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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 22, 2025 03:03 17 0

मातृ मृत्यु दर 

पुदुचेरी वर्ष 2024–25 में शून्य मातृ मृत्यु दर (MMR) प्राप्त करने वाला भारत का पहला केंद्रशासित प्रदेश बन गया है और इस उपलब्धि पर उसे केंद्र सरकार से प्लैटिनम प्रमाण-पत्र  प्राप्त हुआ है।

मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) क्या है?

  • परिभाषा: मातृ मृत्यु का आशय गर्भावस्था के दौरान अथवा गर्भसमापन के 42 दिनों के भीतर महिला की मृत्यु से है, जो गर्भावस्था-संबंधी कारणों से होती है (दुर्घटनात्मक या आकस्मिक कारणों को छोड़कर)।
  • MMR: प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या।
  • स्वास्थ्य सेवा गुणवत्ता का संकेतक: MMR किसी देश की मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की प्रभावशीलता, सुलभता और गुणवत्ता को दर्शाती है।
  • SDG लक्ष्य: सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 3.1 के अंतर्गत भारत ने वर्ष 2030 तक MMR को प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 70 तक लाने का लक्ष्य रखा है।

भारत में मातृ मृत्यु पर प्रगति

  • MMR में गिरावट: नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) के अनुसार, भारत का MMR 130 (वर्ष 2014–16) से घटकर 93 (वर्ष 2019–21) हो गया, जो 37 अंकों की कमी को दर्शाता है।
  • क्षेत्रीय उपलब्धियाँ: कुछ राज्यों ने पहले ही MMR को SDG लक्ष्य 70 प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों से नीचे लाकर सफलता प्राप्त की है।
    • इनमें केरल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड, गुजरात और कर्नाटक शामिल हैं।
  • पुदुचेरी की उपलब्धि: पुदुचेरी ने शून्य मातृ मृत्यु दर हासिल कर मानक स्थापित किया है, जो लक्षित मातृ स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की सफलता को दर्शाता है।

महिलाओं के स्वास्थ्य हेतु पुदुचेरी की पहलें

  • स्वास्थ्य उपाय: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) का व्यापक नेटवर्क, स्वास्थ्य शिविर तथा 62,000 महिलाओं का एनीमिया परीक्षण।
  • सशक्तीकरण योजनाएँ: मुख्यमंत्री कन्या शिशु ट्रस्ट फंड, जन्म पर बालिकाओं के लिए ₹50,000 का बीमा और महिलाओं के लिए स्टाम्प शुल्क में रियायत।
  • शैक्षिक सहयोग: ड्रॉपआउट रोकने और उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु योजनाएँ, सरकारी नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी 50% से अधिक होना

महत्त्व

यह उपलब्धि अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए मॉडल प्रस्तुत करती है, जो विकसित भारत की दृष्टि और भारत के SDG स्वास्थ्य लक्ष्यों के अनुरूप है।

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग

जापान की रेटिंग एंड इन्वेस्टमेंट इनफॉरमेशन, इंक. R&I ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ‘BBB’ से बढ़ाकर ‘BBB+’ (स्थिर) कर दिया है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • यह वर्ष 2025 में तीसरी अपग्रेड है, इससे पहले:
    • S&P: ‘BBB-’ से ‘BBB’ (अगस्त 2025)
    • मॉर्निंगस्टार (Morningstar) DBRS: ‘BBB (low)’ से ‘BBB’ (मई 2025)
  • ये अपग्रेड भारत की मजबूत मैक्रोइकनोमिक ढाँचे, राजकोषीय समेकन और मीडियम टर्म ग्रोथ संभावनाओं पर वैश्विक विश्वास को दर्शाते हैं।

क्रेडिट रेटिंग

  • क्रेडिट रेटिंग किसी व्यक्ति, कंपनी या सरकार जैसे उधारकर्ता की ऋण-पात्रता का आकलन है, जो समय पर ऋण चुकाने की उनकी क्षमता पर आधारित होता है।
  • उद्देश्य: क्रेडिट रेटिंग से ऋण पर ब्याज दर, निवेश निर्णय और बाजार विश्वास प्रभावित होते हैं।
  • प्रकार
    • सॉवरेन रेटिंग (देशों के लिए)
    • कॉरपोरेट रेटिंग (कंपनियों/संस्थानों के लिए)।

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग क्या है?

