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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 24, 2025 04:38 84 0

भारत और ग्रीस का पहला द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास 

भारत और ग्रीस ने भूमध्य सागर में अपनी पहली संयुक्त नौसैनिक अभ्यास का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करना था।

अभ्यास के बारे में 

  • भारतीय नौसेना और हेलेनिक नौसेना के बीच पहला द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास।
  • अवस्थिति: 13–18 सितंबर, 2025 के बीच भूमध्य सागर में।
  • भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व INS त्रिकंद (गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट) ने किया।
  • दो चरण
    • ‘हार्बर’ चरण – सालामिस नौसैनिक अड्डा पर।
    • ‘सी’ चरण – समुद्र में।

महत्त्व

  • भारत–ग्रीस रक्षा सहयोग में एक ऐतिहासिक उपलब्धि।
  • समुद्री सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता पर सामंजस्य को दर्शाता है।
  • अवसर: सर्वोत्तम प्रथाओं का साझा करना, पारस्परिक संचालन क्षमता का निर्माण तथा सामंजस्य को सुदृढ़ करना।

INS त्रिकंद के बारे में

  • यह भारतीय नौसेना का तलवार-श्रेणी का गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट है।
  • यह भारतीय नौसेना द्वारा ऑर्डर किए गए तलवार श्रेणी के फ्रिगेट के दूसरे बैच का तीसरा और अंतिम जहाज है।
  • निर्माण: यंत्र शिपयार्ड (कालिनिनग्राद) रूस में।
  • यह भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े का हिस्सा है और पश्चिमी नौसैनिक कमान (मुंबई मुख्यालय) के अधीन संचालित होता है।

ग्रीस के बारे में

  • अवस्थिति: दक्षिण-पूर्वी यूरोप, बाल्कन प्रायद्वीप का दक्षिणी भाग।
  • विशेषता: भूमध्य सागर की सबसे लंबी तटरेखा।
  • राजधानी: एथेंस।
  • सीमाएँ: अल्बानिया, उत्तर मैसेडोनिया और बुल्गारिया, तुर्किए।
  • महत्त्व: पश्चिमी सभ्यता की जन्मभूमि और लोकतंत्र का उद्गम स्थल।
  • धरोहर: 20 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, जिनमें प्राचीन मंदिर, रंगमंच और बाइजेंटाइन स्मारक शामिल है।
  • द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास के दौरान भारतीय नौसेना के जहाज के चालक दल ने एक्रोपोलिस की पवित्र चट्टान (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) का दौरा किया।

ग्रियस ग्लेशियर

स्विट्जरलैंड का ग्रियस ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है और सितंबर 2024 से सितंबर 2025 के मध्य इसके हिमावरण में छह मीटर की कमी आई है, जो जलवायु परिवर्तन के तीव्र होते प्रभाव को दर्शाता है।

ग्रियस ग्लेशियर के बारे में

  • यह 5.4 किमी लंबा ग्लेशियर है, जो स्विट्जरलैंड के दक्षिणी कैंटन वलैस में अवस्थित है।
    • ग्लेशियर हिम द्वारा निर्मित एक तीव्र प्रवाह वाला पिंड है, जो कई वर्षों में संपीडित हिम निक्षेप द्वारा निर्मित होता है।
  • यह मध्य स्विस आल्प्स में लेपोंटाइन आल्प्स में अवस्थित है।
  • यह ग्लेशियर मॉनिटरिंग स्विट्जरलैंड (GLAMOS) के अंतर्गत अनुसंधान का एक प्रमुख स्थल रहा है।
  • हिमावरण में कमी: वर्ष 2000 से वर्ष 2023 के बीच ग्लेशियर 800 मीटर संकुचित हो चुका है।
    • वर्तमान औसत हिमावरण की मोटाई केवल 57 मीटर रह गई है।

