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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 13, 2025 03:09 99 0

INS अरावली

भारतीय नौसेना अपने सूचना एवं संचार बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने एवं भारत के समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness- MDA) ढाँचे को बढ़ाने के लिए गुरुग्राम में INS अरावली नामक एक नौसैनिक अड्डे का शुभारंभ किया गया।

INS अरावली के बारे में

  • परिचय: INS अरावली एक नौसैनिक सहायता केंद्र है, जिसका नाम अरावली पर्वत शृखला के नाम पर रखा गया है, जो लचीलेपन एवं निरंतरता का प्रतीक है।
  • आदर्श वाक्य: ‘सामुद्रिक सुरक्षायाः सहयोग’, जिसका अर्थ है सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा को प्रेरित करना।
  • उद्देश्य: नौसेना के कमान, नियंत्रण एवं समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) ढाँचे के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना एवं संचार केंद्रों को मजबूत करना।
    • MDA भारत के विशाल समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा, संरक्षा एवं आर्थिक हितों को प्रभावित करने वाली सभी समुद्री गतिविधियों की निगरानी तथा आकलन को संदर्भित करता है।
  • विशेषताएँ
    • समुद्री सूचना बुनियादी ढाँचा: INS अरावली उन्नत संचार एवं निगरानी क्षमताओं को सक्षम करेगा, MDA केंद्रों के साथ निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित करेगा तथा भारत की तटीय एवं समुद्री निगरानी प्रणालियों को मजबूत करेगा।
    • सहयोग: यह राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए नौसेना इकाइयों, MDA केंद्रों एवं संबद्ध हितधारकों के साथ निर्बाध रूप से कार्य करेगा।
  • महत्त्व: INS अरावली निगरानी, ​​संचार एवं डोमेन जागरूकता में सुधार करके भारत की समुद्री सुरक्षा संरचना को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर 

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि विश्व भर में लगभग 1% बच्चे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम से ग्रस्त हैं, जो वर्ष 2012 में 0.62% था।

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (Autism Spectrum Disorder- ASD) क्या है?

  • ASD एक तंत्रिका संबंधी एवं विकासात्मक स्थिति है, जहाँ व्यक्ति संचार, व्यवहार तथा सामाजिक संपर्क के असामान्य पैटर्न प्रदर्शित करते हैं।
  • ‘स्पेक्ट्रम’ शब्द संभावित अभिव्यक्तियों की विस्तृत शृंखला को दर्शाता है।
    • ASD से ग्रस्त कुछ लोगों में वार्ता करने का अच्छा कौशल हो सकता है, जबकि अन्य अशाब्दिक हो सकते हैं।
    • कुछ लोग ध्वनियों, स्पर्श या अन्य ट्रिगर्स के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
    • कुछ लोगों के व्यवहार या रुचियाँ सीमित या दोहरावदार हो सकती हैं।
    • कुछ लोगों को दैनिक जीवन में मदद की आवश्यकता हो सकती है, जबकि अन्य को बहुत कम या बिल्कुल भी सहायता की आवश्यकता नहीं होती है।
  • निदान: ‘ऑटिज्म’ का निदान इसके व्यवहार संबंधी अवलोकन एवं देखभाल करने वालों द्वारा किया जाता है क्योंकि रक्त परीक्षण या मस्तिष्क स्कैन जैसे कोई वस्तुनिष्ठ उपकरण उपलब्ध नहीं हैं।
  • उपचार एवं सहायता: ‘ऑटिज्म’ का कोई उपचार नहीं है, लेकिन व्यावसायिक चिकित्सा, संरचित शिक्षा योजनाएँ एवं सामाजिक कौशल प्रशिक्षण जैसे प्रारंभिक हस्तक्षेप विकासात्मक परिणामों में महत्त्वपूर्ण सुधार कर सकते हैं।

