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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 10, 2025 03:01 88 0

अपातानी जनजाति (Apatani Tribe)

अरुणाचल प्रदेश की अपातानी महिलाओं में चेहरे पर टैटू और नाक में पहनने वाले लकड़ी के आभूषण की पारंपरिक प्रथा अब केवल बुजुर्ग महिलाओं तक ही सीमित है।

अपातानी जनजाति के बारे में

  • अपातानी अरुणाचल प्रदेश की प्रमुख अनुसूचित जनजातियों में से एक हैं, जो अपनी अनूठी सांस्कृतिक प्रथाओं, सतत् कृषि प्रणालियों और मजबूत सामुदायिक पहचान के लिए जानी जाती हैं।
  • अवस्थिति: यह जनजाति मुख्य रूप से निचले सुबनसिरी जिले में स्थित जीरो घाटी में निवास करती हैं, जो पूर्वी हिमालय की निचली पर्वतमालाओं में स्थित एक घाटी है।
  • प्रकृति पूजक: अपातानी विश्व की उन कुछ जनजातियों में से हैं, जो प्रकृति की पूजा करना जारी रखती हैं। वे सूर्य एवं चंद्रमा की पूजा करते हैं।
  • त्योहार: जनजाति के बुजुर्ग लोक कथाओं, गीतों, मिजी-मिगुन, बुसी-आयु जैसे दोहों और मारुन, म्याको, ड्री और यापुंग जैसे व्यापक और विस्तृत त्योहारों के माध्यम से ज्ञान का प्रचार करते हैं।
  • भाषा: तानी (Tani)
  • प्राकृतिक उपचार: इस जनजाति के पास विभिन्न बीमारियों के उपचार हेतु हर्बल औषधियों का समृद्ध एवं व्यापक पारंपरिक ज्ञान विद्यमान है।
  • विशिष्ट सांस्कृतिक प्रथाएँ: अपातानी महिलाओं को पारंपरिक रूप से चेहरे पर टैटू (टिप्पेई-Tippei) और नाक में पहनने वाले लकड़ी के आभूषण  (यापिंग हुल्लो-Yaping Hullo) पहनने के लिए जाना जाता है, जो सुरक्षा और पहचान दोनों का प्रतीक है।
    • यह प्रथा महिलाओं को आक्रमणकारियों के लिए कम आकर्षक दिखाने के एक सुरक्षात्मक उपाय के रूप में शुरू हुई थी, जो बाद में आदिवासी सौंदर्य और सामाजिक सम्मान का प्रतीक बन गई।
    • 1970 के दशक की शुरुआत में, भारत सरकार ने शहरी शिक्षा और रोजगार के अवसरों की तलाश करने वाली महिलाओं के लिए सामाजिक बाधाओं का हवाला देते हुए इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • अपातानी लोगों की आर्थिक गतिविधियाँ: अपातानी समुदाय चावल की कृषि में कुशल हैं।
    • अपातानी जनजाति की धान कृषि,  एक परिष्कृत एवं अत्यधिक विकसित कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र का उदाहरण है, जो धान की खेती और मत्स्यपालन की एकीकृत प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है।

व्यक्तिगत अनुकूली शिक्षा 

(Personalised Adaptive Learning)

 

एक मूल्यांकन अध्ययन में पाया गया है कि आंध्र प्रदेश के सरकारी स्कूलों में प्रयोग किए गए व्यक्तिगत अनुकूली शिक्षण (Personalised Adaptive Learning- PAL) सॉफ्टवेयर के कारण इसका उपयोग करने वाले छात्रों की सीखने की दर दोगुनी हो गई।

  • यह अध्ययन नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल क्रेमर द्वारा स्वतंत्र रूप से किया गया था।
  • आंध्र प्रदेश सरकार ने कक्षा 6-9 के लिए इसे शुरू करने के लिए वर्ष 2019 में ConveGenius.AI नामक संस्था के साथ साझेदारी की थी।

व्यक्तिगत अनुकूली शिक्षा क्या है?

