100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 13, 2025 06:03 21 0

‘कन्वर्जन थेरेपी’ (Conversion Therapy)

संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐसे मामले की सुनवाई प्रारंभ की है, जो यह तय करेगा कि राज्य सरकारें “कन्वर्जन थेरेपी” (Conversion Therapy) को किस सीमा तक नियंत्रित कर सकती हैं।

महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • यह मामला कोलोराडो (Colorado) के वर्ष 2019 के एक कानून को चुनौती देता है, जो नाबालिगों पर कन्वर्जन थेरेपी पर प्रतिबंध लगाता है। विवाद का मुख्य प्रश्न यह है कि क्या ऐसा प्रतिबंध संविधान के प्रथम संशोधन के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है, या यह व्यावसायिक आचरण के उचित विनियमन का हिस्सा है।

क्या है कन्वर्जन थेरेपी?

  • परिभाषा: ‘कन्वर्जन थेरेपी’ से तात्पर्य उन मनोवैज्ञानिक या व्यावहारिक हस्तक्षेपों से है, जिनका उद्देश्य किसी व्यक्ति की लैंगिक पहचान को परिवर्तित करना होता है।
  • ऐतिहासिक प्रथाएँ: ऐतिहासिक रूप से इसमें बलात् और हानिकारक तरीके शामिल हैं, जैसे- बिजली के झटके, जबरन संस्थागतकरण और वंचना।
  • चिकित्सीय सहमति: प्रमुख चिकित्सा संस्थाएँ, जैसे- अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन, इन प्रथाओं को अवैज्ञानिक और हानिकारक घोषित कर चुकी हैं।  वे स्पष्ट करती हैं कि समलैंगिकता (Homosexuality) और लैंगिक विविधता को मानसिक रोग नहीं माना जा सकता है।
  • स्वास्थ्य प्रभाव: कन्वर्जन थेरेपी का संबंध अवसाद, चिंता, और आत्महत्या से पाया गया है, विशेषकर नाबालिगों में।
  • कानूनी स्थिति: अमेरिका के 20 से अधिक राज्यों, जिनमें कोलोराडो भी शामिल है, ने नाबालिगों पर कन्वर्जन थेरेपी पर प्रतिबंध लगाया है। हालाँकि, ये प्रतिबंध आमतौर पर धार्मिक नेताओं या बिना लाइसेंस वाले परामर्शदाताओं पर लागू नहीं होते।

भारत में कन्वर्जन थेरेपी की स्थिति

विनियामक और कानूनी ढाँचा

  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का प्रतिबंध (2022): जुलाई 2022 में NMC ने कन्वर्जन थेरेपी को आधिकारिक रूप से व्यावसायिक दुराचरण घोषित किया।
  • यह निर्देश मद्रास उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय एस. सुष्मा बनाम पुलिस आयुक्त” के बाद जारी किया गया। इस आदेश के तहत सभी राज्य चिकित्सा परिषदों को निर्देश दिया गया कि वे किसी भी ऐसे चिकित्सक या परामर्शदाता के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करें, जो कन्वर्जन थेरेपी में संलग्न पाया जाए।

चा 1107-7626’ (Cha 1107-7626) ग्रह

खगोलविदों ने एक नवीन निष्कासित ग्रह (रॉग प्लैनेट) ‘चा 1107-7626’ (Cha 1107-7626) को सक्रिय रूप से अपने आस-पास की गैस और धूल को अवशोषित करते हुए अवलोकित किया है, जिससे यह नई जानकारी मिलती है कि ऐसे फ्री-फ्लोटिंग प्लैनेट’ का निर्माण कैसे होता है।

