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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 18, 2025 03:16 48 0

‘एक्सरसाइज पैसिफिक रीच  2025’ (XPR 25) 

हाल ही में INS निस्तार सिंगापुर के चांगी नौसैनिक अड्डे  पर पहुँचा, जहाँ उसने बहुराष्ट्रीय एक्सरसाइज पैसिफिक रीच, 2025 (XPR 25) में भाग लिया।

 ‘एक्सरसाइज पैसिफिक रीच 2025’  के बारे में

  • परिचय: ‘पैसिफिक रीच’ द्विवार्षिक बहुराष्ट्रीय ‘सबमरीन रेस्क्यू’ (Submarine Rescue) अभ्यास है।
  • मेजबानी: वर्ष 2025 के संस्करण की मेजबानी सिंगापुर कर रहा है।
  • आयोजन स्थल: ‘एक्सरसाइज पैसिफिक रीच 2025’ दक्षिण चीन सागर में आयोजित किया जा रहा है।
  • भागीदारी: 40 से अधिक राष्ट्र सक्रिय सदस्य या प्रेक्षक के रूप में भाग ले रहे हैं।
  • भारत इसमें INS निस्तार और सबमरीन रेस्क्यू यूनिट (ईस्ट) के माध्यम से भाग ले रहा है। 
  • अभ्यास के चरण: यह दो चरणों में आयोजित होगा।
  • हार्बर चरण (सप्ताह भर): गहन चर्चा करना और जानकारी का आदान-प्रदान करना।
    • समुद्री चरण: भाग लेने वाली सबमरीन के साथ INS निस्तार और भारतीय पनडुब्बी बचाव इकाई की सीधी भागीदारी।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC)

भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में कतर की संप्रभुता का समर्थन किया है।

  • 9 सितंबर, 2025 को, इजरायली हवाई हमलों में कतर की राजधानी दोहा में कई लोगों की मृत्यु हुई, जिससे तनाव में वृद्धि हुई एवं इस कृत्य की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के बारे में

  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंतर्गत एक अंतर-सरकारी निकाय है, इसने पूर्व संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग का स्थान लिया।
  • स्थापना: वर्ष 2006।
  • मुख्यालय: जेनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • सदस्यता: इसमें 47 सदस्य देश होते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा तीन वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है।
    • भौगोलिक प्रतिनिधित्व: विभिन्न क्षेत्रों से संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित।
  • भूमिका
    • वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों का संवर्द्धन और संरक्षण।
    • मानवाधिकार उल्लंघनों पर कार्रवाई और अनुशंसाएँ प्रस्तुत करना।
    • संप्रभुता और मानवाधिकारों को प्रभावित करने वाले संकटों पर विमर्श का मंच उपलब्ध कराना।

हमले पर भारत का दृष्टिकोण

  • UNHRC में वक्तव्य: भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कतर की संप्रभुता के उल्लंघन की निंदा की।
  • वैश्विक खतरा: भारत ने दोहा में इजरायली बमबारी को क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बताया।
  • नियम आधारित समाधान: भारत ने पुनः दोहराया कि विवादों का समाधान केवल संवाद, कूटनीति और संप्रभुता के सम्मान के माध्यम से ही होना चाहिए।

व्यापक प्रभाव

  • पश्चिम एशिया में रणनीतिक संतुलन: भारत कतर, अरब देशों और इजरायल के साथ संतुलित संबंध बनाए रखते हुए क्षेत्रीय स्थिरता तथा कूटनीति को प्रोत्साहन देता है।
  • संप्रभुता और शांति का समर्थन: संप्रभुता उल्लंघन की निंदा कर भारत ने शांति-पूर्ण विवाद समाधान में अपनी विश्वसनीयता को सुदृढ़ किया।

स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने राष्ट्रव्यापी स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान का शुभारंभ किया।

