भारतीय अंतरराष्ट्रीय समुद्री विवाद समाधान केंद्र (IIMDRC) का शुभारंभ
भारतीय अंतरराष्ट्रीय समुद्री विवाद समाधान केंद्र (Indian International Maritime Dispute Resolution Centre-IIMDRC) को गोवा में संपन्न हुई 20वीं समुद्री राज्य विकास परिषद (Maritime State Development Council- MSDC) की बैठक में लॉन्च किया गया था।
IIMDRC
उद्देश्य: IIMDRC एक विशेष मंच है, जो समुद्री विवादों को हल करने के लिए योग्यता आधारित एवं उद्योग शासित समाधान प्रदान करेगा।
महत्त्व:IIMDRC ‘रिजॉल्व इन इंडिया’ पहल के अनुरूप भारत को मध्यस्थता के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
20वीं समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC) बैठक के मुख्य परिणाम
नए बंदरगाह: महाराष्ट्र के वधावन में भारत के 13वें प्रमुख बंदरगाह की आधारशिला रखी गई एवं सरकार ने अंडमान औरनिकोबार द्वीपसमूह में गैलाथिया खाड़ी को एक अन्य प्रमुख बंदरगाह के रूप में नामित किया है।
भारतीय समुद्री केंद्र (Indian Maritime Centre-IMC) लॉन्च किया गया: एक नीति थिंक टैंक, जिसका उद्देश्य समुद्री हितधारकों के बीच नवाचार एवं रणनीतिक योजना को बढ़ावा देना है।
राष्ट्रीय बंदरगाह सुरक्षा समिति (National Safety in Ports Committee- NSPC) में आवेदन: MSDC ने नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, लागत में कटौती एवं दक्षता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली पर NSPC एप्लिकेशन लॉन्च किया।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex- NMHC): गुजरात के लोथल में स्थित, यह परिसर भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करेगा।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अंतर्गत पुर्तगाल, संयुक्त अरब अमीरात एवं वियतनाम के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, तथा फ्राँस, नॉर्वे, ईरान एवं म्याँमार के साथ बातचीत उन्नत चरणों में है।
तटीय राज्यों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC)
समुद्री क्षेत्र के लिए एक शीर्ष सलाहकार निकाय के रूप में वर्ष1997 में स्थापित किया गया।
अध्यक्षता: केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री।
इसका उद्देश्य राज्य सरकारों के परामर्श से प्रमुख एवं गैर-प्रमुख बंदरगाहों का एकीकृत विकास सुनिश्चित करना है।
स्वदेशी लाइट टैंक जोरावर (Zorawar)
हाल ही में DRDO ने उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती के लिए भारतीय लाइट टैंक जोरावर (Zorawar) का प्रारंभिक ऑटोमोटिव परीक्षण सफलतापूर्वक किया।
जोरावर टैंक के बारे में
जोरावर एक भारतीय लाइट टैंक है, जिसे उच्च क्षमता-से-वजन अनुपात, पर्याप्त मारक क्षमता, सुरक्षा, निगरानी एवं संचार क्षमताओं के साथ डिजाइन किया गया है।
इसका उद्देश्य भारतीय सेना को विभिन्न खतरों एवं विरोधियों के उपकरण प्रोफाइल के खिलाफ विभिन्न इलाकों में संचालन के लिए बहुमुखी प्रतिभा प्रदान करना है।
जोरावर को लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के सहयोग से DRDO के तहत कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (CVRDE) द्वारा विकसित किया गया है।
इस टैंक का नाम 19वीं सदी के डोगरा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है।
टैंक न्यूनतम सैन्य सहायता के साथ कठोर मौसम की स्थिति एवं उच्च ऊँचाई सहित चरम वातावरण में कार्य करने में सक्षम है।
टैंक को अगस्त 2025 तक उपयोगकर्ता परीक्षणों के लिए सेना को सौंपने की योजना है।
इंजन विकास
प्रारंभ में, एक जर्मन इंजन पर विचार किया गया था, लेकिन निर्यात मंजूरी में देरी के कारण कमिंस इंजन को अपनाया गया।
DRDO लाइट टैंक के लिए एक नया पॉवर पैक विकसित करने पर भी कार्य कर रहा है, जो अर्जुन Mk1A मुख्य युद्धक टैंक के लिए 1400 HP इंजन के चल रहे विकास के साथ संरेखित है।
सामरिक महत्त्व
हल्के टैंक की आवश्यकता पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के दौरान उत्पन्न हुई, जहाँ अत्यधिक ऊँचाई पर मुख्य युद्धक टैंक तैनात करने में चुनौतियाँ उत्पन्न हुईं।
जोरावर का हल्का डिजाइन (अधिकतम 25 टन) उच्च ऊँचाई पर हवाई परिवहन और गतिशीलता की अनुमति देता है।
यह ऊँचाई वाले स्थानों पर गोलीबारी कर सकता है एवं सीमित तोपखाने के रूप में कार्य कर सकता है, जिससे सामरिक तथा परिचालन गतिशीलता बढ़ती है।
