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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 19, 2025 04:05 78 0

‘पैसिफिक एंजेल 25’

भारत ने अमेरिका और श्रीलंका के साथ ‘पैसिफिक एंजेल 25’ अभ्यास में भाग लिया, जिसे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का सबसे बड़ा आपदा प्रतिक्रिया और मानवीय सहयोग अभ्यास माना जाता है।

‘पैसिफिक एंजेल 25’ अभ्यास के बारे में

  • प्रारंभ:पैसिफिक एंजेल 25’ अभ्यास का शुभारंभ 9 सितंबर, 2025 को श्रीलंका के कटुनायके वायुसेना अड्डे पर हुआ।
  • उद्देश्य: इस अभ्यास का उद्देश्य मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियानों के लिए क्षेत्रीय तैयारी को सुदृढ़ करना है।
  • भागीदारी: लगभग 90 अमेरिकी सैन्यकर्मी और 120 श्रीलंका वायुसेना सदस्य, भारत, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, जापान और मालदीव के सैनिकों व प्रेक्षकों के साथ शामिल हुए।
  • महत्त्व: यह अभ्यास खोज एवं बचाव, चिकित्सीय तैयारी, विमानन सुरक्षा और इंजीनियरिंग सहयोग को सुदृढ़ करता है, जिससे क्षेत्रीय सहयोग और संकट प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ती है।

ऑपरेशन ‘वीड आउट’ 

हाल ही में राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) ने ‘ऑपरेशन वीड आउट’ के तहत संपूर्ण भारत में 108.67 किलोग्राम हाइड्रोपोनिक वीड (गांजा) जब्त किया।

ऑपरेशन वीड आउट के बारे में

  • स्वरूप: यह एक अखिल-भारतीय अभियान है, जिसका उद्देश्य हाइड्रोपोनिक कैनबिस की तस्करी करने वाले ड्रग सिंडिकेट्स को पकड़ना है।
    • हाइड्रोपोनिक खरपतवार की कृषि एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें खरपतवार को मृदा रहित प्रणाली में उगाया जाता है तथा पौधों को जीवित रखने के लिए पोषक तत्त्वों से भरपूर समाधानों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • कानूनी ढाँचा: सभी कार्रवाइयाँ स्‍वापक‍ ओषधि‍ और‍ मन: प्रभावी‍ पदार्थ‍ अधिनियम,‍ 1985 (NDPS Act) के तहत की जाती हैं।
  • प्रवृत्ति: हाल के वर्षों में थाईलैंड से भारत में अनेक हवाई अड्डों के माध्यम से हाइड्रोपोनिक वीड (गांजा) की तस्करी में तेजी आई है।
  • महत्त्व: यह अभियान “नशा मुक्त भारत” की दृष्टि को समर्थन देता है, ड्रग सिंडिकेट्स पर कानूनी कार्यवाही करता है और मादक पदार्थों की तस्करी को कम करता है।

राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 1957 में।
  • स्वरूप: यह केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अंतर्गत भारत की प्रमुख खुफिया और प्रवर्तन एजेंसी है।
  • कार्य: तस्करी, मादक पदार्थ व्यापार, वाणिज्यिक धोखाधड़ी और आर्थिक अपराधों से निपटना तथा राष्ट्रीय आर्थिक सुरक्षा की रक्षा करना।

चीता स्थानांतरण

हाल ही में प्रोजेक्ट चीता की तीसरी वर्षगाँठ पर एक मादा चीता को कूनो राष्ट्रीय उद्यान से गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित किया गया।

  • इस स्थानांतरण का उद्देश्य कुनो राष्ट्रीय उद्यान पर दबाव कम करना तथा चीतों के आवासों में विविधता लाना है।

प्रोजेक्ट चीता के बारे में

  • प्रोजेक्ट चीता को औपचारिक रूप से वर्ष 2022 में लॉन्च किया गया, जिसमें नामीबिया से आठ चीतों को कूनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित किया गया था।
    • इस परियोजना के तहत फरवरी 2023 में 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से भारत के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया।
  • उद्देश्य: वर्ष 1952 में विलुप्त हो चुके चीतों को भारत में पुनः स्थापित करना, पारिस्थितिकी संतुलन बहाल करना और चरागाह संरक्षण को मजबूत करना।
  • प्राधिकरण: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अंतर्गत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) इस परियोजना की देख-रेख करता है।
  • प्रगति: भारत में अब 27 चीते हैं।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान के बारे में

  • परिचय: वर्ष 2018 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया कूनो, मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में अवस्थित है, जिसे प्रारंभ में एशियाई शेरों के पुनर्वास के लिए तैयार किया गया था।
  • अवस्थिति: विंध्य की पहाड़ियाँ और उत्तरी मध्य प्रदेश का अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र, चंबल नदी बेसिन के पास।
  • वनस्पतियाँ और वन्य जीवन: शुष्क पर्णपाती वनों और घास के मैदानों से युक्त, यह उद्यान स्थानांतरित चीतों के अतिरिक्त तेंदुए, चिंकारा, नीलगाय, धारीदार लकड़बग्घा एवं सियार जैसी प्रजातियों का आश्रय स्थल है।

गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में

  • परिचय: वर्ष 1974 में स्थापित, यह अभयारण्य मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में अवस्थित है।
    • यह चंबल नदी पर निर्मित गांधीसागर बाँध के निकट स्थित है।
  • परियोजनाएँ और महत्त्व: इसे चीता पुनर्वास के रूप में नामित किया गया है (कूनो के बाद दूसरा)। वर्तमान में यहाँ 3 चीते हैं।
    • यह आवास पुनर्स्थापन, शिकार आधार प्रबंधन और पारिस्थितिकी पर्यटन विकास जैसी संरक्षण पहलों का समर्थन करता है।
  • वनस्पतियाँ: यह खटियार-गिर शुष्क पर्णपाती वन का हिस्सा है, इसलिए यहाँ सलाई, करधई, धौड़ा, तेंदू, पलाश आदि के वृक्ष पाए जाते है।
  • जीव-जंतु: दुर्लभ वन्यजीव प्रजातियाँ जैसे जंगली कुत्ते (ढोल), चिंकारा, तेंदुआ, ऊदबिलाव, मगरमच्छ,चित्तीदार हिरण, साँभर, ग्रे ऐप आदि।

SPIN90 प्रोटीन

CSIR-कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (CCMB), हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने कोशिका की गति और आकार को विनियमित करने में SPIN90 प्रोटीन की महत्त्वपूर्ण भूमिका की खोज की है।

  • ये निष्कर्ष जर्नल नेचर स्ट्रक्चरल एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में प्रकाशित हुए।

SPIN90 प्रोटीन के बारे में

  • SPIN90 एक कोशिकीय प्रोटीन है, जो कोशिकाओं के आंतरिक संरचनात्मक पुनर्गठन को नियंत्रित करने में शामिल है।
  • यह कोशिका गतिशीलता और अनुकूलनशीलता के लिए आवश्यक साइटोस्केलेटल गतिशीलता में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
  • कोशिका गति में भूमिका
    • एक्टिन फिलामेंट रिअरेंजमेंट को प्रभावित करके, SPIN90 कुशल और निर्देशित कोशिका संचलन सुनिश्चित करता है।
      • कोशिका का आकार उसकी झिल्ली के पास एक्टिन के सघन, शाखित जाल द्वारा निर्धारित होता है।
      • एक्टिन’ अणु अत्यधिक गतिशील होते हैं और कोशिका झिल्ली पर दबाव डालने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
    • SPIN90 प्रोटीन, कोशिकाओं के विस्तार में मदद करती है, क्योंकि यह एक्टिन के एक नए मैट्रिक्स का निर्माण करती है जो वांछित दिशा में दाब डालता है।
    • ये विस्तार श्वेत रक्त कोशिकाओं जैसी कोशिकाओं को रोगजनकों की निगरानी और उन्हें नष्ट करने में सक्षम बनाते हैं।
  • स्वास्थ्य और रोग संबंधी निहितार्थ: SPIN90 में दोष प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को बाधित कर सकते हैं और कैंसर मेटास्टेसिस जैसी बीमारियों में योगदान कर सकते हैं।

महत्त्व

  • यह खोज कोशिकीय व्यवहार को नियंत्रित करने वाली मूलभूत प्रक्रियाओं पर आधारित है और विभिन्न रोगों को बेहतर ढंग से समझने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।

मोरन समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की माँग 

हाल ही में असम में मोरान समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जे की माँग को लेकर तिनसुकिया जिले में आर्थिक नाकेबंदी की है।

वर्तमान आंदोलन

  • अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जे की माँग: मोरान असम के छह समुदायों में से एक हैं, जिनमें आदिवासी (चाय जनजाति), मोटोक, ताई अहोम, चुटिया और कोच-राजबोंगशी शामिल हैं, जो लंबे समय से अनुसूचित जनजाति (ST) मान्यता की माँग कर रहे हैं।

मोरान समुदाय के बारे में

  • परिचय: मोरन एक मूल असमिया समुदाय है, जो ऐतिहासिक रूप से कृषि प्रधान है और ऊपरी असम, विशेष रूप से तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ जिलों में केंद्रित है।
  • जातीयता और उत्पत्ति: वे अपने पूर्वजों का अनुमान असमिया जनजातीय समूहों से लगाते हैं और ब्रह्मपुत्र घाटी के शुरुआती बसने वालों में से एक माने जाते हैं।
  • भाषा: समुदाय मुख्य रूप से असमिया भाषा बोलते है, हालाँकि कुछ परंपराओं में ताई-अहोम भाषायी प्रभाव उपस्थित है।

अनुसूचित जनजाति सूची में समुदायों को शामिल करना 

  • संवैधानिक आधार: भारतीय संविधान का अनुच्छेद-342 राष्ट्रपति को संबंधित राज्य के परामर्श के बाद किसी भी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित करने का अधिकार देता है।
    • दिशा-निर्देश: पहली बार 15 जून, 1999 को जारी किए गए और बाद में 25 जून, 2002 और 14 सितंबर, 2022 को संशोधित किए गए।
  • प्रक्रिया
    • राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र का प्रस्ताव: प्रस्ताव संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा प्रस्तुत और उचित ठहराया जाना चाहिए।
    • भारत के महापंजीयक (RGI) द्वारा परीक्षण: आरजीआई प्रस्ताव की जाँच करता है।
      • यदि अनुशंसित नहीं किया जाता है, तो राज्य सरकार से अतिरिक्त आँकड़े या स्पष्टीकरण प्रदान करने के लिए कहा जाता है।
    • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) द्वारा परीक्षण: प्रस्ताव की समीक्षा NCST द्वारा की जाती है, जो अपनी सिफारिशें देता है।
    • अंतिम निर्णय: अंतिम निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल और राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना पर निर्भर करता है।
    • विधायी संशोधन: अनुसूचित जनजाति सूची में अंतिम परिवर्तन (समावेश/निष्कासन) के लिए संबंधित राष्ट्रपति आदेश में संसदीय संशोधन की आवश्यकता होती है।

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