स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान के बारे में

  • यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा महिला एवं बाल स्वास्थ्य जनांदोलन है, जिसमें स्वास्थ्य, पोषण और कल्याण सेवाओं का एकीकरण किया गया है।
  • उद्देश्य: महिलाओं, किशोरियों और बच्चों को रोकथाम, संवर्द्धन और उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना; साथ ही कुपोषण और जीवनशैली संबंधी बीमारियों पर रोक लगाना।
  • संबंधित मंत्रालय: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के नेतृत्व में।
    • अन्य मंत्रालयों की भूमिका: केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज, शिक्षा, युवा, जनजातीय मामले, रक्षा, रेल, श्रम आदि मंत्रालय इस कार्यक्रम में सहयोगी की भूमिका निभाएँगे।
  • लक्ष्य और कवरेज
    • इसका लक्ष्य 17 सितंबर से 2 अक्टूबर, 2025 के बीच देश भर में एक लाख से अधिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित करना है।
    • आयुष्मान आरोग्य मंदिरों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रतिदिन स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाएँगे।
    • यह अभियान आशा कार्यकर्ताओं, ANM, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्वयं सहायता समूहों, पंचायती राज संस्थाओं, ‘माई भारत’ (MY Bharat) स्वयंसेवकों और युवा समूहों के माध्यम से जमीनी स्तर तक पहुँचेगा।
  • प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएँ: स्क्रीनिंग और शीघ्र पहचान, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, जागरूकता अभियान, विशेषज्ञ सेवाएँ, आयुष एकीकरण, सामुदायिक भागीदारी आदि।

पीएम मित्र पार्क योजना

भारतीय प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के भैंसला गाँव में देश के सबसे बड़े पीएम मित्र पार्क की आधारशिला रखी।

पीएम मित्र पार्क योजना के बारे में

  • मंत्रालय: केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय (वर्ष 2021 में प्रारंभ)।
  • विजन: 5F सूत्र- फार्म टू फाइबर टू फैक्टरी टू फैशन टू फॉरेन (Farm to Fibre to Factory to Fashion to Foreign)।
  • उद्देश्य: एकीकृत, आधुनिक, बड़े पैमाने के औद्योगिक पार्क स्थापित करना; लॉजिस्टिक लागत घटाना और प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाना।
  • अवधि: वर्ष 2021-22 से वर्ष 2027-28
  • कार्यान्वयन एजेंसी: केंद्र और राज्य सरकारों की ‘जॉइंट स्पेशल पर्पस व्हीकल’  (SPV)।
  • पात्रता एवं चयन मानदंड
    • राज्यों को कम-से-कम 1,000 एकड़ की संलग्न भूमि उपलब्ध करानी होगी।
    • राज्य की वस्त्र और औद्योगिक नीतियों के साथ संरेखण।
    • निवेश आकर्षित करने और नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करने की क्षमता।
  • पार्क के प्रकार: ग्रीनफील्ड (नई परियोजनाएँ) या ब्राउनफील्ड (मौजूदा सुविधाओं का उन्नयन) के रूप में विकसित किया जा सकता है।
  • अपेक्षित परिणाम
    • विश्व स्तरीय कपड़ा केंद्रों का निर्माण।
    • आपूर्ति शृंखलाओं का एकीकरण।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और निजी निवेश आकर्षित करना।
    • कपड़ा और संबद्ध उद्योगों में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित करना।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)

केंद्र सरकार ने पीएम मातृ वंदना योजना के तहत 15 लाख से अधिक महिलाओं को वित्तीय सहायता हस्तांतरित की।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के बारे में 

  • शुभारंभ: वर्ष 2017 से कार्यरत।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD)।
  • उद्देश्य: मातृ स्वास्थ्य और पोषण में सुधार, गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान वेतन हानि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना और प्रसव एवं बाल टीकाकरण के लिए संस्थागत देखभाल को बढ़ावा देना।
    • इस कार्यक्रम के तहत, देश भर में पात्र महिलाओं के बैंक खातों में एक क्लिक से सीधे धनराशि हस्तांतरित की जाएगी।
  • लाभार्थी: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताएँ अपने पहले जीवित बच्चे के जन्म के लिए और दूसरे बच्चे के जन्म के लिए, यदि दूसरा बच्चा लड़की है।
    • अपवर्जित: सरकारी क्षेत्र में कार्यरत महिलाएँ (जो पहले से ही मातृत्व लाभ प्राप्त कर रही हैं)।
  • नकद प्रोत्साहन: ₹5,000 की राशि तीन किस्तों में प्रदान की जाएगी , जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी:
    1. पहली किस्त: गर्भावस्था के पंजीकरण पर।
    2. दूसरी किस्त: कम-से-कम एक प्रसवपूर्व जाँच के बाद।
    3. तीसरी किस्त: बच्चे के जन्म और पहले टीकाकरण के सत्यापन के बाद।
  • यदि दूसरा बच्चा लड़की है, तो दूसरे बच्चे के जन्म पर 6,000 रुपये की राशि प्रदान की जाती है।
  • वित्तपोषण पद्धति: केंद्र प्रायोजित योजना।
  • महत्त्व: मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद करता है, बाल पोषण और समय पर टीकाकरण को बढ़ावा देता है और संस्थागत स्वास्थ्य सुविधाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।

स्टेबलकॉइन (Stablecoins)