भविष्य के उन्नयन को समायोजित करने के लिए टैंक को मॉड्यूलर तरीके से बनाया गया है।
हिंदी दिवस
भारत प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाता है।
हिंदी दिवस के बारे में
भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी को नवगठित राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में नामित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।
इस निर्णय ने राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने की नींव रखी।
यह चुनाव एक बहुभाषी देश में भाषायी एकता को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
वर्ष 1953 से, भारत प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस मनाता है।
महत्त्व
राजभाषा: 14 सितंबर, 1949 को राजभाषा के रूप में नामित किया गया।
जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
हिंदी भाषा को बढ़ावा देता है:
इसका उद्देश्य हिंदी के महत्त्व के संदर्भ में जागरूकता प्रसारित करना है।
स्कूल एवं विश्वविद्यालय रुचि बढ़ाने के लिए निबंध लेखन, कविता तथा नाटक जैसे कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
वैश्विक महत्त्व
मंदारिन एवं अंग्रेजी के बाद विश्व स्तर पर तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
लगभग 60.88 करोड़ लोगों की मातृभाषा है।
वैश्विक स्तर पर सोशल मीडिया पर प्रभाव बढ़ रहा है, कई प्रभावशाली लोग हिंदी का उपयोग कर रहे हैं।
सांस्कृतिक महत्त्व
भारत की शैक्षिक प्रणाली एवं आधिकारिक संचार में हिंदी की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
सांस्कृतिक गौरव एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है।
तथ्य
लगभग 57% भारतीयों द्वारा हिंदी बोली जाती है एवं 43% लोगों ने इसे अपनी मातृभाषा बताया है। (जनगणना 2011)
फिजी, नेपाल एवं मॉरीशस जैसे अन्य देशों में भी बोली जाती है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एवं भारतीय नौसेना ने ‘वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल’ (VLSRSAM) के लगातार सफल उड़ान परीक्षण किए हैं।
वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VLSRSAM) के संदर्भ में
VLSRSAM एक जहाज आधारित हथियार प्रणाली है, जिसका उद्देश्य समुद्री-स्किमिंग लक्ष्यों सहित नजदीकी दूरी पर विभिन्न हवाई खतरों को बेअसर करना है।
विमान एवं ड्रोन जैसे सुपरसोनिक कम-उड़ान लक्ष्यों के खिलाफ भारतीय नौसेना के लिए त्वरित-प्रतिक्रिया रक्षा प्रदान करता है।
डिजाइन एवं विकास
एस्ट्रा मिसाइल के डिजाइन पर आधारित, एक दृश्य-सीमा से परे (BVR) हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल।
दृश्य सीमा से परे (Beyond Visual Range- BVR) उस दूरी को संदर्भित करता है, जो आमतौर पर 20-30 किलोमीटर से अधिक होती है, जिस पर लक्ष्य नग्न आँखों से देखने के लिए बहुत दूर होता है एवं इसके लिए उन्नत ट्रैकिंग प्रणाली की आवश्यकता होती है।
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा विकसित।
उन्नत विशेषताएँ
कम दृश्यता के लिए धुआँ रहित इंजन का उपयोग करता है।
जैम-प्रतिरोधी तकनीक (Jam-Resistant Technology) से सुसज्जित।
इसमें सटीक लक्ष्य लॉकिंग के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर है।
मध्य उड़ान मार्गदर्शन के लिए फाइबर-ऑप्टिक जाइरोस्कोप के साथ जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली।
RF साधक टर्मिनल चरण में सटीकता सुनिश्चित करता है।
वारहेड
पूर्व-निर्मित खंडों के साथ एक उच्च-विस्फोटक हथियार ले जा सकता है।
लक्ष्य के निकट इष्टतम विस्फोट के लिए रडार प्रॉक्सिमिटी फ्यूज का उपयोग करता है।
लॉन्च प्रणाली
एक वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) में संगृहीत, एक ट्विन क्वाड-पैक कनस्तर सेटअप (प्रति पैक आठ मिसाइलें, कुल 40 मिसाइलें) के साथ।
बहु प्रक्षेपण प्रणालियाँ विभिन्न प्रकार के युद्धपोतों पर स्थापित की जा सकती हैं।
प्लेटफॉर्म
विध्वंसक, फ्रिगेट, कार्वेट एवं विमान वाहक पर स्थापना के लिए डिजाइन किया गया।
भविष्य में प्रतिस्थापन: भविष्य में बराक 1 (Barak 1) एंटी-एयर मिसाइल को प्रतिस्थापित करने की उम्मीद है।
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