  • परिभाषा: किसी देश की ऋण दायित्वों को पूरा करने की क्षमता का वैश्विक रेटिंग एजेंसियों द्वारा मूल्यांकन।
  • श्रेणियाँ
    • निवेश ग्रेड (BBB- और उससे ऊपर) निवेशकों के लिए सुरक्षित।
    • सट्टा ग्रेड  (Speculative Grade) (BBB- से नीचे) निवेशकों के लिए जोखिमपूर्ण।
  • महत्त्व: ऋण लागत, विदेशी निवेश प्रवाह और निवेशक विश्वास को प्रभावित करता है।

अपग्रेड के प्रमुख कारक (R&I रिपोर्ट के अनुसार)

  • उच्च वृद्धि अर्थव्यवस्था: भारत, विश्व की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में, जनसांख्यिकीय लाभांश और घरेलू माँग द्वारा समर्थित।
  • राजकोषीय समेकन: उच्च कर राजस्व, सब्सिडियों का तर्कसंगतीकरण, और अधिक पूँजीगत व्यय के बावजूद राजकोषीय घाटे में कमी।
  • ऋण प्रबंधन: विकास गति द्वारा समर्थित ऋण-GDP अनुपात का उचित प्रबंधन।
  • बाह्य स्थिरता
    • सीमित चालू खाता घाटा।
    • सेवाओं और प्रेषणों में स्थिर अधिशेष।
    • कम बाह्य ऋण-GDP अनुपात (Low external debt-to-GDP ratio)।
    • पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार।
  • नीतिगत समर्थन: केंद्र सरकार के सुधारों की मान्यता, जैसे—
    • विदेशी निर्माताओं को आकर्षित करना (मेक इन इंडिया, PLI योजनाएँ)।
    • अवसंरचना विकास।
    • GST का तर्कसंगतीकरण।
    • ऊर्जा आयात पर निर्भरता में कमी और बेहतर कारोबारी वातावरण।

चुनौतियाँ

  • अमेरिकी टैरिफ: इससे चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन भारत की अमेरिकी निर्यात पर कम निर्भरता तथा मजबूत घरेलू माँग आधार के कारण इसका प्रभाव सीमित रहेगा।
  • GST तर्कसंगतीकरण: राजस्व घटा सकता है, किंतु बढ़ी हुई खपत से आंशिक रूप से संतुलन संभव।
  • वित्तीय प्रणाली जोखिम: सीमित और प्रबंधनीय माने गए हैं।

ICGS अदम्य

 

हाल ही में भारतीय तटरक्षक पोत (ICGS) अदम्य, अदम्य श्रेणी के फास्ट पट्रोल वेसल  (Fast Patrol Vessels-FPVs) का पहला पोत, ओडिशा के पारादीप बंदरगाह पर कमीशन किया गया।

ICGS अदम्य की प्रमुख विशेषताएँ

डिजाइन और निर्माण

  • स्वदेशी रूप से गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा विकसित।
  • 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री सम्मिलित, भारत की जहाज निर्माण आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है।
  • यह आठ अदम्य-श्रेणी के फास्ट पट्रोल वेसल  (FPVs) में पहला पोत है।

विस्थापन

  • लगभग 320 टन।

प्रणोदन

  • दो 3000 KW डीजल इंजनों द्वारा संचालित।
  • स्वदेशी रूप से विकसित कंट्रोलेबल पिच प्रोपेलर Controllable Pitch Propellers (CPPs) और गियरबॉक्स के साथ, जो उत्कृष्ट संचालन क्षमता और परिचालन लचीलापन प्रदान करते हैं।

गति 

  • अधिकतम गति: 28 नॉट्स।
  • परिसंचालन क्षमता (Endurance): 1,500 समुद्री मील, आर्थिक गति पर।।

हथियार

  • 30 मिमी. CRN 91 गन।
  • दो 12.7 मिमी. स्टैबलाइज्ड रिमोट-कंट्रोल्ड मशीन गन्स (Stabilized Remote-Controlled Machine Guns)।
  • फायर कंट्रोल सिस्टम  द्वारा समर्थित।