पिघलने के खतरे एवं तीव्रता 

  • लगातार शुष्क वर्षों (वर्ष 2022–2023) और वर्ष 2025 की अत्यधिक गर्मी से हिमावरण की क्षति हुई।
  • अप्रैल 2025 में भारी हिमपात से केवल अस्थायी राहत मिली।
  • वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि निचले हिस्से पाँच वर्ष के भीतर समाप्त हो सकते हैं, जबकि 3,000 मीटर के आस-पास के ऊपरी हिस्से 40-50 वर्ष तक रहने की संभावना हैं।

हिमनद क्षति के वैश्विक रुझान

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की वैश्विक जलवायु स्थिति 2024 रिपोर्ट में वर्ष 2022-2024 के बीच ग्लेशियरों की अब तक के सबसे बड़े तीन-वर्षीय हिमनद क्षति पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें केवल वर्ष 2024 में 450 अरब टन हिमावरण में कमी देखी गई।
    • वर्ष 2016 और वर्ष 2022 के बीच लगभग 100 स्विस ग्लेशियर लुप्त हो गए।
    • नेपाल का ‘याला’ ग्लेशियर 2040 के दशक तक लुप्त होने की संभावना है।

मैत्री 2.0

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने मैत्री 2.0, ब्राजील–भारत क्रॉस-इन्क्यूबेशन कार्यक्रम के दूसरे संस्करण का शुभारंभ नई दिल्ली में किया।

मैत्री 2.0 के बारे में

  • मैत्री 2.0 एक द्विपक्षीय पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय और ब्राजीलियाई एग्रीटेक पारिस्थितिकी तंत्रों के बीच नवाचार-आधारित सहयोग को बढ़ावा देना और रणनीतिक कृषि साझेदारी को मजबूत करना है।

उद्देश्य

  • दोनों देशों के नवाचारकर्ताओं के बीच सह-निर्माण के लिए द्विपक्षीय शिक्षण मंच के रूप में कार्य करना।
  • सुदृढ़ खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देना और किसानों को सशक्त करना।
  • कृषि क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान, क्रॉस-इन्क्यूबेशन और मूल्य शृंखला विकास को सुगम बनाना।
  • डिजिटल प्रौद्योगिकियों एवं सतत् कृषि समाधानों को अपनाने को प्रोत्साहित करना।

मैत्री (प्रथम संस्करण) के बारे में

  • मैत्री पहल को प्रारंभिक रूप से वर्ष 2019 में ICAR और ब्राजील दूतावास द्वारा प्रारंभ किया गया था।
  • इसका उद्देश्य भारतीय और ब्राजीलियाई एग्रीटेक स्टार्ट-अप्स के मध्य नवाचार, सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था।

राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 2025

10वाँ राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 2025 ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद (AIIA), गोवा  में मनाया जा रहा है, जो आयुर्वेद के स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी महत्त्व को रेखांकित करता है। 

राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 2025 के बारे में

  • उद्देश्य: आयुर्वेद की विरासत का सम्मान करना, वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाना और आधुनिक स्वास्थ्य एवं कल्याण प्रणालियों में इसकी प्रासंगिकता को प्रदर्शित करना।
  • वर्ष 2016 में शुरू किया गया आयुर्वेद दिवस वर्ष 2025 से प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाएगा।
    • 23 सितंबर, शरद विषुव के साथ सुमेलित है, शरद विषुव को दिन और रात की अवधि लगभग बराबर होते हैं।
    • पूर्व में इसे धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) पर मनाया जाता था।
  • स्थान: वर्ष 2025 का आयोजन AIIA गोवा में किया गया।
  • थीम 2025: वर्ष 2025 की थीम  है ‘लोगों के लिए आयुर्वेद, ग्रह के लिए आयुर्वेद’ (Ayurveda for People, Ayurveda for Planet)।

