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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 07, 2025 04:07 48 0

बाराटांग पंक ज्वालामुखी

भारत के एकमात्र पंक ज्वालामुखी (Mud Volcano) जो अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के बाराटांग द्वीप (Baratang Island) में स्थित है, में 2 अक्टूबर, 2025 को 20 वर्षों बाद उद्गार हुआ।

‘पंक ज्वालामुखी’ क्या हैं?

  • पंक ज्वालामुखी भू-वैज्ञानिक संरचनाएँ हैं, जो पृथ्वी की गहराई से पंक, जल एवं गैसें बाहर निकालती हैं, जिससे गड्ढे निर्मित होते हैं।
    • सिदोआर्जो मडफ्लो (Sidoarjo Mudflow) इंडोनेशिया में स्थित है और यह विश्व का सबसे बड़ा पंक ज्वालामुखी है।

लावा ज्वालामुखियों से अंतर

  • लावा ज्वालामुखियों के विपरीत, पंक ज्वालामुखी से पिघली हुई चट्टान नहीं उत्सर्जित होतीं हैं।
  • इनकी गतिविधि मैग्मा के बजाय कार्बनिक पदार्थों के विघटन से उत्पन्न गैस दबाव से संचालित होती है।
  • लावा ज्वालामुखियों की तुलना में, इनका उद्गार पदार्थ आमतौर पर ठंडा और कम विस्फोटक होता है।

बाराटांग पंक ज्वालामुखी के बारे में 

  • अवस्थिति: बंगाल की खाड़ी में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के बाराटांग द्वीप पर स्थित।
    • यह अंडमान समूह के द्वीपों का हिस्सा है, जो मिडिल और साउथ अंडमान द्वीपों के बीच अवस्थित है।
  • विशेषता: जब गैसें पंक को सतह की ओर लाती हैं, तो गड्ढे निर्मित होते  हैं।
  • यह भारत की एक अद्वितीय भू-वैज्ञानिक विशेषता है, जो पर्यटकों और शोधकर्ताओं दोनों को आकर्षित करती है।

संपीडित जैव-गैस और पोटाश ग्रेन्युल परियोजना

भारत की पहली सहकारी आधारित संपीडित जैव-गैस (Compressed Bio-Gas – CBG) और स्प्रे ड्रायर पोटाश ग्रेन्यूल परियोजना (Spray Dryer Potash Granule Project) का उद्घाटन कोपरगाँव, महाराष्ट्र में किया गया, जो चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देती है।

परियोजना के बारे में 

  • पहली सहकारी पहल: यह परियोजना सहकार महर्षि शंकरराव कोल्हे सहकारी चीनी कारखाने में स्थापित की गई है, जो भारत की पहली सहकारी-प्रबंधित CBG और पोटाश परियोजना है।
  • क्षमता (Capacity): यह प्रतिदिन 12 टन CBG और 75 टन पोटाश का उत्पादन करेगी, जिससे इन उत्पादों के विदेशी आयात में कमी आएगी।
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल: यह परियोजना चीनी कारखाने के अपशिष्ट से संपीडित जैव-गैस और पोटाश ग्रेन्यूल बनाती है, जो सतत् संसाधन उपयोग और ऊर्जा दक्षता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • विस्तार योजना:  ऐसे ही 15 सहकारी चीनी कारखानों में इस मॉडल को लागू किया जाएगा, जिसमें महाराष्ट्र इस पहल का नेतृत्व करेगा।

‘पोटाश ग्रेन्यूल’ के बारे में 

  • पोटाश ग्रेन्यूल ऐसे उर्वरक (Fertilizers) हैं, जो पोटेशियम से भरपूर होते हैं।
  • इन्हें स्प्रे ड्रायर तकनीक द्वारा चीनी कारखाने के उप-उत्पादों से तैयार किया जाता है।
  • ये मृदा की उर्वरता बढ़ाते हैं, फसल की पैदावार में सुधार करते हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देते हैं।

