूल्य वाले GI उत्पाद, जैविक खाद्य पदार्थ, सुपरफूड, पशुधन उत्पाद, आयुष उत्पाद।
  • प्रौद्योगिकी अपनाना: AI-आधारित गुणवत्ता जाँच, ब्लॉकचेन-सक्षम ट्रेसेबिलिटी, IoT-सक्षम कोल्ड चेन, कृषि-फिनटेक समाधान।
  • समस्या समाधान: जल्द नष्ट होने वाली वस्तुएँ, अपव्यय, लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग एवं गुणवत्ता आश्वासन जैसी निर्यात चुनौतियों का समाधान।
  • जागरूकता अभियान: स्टार्ट-अप एवं हितधारकों को आकर्षित करने के लिए राष्ट्रव्यापी पहुँच।

NASA-ESA सौर ऑर्बिटर मिशन

हाल ही में NASA-ESA सौर ऑर्बिटर मिशन ने सौर ऊर्जावान इलेक्ट्रॉनों (Solar Energetic Electrons- SEEs) की उत्पत्ति का सफलतापूर्वक पता लगाकर एक महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

NASA-ESA सौर ऑर्बिटर मिशन के बारे में

  • प्रक्षेपण एवं लागत: फरवरी 2020 में केप कैनावेरल से प्रक्षेपित, NASA एवं ESA के बीच 1.5 बिलियन डॉलर के इस संयुक्त मिशन का उद्देश्य सूर्य का अन्वेषण करना है।
  • अवधि: प्राथमिक मिशन वर्ष 2026 तक संचालित होगा, जिसे वर्ष 2030 तक बढ़ाया जा सकता है।
  • कक्षा: अंतरिक्ष यान एक अत्यधिक विलक्षण कक्षा का अनुसरण करता है, जो 0.28 AU के करीब पहुँचता है एवं सूर्य के ध्रुवों की छवि लेने के लिए धीरे-धीरे झुकता है।
  • पेलोड: 10 उपकरणों से युक्त, यह सौर वायु, चुंबकीय क्षेत्र, कणों को मापता है, एवं इसमें सुदूर संवेदन के लिए इमेजिंग तथा स्पेक्ट्रोस्कोपी शामिल है।
  • उद्देश्य: यह मिशन सौर ध्रुवों की छवि बनाने वाला पहला मिशन होगा एवं इसका उद्देश्य सौर वायु, ज्वालाओं, CME तथा अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभावों का अध्ययन करना है।

सौर ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन (SEE)

  • SEE के बारे में: सोलर एनर्जेटिक इलेक्ट्रॉन (Solar Energetic Electrons- SEE) उच्च-ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन होते हैं, जो अंतरिक्ष में उत्सर्जित होते हैं ।
  • स्रोत: ये इलेक्ट्रॉन सौर ज्वालाओं से उत्पन्न होते हैं, जो सूर्य की सतह पर ऊर्जा के त्वरित विस्फोट के रूप में होते हैं, एवं कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) से, जो प्लाज्मा तथा चुंबकीय क्षेत्रों के बड़े विस्फोट होते हैं।
  • उत्सर्जन पैटर्न: SEE का उत्सर्जन हमेशा तत्काल नहीं होता है। अंतरग्रहीय माध्यम में अशांति एवं प्रकीर्णन के कारण इसमें प्रायः कई घंटों की देरी होती है।
  • सौर ऑर्बिटर अवलोकन: वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक, सौर ऑर्बिटर ने 300 से अधिक विस्फोटों का पता लगाया, जिससे पहली बार SEE एवं सौर ज्वालाओं/CMEs के बीच संबंध का स्पष्ट प्रमाण मिला।

अभ्यास मैत्री 

भारत एवं थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास, मैत्री (MAITREE) अभ्यास का 14वाँ संस्करण, 1 सितंबर, 2025 को मेघालय के उमरोई स्थित संयुक्त प्रशिक्षण नोड (JTN) में शुरू हुआ।

उद्देश्य

  • अंतर-संचालन को बढ़ावा देना: वर्ष 2006 में शुरू किया गया, मैत्री (MAITREE) अभ्यास क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए आपसी समझ, अंतर-संचालन एवं संयुक्त सामरिक क्षमताओं को बेहतर बनाने पर केंद्रित है।
  • द्विपक्षीय रक्षा प्रतिबद्धता: यह अभ्यास भारत एवं थाईलैंड की शांति तथा सुरक्षा बनाए रखने की साझा प्रतिबद्धता पर जोर देता है, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरते आतंकवाद-रोधी खतरों के जवाब में।
  • शहरी युद्ध: यह संस्करण अर्द्ध-शहरी इलाकों में कंपनी-स्तरीय आतंकवाद-रोधी अभियानों पर केंद्रित है, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत आयोजित किए जाते हैं, एवं अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए सामूहिक कार्रवाई पर जोर देते हैं।
  • मुख्य प्रशिक्षण मॉड्यूल
    • संयुक्त सामरिक अभ्यास एवं समन्वय।
    • विशेष हथियार एवं शस्त्र संचालन।
    • विद्रोह-रोधी अभियान योजना।
    • शारीरिक फिटनेस एवं सहनशक्ति प्रशिक्षण।
    • संयुक्त छापेमारी एवं निकासी अभियान।

प्रतुष (PRATUSH) मिशन

रमन अनुसंधान संस्थान (RRI) ने ‘कॉस्मिक डॉन’ का अध्ययन करने के लिए हाइड्रोजन से संकेतों का उपयोग करके ‘प्रोबिंग रीआयनाइजेशन ऑफ द यूनिवर्स यूजिंग सिग्नल फ्रॉम हाइड्रोजन’ (Probing ReionizATion of the Universe using Signal from Hydrogen- PRATUSH) विकसित किया है।