प्रौद्योगिकी एकीकरण

  • इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम (IBS)।
  • इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (IPMS)।
  • ऑटोमेटेड पॉवर मैनेजमेंट सिस्टम (APMS)।
  • उन्नत स्वचालन और दक्षता।

प्रतीकात्मकता: ‘अदम्य’ तटरक्षक बल की समुद्री सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अफ्लाटॉक्सिन (Aflatoxin)

 

इंडोनेशिया ने भारत से मूँगफली का आयात अफ्लाटॉक्सिन (Aflatoxin) संदूषण का हवाला देते हुए निलंबित कर दिया है।

अफ्लाटॉक्सिन के बारे में

  • परिभाषा: अफ्लाटॉक्सिन विषैले द्वितीयक उपचय पदार्थ (toxic secondary metabolites) हैं, जो मुख्यतः एस्परजिलस फ्लावस (Aspergillus flavus) एवं एस्परजिलस पैरासिटिकस (Aspergillus parasiticus)  कवक द्वारा उत्पन्न होते हैं।
  • स्थिति: ये गर्म, आर्द्र जलवायु में उत्पन्न होते हैं।
  • स्रोत
    • सामान्यतः मूँगफली, मक्का, चावल, कपास बीज, मसाले और तिलहन में पाए जाते हैं।
    • संदूषण फसल कटाई से पहले, कटाई के बाद या अनुचित भंडारण के दौरान हो सकता है।
  • प्रकार
    • प्रमुख: अफ्लाटॉक्सिन B1, B2, G1 और G2।
    • इनमें से अफ्लाटॉक्सिन (Aflatoxin) B1 सबसे विषैला और कैंसरकारी पदार्थ है।
  • स्वास्थ्य जोखिम
    • जीनोटॉक्सिक और कैंसरकारी (ग्रुप 1 कार्सिनोजन, IARC)।
    • यकृत क्षति, एक्यूट अफ्लाटॉक्सिकोसिस, इम्यूनोसप्रेशन और विकास में कमी होती है।
    • दीर्घकालीन संपर्क यकृत कैंसर से जुड़ा।
  • पशु उत्पाद: जब पशुओं को संदूषित चारा खिलाया जाता है तो दूध, अंडे और मांस में भी अफ्लाटॉक्सिन मौजूद हो सकते हैं।
  • वैश्विक चिंता: कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग (FAO-WHO) द्वारा सख्त मानक निर्धारित किए गए हैं
  • नियंत्रण उपाय
    • अच्छी कृषि पद्धतियाँ।
    • उचित सुखाना और भंडारण।
    • एस्परजिलस (Aspergillus) स्ट्रेनों का बायोकंट्रोल।
    • नियमित खाद्य सुरक्षा निरीक्षण।

व्यापार और आर्थिक प्रभाव

  • निर्यात पर निर्भरता: भारत के मूँगफली निर्यात का एक-तिहाई हिस्सा इंडोनेशिया को जाता है।
  • वित्त वर्ष 2024–25: भारत के कुल 7.46 लाख टन (795 मिलियन $) मूँगफली निर्यात में से 2.77 लाख टन (280 मिलियन $) इंडोनेशिया को निर्यात किया गया।
  • किसानों पर प्रभाव
    • वर्ष 2025 खरीफ में मूंगफली का उपज क्षेत्र 48 लाख हेक्टेयर (पिछले वर्ष 47.65 लाख हेक्टेयर की तुलना में)।
    • गुजरात को रिकॉर्ड 66 लाख टन उत्पादन की संभावना।
    • मूल्य: 5,682 रुपये प्रति क्विंटल, जो 7,263 रुपये के एमएसपी से कम है और इस प्रकार निलंबन से किसानों की परेशानी बढ़ सकती है।