मुरीकूटी पाचा

केरल स्थित जवाहरलाल नेहरू उष्णकटिबंधीय वनस्पति उद्यान एवं अनुसंधान संस्थान (JNTBGRI) के शोधकर्ताओं ने मुरीकूटी पाचा से घाव भरने वाला एक बहुक्रियाशील पैड विकसित किया है।

रेड आइवी प्लांट के बारे में

  • स्थानीय नाम: मुरीकूटी पाचा।
  • वानस्पतिक कुल: एकेंथेसी।
  • आवास: भारत सहित उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • पारंपरिक उपयोग: चिकित्सकों द्वारा कटने एवं घावों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • वैज्ञानिक सफलता: पहली बार एक्टियोसाइड को रेड आइवी पौधे से जोड़ा गया है।

एक्टियोसाइड के बारे में

  • प्रकृति: एक प्राकृतिक औषधीय रूप से सक्रिय अणु, जिसकी चिकित्सीय क्षमता ज्ञात है।
  • प्रभावकारिता: बहुत कम सांद्रता (0.2%) पर भी प्रभावी।
  • नवीनता: वैज्ञानिकों द्वारा ‘रेड आइवी’ पौधे से पहचान एवं पृथक किया गया।

मल्टी-लेयर्ड बाउंड पैड की विशेषताएँ

  • इलेक्ट्रो-स्पन नैनोफाइबर परत
    • जैव निम्नीकरणीय, गैर-विषैले FDA-अनुमोदित पॉलिमर से निर्मित।
    • इष्टतम गैस विनिमय को सुगम बनाता है, सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोकता है एवं तेजी से घाव भरने में सहायता करता है।
  • दवा का समावेश: इसमें एक्टियोसाइड एवं एंटीबायोटिक नियोमाइसिन सल्फेट होता है।
  • अति शोषक परत (Super Absorbent Layer): घाव के स्राव को अवशोषित करने के लिए ‘सोडियम एल्जिनेट’ द्वारा निर्मित स्पंज।
  • सक्रिय कार्बन परत: पुराने घावों से आने वाली दुर्गंध को अवशोषित करता है एवं रोकता है।
  • संयुक्त प्रभाव: स्वच्छता बनाए रखते हुए घाव भरने में तेजी लाता है।

महत्त्व एवं अनुप्रयोग

  • भारत में अपनी तरह का पहला: वर्तमान में घरेलू स्तर पर कोई मल्टी-लेयर्ड बाउंड पैड  उपलब्ध नहीं है।
  • लागत-प्रभावी: सामग्री सस्ती है, जिससे बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव है।
  • चिकित्सा प्रासंगिकता: व्यापक स्वास्थ्य सेवा उपयोग के लिए उपयुक्त, संभावित रूप से उपचार लागत को कम करता है।

समुद्र प्रदक्षिणा

हाल ही में रक्षा मंत्री ने मुंबई से विश्व के पहले त्रि-सेवा महिला जलयात्रा अभियान, ‘समुद्र प्रदक्षिणा’ को वर्चुअली हरी झंडी दिखाई है।

‘समुद्र प्रदक्षिणा’ के बारे में

  • इस अभियान में थल सेना, नौसेना एवं वायु सेना की 10 महिला अधिकारी स्वदेशी भारतीय सेना नौकायन पोत (Indigenous Indian Army Sailing Vessel- IASV) त्रिवेणी पर सवार होंगी।
  • मार्ग: यह अभियान नौ माह की अवधि में लगभग 26,000 समुद्री मील की दूरी तय करेगा। यात्रा के दौरान पोत भूमध्य रेखा को दो बार पार करेगा, केप ल्यूविन, केप हॉर्न तथा केप ऑफ गुड होप जैसे प्रमुख समुद्री मार्गों से होकर गुजरेगा और अंततः मई 2026 में मुंबई वापस लौटेगा।
  • उद्देश्य
    • नारी शक्ति, सशस्त्र बलों की एकजुटता एवं समुद्री सहनशीलता का प्रदर्शन करना।
    • स्वदेशी नौका IASV त्रिवेणी के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ाना।
    • फ्रेमेंटल, लिटलटन, पोर्ट स्टेनली एवं केप टाउन में बंदरगाहों पर जाकर सैन्य कूटनीति को बढ़ावा देना।
    • राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर सूक्ष्म प्लास्टिक एवं समुद्री जैव विविधता पर वैज्ञानिक अनुसंधान करना।