प्रमुख विशेषताएँ

  • पुरस्कार और सम्मान:  इस अवसर पर आयुर्वेद क्षेत्र में विशिष्ट योगदानकर्ताओं को राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार, 2025 प्रदान किया जाता है।
  • अवसंरचना विकास: AIIA गोवा अस्पताल में कई नई सुविधाओं का उद्घाटन किया जाएगा। 
    • एकीकृत ऑन्कोलॉजी इकाई
    • केंद्रीय स्वच्छ आपूर्ति विभाग
    • रक्त भंडारण इकाई
    • अस्पताल प्रसंस्करण देखभाल इकाई।
  • सांस्कृतिक और पारिस्थितिकी पहल 
    • रण-भाजी उत्सव का शुभारंभ, जिसमें पारंपरिक वन-आधारित सब्जियों और उनके पोषण मूल्य को प्रदर्शित किया जाएगा।

बड़े जहाजों को बुनियादी ढाँचे का दर्जा 

वित्त मंत्रालय ने बड़े जहाजों को बुनियादी ढाँचे का दर्जा प्रदान किया है। यह कदम वित्त तक पहुँच सुधारने, घरेलू जहाज निर्माण को बढ़ावा देने और मैरीटाइम अमृत काल विजन@2047 के तहत भारत के समुद्री लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

  • वर्ष 2001 में रंगराजन आयोग ने जहाजों को बुनियादी ढाँचे का दर्जा प्रदान करने की सिफारिश की थी।

बड़े जहाजों की परिभाषा

  • वाणिज्यिक पोत (कमर्शियल वेसल) जिनका भार ≥ 10,000 ग्रॉस टन हो तथा वे भारतीय स्वामित्व और ध्वज (Flag) के अंतर्गत पंजीकृत हों
    या
  • वाणिज्यिक पोत, जिनका भार ≥ 1,500 ग्रॉस टन हो, जो भारत में निर्मित हों तथा भारतीय स्वामित्व और ध्वज के अंतर्गत पंजीकृत हों।

बुनियादी ढाँचे का दर्जे के लाभ

  • कम लागत वाले अवसंरचना ऋण तक पहुँच और ऋण सीमा में वृद्धि।
  • बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ECB) के लिए पात्रता।
  • बीमा कंपनियों और पेंशन फंड्स से दीर्घकालिक वित्तपोषण की सुविधा।
  • इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग कंपनी लिमिटेड (IIFCL) से ऋण लेने की पहुँच।

वर्तमान चुनौतियाँ

  • वैश्विक हिस्सेदारी कम: भारत का वैश्विक जहाज निर्माण में योगदान केवल 0.06% है।
  • विदेशी व्यय अधिक: भारत प्रतिवर्ष 75 अरब अमेरिकी डॉलर विदेशी कंपनियों से जहाज किराए पर लेने में खर्च करता है, जो लगभग राष्ट्रीय रक्षा बजट के बराबर है।

सरकारी योजनाएँ और निवेश

  • वर्ष 2047 तक स्वदेशी शिपिंग और जहाज निर्माण को मजबूत करने के लिए ₹54 ट्रिलियन का निवेश प्रस्तावित।
  • मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड (MDF) का शुभारंभ, जिसकी कोष राशि ₹25,000 करोड़ होगी।
  • सागरमाला फाइनेंस कॉरपोरेशन को एक समुद्री NBFC के रूप में लॉन्च किया गया है ताकि क्रेडिट फ्लो को बढ़ावा दिया जा सके।
  • जहाज निर्माण क्लस्टर्स का विकास, जिसमें अतिरिक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्किलिंग और प्रौद्योगिकी को शामिल किया जाएगा।

स्मॉग-ईटिंग तकनीक 

दिल्ली सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए टाइटेनियम ऑक्साइड-आधारित फोटोकैटेलिटिक कोटिंग्स, जिसे आमतौर पर “स्मॉग-ईटिंग” तकनीक कहा जाता है, पर एक व्यवहार्य अध्ययन की घोषणा की है।

स्मॉग के बारे में

  • धुआँ एवं कोहरे द्वारा निर्मित होता है, जो वायु प्रदूषण का एक गंभीर प्रकार है।
  • कोहरा, धूल एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) तथा वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) जैसे प्रदूषकों का मिश्रण।
  • प्रभाव
    • आँखों में जलन एवं खुजली उत्पन्न करता है।
    • फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुँचाता है, हृदय एवं श्वसन संबंधी विकारों का कारण बनता है।
    • पौधों को नुकसान पहुँचाता है एवं फसल उत्पादकता को कम करता है।