चा 1107-7626’ ग्रह के बारे में 

  • चा 1107-7626’ ग्रह लगभग 620 प्रकाश वर्ष दूर, मिल्की वे आकाशगंगा के कैमेलियन तारामंडल में अवस्थित है।
  • इसका द्रव्यमान बृहस्पति के पाँच से दस गुना के मध्य अनुमानित है और इसकी आयु लगभग एक से दो मिलियन वर्ष मानी गई है, जो खगोलीय दृष्टि से अत्यंत नवीन है।
  • इस ग्रह का पता यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के वेरी लार्ज टेलीस्कोप’ से चिली में लगाया गया।
  • चा 1107-7626’ ग्रह एक गैस निर्मित विशाल उपग्रह है, जो हमारे सौरमंडल के बृहस्पति जैसे ग्रहों से अधिक समान है, न कि पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रहों से।
  • यह एक नवीन तारे की तरह निर्मित हो रहा है, जिसमें शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र गैस और धूल को भीतर की ओर खींच रहे हैं, यह प्रक्रिया तारों के जन्म के समय सामान्य होती है।
  • हालाँकि, इसमें हाइड्रोजन संलयन प्रारंभ करने के लिए पर्याप्त द्रव्यमान नहीं है,  जो एक वास्तविक तारे की परिभाषित विशेषता है।

 निष्कासित ग्रह [रॉग प्लैनेट (Rogue Planet)] के बारे में

  • ये ग्रह ऐसे फ्री-फ्लोटिंग प्लैनेट’ द्रव्यमान पिंड होते हैं जो किसी तारे की परिक्रमा (orbit) नहीं करते, बल्कि अंतरिक्ष में स्वतंत्र रूप से तैरते हैं।
  • वैज्ञानिक महत्त्व: इन ग्रहों के अध्ययन से ग्रहों और तारों के निर्माण की परिधियों के बीच की सीमा अस्पष्ट हो जाती है। यह वैज्ञानिकों को आकाशीय विकास  के विविध मार्गों को समझने में सहायता करता है, जिससे यह पता चलता है कि ब्रह्मांड में ग्रहों का जन्म और विकास कितने विविध और जटिल तरीकों से हो सकता है।

सिस्टेन्थे लॉन्गिस्कापा (Cistanthe longiscapa)

चिली के वैज्ञानिक अटाकामा रेगिस्तान के सूखा-प्रतिरोधी पुष्प सिस्टेंथे लॉन्गिस्कापा’ (Cistanthe longiscapa) का अध्ययन कर रहे हैं, ताकि जलवायु-जनित सूखे के प्रति प्रतिरोधी फसलें विकसित की जा सकें।

सिस्टैंथे लॉन्गिस्कापा के बारे में

  • सिस्टैंथे लॉन्गिस्कापा (Cistanthe longiscapa), जिसे स्थानीय रूप से पाटा दे गुआनाको (Pata De Guanaco)” कहा जाता है, एक ‘पिंक-फ्यूशिया’ रंग का पुष्पीय पौधा है, जो चिली के अटाकामा मरुस्थल में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है।
    • यह पौधा दुर्लभ फूलता हुआ मरुस्थल” (Flowering desert) जैसी घटना उत्पन्न करता है, जो केवल कभी-कभी होने वाली वर्षा (Infrequent rainfalls) के बाद ही पुष्पित होता है।
  • अनुकूलन: यह पौधा अत्यधिक शुष्कता और तापमान के उतार-चढ़ाव को सहन कर सकता है, जिससे यह रेगिस्तानी पर्यावरण संबंधी अनुकूलन के अध्ययन हेतु मॉडल प्रजाति बन गया है।
    • यह पौधा प्रकाश-संश्लेषण में उल्लेखनीय लचीलापन दर्शाता है, यह C3 (कैल्विन चक्र) और CAM (क्रासुलेसियन अम्ल चयापचय) के विकल्प का प्रयोग कर सकता है, जिससे यह सूखे, लवणता या तीव्र धूप की स्थिति में भी जल की बचत कर पाता है।
  • महत्त्व: यह पौधा यह समझने में मदद करता है कि तनावपूर्ण परिस्थितियों में जीन द्वारा नियंत्रित चयापचय परिवर्तन कैसे होते हैं।

