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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 01, 2025 05:00 26 0

वासेनार व्यवस्था में सुधार

हाल ही में वासेनार व्यवस्था की क्लाउड सेवाओं और डिजिटल निगरानी प्रौद्योगिकियों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने की अक्षमता को लेकर चिंता व्यक्त की गई हैं।

वासेनार व्यवस्था के बारे में

  • वासेनार व्यवस्था कोई कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि नहीं है। यह सहभागी राज्यों के बीच एक स्वैच्छिक समझौता है, जिसका उद्देश्य परंपरागत हथियारों और दोहरे-उपयोग वाली वस्तुओं एवं प्रौद्योगिकियों के स्थानांतरण में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है। 
  • इसकी स्थापना वर्ष 1996 में हुई थी और इसका संस्थापक दस्तावेज “इनिशियल एलीमेंट्स (Initial Elements)” कहलाता है। 
  • इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में अवस्थित है। 
  • उद्देश्य: स्थानांतरण में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना, तथा अस्थिर करने वाले धन संचयन एवं आतंकवादी पहुँच को रोकना।
  • नियंत्रण सूचियाँ: इसमें युद्ध सामग्री और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और प्रौद्योगिकियों की सूची शामिल है।
    • वर्ष 2013 में इसके दायरे का विस्तार किया गया, जिसमें उन ‘घुसपैठ संबंधी सॉफ्टवेयर’ (Intrusion Software) पर नियमन शामिल किया गया, जो सुरक्षा एवं निगरानी (साइबर-निगरानी) प्रणालियों को विफल या बाधित करने के उद्देश्य से विकसित किए जाते हैं।
  • सूचना विनिमय: हथियारों के हस्तांतरण, दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों और सामान्य नीतिगत मामलों पर सूचना साझा करने के लिए प्रक्रियाएँ प्रदान करता है।
  • सहभागी राज्य: वर्तमान में इसके 42 सहभागी राज्य हैं, जिनमें अमेरिका, रूस, जापान और यूरोपीय संघ के सदस्य देश सम्मिलित हैं।
    • भारत वर्ष 2017 में वासेनार व्यवस्था का सहभागी राज्य बना और तब से उसने इसके नियंत्रणों को अपने SCOMET ढाँचे में शामिल कर लिया है।
  • निर्णय लेना: पूर्ण अधिवेशन मुख्य निर्णय लेने वाला निकाय है, जो आम सहमति से कार्य करता है तथा सामान्य कार्य समूह एवं विशेषज्ञ समूह जैसे सहायक समूहों द्वारा समर्थित होता है।

बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाएँ

  • मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR): मिसाइल और मानवरहित हवाई वाहन प्रौद्योगिकी निर्यात पर केंद्रित।
  • ऑस्ट्रेलिया समूह (AG): रासायनिक और जैविक हथियार अप्रसार पर केंद्रित।
  • परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG): परमाणु निर्यात पर केंद्रित।
    • जेंगर समिति (ZC): यह परमाणु निर्यात को विनियमित करती है तथा यह सुनिश्चित करती है कि गैर-परमाणु-हथियार संपन्न देश परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का अनुपालन करें।
  •  भारत MTCR, AG और वासेनार व्यवस्था  का सदस्य है, परंतु NSG का सदस्य नहीं है।

ध्वनिक वाहन चेतावनी प्रणाली (Acoustic Vehicle Alerting System – AVAS)

हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मसौदा अधिसूचना में सभी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अक्टूबर 2027 तक ध्वनिक वाहन चेतावनी प्रणाली (AVAS) को अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा है।

  • अक्टूबर 2026 के बाद निर्मित नए इलेक्ट्रिक वाहन मॉडलों में AVAS लगाना अनिवार्य होगा, जबकि मौजूदा मॉडलों को अक्टूबर 2027 तक इसका पालन करना होगा।

AVAS के बारे में

  • यह इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में एक सुरक्षा सुविधा है, जो कृत्रिम ध्वनि उत्पन्न कर पैदल यात्रियों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं को वाहन की उपस्थिति की सूचना देती है।
  •  यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि सड़क उपयोगकर्ता आने वाले EV को पहचान सकें, जिससे दुर्घटनाओं का जोखिम कम होता है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ के कई देशों ने पहले ही पैदल यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने हेतु हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों में AVAS या इसी तरह की प्रणालियाँ अनिवार्य कर दी हैं।