स्मॉग के प्रकार

  • सल्फरयुक्त स्मॉग (लंदन स्मॉग)
    • ठंडी, आर्द्र जलवायु में होता है।
    • धुएँ, कोहरे एवं सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) से बनता है।
  • प्रकाश रासायनिक स्मॉग (लॉस एंजिल्स स्मॉग)
    • यह तब बनता है, जब सूर्य का प्रकाश नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं VOCs के साथ अभिक्रिया करता है, जिससे हानिकारक जमीनी स्तर की ओजोन (‘बेड ओजोन’) निर्मित होती है।
    • इसे ग्रीष्मकालीन ‘स्मॉग’ कहा जाता है, जो शहरी क्षेत्रों में सबसे सामान्य है।

 ‘स्मॉग-ईटिंग’ तकनीक के बारे में

  • तंत्र: वह तकनीक, जो टाइटेनियम डाइऑक्साइड (TiO₂) जैसे प्रकाश उत्प्रेरक पदार्थों का उपयोग करके ‘स्मॉग’ के हानिकारक घटकों (NOx, हाइड्रोकार्बन, पार्टिकुलेट मैटर) को रासायनिक रूप से विघटित करती है।
    • प्रकाश उत्प्रेरक एक ऐसा पदार्थ है, जो प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करता है एवं इसका उपयोग रासायनिक अभिक्रियाओं को तीव्र या सुगम बनाने के लिए करता है।
  • प्रक्रिया
    • पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में आने पर, TiO₂ हाइड्रॉक्सिल रेडिकल एवं सुपरऑक्साइड उत्पन्न करता है।
    • ये नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं हाइड्रोकार्बन को कम हानिकारक यौगिकों में ऑक्सीकृत कर देते हैं।
    • सड़कों, फुटपाथों, टाइलों, पेंट या अग्रभागों पर लगाए जाने पर, ये शहरी वातावरण से सीधे ‘स्मॉग’ को अवशोषित कर लेते हैं।

स्मॉग-ईटिंग अनुप्रयोगों के वैश्विक उदाहरण

  • सड़कें एवं फुटपाथ: नीदरलैंड (वर्ष 2013) ने प्रकाश उत्प्रेरक फुटपाथों का कार्य प्रारंभ किया।
  • इमारतें एवं टाइल्स: पलाजो इटालिया (मिलान एक्सपो, 2015): TiO₂ सीमेंट का उपयोग किया गया।
  • रूफ  शिंगल (Roof Shingles)
    • बर्कले लैब द्वारा फोटोकैटेलिटिक ग्रैन्यूल्स का उपयोग करके विकसित।
    • नाइट्रोजन ऑक्साइड को वर्षा द्वारा बहाए गए हानिरहित रसायनों में परिवर्तित करता है।
    • आवास में ‘शिंगल’ के व्यापक उपयोग के कारण इसकी क्षमता।
  • स्मॉग-मुक्त टॉवर (डैन रूजगार्ड परियोजना)
    • 23 फुट ऊँचा एक टॉवर, जो स्मॉग के लिए वैक्यूम क्लीनर की तरह कार्य करता है।
    • आयनीकरण का उपयोग करके प्रति घंटे 30,000 घन मीटर वायु साफ करता है।
    • चीन, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड, पोलैंड एवं मेक्सिको में लागू।

महाराजा अग्रसेन

महाराजा अग्रसेन की जयंती के अवसर पर, भारतीय प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की एवं सामाजिक न्याय, सद्भावना तथा एकता के प्रतीक के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।

  • अग्रसेन जयंती प्रतिवर्ष हिंदू माह आश्विन (शुक्ल पक्ष प्रतिपदा – (सितंबर-अक्टूबर) की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है।