संपीडित जैव-गैस (CBG) के बारे में

  • CBG एक नवीकरणीय गैसीय ईंधन है, जो कृषि अपशिष्ट, पशु गोबर, खाद्य अपशिष्ट, और नगर ठोस अपशिष्ट जैसी जैविक सामग्री के अवायवीय अपघटन से तैयार किया जाता है।
  • यह स्वच्छ ईंधन विकल्प के रूप में कार्य करता है, जो जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाता है और कार्बन उत्सर्जन कम करता है।

महत्त्व

  • यह परियोजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाती है।
  • किसानों का सशक्तीकरण करती है।
  • परिपत्र अर्थव्यवस्था और एथेनॉल विविधीकरण को बढ़ावा देती है।
  • प्राथमिक कृषि ऋण समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को मजबूत करती है।
  • इसे राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) और उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) द्वारा समर्थन प्राप्त है।

राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देशव्यापी समारोहों को मंजूरी दी है, इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इसकी ऐतिहासिक भूमिका की मान्यता के रूप में मनाया जाएगा।

राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” के बारे में 

  • रचनाकार एवं भाषा: वंदे मातरम् की रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने संस्कृत भाषा में की थी और इसे सबसे पहले बंगाली लिपि में प्रकाशित किया गया।
  • आधिकारिक दर्जा: 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा ने वंदे मातरम् को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया, जिससे इसे राष्ट्रीय गान (जन गण मन) के समान स्थान प्राप्त हुआ।
  • उत्पत्ति: यह गीत पहली बार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के वर्ष 1882 के उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया गया था, जो संन्यासी विद्रोह की पृष्ठभूमि पर आधारित है।
    • गीत में छह भक्तिपूर्ण पद हैं, जो मातृभूमि को समर्पित हैं और भक्ति एवं देशभक्ति के भावों का सुंदर मिश्रण प्रस्तुत करते हैं।
  • प्रतीकवाद और अर्थ: गीत में भारत माता को एक दिव्य शक्ति के रूप में व्यक्त किया गया है, जो शक्ति, करुणा और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है।

“वंदे मातरम्” का ऐतिहासिक महत्त्व 

  • स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका: वंदे मातरम् भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का एक प्रेरणादायक गान बन गया था, जिसने औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध प्रतिरोध, राष्ट्रीय एकता, और गौरव की भावना को प्रज्वलित किया।
  • रबींद्रनाथ टैगोर का योगदान 
    • रबींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1896 में कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में “वंदे मातरम्” का गायन करके इसे लोकप्रिय बनाया।
    • टैगोर की आवाज में “वंदे मातरम्” की ऐतिहासिक रिकॉर्डिंग आज भी भारत की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित है।

फाइनेंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (FIDC)

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फाइनेंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (FIDC) को स्व-नियामक संगठन (SRO) का दर्जा प्रदान किया है, जिससे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के अनुपालन, नैतिक आचरण और मानकीकरण को सुदृढ़ किया जा सके।

स्व-नियामक संगठन (SRO) के बारे में

  • एक स्व-नियामक संगठन (SRO) एक उद्योग-प्रेरित निकाय होता है, जिसे नियामक संस्था (जैसे-RBI) द्वारा मान्यता दी जाती है, ताकि वह किसी विशिष्ट क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं के आचरण और मानकों की निगरानी कर सके।
  • यह उद्योग प्रतिभागियों और नियामक (RBI) के बीच संपर्क सेतु का कार्य करता है, जिससे वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र का जिम्मेदार और पारदर्शी संचालन सुनिश्चित हो सके।

