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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 20, 2025 04:09 50 0

EVM मतपत्रों के लिए दिशा-निर्देश

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने निर्वाचन नियम, 1961 की धारा 49B के अंतर्गत दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है, जिससे EVM मतपत्रों को अधिक पठनीय बनाया जा सके।

EVM  मतपत्रों में परिवर्तन

  • उम्मीदवारों के फोटोग्राफ: अब EVM  मतपत्रों पर उम्मीदवारों के रंगीन फोटोग्राफ मुद्रित किए जाएँगे, जिसकी शुरुआत बिहार चुनाव से होगी।
  • फोटो का आकार: उम्मीदवार के चेहरे का तीन-चौथाई हिस्सा फोटोग्राफ में दिखाई देगा ताकि स्पष्टता बढ़े।
  • अंक: उम्मीदवारों/NOTA के क्रमांक भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय रूप में, बोल्ड अक्षरों में, 30 के फॉन्ट साइज में मुद्रित किए जाएँगे।
  • नामों में एकरूपता: उम्मीदवारों/NOTA के नाम समान फॉन्ट प्रकार और आकार में मुद्रित किए जाएँगे ताकि एकरूपता बनी रहे।
  • कागज की गुणवत्ता: मतपत्र 70 GSM पेपर पर मुद्रित होंगे ताकि उनकी वहनीयता बढ़े।
  • रंग कोडिंग: विधानसभा चुनावों के लिए मतपत्र गुलाबी रंग के होंगे, जिनके लिए निर्धारित RGB मानों का उपयोग किया जाएगा।

निर्वाचन नियम, 1961 का धारा 49B: रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा मतदान मशीन की तैयारी

  • भाषा और विवरण: बैलटिंग यूनिट में विवरण उसी/उन्हीं भाषा/भाषाओं में प्रदर्शित होंगे, जिन्हें भारत निर्वाचन आयोग ने निर्धारित किया है।
  • नामों का क्रम: उम्मीदवारों के नाम उसी क्रम में होंगे जैसा कि आधिकारिक उम्मीदवार सूची में दर्ज है।
  • नामों की समानता: यदि दो या अधिक उम्मीदवारों के नाम समान हैं तो उन्हें व्यवसाय, निवास या अन्य पहचान चिह्नों द्वारा अलग किया जाएगा।
  • रिटर्निंग ऑफिसर के कर्तव्य: अधिकारी उम्मीदवारों के नाम और प्रतीक अंकित करता है, यूनिट को सील करता है, उम्मीदवारों की संख्या सेट करता है और आवश्यक सीलों के साथ कंट्रोल यूनिट को सुरक्षित करता है।

महत्त्व

  • ये सुधार पिछले छह माह में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी प्रक्रियाओं को सरल बनाने और मतदाताओं की सुविधा बढ़ाने के लिए उठाए गए 28 पहलों का हिस्सा हैं।

इबोला

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला मामलों और इससे संबंधित मौतों की सूचना दी है।

इबोला वायरस रोग (EVD) के बारे में

  • इबोला: यह एक गंभीर एवं घातक विषाणुजनित रोग है, जो ऑर्थोइबोलावायरस (पूर्व में इबोलावायरस) के कारण होता है। इसका पहला मामला वर्ष 1976 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में मिला था।
    • इसका नाम इबोला नदी के नाम पर रखा गया है, जो उस गाँव के पास प्रवाहित होती है, जहाँ इसका पहला मामला देखा गया था।
  • प्रभावित प्रजातियाँ: इबोला मनुष्यों और अन्य प्राइमेट्स जैसे गोरिल्ला, चिंपांजी और बंदरों को प्रभावित करता है।
  • प्राकृतिक होस्ट: टेरोपोडिडी (Pteropodidae) फैमिली के ‘फ्रूट बैट इबोला वायरस के वाहक माने जाते हैं।
  • संक्रमण 
    • पशु से मानव में प्रसार: संक्रमण, संक्रमित जानवरों जैसे चमगादड़, गोरिल्ला, बंदर, वन्य मृग या साही के रक्त, स्राव या अंगों के संपर्क से फैलता है।
    • मानव से मानव में प्रसार: यह संक्रमण संक्रमित व्यक्तियों (यहाँ तक कि मृतक) के शारीरिक तरल पदार्थों के सीधे संपर्क से फैलता है।
  • चिकित्सकीय देखभाल: इसका कोई स्थायी उपचार नहीं है, रोगी के सीधे संपर्क में न आना, रक्त आधान और सहायक देखभाल पर ध्यान केंद्रित कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • स्वीकृत दवाएँ: इनमाजेब  (Inmazeb) और इबांगा (Ebanga) दो FDA-अनुमोदित मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज हैं, जिनका उपयोग इबोला वायरस रोग (EVD) के उपचार में किया जाता है।