  • परिभाषा: एक शिक्षण पद्धति, जो प्रत्येक शिक्षार्थी की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप ढलती है।
  • अनुकूलन: छात्रों को उनके अपने सीखने के स्तर, प्राथमिकताओं और शैली के अनुसार सीखने में सक्षम बनाता है।
  • पारंपरिक पद्धतियों से भिन्न: एक ही तरह की शिक्षण पद्धति से हटकर एक अधिक लचीले और अनुकूलनीय शिक्षण मॉडल की ओर अग्रसर होती है।

PAL सॉफ्टवेयर की मुख्य विशेषताएँ

  • गेमीफाइड लर्निंग: यह सॉफ्टवेयर गणित की अवधारणाओं को गेमीफाइड करता है और प्रत्येक छात्र के कक्षा-स्तरीय ज्ञान और समस्या-समाधान शैली के अनुसार सामग्री को अनुकूलित करता है।
  • व्यक्तिगत शिक्षण पथ: छात्रों को एक अनुकूलित शिक्षण पथ प्रदान किया जाता है, जिससे उनके व्यक्तिगत शिक्षण स्तर के अनुसार निर्देश दिए जा सकते हैं।

लर्निंग आउटकम और लाभ 

  • समग्र अधिगम लाभ: PAL का उपयोग करने वाले छात्रों ने हस्तक्षेप के बिना अपने साथियों की तुलना में 1.9 वर्षों की स्कूली शिक्षा के बराबर प्रगति हासिल की।
  • कक्षा-वार प्रभाव: कक्षा 6 और 7 के छात्रों ने अधिक सुधार दिखाया।
  • कक्षा का आकार और पहुँच: टैबलेट तक अधिक पहुँच वाली छोटी कक्षाओं (42.3 घंटे बनाम 30.6 घंटे) के छात्रों ने अधिक लाभ दर्ज किया।
  • लैंगिक भेदभाव: लड़कियों ने लड़कों की तुलना में सॉफ्टवेयर का अधिक उपयोग किया, जिसके परिणामस्वरूप लड़कियों को अधिगम लाभ अधिक हुआ।
  • उपयोग सहसंबंध: 17 महीनों में औसत उपयोग 35.3 घंटे था तथा लर्निंग आउटकम सॉफ्टवेयर पर बिताए गए समय के साथ सकारात्मक रूप से सहसंबंधित था।

भारत और इजरायल ने द्विपक्षीय निवेश समझौते  पर हस्ताक्षर किए 

भारत और इजरायल ने द्विपक्षीय निवेश समझौते (BIA) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के सदस्य देश के साथ इस तरह का पहला समझौता है।

समझौते की मुख्य विशेषताएँ

  • निवेशक संरक्षण: निवेशकों के लिए न्यूनतम मानक स्थापित करता है और मध्यस्थता के माध्यम से एक स्वतंत्र विवाद समाधान तंत्र प्रदान करता है।
  • सुरक्षा एवं पारदर्शिता: निवेशकोण की सुरक्षा तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और सुचारू हस्तांतरण एवं नुकसान की भरपाई को सक्षम बनाता है।
  • नीतिगत संतुलन: निवेशक संरक्षण को राज्य के नियामक अधिकारों के साथ सावधानीपूर्वक संतुलित किया जाता है, ताकि संप्रभु नीतिगत स्वतंत्रता और लचीलापन सुरक्षित रह सके।

समझौते का महत्त्व

  • आर्थिक सहयोग: इससे आर्थिक संबंधों में वृद्धि और एक मजबूत निवेश वातावरण निर्मित होने की संभावना है।
  • निवेश में वृद्धि: भारत और इजरायल के मध्य वर्तमान द्विपक्षीय निवेश 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, इस समझौते से निवेश प्रवाह में और वृद्धि होने की संभावना है।
  • क्षेत्रीय सहयोग: वित्तीय प्रौद्योगिकी नवाचार, बुनियादी ढाँचे के विकास, वित्तीय विनियमन और डिजिटल भुगतान कनेक्टिविटी में सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • नए अवसर: साइबर सुरक्षा, रक्षा, नवाचार और उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में व्यावसायिक संपर्क और निवेश को प्रोत्साहित करता है।

प्रशांत द्वीपसमूह मंच

संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच, प्रशांत द्वीपसमूह के प्रमुख नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा और जलवायु चुनौतियों पर चर्चा के लिए सोलोमन द्वीपसमूह में एक सप्ताह का शिखर सम्मेलन शुरू किया।

शिखर सम्मेलन के प्रमुख फोकस क्षेत्र

  • सुरक्षा चिंताएँ: यह शिखर सम्मेलन क्षेत्र में, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच, बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों पर केंद्रित है।
    • ताइवान की भागीदारी रोकने हेतु चीन के दबाव के परिणामस्वरूप सोलोमन द्वीपसमूह ने चीन, ताइवान और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य देशों की उपस्थिति को रद्द कर दिया।
  • जलवायु परिवर्तन और COP-31: नेताओं से अपेक्षा की गई है कि वे COP-31 संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए ऑस्ट्रेलिया का समर्थन करेंगे।