कोडेक्स एलीमेंटेरियस (Codex Alimentarius) के बारे में

  • परिभाषा: कोडेक्स एलीमेंटेरियस (Codex Alimentarius) या फूड कोड (Food Code) अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानकों, दिशा-निर्देशों और आचार संहिताओं का संकलन है।
  • उद्देश्य: उपभोक्ता स्वास्थ्य की रक्षा करना और वैश्विक खाद्य व्यापार में निष्पक्ष प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  • वैश्विक उपयोग: विश्वभर में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विनियमों को एकरूप बनाने हेतु संदर्भ के रूप में प्रयुक्त।
  • WTO मान्यता: WTO के सैनिटरी एंड फाइटोसैनिटरी एग्रीमेंट  के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा का अंतरराष्ट्रीय मानक माना गया।
  • प्रभाव: उपभोक्ताओं को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराता है और आयातकों को यह विश्वास दिलाता है कि उत्पाद आवश्यक विनिर्देशों को पूरा करते हैं।

येलो-क्रेस्टेड काकाटूज 

(Yellow-crested Cockatoos)

 

गंभीर रूप से संकटग्रस्त येलो-क्रेस्टेड काकाटूज (Yellow-crested Cockatoos), जो इंडोनेशिया और ईस्ट तिमोर की मूल प्रजाति हैं, ने हांगकांग के शहरी उद्यानों में एक दुर्लभ शरणस्थली प्राप्त की है।

येलो-क्रेस्टेड काकाटूज  (Cacatua sulphurea) के बारे में

  • येलो-क्रेस्टेड काकाटूज (Cacatua sulphurea), जिसे लेसर सल्फर-क्रेस्टेड काकाटूज  भी कहा जाता है, मध्यम आकार का तोता है।

स्वरूप

  • चमकीले पीले रंग की शिखा वाला छोटा ‘व्हाइट काकाटूज’
  • कानों के आवरण (Ear coverts), निचले पंखों और निचली पूँछ पर पीला धब्बा।
  • मजबूत घुमावदार चोंच और भूरे-धूसर रंग की आँखें।

आवास

  • उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय वनों में पाए जाते हैं।
  • सघन वनों की अपेक्षा सामान्य वनों को प्राथमिकता देते है।

वितरण

  • मूल रूप से इंडोनेशिया और ईस्ट तिमोर में पाए जाते हैं, विशेषकर सुलावेसी, लेसर सुंडा द्वीप और आस-पास के क्षेत्रों में।
  • वर्तमान में आवासीय हानि और शिकार के कारण विखंडित आबादी में मौजूद है।

आहार

  • मुख्य रूप से बीज, मेवे, फल, जामुन और मक्का जैसी फसलें।
  • कभी-कभी कीटों और लार्वा पर भी भोजन करते हैं।

व्यवहार

  • सामाजिक और शोर करने वाले पक्षी, प्रायः जोड़ों या छोटे झुंडों में देखे जाते हैं।
  • अपनी बुद्धिमत्ता, खेलप्रियता और मानवीय भाषा की नकल करने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध।
  • पेड़ों की गुहाओं में घोंसला बनाते हैं, इनकी प्रजनन ऋतु क्षेत्रानुसार अलग-अलग है।

खतरे

  • पालतू पशु उद्योग के लिए अवैध वन्यजीव व्यापार सबसे बड़ा खतरा है।
  • वनों की कटाई और कृषि विस्तार के कारण आवासीय हानि।

संरक्षण स्थिति

  • IUCN रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered)।
  • CITES: परिशिष्ट-I (Appendix I)।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267

अमेरिका, ब्रिटेन एवं फ्राँस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (Balochistan Liberation Army- BLA) तथा मजीद ब्रिगेड को आतंकवादी घोषित करने के पाकिस्तान के प्रयास पर रोक लगा दी है।

  • 1267 प्रतिबंध समिति ने पाकिस्तान के प्रस्ताव को स्थगित कर दिया है, क्योंकि BLA का अल-कायदा या ISIL से कोई संबंध नहीं है, ऐसी रोक आमतौर पर लगभग छह महीने तक रहती है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267 के बारे में