इंडिया–AI इंपैक्ट समिट 2026 

भारत सरकार ने इंडिया–AI इंपैक्ट समिट 2026 के लिए लोगों और प्रमुख पहलों का अनावरण किया है। यह सम्मेलन फरवरी 2026 में नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा।

‘इंडिया–AI इंपैक्ट’ समिट के बारे में

  • यह सम्मेलन पूर्व में आयोजित वैश्विक AI सम्मेलनों पर आधारित है, जिनका आयोजन बैलेचली पार्क, सियोल और पेरिस में हुआ था।
    • पेरिस में आयोजित AI एक्शन समिट तीसरा शिखर सम्मेलन था, जो ब्लेचली पार्क समिट (यूके 2023) और सियोल समिट (दक्षिण कोरिया 2024) के बाद हुआ।
  • यह “एक्शन” से “इंपैक्ट” पर ध्यान केंद्रित करने के रणनीतिक परिवर्तन को दर्शाता है।
  • इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ठोस परिणाम हासिल करना, वैश्विक सहयोग को मजबूत करना एवं जिम्मेदार और बड़े पैमाने पर AI परिनियोजन सुनिश्चित करना है।
  • आयोजक: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय।
  • उद्देश्य: सम्मेलन का लक्ष्य समावेशी विकास, स्थिरता और न्यायसंगत प्रगति में AI की परिवर्तनकारी भूमिका को प्रदर्शित करना है, जिससे भारत को जिम्मेदार AI नवाचार में वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया जा सके।

तीन सूत्र (सिद्धांत)

  • लोग (People): AI को मानवता की सेवा करनी चाहिए, गरिमा की रक्षा करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई पीछे न छूटे।
  • पृथ्वी (Planet): AI को जलवायु लचीलापन, वैज्ञानिक खोज और संसाधन दक्षता को बढ़ावा देकर वैश्विक सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए।
  • प्रगति (Progress): कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को न्यायसंगत लाभ सुनिश्चित करते हुए कंप्यूट संसाधनों एवं डाटा सेट्स तक लोकतांत्रिक पहुँच प्रदान करनी चाहिए तथा स्वास्थ्य, शिक्षा, शासन एवं कृषि जैसे क्षेत्रों में प्रगति को प्रोत्साहित करना चाहिए।

सात विषयगत चक्र

  • मानव पूँजी: कार्यबल परिवर्तन, कौशल एवं भविष्य की क्षमताओं तक न्यायसंगत पहुँच को संबोधित करना।
  • सामाजिक सशक्तीकरण हेतु समावेश: बहुभाषी और सुलभ AI को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक, लैंगिक और डेटा पूर्वाग्रहों को समाप्त करना।
  • सुरक्षित और विश्वसनीय AI: सुरक्षा परीक्षण, पारदर्शिता और अंतरसंचालित शासन उपकरण स्थापित करना।
  • लचीलापन, नवाचार और दक्षता: संसाधन-कुशल और अनुकूलनीय AI प्रणालियों को बढ़ावा देना।
  • विज्ञान: ग्लोबल साउथ में अंतः विषयक शोध और नवाचार में तेजी लाना।
  • AI संसाधनों का लोकतंत्रीकरण: विविध AI समाधानों के लिए डेटा, कंप्यूट और अवसंरचना तक न्यायसंगत पहुँच सुनिश्चित करना।
  • आर्थिक विकास और सामाजिक हित के लिए AI: सार्वजनिक हित वाले क्षेत्रों में AI अनुप्रयोगों का विस्तार करना और सीमा पार सहयोग को सक्षम बनाना।