महाराजा अग्रसेन के बारे में

राजवंश और उत्पत्ति

  • सूर्यवंश के एक वैश्य राजा।
  • अग्रोहा (वर्तमान हिसार, हरियाणा के पास) के संस्थापक।
  • अग्रवाल समुदाय के संस्थापक, जो ऐतिहासिक रूप से व्यापार एवं व्यवसाय से जुड़े रहे हैं।
  • अग्रवाल शब्द का अर्थ है ‘अग्रसेन की संतान’ या ‘अग्रोहा के लोग।’

वंश

  • राजा वल्लभ देव के पुत्र, कुश (भगवान राम के पुत्र) के वंशज।
  • जन्म वर्ष: 3082 ईसा पूर्व।
  • सूर्यवंशी राजा मांधाता के वंश से संबंधित।
  • उनके 18 बच्चे थे, जिनसे अग्रवाल गोत्र की उत्पत्ति हुई।
  • माना जाता है कि वे द्वापर युग में भगवान कृष्ण के समकालीन थे।

दृष्टि एवं सुधार

  • एक कर्मयोगी के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने सामूहिक समृद्धि के लिए कार्य किया।
  • अग्रोहा में समानता का एक अद्वितीय नियम लागू किया:
    • प्रत्येक नए निवासी को प्रत्येक निवासी द्वारा एक ईंट एवं एक रुपया दिया जाता था।
    • ईंटों से घर का निर्माण होता था एवं पैसे से आजीविका या व्यवसाय चलता था।
    • इससे समतावाद एवं सामाजिक समानता सुनिश्चित हुई।

प्रगतिशील सिद्धांत

  • अहिंसा (पशु बलि को हतोत्साहित)।
  • सामाजिक न्याय एवं समानता।
  • सहकारी जीवन एवं कल्याण को बढ़ावा।

सम्मान

  • वर्ष 1976: उनकी 5100वीं जयंती पर डाक टिकट जारी किया गया।
  • वर्ष 2017: पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला में शोध के लिए महाराजा अग्रसेन पीठ की स्थापना की गई।

त्रिपुर सुंदरी मंदिर

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने प्रसाद योजना के तहत त्रिपुरा के उदयपुर में पुनर्विकसित 524 वर्ष प्राचीन त्रिपुर सुंदरी मंदिर का उद्घाटन किया।

त्रिपुर सुंदरी मंदिर के बारे में

  • त्रिपुर सुंदरी मंदिर, जिसे ‘माताबाडी’ के नाम से भी जाना जाता है, 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो इसे हिंदू धर्म में एक अत्यंत पूजनीय तीर्थस्थल बनाता है।
  • निर्माता: इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1501 में त्रिपुरा राज्य के तत्कालीन शासक महाराजा धान्य माणिक्य ने की थी।
  • वास्तुशिल्प महत्त्व: यह मंदिर बंगाली एक-रत्न शैली में निर्मित है एवं कछुए के कूबड़ के आकार की एक पहाड़ी पर विशिष्ट रूप से स्थित है, जिसके कारण इसे कूर्म पीठ नाम दिया गया है।
  • प्रतिष्ठित देवता
    • देवी त्रिपुर सुंदरी (5 फीट ऊँची, मुख्य देवी)
    • देवी चंडी, जिन्हें स्नेहपूर्वक छोटो-माँ  (Chhoto-Ma) कहा जाता है (2 फीट ऊँची, ऐतिहासिक रूप से राजाओं द्वारा युद्ध और शिकार में साथ ले जाया जाता था)।

सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्त्व

  • उत्सव और अनुष्ठान: मंदिर में आयोजित वार्षिक दीवाली मेला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करता है और मंदिर की सांस्कृतिक जीवंतता को सुदृढ़ करता है।
  • GI टैग युक्त प्रसाद: मंदिर की प्रसिद्ध माताबाड़ी पेड़े को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त है, जिससे इसकी सांस्कृतिक और वाणिज्यिक महत्ता बढ़ी है। 
  • आध्यात्मिक विरासत: किंवदंती के अनुसार, महाराजा धान्य माणिक्य माणिक्य को आदिशक्ति ने स्वप्न में आदेश दिया था कि इस पवित्र मंदिर का निर्माण किया जाए।