SRO के उद्देश्य 

  • क्षेत्रीय विकास: उद्योग में व्यावसायिकता, अनुपालन और नैतिक आचरण को बढ़ावा देना।
  • सामूहिक प्रतिनिधित्व: RBI, सरकार और वैधानिक संस्थाओं के समक्ष क्षेत्र की एकीकृत आवाज के रूप में कार्य करना, जिससे सदस्यों के साथ पारदर्शी और समान व्यवहार सुनिश्चित हो।
  • डेटा और नवाचार: RBI को नीति-निर्धारण के लिए क्षेत्रीय डेटा उपलब्ध कराना तथा नवाचार और नए उत्पाद विकास को प्रोत्साहित करना।
  • अनुसंधान और अनुसंधान-संवर्द्धन: क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और आत्म-शासन की संस्कृति को बढ़ावा देना।

SRO के रूप में मान्यता हेतु पात्रता मानदंड

  • कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत धारा 8 कंपनी (गैर-लाभकारी संस्था) के रूप में पंजीकृत होना आवश्यक।
  • पर्याप्त निवल मूल्य (Net worth) और बुनियादी ढाँचा होना चाहिए ताकि नियामकीय कार्य कुशलता से किए जा सकें।
  • सदस्यता प्रतिनिधित्व व्यापक होना चाहिए ताकि पूरा क्षेत्र शामिल हो सके।
  • फिट एंड प्रॉपर मापदंड: निदेशकों और प्रवर्तकों में ईमानदारी (Integrity), दक्षता (Competence) और वित्तीय सुदृढ़ता होनी चाहिए तथा कोई आपराधिक या कानूनी मामला लंबित नहीं होना चाहिए।
  • मान्यता RBI द्वारा प्रदान की जाती है और यह सतत् अनुपालन और समीक्षा के अधीन होती है।

फाइनेंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (FIDC) के बारे में

  • स्वरूप: भारत की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) का प्रतिनिधि संगठन।
  • मान्यता: इसे RBI से “इन-प्रिंसिपल रिकग्निशन” प्राप्त है, जिससे यह NBFCs और एसेट मैनेजर्स (AMs) के लिए स्व-नियामक संगठन (SRO) के रूप में कार्य करेगा।
  • भूमिका: यह NBFC क्षेत्र की मान्यता प्राप्त आवाज के रूप में नियामकों, नीति-निर्माताओं और वित्तीय संस्थानों से संवाद करता है।
  • सदस्यता: RBI के नियामकीय ढाँचे की सभी श्रेणियों में कार्यरत NBFCs को प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।
  • मिशन
    • भारत में NBFC क्षेत्र के सतत् विकास को प्रोत्साहित करना।
    • उद्योग में स्व-नियमन, अनुपालन और सुशासन  को बढ़ावा देना।
  • कार्य: FIDC एक विश्वसनीय सेतु के रूप में कार्य करता है, जो NBFCs, नियामकों और नीति-निर्माताओं के बीच संवाद सुनिश्चित करता है, जिससे संतुलित क्षेत्रीय विकास हो सके।

नेट-जीरो बैंकिंग एलायंस (NZBA) 

नेट-जीरो बैंकिंग एलायंस (NZBA), जो वर्ष 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन  प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध बैंकों का प्रमुख वैश्विक गठबंधन था, ने सदस्यों के मत के बाद अपने संचालन को समाप्त करने का निर्णय लिया है।