AI को बढ़ावा देने हेतु सरकारी पहलें

  • स्वास्थ्य, कृषि, शासन और वैज्ञानिक खोज जैसे क्षेत्रों में आठ स्वदेशी फंडामेंटल मॉडल का शुभारंभ।
  • इंडिया AI मिशन के तहत 30 डेटा और AI प्रयोगशालाओं का शुभारंभ, जो 570-प्रयोगशालाओं के नेटवर्क की पहली शृंखला है, ताकि AI प्रशिक्षण का लोकतंत्रीकरण किया जा सके।
  • इंडिया AI फेलोशिप प्रोग्राम का विस्तार, जिसके तहत स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर पर 13,500 शोधार्थियों को सहयोग प्रदान किया जाएगा।
  • प्रमुख आयोजन: AI पिच फेस्ट (उड़ान), AI इनोवेशन चैलेंज, AI एक्सपो, रिसर्च सिंपोजियम और ग्लोबल इनोवेशन चैलेंज।

ज्ञानेक्स (Gyanex) 

भारत ने गगनयान मिशन और भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं से पहले अपने अंतरिक्ष यात्री प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए ज्ञानेक्स (Gyanex) के तहत एनालॉग स्पेस प्रयोगों की एक शृंखला शुरू की है।

ज्ञानेक्स के बारे में

  • गगनयान एनालॉग एक्सपेरिमेंट्स (Gyanex) आधारभूत स्तर पर किए जाने वाले सिमुलेशन हैं, जिन्हें इसरो (ISRO), ICMR और इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन, बंगलूरू द्वारा संचालित किया जा रहा है।
  • उद्देश्य: सीमित वातावरण में मानव अंतरिक्ष उड़ान के चिकित्सीय, मनोवैज्ञानिक और टीमवर्क संबंधी पहलुओं का परीक्षण कर भारत के अंतरिक्ष यात्री प्रोटोकॉल विकसित करना।
  • घटक
    • कंफाइंड सिम्युलेटर (Confined Simulator): अंतरिक्ष यात्री और शोधकर्ता स्थिर मॉक स्पेसक्राफ्ट मॉड्यूल्स में रहते हैं, जहाँ अंतरिक्ष जैसी दिनचर्या और भोजन का अनुकरण किया जाता है।
    • वैज्ञानिक प्रयोग:क्रू मेंबर’ तनाव और एकांत में जैव-चिकित्सकीय तथा परिचालन संबंधी प्रयोग करते हैं।
    • बेड-रेस्ट अध्ययन: रक्षा कर्मी माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों की नकल करने हेतु छह-डिग्री ‘हेड-डाउन’ झुकाव पर रखे जाते हैं।
    • आहार प्रोटोकॉल: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन द्वारा विकसित भोजन का परीक्षण किया जाता है।
  • ज्ञानेक्स-1: जुलाई 2025 में, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और दो अन्य शोधकर्ताओं ने 10 दिन तक सीमित वातावरण में रहकर 11 वैज्ञानिक प्रयोग किए तथा महत्त्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक एवं चिकित्सकीय निष्कर्ष प्रकाशित किए।