प्रसाद योजना के बारे में

  • प्रसाद योजना या ‘तीर्थयात्रा पुनरुद्धार एवं आध्यात्मिक विरासत संवर्द्धन अभियान’ (Pilgrimage Rejuvenation And Spiritual Heritage Augmentation Drive) धार्मिक पर्यटन के अनुभव को समृद्ध बनाने के लिए संपूर्ण भारत के तीर्थ स्थलों के समग्र विकास पर केंद्रित है।
  • उद्देश्य: आध्यात्मिक स्थलों के माध्यम से घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक प्राथमिकता-आधारित, नियोजित एवं स्थायी दृष्टिकोण प्रदान करना।
  • शुभारंभ: केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के तहत भारत सरकार द्वारा वर्ष  2014-15 में।
  • वित्तपोषण: पर्यटन मंत्रालय चयनित तीर्थ स्थलों पर बुनियादी ढाँचे एवं सुविधाओं के लिए वित्तपोषण प्रदान करता है, जिससे समग्र पर्यटक अनुभव में वृद्धि होती है।

भारत एवं मोरक्को रक्षा सहयोग

भारत एवं मोरक्को ने रबात (मोरक्को की राजधानी) में रक्षा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है।

भारत-मोरक्को रक्षा समझौता ज्ञापन के बारे में

  • यह समझौता ज्ञापन रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ बनाने एवं दीर्घकालिक एवं सतत् सहयोग को सक्षम बनाने के लिए एक संरचित ढाँचा स्थापित करता है।
  • रक्षा सहयोग: इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण एवं रक्षा विशेषज्ञों का आदान-प्रदान शामिल है।
  • रणनीतिक क्षेत्र: इस रोडमैप में आतंकवाद-रोधी, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, सैन्य चिकित्सा एवं शांति स्थापना अभियान शामिल हैं।
  • औद्योगिक सहयोग: दोनों पक्ष रक्षा उत्पादन में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए, जिसमें मोरक्को ने रक्षा, फार्मास्यूटिकल्स एवं रसायनों में औद्योगिक सहयोग पर जोर दिया।
  • रक्षा अवसंरचना: इन पहलों के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए भारत ने ‘रबात’ स्थित भारतीय दूतावास में एक नए रक्षा विंग के उद्घाटन की घोषणा की।

समझौते का महत्त्व: यह भारत-मोरक्को रणनीतिक संबंधों को मजबूत करता है, रक्षा उद्योग सहयोग, क्षेत्रीय स्थिरता तथा प्रमुख औद्योगिक एवं सुरक्षा क्षेत्रों में व्यापक सहयोग को बढ़ावा देता है।

मोरक्को के बारे में

  • मोरक्को एक उत्तरी अफ्रीकी देश है, जो माघरेब क्षेत्र में अवस्थित है एवं इसका क्षेत्रफल 7,10,850 वर्ग किलोमीटर है।
  • सीमाएँ: इसकी स्थलीय सीमाएँ अल्जीरिया (पूर्व), पश्चिमी सहारा (दक्षिण) एवं स्पेन के मेलिला जैसे परिक्षेत्रों से लगती हैं।
    • इसकी तटरेखा अटलांटिक महासागर (पश्चिम) एवं भूमध्य सागर (उत्तर) को स्पर्श करती है।
  • भूगोल: मोरक्को के भू-भाग पर मध्य में एटलस पर्वत तथा उत्तर में रिफ पर्वत प्रमुख रूप से स्थित हैं।
    • जेबेल टूबकल (4,165 मीटर) इसकी सबसे ऊँची चोटी है। सबसे निचला बिंदु सेबखा ताह है, जो -55 मीटर निचला है।
  • रेगिस्तान: सहारा रेगिस्तान दक्षिण-पूर्व में विस्तृत है, जो अतिचारण एवं मृदा अपरदन के कारण भूमि क्षरण में योगदान देता है।
  • नदियाँ: एटलस पर्वत से निकलने वाली मौलौया नदी भूमध्य सागर में प्रवाहित होती है।

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