नेट-जीरो बैंकिंग एलायंस (NZBA) के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 2021 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम वित्त पहल (UNEP FI) के तहत, ग्लासगो फाइनेंशियल एलायंस फॉर नेट जीरो (GFANZ) के एक भाग के रूप में स्थापित किया गया।
  • उद्देश्य: वैश्विक बैंकों को पेरिस समझौते के लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने के अनुरूप अपनी ऋण और निवेश पोर्टफोलियो को संरेखित करने के लिए प्रेरित करना।
  • प्रतिबद्धताएँ 
    • वर्ष 2050 तक नेट-जीरो उत्सर्जन  प्राप्त करने की प्रतिज्ञा।
    • वर्ष 2030 के लिए अंतरिम लक्ष्य निर्धारित करना।
    • प्रगति को पारदर्शी रूप से प्रदर्शित करना।
  • सदस्यता: यह गठबंधन वैश्विक बैंकिंग परिसंपत्तियों के 40% से अधिक का प्रतिनिधित्व करता था।
  • इसमें प्रमुख अमेरिकी और यूरोपीय वित्तीय संस्थान शामिल थे।
  • कोई भी भारतीय बैंक NZBA का सदस्य नहीं था।
  • प्रशासन  
    • इसका संचालन 12-सदस्यीय संचालन समूह और एक अध्यक्ष  द्वारा किया जाता था, जिसमें विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों और व्यवसायिक मॉडलों का प्रतिनिधित्व होता था।
    • सदस्य बैंकों द्वारा चयनित संचालन समूह गठबंधन की रणनीति और निर्णय-निर्माण  की निगरानी करता था।
    • UNEP FI सचिवालय गठबंधन का समर्थन करता था, जबकि संयुक्त राष्ट्र को संचालन समूह में स्थायी सीट प्राप्त थी।

अभ्यास कोंकण – 2025

हाल ही में भारतीय नौसेना और यूनाइटेड किंगडम की रॉयल नेवी के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास “कोंकण-2025 (KONKAN-2025)” भारत के पश्चिमी तट पर आरंभ हुआ है।

अभ्यास कोंकण के बारे में

  • प्रारंभ: अभ्यास कोंकण शृंखला की शुरुआत वर्ष 2004 में एक साधारण द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में हुई थी, जो अब विकसित होकर एक जटिल और बहुआयामी समुद्री अभ्यास बन चुका है।
  • उद्देश्य: इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच आपसी समझ, अंतरसंचालन क्षमता और संयुक्त परिचालन क्षमता को विभिन्न समुद्री क्षेत्रों में सुदृढ़ करना है।
  • रणनीतिक महत्त्व: यह अभ्यास भारत की उस व्यापक दृष्टि का हिस्सा है, जिसके तहत भारत समान विचारधारा वाले लोकतंत्रों के साथ रक्षा साझेदारी को मजबूत कर मुक्त, खुला और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक को प्रोत्साहित कर रहा है।
  • अभ्यास के चरण: अभ्यास दो अलग-अलग चरणों में आयोजित किया जाएगा — हार्बर चरण और सी चरण।
    • हार्बर चरण: इसमें व्यावसायिक अंतःक्रियाएँ, क्रॉस-डेक यात्राएँ, खेल प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं।
    • सी चरण: इस चरण में जटिल समुद्री परिचालन अभ्यास आयोजित किए जाएँगे, जिनमें शामिल हैं;
      • एंटी-एयर, एंटी-सरफेस और एंटी-सबमरीन वारफेयर ऑपरेशन्स
      • जहाज आधारित और तटीय विमान परिचालन
      • सीमैनशिप (Seamanship) अभ्यास और सामरिक अभ्यास।
  • प्रतिभागी सेनाएँ
    • भारत:  स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत के नेतृत्व में कैरियर बैटल ग्रुप (CBG) भाग ले रहा है। इसके साथ सतही, पनडुब्बी और वायु संसाधन भी शामिल हैं।
    • यूनाइटेड किंगडम: यूके कैरियर स्ट्राइक ग्रुप-25 (CSG-25), जिसका नेतृत्व HMS प्रिंस ऑफ वेल्स कर रहा है। इसमें नॉर्वे और जापान के संसाधन भी शामिल हैं, जिससे अभ्यास में बहुपक्षीय आयाम जुड़ गया है।
  • महत्त्व: अभ्यास कोंकण-2025 भारत और ब्रिटेन के बीच “इंडिया–UK विन 2035” में उल्लिखित समग्र रणनीतिक साझेदारी को प्रतिबिंबित करता है, जो विशेष रूप से रक्षा, प्रौद्योगिकी और समुद्री सहयोग पर केंद्रित है।