सोलोमन (Solomon) द्वीपसमूह के बारे में

  • अवस्थिति: मेलानेशिया, ओशिनिया में एक द्वीपीय देश है, जिसमें छह बड़े द्वीप और 900 से अधिक छोटे द्वीप शामिल हैं, सोलोमन द्वीप ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व में अवस्थित है।
  • पड़ोसी देश और क्षेत्र
    • पश्चिम: बोगेनविले स्वायत्त क्षेत्र (Autonomous Region of Bougainville)।
    • दक्षिण-पश्चिम: ऑस्ट्रेलिया।
    • दक्षिण-पूर्व: न्यू कैलेडोनिया और वानुअतु (New Caledonia and Vanuatu)।
    • पूर्व: फिजी, तुवालु, वालिस और फ्यूचूना (Fiji, Tuvalu, Wallis and Futuna)।
    • उत्तर: माइक्रोनेशिया और नाउरू संघीय राज्य (Federated States of Micronesia and Nauru)।
  • स्थलाकृति एवं जलवायु: मुख्यतः पहाड़ी और वनाच्छादित, कुछ मैदानी क्षेत्र है। जलवायु मुख्यत: उष्णकटिबंधीय है।
  • राजधानी: होनियारा, सबसे बड़े द्वीप, ग्वाडलकैनाल पर अवस्थित।
  • जातीय समूह: मेलानेशियन 93%, पॉलिनेशियन 4%, माइक्रोनेशियन 1.5%, अन्य 1.5%।

प्रशांत द्वीपीय देश कौन से हैं?

  • भौगोलिक समूह: तीन प्रमुख समूहों मेलानेशिया, माइक्रोनेशिया और पोलिनेशिया से मिलकर बना है।
  • परिभाषा: दक्षिण-पश्चिम प्रशांत महासागर में विस्तृत 14 देशों को संदर्भित करता है।
  • सदस्य देश: कुक द्वीपसमूह, फिजी, किरिबाती, मार्शल द्वीपसमूह, माइक्रोनेशिया, नाउरू, नियू, समोआ, सोलोमन द्वीपसमूह, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, तुवालु, वानुअतु।

शिखर सम्मेलन का महत्त्व 

  • भू-राजनीतिक महत्त्व: वैश्विक भू-राजनीति में प्रशांत द्वीपसमूह की रणनीतिक भूमिका पर प्रकाश डालता है, विशेष रूप से प्रमुख शक्तियों के बीच प्रभाव संतुलन में।
  • जलवायु संवेदनशीलता: जलवायु परिवर्तन के प्रति द्वीपों के जोखिम और अनुकूलन एवं शमन पहलों के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने के उनके प्रयासों पर जोर देता है।

प्रशांत द्वीपीय मंच के बारे में

  • गठन: वर्ष 1971 में स्थापित, PIF एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसमें प्रशांत क्षेत्र के 18 सदस्य देश शामिल हैं।
  • सदस्य देश (18): प्रशांत द्वीपीय देश, ऑस्ट्रेलिया, फ्रेंच पोलिनेशिया, न्यू कैलेडोनिया और न्यूजीलैंड।
  • प्रमुख सदस्य: ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इस संगठन के सबसे बड़े और सबसे समृद्ध सदस्य हैं।
  • उद्देश्य: प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, राजनीतिक शासन में सुधार करना, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और जलवायु एवं समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना।
  • विजन: शांति, सद्भाव, सुरक्षा, सामाजिक समावेश और समृद्धि से भरपूर एक लचीला प्रशांत क्षेत्र, जहाँ सभी लोग स्वतंत्र, स्वस्थ और उत्पादकतापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें।

अंडरसी केबल कट (Undersea Cable Cut)

हाल ही में दक्षिण पूर्व एशिया–मध्य पूर्व–पश्चिमी यूरोप 4 (SMW4) एवं भारत–मध्य पूर्व–पश्चिमी यूरोप (IMEWE) नामक दो समुद्री केबल प्रणालियों में क्षति हुई, जिसके कारण भारत, पाकिस्तान और खाड़ी देशों में इंटरनेट सेवाएँ बाधित हुईं।