  • उद्देश्य: प्रतिबंधों के लिए व्यक्तियों एवं संस्थाओं को नामित करने हेतु एक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति की स्थापना।
  • प्रतिबंध उपाय: इसमें संपत्ति जब्त करना, यात्रा प्रतिबंध एवं हथियार प्रतिबंध शामिल हैं।
  • प्रारंभिक फोकस: अल-कायदा एवं तालिबान पर लक्षित।
  • अधिदेश विस्तार: वर्ष 2015 में, प्रस्ताव 2253 के माध्यम से इस्लामिक स्टेट (Islamic State- ISIL) को शामिल करने के लिए इसे बढ़ाया गया।
  • प्रतिबंध सूची: वर्ष 2024 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, समिति के प्रतिबंधों के अंतर्गत 255 व्यक्ति एवं 89 संस्थाएँ सूचीबद्ध थीं।
  • निरीक्षण: 1267 प्रतिबंध समिति वैश्विक स्तर पर प्रतिबंध उपायों की निगरानी करती है तथा उनके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती है।

बलूच कौन हैं?

  • बलूच एक जातीय-भाषायी समूह है, जो मुख्यतः बलूचिस्तान में निवास करता है एवं पाकिस्तान, ईरान तथा अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में विस्तृत है। वे बलूची भाषा बोलते हैं एवं उनकी एक विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत है।
  • विभाजन-पूर्व आकांक्षाएँ: वर्ष 1947 में भारत के विभाजन से पूर्व, बलूच नेताओं ने अपनी विशिष्ट जातीयता, संस्कृति एवं क्षेत्र के अविकसित होने का हवाला देते हुए ब्रिटिश भारत से स्वायत्तता या स्वतंत्रता की माँग की थी।
  • संसाधन एवं राजनीतिक शिकायतें: बलूच लोग स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण और अधिक राजनीतिक स्वायत्तता की माँग करते रहे हैं, वे केंद्रीय प्राधिकारियों द्वारा, विशेष रूप से पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में, स्वयं को वंचित महसूस करते हैं।

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के बारे में

  • परिचय: BLA एक सशस्त्र अलगाववादी समूह है, जो 2000 के दशक की शुरुआत में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में उभरा एवं जो क्षेत्रीय स्वायत्तता के लिए हमले करता रहा है।
  • प्रमुख गतिविधियाँ: कराची एवं ग्वादर बंदरगाह आत्मघाती हमले (2024) तथा जफर एक्सप्रेस अपहरण (2025) सहित हमलों के लिए जिम्मेदार।
  • माँगे: बलूच उग्रवादियों का दावा है कि पाकिस्तानी सरकार ने उनके गरीब प्रांत को प्राकृतिक एवं खनिज संसाधनों तक उचित पहुँच से वंचित कर दिया है, वे स्वायत्तता तथा स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण चाहते हैं।

मजीद ब्रिगेड के बारे में: यह बलूच लिबरेशन आर्मी का आत्मघाती दस्ता (Suicide squad) है।

  • इसका नाम दो भाइयों, मजीद लैंगोव सीनियर एवं मजीद लैंगोव जूनियर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने क्रमशः अगस्त 1974 तथा मार्च 2010 में आत्मघाती हमले किए थे।

बलूच मुद्दे पर भारत का दृष्टिकोण

  • भारत ने बलूचिस्तान में BLA गतिविधियों का समर्थन करने के पाकिस्तान के आरोपों को खारिज कर दिया है।
  • भारत ऐतिहासिक आरोपों एवं रणनीतिक संवेदनशीलताओं को देखते हुए, क्षेत्रीय सुरक्षा निहितार्थों के कारण घटनाक्रम पर कड़ी नजर रख रहा है।

NE-SPARKS कार्यक्रम

हाल ही में, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ने NE-SPARKS कार्यक्रम के अंतर्गत इसरो का दौरा करने वाले पूर्वोत्तर के छात्रों के साथ वार्ता की।

NE-SPARKS कार्यक्रम के बारे में

  • परिचय: NE-SPARKS का अर्थ है अंतरिक्ष संबंधी जागरूकता, पहुँच एवं ज्ञान के लिए पूर्वोत्तर छात्रों का कार्यक्रम, (North East Students’ Programme for Awareness, Reach, and Knowledge on Space) जो छात्रों को भारत की अंतरिक्ष तकनीक से परिचित कराता है।
  • समर्थन: पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (MDoNER) द्वारा उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (NESAC) – इसरो एवं आठ पूर्वोत्तर राज्य सरकारों के साथ मिलकर यह परियोजना तैयार की गई है।
  • उद्देश्य: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित (Science, Technology, Engineering, and Mathematics- STEM) क्षेत्रों में रुचि जागृत करना तथा पूर्वोत्तर राज्यों के मेधावी छात्रों में वैज्ञानिक जिज्ञासा का पोषण करना।
  • आउटरीच: कार्यक्रम का लक्ष्य 800 छात्र (प्रत्येक पूर्वोत्तर राज्य से 100) हैं।
    • कुल चार समूहों ने ISRO का दौरा किया है, जिसमें 394 छात्र (189 पुरुष, 205 महिला) शामिल हैं।