कम्प्रेसिव अस्फिक्सिया (Compressive Asphyxia)

हाल ही में अभिनेता-राजनेता विजय की रैली के दौरान हुई करूर भगदड़ में कुछ लोगों की दुखद मृत्यु हो गई। यह घटना भीड़-भाड़ वाले स्थानों में होने वाली कम्प्रेसिव अस्फिक्सिया (दबावजनित श्वासरोध) के खतरों को उजागर करती है।

अस्फिक्सिया (Asphyxia) के बारे मे

  • अस्फिक्सिया वह स्थिति है, जिसमें शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे सामान्य श्वसन प्रक्रिया बाधित होती है। इससे हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) होती है, जो बेहोशी या मृत्यु तक का कारण बन सकती है।
    • सामान्य स्थिति में एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति प्रति मिनट लगभग 200–250 मिलीलीटर ऑक्सीजन का उपभोग करता है।

अस्फिक्सिया के प्रकार

  • मैकेनिकल अस्फिक्सिया (Mechanical Asphyxia)
  • ट्रॉमैटिक अस्फिक्सिया (Traumatic Asphyxia)
  • पेरिनेटल अस्फिक्सिया (Perinatal Asphyxia)
  • कंप्रेसिव अस्फिक्सिया (Compressive Asphyxia)
  • अन्य प्रकार: सफोकेशन (Suffocation), केमिकल अस्फिक्सिया (Chemical Asphyxia), स्ट्रैंग्युलेशन (Strangulation), और ड्राउनिंग (Drowning)।

कंप्रेसिव अस्फिक्सिया  के बारे में

  • जब छाती या पेट पर बाहरी दबाव (External Pressure) इतना अधिक हो जाता है कि डायाफ्राम सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाता, जिससे साँस लेने और कार्बन डाइऑक्साइड निकालने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है, तब यह स्थिति कंप्रेसिव अस्फिक्सिया कहलाती है।
  • कारण
    • भीड़ का दबाव: सघन भीड़ में लोग एक-दूसरे पर दबाव डालते हैं, जिससे साँस रुक जाती है।
    • सीधा दबाव: किसी व्यक्ति या वस्तु द्वारा छाती या पेट पर बैठने, घुटने टेकने या दबाव डालने से।
  • रोकथाम के उपाय 
    • भीड़ संबंधी जागरूकता: बाहर निकलने के रास्तों पर ध्यान देना, अत्यधिक भीड़ वाले क्षेत्रों से बचाव और सुरक्षित दिशा में तिरछे बढ़ना।
    • तैयारी: कार्यक्रम से पहले स्थान का नक्शा देखना और यदि स्थिति असुरक्षित लगे तो समय से पहले निकल जाएँ।
    • सुरक्षित भीड़ घनत्व: यू.के. की ग्रीन गाइड टू सेफ्टी ऐट स्पोर्ट्स ग्राउंड के अनुसार, 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में अधिकतम 47 व्यक्ति (यानी 4.7 व्यक्ति प्रति वर्ग मीटर) से अधिक नहीं होने चाहिए।
  • जोखिम: अत्यधिक भीड़ के कारण ऑक्सीजन की कमी (Hypoxia) और कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ना (Hypercapnia) हो सकता है, जिससे श्वसन में समस्या (Respiratory Distress) उत्पन्न होती है।
  • महत्त्व: कंप्रेसिव अस्फिक्सिया (Compressive Asphyxia) के कारणों को समझना और रोकथाम के उपाय अपनाना अत्यंत आवश्यक है ताकि भगदड़ और भीड़-भाड़ वाली घटनाओं में जनहानि को रोका जा सके।

जेनोबायोलॉजी

जेनोबायोलॉजी (Xenobiology) एक उभरता हुआ वैज्ञानिक क्षेत्र है, जो ऐसे जीवन रूपों का अध्ययन करता है, जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले जैविक प्रणालियों से मूल रूप से भिन्न होते हैं।