बथुकम्मा उत्सव

हैदराबाद, तेलंगाना में आयोजित बथुकम्मा उत्सव ने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाए।

  • सबसे बड़ी बथुकम्मा पुष्प सज्जा: 63.11 फीट ऊँचा, 11 फीट चौड़ा, लगभग 7 टन फूलों से निर्मित।
  • समन्वित महिला प्रदर्शन: 1,354 प्रतिभागी द्वारा किया गया।

बथुकम्मा उत्सव के बारे में

  • “बथुकम्मा” का अर्थ है “माँ देवी का जीवित होना” और यह देवी पार्वती को समर्पित है।
  • यह एक पुष्प उत्सव है, जिसे मुख्य रूप से महिलाएँ नवरात्रि (सितंबर–अक्टूबर) के दौरान तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाती हैं।
  • तेलंगाना के गठन (वर्ष 2014) के बाद इसे राजकीय उत्सव के रूप में मान्यता दी गई।
  • उत्सव के दौरान महिलाएँ मौसमी फूलों को शंकु-आकृति में सजाती हैं, लोकगीत गाती हैं और अंतिम दिन “सद्दुला बथुकम्मा” पर इन्हें स्थानीय जलाशयों में विसर्जित करती हैं।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के बारे में

  • इसका संचालन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स लिमिटेड द्वारा किया जाता है, जिसका मुख्यालय लंदन में अवस्थित है।
  • गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स एक वार्षिक संदर्भ पुस्तक भी है और असाधारण मानवीय उपलब्धियों, कौशल और प्राकृतिक घटनाओं के लिए वैश्विक प्रमाणन प्राधिकरण भी है।
  • इसे पहली बार वर्ष 1955 में यूनाइटेड किंगडम में प्रकाशित किया गया था, जिसे गिनीज ब्रेवरी ने पब में रिकॉर्ड तथ्यों पर बहसों को सुलझाने के साधन के रूप में प्रायोजित किया था।

सहयोग पोर्टल (Sahyog Portal)

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के सहयोग पोर्टल के विरुद्ध एक्स (ट्विटर) की याचिका को खारिज करते हुए इसे “लोक-कल्याण का उपकरण” बताया। 

  • न्यायालय ने कहा कि “भारत को कानून की अवहेलना का खेल का मैदान नहीं माना जा सकता।”

सहयोग पोर्टल के बारे में

  • प्रारंभ: वर्ष 2024
  • संचालन: भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cybercrime Coordination Centre – I4C)
  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय गृह मंत्रालय
  • विकास उद्देश्य: यह पोर्टल सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत सक्षम सरकार या उसकी एजेंसी द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म/मध्यस्थों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया को स्वचालित करता है।
  • कार्य
    • किसी भी अवैध कार्य में प्रयुक्त सूचना, डेटा या संचार लिंक को हटाने या उसकी पहुँच रोकने में सुविधा प्रदान करना।
    •  सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79(3)(b) को लागू करना: यदि मध्यस्थ सरकारी नोटिस की अवहेलना करते हैं तो उन्हें “सेफ हार्बर”  (Safe harbour) संरक्षण नहीं मिलता।

महत्त्व

  • देश की सभी अधिकृत एजेंसियों  और सभी मध्यस्थों को एक ही मंच पर लाकर अवैध ऑनलाइन सूचनाओं के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करता है।
  • यह देश में साइबर अपराध की रोकथाम, जाँच, जाँच-पड़ताल और अभियोजन के लिए एक प्रभावी ढाँचा और पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करता है।

चिंताएँ और आलोचना

  • सरकार द्वारा ऑनलाइन/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अत्यधिक सेंसरशिप नियंत्रण को लेकर आशंका।
  • यह धारा 69A पर निर्भरता को कमजोर करता है, जिसमें सुनवाई और समीक्षा जैसी मजबूत सुरक्षा व्यवस्थाएँ हैं।
  • यह भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्मों के नियमन के लिए एक उदाहरण स्थापित कर सकता है।

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