महत्त्व

  • प्रेरणा: छात्रों को उपग्रह एकीकरण, चंद्रयान-3, आदित्य-L1 एवं आगामी गगनयान मिशन का अनुभव प्राप्त हुआ, जिससे उनकी शैक्षणिक आकांक्षाओं को आकार मिला।
  • समावेशिता: दूरस्थ एवं कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों के छात्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, अवसरों तक समान पहुँच पर जोर दिया गया।
  • राष्ट्र निर्माण: पूर्वोत्तर के भावी वैज्ञानिकों एवं नवप्रवर्तकों को अंतरिक्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

कदंब वृक्ष

भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने 75वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में अपने आवास पर राजा चार्ल्स तृतीय द्वारा उपहार में दिया गया कदंब का पौधा लगाया, जो मित्रता एवं स्थिरता का प्रतीक है।

  • प्रधानमंत्री ने इससे पहले राजा चार्ल्स को “एक पेड़ माँ के नाम” पहल के तहत एक सोनोमा वृक्ष भेंट किया था, जो जलवायु एवं स्थिरता पर भारत-ब्रिटेन सहयोग को दर्शाता है।

कदंब वृक्ष के बारे में

  • परिचय: कदंब वृक्ष (नियोलामार्किया कदम्बा), जिसे ‘बरफ्लावर’ वृक्ष भी कहा जाता है, रूबिएसी फैमिली से संबंधित है एवं एक तेजी से बढ़ने वाला उष्णकटिबंधीय वृक्ष है।
  • स्थानीय: यह दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशियाई मूल का वृक्ष है, पूरे भारत में पाया जाता है तथा पूरे विश्व के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है।
  • विशेषताएँ: एक बड़ा, तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष है, जो 45 मीटर तक ऊँचा हो सकता है, छाया एवं पारिस्थितिकी लाभ प्रदान करता है।
  • उपयोग: कदंब में औषधीय गुण होते हैं, इसका उपयोग आयुर्वेद में त्वचा, बुखार एवं पाचन संबंधी बीमारियों के लिए किया जाता है तथा यह जैव विविधता एवं मृदा की उर्वरता को बढ़ावा देता है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: भारतीय परंपरा में इसे पवित्र माना जाता है, यह प्रायः भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है एवं इसके पारिस्थितिकी तथा प्रतीकात्मक महत्त्व भी हैं।

सोनोमा वृक्ष के बारे में

  • सोनोमा वृक्ष (डेविडिया इनवोलुक्रेटा ‘सोनोमा’), एक पर्णपाती वृक्ष की प्रजाति है।
  • सौंदर्य संबंधी महत्त्व: यह विशेष रूप से उन बड़े सफेद सहपत्रों के लिए मूल्यवान है, जो जल्दी (2-3 साल) प्रस्फुटित होते हैं और हृदय के आकार की हरी पत्तियों वाले पौधों के लिए भी उपयोगी है।
  • सामान्य परिस्थितियाँ: यह पूर्ण सूर्य से आंशिक छाया, अच्छी जल निकासी वाली मृदा में पनपता है, एवं संस्तर 6b में कठोर होता है, -20 से -18°C तक के तापमान को सहन कर सकता है।

‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल

  • ‘एक पेड़ माँ के नाम’ एक वृक्षारोपण पहल है, जो लोगों को अपनी माँ के सम्मान में एक वृक्ष लगाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जो मातृ देखभाल एवं पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है।
  • 5 जून (पर्यावरण दिवस), 2024 को प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ।