हाल ही में बैंक ऑफ इंग्लैंड ने बैंकिंग स्थिरता के लिए जोखिम और व्यापक क्रिप्टो विनियमन की कमी का हवाला देते हुए ‘स्टेबलकॉइन’ पर स्वामित्व सीमा का प्रस्ताव दिया।

स्टेबलकॉइन के बारे में

  • ‘स्टेबलकॉइन’ स्थिर परिसंपत्तियों से जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी हैं।
  • स्टेबलकॉइन के प्रकार: फिएट समर्थित (जैसे, USD रिजर्व); कमोडिटी समर्थित (सोना, चाँदी, तेल); क्रिप्टो समर्थित (क्रिप्टोकरेंसी द्वारा संपार्श्विक); एल्गोरिदमिक (प्रोग्राम किए गए नियमों द्वारा नियंत्रित आपूर्ति), आदि।
  • प्रौद्योगिकी: डिजिटल लेजर (ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी) पर संगृहीत।
  • विशेषताएँ
    • मूल्य स्थिरता: परिसंपत्तियों द्वारा समर्थित या एल्गोरिदम द्वारा नियंत्रित।
    • लचीलापन: तेज, कम लागत वाले, सीमारहित लेन-देन को सक्षम बनाना।
    • निवेश: पारंपरिक मुद्रा में रूपांतरण की आवश्यकता नहीं।
    • तेजी से बढ़ता बाजार: स्टैंडर्ड चार्टर्ड का अनुमान है कि वर्ष 2028 तक यह 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा।
  • नियामकों द्वारा पहचाने गए जोखिम
    • जोखिम: अचानक निकासी से बाजार अस्थिर हो सकते हैं, जैसा कि TerraUSD कंपनी के पतन (2022) के उदाहरण से स्पष्ट होता है।
    • वित्तीय स्थिरता: बैंकों में जमा राशि कम हो सकती है, जिससे ऋण उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
    • BIS की चिंताएँ: एकरूपता (सममूल्य विचलन), लोचशीलता (सीमित आपूर्ति विस्तार), और अखंडता (AML/KYC अनुपालन अंतराल) के मुद्दे।
    • धन शोधन और आतंकवाद का वित्तपोषण: सीमा पार मुक्त व्यापार से दुरुपयोग का जोखिम बढ़ जाता है।

स्टेबलकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर

  • अस्थिरता
    • बिटकॉइन/एथेरियम: मूल्य में तीव्र उतार-चढ़ाव के अधीन।
    • स्टेबलकॉइन: मूल्य स्थिर रहता है, किसी अंतर्निहित परिसंपत्ति से जुड़ा होता है।
  • उद्देश्य
    • क्रिप्टोकरेंसी: मुख्यतः  ‘स्पेक्युलेशन’ निवेश या विकेंद्रीकृत वित्तीय परिसंपत्ति।
    • स्टेबलकॉइन: विनिमय के माध्यम और तेज निपटान के लिए मूल्य के भंडार के रूप में कार्य करते हैं।

यूस्टोमा 

CSIR-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (National Botanical Research Institute- NBRI) के प्रयासों से, ओडिशा में पहली बार यूस्टोमा का पुष्पन सफलतापूर्वक हुआ है।

यूस्टोमा (यूस्टोमा ग्रैंडिफ्लोरम) के बारे में

  • परिचय: यूस्टोमा, जिसे आमतौर पर लिसिएंथस के नाम से जाना जाता है, एक विदेशी सजावटी फूल है, जो अपनी लंबे समय तक चलने वाली ताजगी एवं सौंदर्यपरक आकर्षण के लिए जाना जाता है।
  • मूल क्षेत्र: मेक्सिको, दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका एवं मध्य एवं दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्से।
  • जलवायु परिस्थितियाँ: यह गर्म समशीतोष्ण से लेकर उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उत्पादित होता है।
  • उपयोग: वैश्विक रूप से फूलों के व्यापार, शादी की सजावट एवं फूलों की सजावट में लोकप्रिय, इसे इसकी लंबी शेल्फ लाइफ के कारण गुलाब का एक संभावित विकल्प माना जाता है।
  • आर्थिक क्षमता: यूस्टोमा की कटाई एक वर्ष में दो बार की जा सकती है, जिससे किसानों को प्रति एकड़ प्रति सीजन ₹2 लाख रूपये तक का लाभ होता है, जिससे आकर्षक आय के अवसर सुनिश्चित होते हैं।

राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन – रबी अभियान 2025

हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री ने दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन – रबी अभियान 2025 का उद्घाटन किया।

सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ

  • थीम: ‘वन नेशन – वन एग्रीकल्चर – वन टीम’
  • उत्पादन उपलब्धि: वर्ष 2024–25 में खाद्यान्न उत्पादन 353.96 मिलियन टन रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.5% अधिक है।
    • चावल, गेहूँ, मक्का, मूँगफली और सोयाबीन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।
  • उत्पादन लक्ष्य: वर्ष 2025-26 के लिए खाद्यान्न लक्ष्य 362.50 मिलियन टन है।
    • राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-विशिष्ट रोडमैप के माध्यम से दलहन एवं तिलहन उत्पादकता पर विशेष जोर।

ऋतु आधारित फसल के बारे में

  • रबी फसलें: सर्दियों में बोई जाती हैं (अक्टूबर-दिसंबर), वसंत ऋतु में काटी जाती हैं (अप्रैल-जून)।
    • उदाहरण: गेहूँ, जौ, सरसों, चना, मटर।
  • खरीफ फसलें: मानसून (जून-जुलाई) में बोई जाती हैं, शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) में काटी जाती हैं।
    • उदाहरण: चावल, मक्का, बाजरा, मूंगफली, कपास, सोयाबीन।
  • जायद फसलें: रबी एवं खरीफ (मार्च-जून, गर्मियों के दौरान) के बीच बोई जाती हैं तथा गर्मियों की शुरुआत से मानसून की शुरुआत (अप्रैल-जुलाई) तक काटी जाती हैं।
    • उदाहरण: तरबूज, खरबूजा, खीरा, चारा फसलें, कद्दू आदि।

होदेइदाह बंदरगाह

हाल ही में इजरायल ने यमन के लाल सागर में स्थित बंदरगाह ‘होदेइदाह’ पर हमला किया।

होदेइदाह बंदरगाह के बारे में

  • अवस्थिति: होदेइदाह पश्चिमी यमन का एक शहर है, जो लाल सागर की सीमा से लगे तिहामा तटीय मैदान पर अवस्थित है।
    • यह यमन के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है।
  • यह बंदरगाह यमन के व्यापार के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान संघर्ष के बावजूद यह अधिकांश आयात एवं निर्यात का संचालन करता है।
  • सामरिक महत्त्व: होदेइदाह बंदरगाह का नियंत्रण महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह लाल सागर में मानवीय सहायता प्रवाह, व्यापार पहुँच एवं क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित करता है।

‘सेक्स साॅर्टेड सीमेन’ फैसिलिटी 

हाल ही में भारतीय  प्रधानमंत्री ने बिहार के पूर्णिया में ₹10 करोड़ की ‘सेक्स साॅर्टेड  सीमेन फैसिलिटी’ (Sex Sorted Semen Facility) का उद्घाटन किया, जिससे पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में दुग्ध विकास को बढ़ावा मिलेगा।

‘सेक्स साॅर्टेड सीमेन फैसिलिटी’ के बारे में

  • यह सुविधा केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत स्थापित की गई है।
  • इसमें स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक ‘गौसॉर्ट’ का उपयोग किया जाएगा।
  • उद्देश्य
    • किसानों को उचित दरों पर ‘सेक्स साॅर्टेड सीमेन’ उपलब्ध कराना।
    • पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों में डेयरी व्यवसाय में संलग्न लघु, सीमांत किसानों तथा भूमिहीन मजदूरों का समर्थन करना।
    • बेहतर पशुधन प्रबंधन के माध्यम से डेयरी उत्पादकता बढ़ाना एवं किसानों की आय में वृद्धि करना।
  • क्षमता: प्रतिवर्ष 5 लाख डोज उत्पादन की क्षमता।
    • पूर्णिया सीमेन सेंटर  (₹84.27 करोड़ से स्थापित) 50 लाख डोज प्रतिवर्ष उत्पन्न करता है।

गौसॉर्ट तकनीक के बारे में

  • परिचय: यह एक स्वदेशी रूप से विकसित ‘सेक्स सॉर्टिंग’ तकनीक है, जो मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
  • लॉन्च: 5 अक्टूबर, 2024।
  • उपयोग: सीमेन के सेक्स-सॉर्टिंग में इसका उपयोग किया जाता है, जिससे उच्च परिशुद्धता के साथ मादा जनन संभव होता है।
  • प्रभावकारिता: यह तकनीक मादा जनन को सुनिश्चित करने में लगभग 90% सटीकता प्राप्त करती है।
    • यह अनुत्पादक बछड़ों की संख्या को कम करके डेयरी किसानों पर आर्थिक बोझ कम करने में मदद करती है।

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