महत्त्व

  • विश्व स्तर पर पहली बार तीनों सेनाओं द्वारा महिलाओं का जलयात्रा अभियान।
  • स्वदेश निर्मित क्लास A नौका के माध्यम से भारत के रक्षा नवाचार का प्रदर्शन।
  • दक्षिणी महासागर एवं ड्रेक पैसेज के माध्यम से नौकायन करके नाविक कौशल की एक उत्कृष्ट परीक्षा।

IIM अहमदाबाद, दुबई

हाल ही में दुबई के क्राउन प्रिंस, महाशेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने दुबई में IIM-अहमदाबाद के पहले विदेशी परिसर का उद्घाटन किया।

IIM-अहमदाबाद, दुबई परिसर के बारे में

  • दुबई परिसर भारत के प्रमुख बिजनेस स्कूल, IIM अहमदाबाद का पहला अंतरराष्ट्रीय विस्तार है, जिसका उद्देश्य भारतीय प्रबंधन शिक्षा का वैश्वीकरण करना है।
  • विजन: यह परिसर “भारतीय भावना, वैश्विक दृष्टिकोण” के मूल सिद्धांत को दर्शाता है, जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की शैक्षणिक उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है।
  • उद्देश्य
    • विश्व स्तरीय प्रबंधन शिक्षा प्रदान करना एवं ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
    • उच्च शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार में भारत-यू.ए.ई. सहयोग को मजबूत करना।
    • उभरते क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान एवं क्षमता निर्माण के लिए एक लॉन्च पैड के रूप में कार्य करना।
  • अन्य पहल
    • UAE में भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों एवं CBSE स्कूलों के साथ एकीकरण।
    • STEM शिक्षा एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 12 CBSE स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब का कार्यान्वयन।
  • महत्त्व: यह परिसर भारत-UAE शैक्षिक संबंधों को मजबूत करता है, वैश्विक प्रतिभा गतिशीलता को बढ़ावा देता है तथा दोनों देशों के मध्य नवाचार, अनुसंधान एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।

सऊदी अरब ज्वैलरी एक्सपोजीशन (SAJEX) 2025

हाल ही में भारत ने सऊदी अरब के साथ आभूषण व्यापार संबंधों को मजबूत करने एवं GCC बाजारों तक पहुँच बढ़ाने के लिए जेद्दा में SAJEX 2025 का शुभारंभ किया।

SAJEX 2025 के बारे में

  • सऊदी अरब आभूषण प्रदर्शनी (Saudi Arabia Jewellery Exposition- SAJEX) 2025 का आयोजन GJEPC द्वारा रियाद स्थित भारतीय दूतावास एवं भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सहयोग से किया जा रहा है।

उद्देश्य

  • भारत-सऊदी व्यापार संबंधों को गहरा करना एवं GCC आभूषण बाजारों में भारत की भूमिका को मजबूत करना।
  • प्रदर्शनियों, नेटवर्किंग एवं ज्ञान-साझाकरण के माध्यम से व्यावसायिक अवसरों को सुगम बनाना।
  • वैश्विक आभूषण मूल्य शृंखला में सऊदी अरब को एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करना।

भारतीय रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (Gem & Jewellery Export Promotion Council of India- GJEPC) के बारे में