नीली अर्थव्यवस्था

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने समृद्धि, स्थिरता एवं राष्ट्रीय शक्ति को एकीकृत करते हुए, भारत के विकास के मूल के रूप में नीली अर्थव्यवस्था की पुष्टि की।

  • भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था 2.0 न केवल पारंपरिक क्षेत्रों पर, बल्कि समुद्री क्षेत्र में उभरते उच्च-संभावना वाले क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।

नीली अर्थव्यवस्था के बारे में

  • नीली अर्थव्यवस्था, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को संरक्षित करते हुए, आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका एवं रोजगार के लिए समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग को संदर्भित करती है।
  • राष्ट्रीय क्षमता: भारत की 11,098 किलोमीटर लंबी तटरेखा एवं 24 लाख वर्ग किलोमीटर का EEZ, 100 अरब डॉलर की नीली अर्थव्यवस्था के विकास हेतु अवसर प्रदान करते हैं।
  • भारत की पहल: भारत की नीली अर्थव्यवस्था के समर्थन हेतु कई कार्यक्रम शुरू किए, जैसे- सागरमाला पहल (वर्ष 2016), वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) एवं वर्ष 2021 में डीप ओशन मिशन।
  • नीली अर्थव्यवस्था 2.0: जलवायु लचीलापन, तटीय पारिस्थितिकी तंत्र बहाली एवं सतत् जलीय कृषि तथा समुद्री कृषि को एकीकृत करके अपने समुद्री क्षेत्र में सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2024-2025 के अंतरिम बजट में प्रावधान किया गया।

प्रमुख घटक

  • मत्स्यपालन एवं जलीय कृषि: सतत् मत्स्यपालन पद्धतियाँ, समुद्र आधारित खाद्य सुरक्षा।
  • समुद्री परिवहन एवं बंदरगाह: व्यापार सुगमता एवं लाजिस्टिक।
  • पर्यटन: पर्यावरण-अनुकूल तटीय एवं समुद्री पर्यटन।
  • ऊर्जा: अपतटीय पवन, ज्वारीय, तरंग एवं महासागरीय तापीय ऊर्जा।
  • जैव प्रौद्योगिकी: समुद्री आनुवंशिक संसाधन, औषधियाँ।
  • खनिज एवं संसाधन: गहरे समुद्र में खनन, समुद्र तल संसाधन (पारिस्थितिकी सुरक्षा उपायों के साथ)।

नीली अर्थव्यवस्था पहल के अंतर्गत भारत की उपलब्धियाँ

तकनीकी एवं अवसंरचना उपलब्धियाँ

  • डीप ओशन मिशन: मत्स्य पनडुब्बी के माध्यम से गहरे समुद्र में अन्वेषण को सक्षम बनाना, रणनीतिक संसाधनों की खोज एवं समुद्री प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाना।
  • सागरमाला कार्यक्रम: व्यापार दक्षता, संपर्कता एवं वैश्विक समुद्री प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए बंदरगाहों का आधुनिकीकरण।

आर्थिक उपलब्धियाँ

  • मत्स्य पालन: भारत वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 195 लाख टन मत्स्य उत्पादन के साथ दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश बन गया।
  • निर्यात लाभ: मत्स्य निर्यात ₹46,662.85 करोड़ (वर्ष 2019-20) से बढ़कर ₹60,524.89 करोड़ (वर्ष 2023-24) हो गया।

सामाजिक उपलब्धियाँ

  • रोजगार सृजन: PMMSY ने वर्ष 2024 तक 58 लाख रोजगार सृजित किए, जो इसके द्वारा निर्धारित किए गए 55 लाख के लक्ष्य से अधिक है।
  • महिला सशक्तीकरण: PMMSY (वर्ष 2020-25) के तहत ₹4,061.96 करोड़ की वित्तीय सहायता से 99,018 महिलाओं को लाभ हुआ।
  • सामुदायिक सशक्तीकरण: पहलों से समुद्री शैवाल की कृषि एवं पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, जिससे तटीय महिलाओं के लिए आय के स्रोतों में विविधता आती है।
  • वित्तीय सहायता: PMMSY 60% तक सहायता (₹1.5 करोड़/परियोजना) प्रदान करती है, जो लैंगिक रूप से समावेशी उद्यमिता को बढ़ावा देती है।

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