जेनोबायोलॉजी क्या है

  • उत्पत्ति: जेनोबायोलॉजी (Xenobiology) ग्रीक शब्द xenos से बना है, जिसका अर्थ है ‘बाहरी’ या ‘एलियन’, और इसका शाब्दिक अर्थ है ‘बाह्य जीवन का अध्ययन
  • यह अध्ययन करता है कि क्या जीवन हमेशा DNA, RNA और पृथ्वी के 20 अमीनो एसिड से बने प्रोटीन पर निर्भर होना चाहिए या क्या अन्य रासायनिक प्रणालियाँ भी संभव हैं।
    • वैज्ञानिक उपलब्धियाँ:  वैज्ञानिकों ने ऐसे जीवाणु (Bacteria) तैयार किए हैं, जिनमें A, T, C और G के अलावा अतिरिक्त जेनेटिक अक्षर (Genetic Letters) हैं, जिससे नए संरचनाओं और कार्यों वाले प्रोटीन बनाए जा सके।
  • यह क्षेत्र रसायन विज्ञान, आनुवंशिकी  और खगोल जीवविज्ञान  के बीच एक सेतु का कार्य करता है और यह जाँचता है कि ब्रह्मांड में जीवन के कितने भिन्न स्वरूप संभव हैं।
  • जेनोबायोलॉजी का उपयोग ऐसे सूक्ष्मजीव विकसित करने में किया जा सकता है, जो दवाइयाँ बना सकें या विषाक्त अपशिष्ट (Toxic waste) को सुरक्षित रूप से विघटित कर सकें क्योंकि ये नियंत्रित प्रयोगशाला परिस्थितियों के बाहर जीवित नहीं रह सकते।

चक्रवात शक्ति

हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पुष्टि की कि चक्रवात “शक्ति” (Cyclone Shakhti) का निर्माण उत्तर-पूर्वी अरब सागर में हुआ है, यह भारतीय तट से दूर हट रहा है।

चक्रवात शक्ति के बारे में

  • यह एक गंभीर चक्रवाती तूफान (Severe Cyclonic storm) है, जिसका नाम श्रीलंका ने रखा है।
  • अवस्थिति: 3 अक्टूबर, 2025 को यह गुजरात के द्वारका  से लगभग 340 किमी. पश्चिम में था (अक्षांश 22.0°N)।
  • गति दिशा: इसका प्रारंभिक मार्ग पश्चिम-उत्तर-पश्चिम था, जो बाद में पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ते हुए उत्तर एवं मध्य अरब सागर के मध्य भागों तक पहुँचने की संभावना है।
  • चक्रवात निर्माण की परिस्थितियाँ: चक्रवात गर्म उष्णकटिबंधीय जल में निर्मित होते हैं, जहाँ समुद्र का तापमान लगभग 26–27 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक होता है, ऊर्ध्वाधर वायु गति अंतराल (वर्टिकल विंड शियर) न्यूनतम होता है और घूर्णन के लिए पर्याप्त कोरिओलिस बल मौजूद होता है।

अरब सागर में चक्रवातों की बढ़ती आवृत्ति

  • समुद्री तापमान में वृद्धि: अरब सागर का समुद्री सतह तापमान (Sea Surface Temperature) लगातार बढ़ रहा है, जिससे यह क्षेत्र अब अधिक चक्रवात-प्रवण होता जा रहा है।
  • ऐतिहासिक तुलना: पहले बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) की तुलना में अरब सागर में चक्रवात कम निर्मित होते थे।
  • हाल के चक्रवात: पिछले कुछ वर्षों में ताउते (वर्ष 2021) और बिपरजॉय (वर्ष 2023) जैसे गंभीर चक्रवात भारत के पश्चिमी तट पर आए, जो इनकी बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाते हैं।

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