  • परिचय: GJEPC भारत का प्रमुख निकाय है, जो रत्न एवं आभूषण निर्यात को बढ़ावा देता है एवं केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्यरत है।
  • स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1966 में हुई थी एवं इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है।
  • भूमिका एवं उपलब्धियाँ
    • भारतीय आभूषण निर्माताओं के लिए वैश्विक व्यापार संवर्द्धन में सहायता करता है।
    • भारत ने वर्ष 2024-25 में 32 अरब डॉलर मूल्य के रत्न एवं आभूषण निर्यात किए।
    • भारत वार्षिक रूप से 1 अरब से अधिक हीरों का प्रसंस्करण करता है, जो वैश्विक मूल्य का 65% एवं वैश्विक मात्रा का 92% है।
    • वित्त वर्ष 2024-25 में इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 315% की वृद्धि हुई, जिससे भारत का कुल FDI, 50 अरब डॉलर हो गया।

रीयूनियन द्वीप

भारतीय नौसेना के प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन (Indian Navy’s First Training Squadron- 1TS) (INS तीर, ICGS सारथी एवं INS शार्दुल) के जहाजों ने अपनी लंबी दूरी की प्रशिक्षण तैनाती के तहत ला रियूनियन (फ्राँस) तथा पोर्ट लुई (मॉरीशस) के बंदरगाहों पर ठहरे है।

रियूनियन द्वीप के बारे में

  • स्थिति: हिंद महासागर में एक छोट-सा द्वीप, मेडागास्कर से लगभग 700 किमी. पूर्व एवं मॉरीशस से 175 किमी दक्षिण-पश्चिम में।
  • स्थिति: यह एक फ्राँसीसी विदेशी विभाग एवं क्षेत्र (French overseas department and region) है
    • इसका अर्थ यह है कि यह राजनीतिक रूप से फ्राँस का हिस्सा है और विस्तार से यूरोपीय संघ का भी हिस्सा है।
    • आधिकारिक मुद्रा: यूरो (€)।
    • आधिकारिक भाषा: फ्रेंच के साथ क्रियोल भी व्यापक रूप से बोली जाती है।
  • भौगोलिक विशेषताएँ: ज्वालामुखी उत्पत्ति, यहाँ विश्व के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक, पिटोन डे ला फोरनेज अवस्थित है।
    • ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियाँ, उष्णकटिबंधीय जलवायु, प्रवाल भित्तियाँ एवं जैव विविधता से युक्त पारिस्थितिकी तंत्र।
  • सामरिक महत्त्व
    • दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित, प्रमुख समुद्री व्यापार मार्गों (मोजांबिक चैनल के पास) के निकट।

भारतीय नौसेना के पहले प्रशिक्षण स्क्वाड्रन (1TS) के बारे में

  • INS तीर: भारतीय नौसेना द्वारा डिजाइन किया गया पहला समर्पित कैडेट प्रशिक्षण जहाज एवं मुंबई स्थित मझगाँव डॉक लिमिटेड द्वारा निर्मित।
  • सुसज्जित: डेका कोलिजन अवॉइडेंस प्लॉट एवं एक SATNAV (उपग्रह नेविगेशन) प्रणाली से सुसज्जित।
  • भारतीय तटरक्षक जहाज सारथी: गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित तीसरा स्वदेश निर्मित ऑफशोर पेट्रोल वेसल  (offshore Patrol Vessel- OPV)।
  • INS शार्दुल: अपने उभयचर युद्ध वर्ग (Amphibious warfare class) का प्रमुख जहाज, एवं कोच्चि में स्थित है।
    • इसने कैडेट प्रशिक्षण, हिंद महासागर निगरानी एवं मानवीय मिशनों का संचालन किया है, जिसमें वर्ष 2020 में मेडागास्कर में किया गया राहत कार्य संबंधी ऑपरेशन भी शामिल है, जो किसी भारतीय युद्धपोत द्वारा किया गया सबसे बड़ा राहत कार्य संबंधी ऑपरेशन  है।

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