अंडरसी केबल्स (पनडुब्बी केबल्स) के बारे में

  • समुद्र के नीचे या पनडुब्बी केबल समुद्र तल पर बिछाई गई फाइबर-ऑप्टिक केबल हैं, जो 99% से अधिक वैश्विक इंटरनेट ट्रैफिक को वहन करती हैं, जिससे उच्च गति, कम विलंबता कनेक्टिविटी सुनिश्चित होती है।
  • प्रयुक्त तकनीक: इनमें ‘फाइबर-ऑप्टिक’ केबल (मानव बाल जितनी पतली) का प्रयोग किया जाता है, जो पूर्ण आंतरिक परावर्तन का उपयोग करके प्रकाश संकेतों को प्रेषित करती हैं।
  • नेटवर्क का महत्त्व: यह वैश्विक स्तर पर डेटा संचार की दृष्टि से पनडुब्बी केबल क्षमता और विलंबता के मामले में उपग्रहों की तुलना में कहीं अधिक सक्षम एवं तीव्र हैं।
    • भारत में, 17 अंतरराष्ट्रीय समुद्री केबल 14 लैंडिंग स्टेशनों के माध्यम से जुड़ते हैं, जिनमें से 68% क्षमता मुंबई और चेन्नई से सँभाली जाती हैं।
  • उन्नत इंजीनियरिंग: डेंस वेवलेंथ डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग (DWDM) एक केबल के माध्यम से एक साथ कई डेटा स्ट्रीमिंग की अनुमति देता है।

टूटने के संभावित कारण

  • मत्स्यपालन गतिविधियाँ और जहाज संचालन, विश्व भर में होने वाली अधिकांश आकस्मिक केबल कटों के लिए जिम्मेदार हैं।
  • भू-राजनीतिक संघर्ष, जैसे यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में प्रभुत्व स्थापित करना।
  • प्राकृतिक आपदाएँ, जिनमें भूकंप और समुद्र के नीचे भूस्खलन शामिल हैं।

टूटने का प्रभाव

  • कनेक्टिविटी में व्यवधान: दक्षिण एशिया और खाड़ी देशों में लाखों उपयोगकर्ताओं को मंदी और सेवा व्यवधान का सामना करना पड़ा।
  • आर्थिक निहितार्थ: विलंबता में वृद्धि के कारण लेन-देन में विलंब, व्यापार संचार में धीमापन और वित्तीय बाजारों में व्यवधान उत्पन्न हुआ।
  • रणनीतिक संवेदनशीलता: कुछ अवरोध बिंदुओं पर निर्भरता ने राष्ट्रीय सुरक्षा और महत्त्वपूर्ण डिजिटल बुनियादी ढाँचे के लिए जोखिमों को उजागर किया।

भारत द्वारा समुद्री केबल नेटवर्क को मजबूत करने के प्रयास

  • बुनियादी ढाँचे का विस्तार: इंडिया एशिया एक्सप्रेस (IAX), इंडिया यूरोप एक्सप्रेस (IEX) और अफ्रीका केबल सिस्टम जैसी नई परियोजनाओं का उद्देश्य अतिरेकता को बढ़ाना और अंतरराष्ट्रीय मार्गों में विविधता लाना है।
  • नीति और सुरक्षा उपाय: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने पनडुब्बी केबल बुनियादी ढाँचे को “आवश्यक सेवा” के रूप में वर्गीकृत करने, लैंडिंग स्टेशनों के विकेंद्रीकरण को प्रोत्साहित करने तथा विदेशी मरम्मत प्रणाली पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने का प्रस्ताव रखा है।

गवाह संरक्षण योजना 

(Witness Protection Scheme)

फिरेराम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (वर्ष 2025) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने गवाह संरक्षण योजना, 2018 का गलत तरीके से सहारा लेते हुए जमानत रद्द करने के मामलों में टेंपलेट आदेश जारी करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की आलोचना की है।

सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ

  • जमानत रद्द करने का निर्णय कानून के गुण-दोष और सिद्धांतों के आधार पर होना चाहिए, न कि पक्षों को गवाह संरक्षण का निर्देश देकर।
  • अप्रैल 2025 से अब तक लगभग 40 आवेदनों का निपटारा एक जैसे “साइक्लोस्टाइल्ड (Cyclostyled)” आदेशों के जरिए किया गया।
  • गवाह संरक्षण योजना को जमानत रद्द करने के विकल्प के रूप में मानना ​​न्यायिक जाँच एवं  मुकदमे की सुरक्षा को कमजोर करता है।