अन्य अंतरिक्ष सिमुलेशन प्रयोग

  • नासा (अमेरिका): पैराबोलिक उड़ानों का उपयोग कर अल्पावधि माइक्रोग्रैविटी का सिमुलेशन।
  • ESA (यूरोप): सीमित वातावरणीय अध्ययन (Confined Environment Studies) में मानव व्यवहार, मनोविज्ञान एवं टीम-डायनमिक्स का आकलन।।
  • भारत के लद्दाख आधारित मिशन: हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लेनेटरी एक्सप्लोरेशन (HOPE) आवास का परीक्षण ‘त्सो कार’ घाटी में किया गया, जिसमें मंगल ग्रह जैसी स्थितियाँ जैसे उच्च UV विकिरण और लवणीय पर्माफ्रॉस्ट की प्रतिकृति पाई गई।

भारत के अपने प्रयोगों का महत्त्व 

  • अनुकूलित प्रोटोकॉल: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री मानक आधार प्रदान करते हैं, परंतु भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उनके शारीरिक और सांस्कृतिक पहलुओं के अनुसार साक्ष्य-आधारित प्रशिक्षण आवश्यक है।
  • मनोवैज्ञानिक तैयारी: यह तनाव, एकांत एवं टीमवर्क जैसी परिस्थितियों हेतु चयन मानदंड निर्धारित करने और उपयुक्त प्रशिक्षण विकसित करने में सहायक है।
  • भविष्य के मिशन: लंबी अवधि की अंतरिक्ष उड़ानों, चंद्रमा पर आवास और अंतरग्रहीय अभियानों की नींव रखना।
  • आत्मनिर्भरता: भारत को स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष चिकित्सा और अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने में सक्षम राष्ट्र के रूप में स्थापित करता है।

पेरियार टाइगर रिजर्व (PTR)

राज्य वित्त निरीक्षण रिपोर्ट ने केरल के पेरियार टाइगर रिजर्व (Periyar Tiger Reserve- PTR) में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया है, जिसमें पर्यटन राजस्व को कल्याण कोष में अनधिकृत रूप से स्थानांतरित करना भी शामिल है।

पेरियार टाइगर रिजर्व (PTR) के बारे में

  • मुल्लापेरियार बाँध के निर्माण के बाद वर्ष 1895 में निर्मित, इसका नाम पेरियार नदी के नाम पर रखा गया है।
  • अवस्थिति: पेरियार टाइगर रिजर्व पश्चिमी घाट में केरल के इडुक्की जिले में अवस्थित है।
  • पहाड़ियाँ: यह रिजर्व तमिलनाडु सीमा से संलग्न कार्डामम पहाड़ियाँ एवं पंडालम पहाड़ियों के बीच अवस्थित है।
  • नदियाँ: पेरियार एवं पंबा नदियाँ इस रिजर्व में जल की मुख्य स्रोत हैं।
    • मुल्लापेरियार बाँध पेरियार टाइगर रिजर्व के भीतर अवस्थित है।
  • जनजातीय समुदाय: पेरियार टाइगर रिजर्व कई जनजातियों का निवास स्थल है, जिनमें मन्नान एवं पलियन समुदाय शामिल हैं, जो पारंपरिक रूप से जंगलों पर निर्भर हैं।
  • वनस्पतियाँ: वनस्पति प्रकारों में उष्णकटिबंधीय सदाबहार, अर्द्ध-सदाबहार, आर्द्र पर्णपाती, संक्रमणकालीन सीमांत सदाबहार वन, घास के मैदान एवं नीलगिरी की पहाड़ियाँ शामिल हैं।
  • वनस्पतियाँ: प्रमुख वनस्पतियों में सागौन, शीशम, आम, जामुन, बाँस, जकरंदा, इमली एवं शाही पोंसियाना शामिल हैं।
  • जीव-जंतु: प्रमुख जीवों में हाथी, बाघ, गौर, साँभर हिरण, जंगली सूअर, बार्किंग डियर एवं जंगली कुत्ते शामिल हैं।
    • यह लाइन टेल्ड मकॉक, नीलगिरी लंगूर, बोनेट मकॉक, सामान्य लंगूर एवं नीलगिरी तहर जैसे दुर्लभ प्राइमेट का भी निवास स्थल है।

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