प्रतुष (PRATUSH) मिशन के बारे में

  • विकसितकर्ता: PRATUSH मिशन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान, बंगलूरू स्थित रमन अनुसंधान संस्थान (RRI) द्वारा विकसित किया गया है।
  • लक्ष्य: इस मिशन का उद्देश्य तटस्थ हाइड्रोजन से प्राप्त 21 सेमी. के धुँधले रेडियो संकेतों का पता लगाकर कॉस्मिक डॉन (वह युग जब पहले तारों एवं आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ) का अध्ययन करना है।
  • चंद्रमा क्यों?: पृथ्वी पर, ये संकेत रेडियो शोर एवं वायुमंडलीय विकृतियों के कारण अस्पष्ट हो जाते हैं। चंद्रमा का दूरवर्ती भाग आंतरिक सौर मंडल में सबसे शांत वातावरण प्रदान करता है, जो इसे रेडियो खगोल विज्ञान के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।
  • वैज्ञानिक महत्व: प्रतुष वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेगा कि प्रारंभिक तारों ने हाइड्रोजन का आयनीकरण कैसे किया, प्रारंभिक ब्रह्मांड कैसे विकसित हुआ, एवं यह डार्क मैटर तथा मूलभूत भौतिकी के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।

मुख्य विशेषताएँ

  • कॉम्पैक्ट डिजाइन: यह उपकरण छोटा, हल्का, कम ऊर्जा वाला एवं लागत-प्रभावी है, जो लघुकृत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के वैश्विक रुझानों के अनुरूप है।
  • डिजिटल रिसीवर सिस्टम: उच्च गति रेडियो डेटा प्रोसेसिंग के लिए सिंगल-बोर्ड कंप्यूटर (रास्पबेरी Pi के समान) एवं  फील्ड प्रोग्रामेबल गेट एरे (FPGA) का उपयोग करता है।

यह कैसे कार्य करता है?

  • एंटीना: हाइड्रोजन संकेतों को कैप्चर करता है।
  • एनालॉग रिसीवर: संकेतों को प्रवर्द्धित करता है।
  • डिजिटल रिसीवर + FPGA: संकेतों को विस्तृत स्पेक्ट्रल डेटा में परिवर्तित करता है, जिससे आकाश की चमक के बारे में जानकारी मिलती है।

सेशल्स

भारतीय नौसेना के पहले प्रशिक्षण स्क्वाड्रन (INS तीर, INS  शार्दुल एवं ICGS सारथी) को सेशेल्स के पोर्ट विक्टोरिया में डॉक किया गया।

सेशेल्स के बारे में

  • स्थान: हिंद महासागर में एक लघु द्वीपीय राष्ट्र है।
  • अफ्रीका में अपने विविध सांस्कृतिक मिश्रण एवं उच्च मानव विकास के लिए जाना जाता है।
    • मेडागास्कर के उत्तर-पूर्व एवं मुख्य भूमि अफ्रीका से लगभग 1,500 किमी. पूर्व में। दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित, रणनीतिक रूप से प्रमुख समुद्री मार्गों के करीब।
  • राजधानी: विक्टोरिया, विश्व की सबसे छोटी राजधानियों में से एक।
  • पड़ोसी: द्वीपीय देश एवं आस-पास के क्षेत्रों में मालदीव, मॉरीशस, कोमोरोस, मेडागास्कर तथा रीयूनियन एवं मायोट जैसे फ्राँसीसी क्षेत्र शामिल हैं।

मुख्य विशेषताएँ

  • भूगोल: 115 द्वीपों का एक द्वीपसमूह, जिनमें से कुछ ही पर लोग रहते हैं।
  • समाज: बहुसांस्कृतिक मिश्रण (फ्राँसीसी, ब्रिटिश, भारतीय, अफ्रीकी, चीनी) जो क्रियोल भाषा, त्योहारों, व्यंजनों एवं वास्तुकला में परिलक्षित होता है।

कपास किसान ऐप

हाल ही में केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कपास खरीद प्रक्रिया को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म, कपास किसान ऐप लॉन्च किया है।

ऐप का उद्देश्य

  • खरीद का डिजिटलीकरण: यह ऐप प्रक्रियागत देरी को समाप्त करके एवं बिचौलियों पर निर्भरता को कम करके कपास खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का प्रयास करता है।
    • यह किसानों को स्वयं पंजीकरण करने, डिलीवरी स्लॉट बुक करने एवं वास्तविक समय में भुगतान ट्रैक करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे पारदर्शिता, देरी एवं संकटकालीन बिक्री जैसी समस्याओं का समाधान होता है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करना: यह ऐप सुनिश्चित करता है कि सभी पात्र कपास किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद तक ​​पहुँच प्राप्त कर सकें, जिससे उन्हें बाजार में शोषण एवं कीमतों में गिरावट से बचाया जा सके।

कपास किसान ऐप की मुख्य विशेषताएँ

  • स्व-पंजीकरण: किसान अपने आधार से जुड़े विवरण का उपयोग करके खाते बना सकते हैं।
  • स्लॉट बुकिंग: खरीद केंद्रों पर कपास की डिलीवरी पहले से निर्धारित करना, जिससे लंबी कतारों से बचा जा सके।
  • भुगतान ट्रैकिंग: सरकारी एजेंसियों को कपास बेचने के बाद वास्तविक समय में भुगतान ट्रैक करना।
  • भाषा सुगमता: समावेशिता के लिए कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।
  • किसान-केंद्रित डिजाइन: ग्रामीण किसानों द्वारा उपयोग में आसानी के लिए तैयार किया गया सहज इंटरफेस।

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