जमानत रद्दीकरण और गवाह संरक्षण के बीच अंतर

  • जमानत रद्द करना: अदालतों की निवारक और पर्यवेक्षी भूमिका यह सुनिश्चित करती है कि अभियुक्त गवाहों को भयभीत न करें और न ही सुबूतों से छेड़छाड़ करें।
  • गवाह संरक्षण: यह उपचारात्मक है। यह खतरे की स्थिति में एस्कॉर्ट, गुमनामी या स्थानांतरण जैसे उपायों के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करता है।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि दोनों परस्पर पूरक हैं और एक-दूसरे के विकल्प नहीं हो सकते।

गवाह संरक्षण योजना (Witness Protection scheme), 2018 के बारे में

  • गवाह संरक्षण योजना, 2018 भारत की पहली समग्र रूपरेखा है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया है, ताकि गवाहों को धमकियों और भय से बचाया जा सके।
  • उद्देश्य: गवाहों के उत्पीड़न, जीवन, संपत्ति और प्रतिष्ठा को खतरे से बचाकर निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना और इस प्रकार कानून के शासन को कायम रखना।
  • सक्षम प्राधिकारी: जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जिला स्थायी समिति, जिसके सदस्य जिला पुलिस प्रमुख और अभियोजन प्रमुख होंगे।
  • खतरे की आशंका के अनुसार गवाहों का वर्गीकरण
    • श्रेणी A: गवाह/परिवार के जीवन को खतरा।
    • श्रेणी B: सुरक्षा, प्रतिष्ठा या संपत्ति को खतरा।
    • श्रेणी C: उत्पीड़न या धमकी से जुड़ा मध्यम खतरा।
  • सुरक्षा उपाय: इसमें पुलिस एस्कॉर्ट, पहचान छिपाना, वीडियो द्वारा गवाही, स्थानांतरण, गोपनीयता और नई पहचान शामिल हैं।

नेपाल में जेन Z का विरोध प्रदर्शन 

हाल ही में नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के बाद जेन Z के हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके परिणामस्वरूप 19 लोगों की मौत हो गई और प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को त्याग-पत्र देना पड़ा।

जेन Z कौन हैं?

जेन Z से तात्पर्य वे लोग जिनका जन्म वर्ष 1996 और वर्ष 2010 के मध्य हुआ है। वे मिलेनियल्स और जेनरेशन अल्फा के बीच की दूसरी सबसे युवा पीढ़ी हैं।

नेपाल में जेन Z  आंदोलन के बारे में

  • जेन Z आंदोलन, नेपाल के 28 वर्ष से कम आयु के युवाओं द्वारा जड़ जमाए राजनीतिक अभिजात वर्ग और भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़े पैमाने पर सड़कों पर लामबंदी का प्रतीक है।
  • क्रांति के कारण
    • सोशल मीडिया प्रतिबंध: सरकार ने पंजीकरण नियमों का पालन न करने पर 26 प्रमुख प्लेटफॉर्म (फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स सहित) पर प्रतिबंध लगा दिया।
    • भ्रष्टाचार के आरोप: लगभग सभी वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जिससे लोकतांत्रिक संस्थाओं में युवाओं का विश्वास कम हो रहा है।
    • रोजगार और अवसरों की कमी: 82% कार्यबल अनौपचारिक रोजगार में है, और सीमित रोजगार सृजन ने कई नेपाली युवाओं को विदेश में कार्य करने के लिए मजबूर किया है।
    • पीढ़ीगत हताशा: युवा नागरिक 70 से अधिक आयु के नेताओं के प्रभुत्व से नाराज हैं, जिससे “नेपो बेबीज” और स्थापित विशेषाधिकारों के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है।
    • प्रेस की स्वतंत्रता का ह्रास: इस प्रतिबंध को असहमति और आत्म-अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाने के एक कदम के रूप में देखा गया।

भारत में सोशल मीडिया विनियमन

  • डेटा संरक्षण शासन: भारत ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, 2023 पारित किया, जिसके तहत नागरिक डेटा की सुरक्षा के लिए डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना की गई।
  • कंटेंट मॉडरेशन नियम: वर्ष 2023 के IT नियम संशोधन में ऑनलाइन मध्यस्थों को सरकार द्वारा चिह्नित ‘गलत जानकारी’ को हटाने का आदेश दिया गया है।
    • आलोचक चेतावनी देते हैं कि तथ्य-जाँच प्रक्रिया में कार्यपालिका से पूर्ण स्वतंत्रता का अभाव राज्य के अत्यधिक नियंत्रण संबंधी गंभीर जोखिम उत्पन्न कर सकता है।

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