अटाकामा मरुस्थल के बारे में

  • अटाकामा मरुस्थल उत्तरी चिली में प्रशांत तट के समानांतर स्थित है और एंडीज पर्वत से विस्तृत है।
  • यह पृथ्वी का सबसे शुष्क गैर-ध्रुवीय मरुस्थल है, जहाँ कुछ क्षेत्रों में वार्षिक 1 मिमी. से भी कम वर्षा होती है।
  • अपनी कठोर परिस्थितियों के बावजूद, यह क्षेत्र विशिष्ट जैव विविधता का आवास स्थल है, जो शुष्कता और तीव्र सौर विकिरण के अनुरूप विकसित हुई है।
  • यह क्षेत्र वर्तमान में गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है और अध्ययनों के अनुसार वर्ष 2050 तक सूखे की घटना और अधिक तीव्र हो जाएगी, जिससे चिली की उपजाऊ घाटियों की कृषि को खतरा उत्पन्न हो सकता है।

टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026

भारत ने टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग, 2026 में दूसरा सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बनकर एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है, जिसमें कुल 128 भारतीय संस्थान को वैश्विक सूची में स्थान प्राप्त हुआ है।

वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के बारे में

  • टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग अकादमिक उत्कृष्टता का तुलनात्मक मूल्यांकन प्रदान करने के लिए प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर वैश्विक विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन करती है।
  • वर्ष 2026 संस्करण: इसमें 115 देशों और क्षेत्रों के 2,191 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है। यह रैंकिंग वैश्विक विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक उत्कृष्टता का तुलनात्मक मूल्यांकन करने के लिए तैयार की जाती है।
  • मूल्यांकन मानदंड: विश्वविद्यालयों का आकलन पाँच प्रमुख क्षेत्रों में किया जाता है:
    • शिक्षण
    • अनुसंधान परिवेश
    • अनुसंधान गुणवत्ता
    • अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
    • औद्योगिक प्रभाव।
  • कुल 18 प्रदर्शन संकेतक शामिल हैं, जो शिक्षण वातावरण अनुसंधान क्षमता नवाचार और वैश्विक भागीदारी जैसे पहलुओं को शामिल करते हैं।
  • शीर्ष 100 के बाद विश्वविद्यालयों को विशिष्ट रैंक के बजाय रैंक बैंड्स (rank bands) में रखा जाता है।

वैश्विक रैंकिंग

  • यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड  ने लगातार दसवें वर्ष विश्व में पहला स्थान बनाए रखा है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने शीर्ष 10 में 7 स्थान प्राप्त किए हैं, जबकि यूनाइटेड किंगडम  ने शेष 3 स्थान प्राप्त किए हैं।

भारतीय विश्वविद्यालयों पर प्रमुख निष्कर्ष

  • प्रतिनिधित्व: भारत के 128 विश्वविद्यालय इस सूची में शामिल हुए हैं, जो पिछले वर्ष के 107 विश्वविद्यालयों की तुलना में वृद्धि दर्शाता है।
    •  इस प्रकार भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।
    • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बंगलूरू ने 201–250 के बीच अपना स्थान बनाए रखा है।
  • अभी तक कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय शीर्ष 200 में प्रवेश नहीं कर पाया है, लेकिन अनुसंधान उत्पादकता, अंतरराष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि, और शिक्षक-डॉक्टरेट अनुपात में सुधार से भारत की वैश्विक रैंकिंग में निरंतर प्रगति हो रही है।

स्पार्क-4.0 (SPARK–4.0)

केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) ने स्पार्क-4.0 (SPARK–4.0) कार्यक्रम (वित्तीय वर्ष 2025–26) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य देशभर में स्नातक आयुर्वेद छात्रों में अनुसंधान की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है।

स्पार्क-4.0 के बारे में 

  • स्पार्क-4.0, स्टूडेंटशिप प्रोग्राम फॉर आयुर्वेद रिसर्च केन का चौथा संस्करण है।
  • यह केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद की मुख्य पहल है, जिसका उद्देश्य BAMS छात्रों में वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करना है।
  • नोडल संस्था: केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS), केंद्रीय आयुष मंत्रालय के अंतर्गत।
  • पात्रता: राष्ट्रीय आयुर्वेद प्रणाली आयोग (NCISM) से मान्यता प्राप्त आयुर्वेद महाविद्यालयों के छात्र आवेदन कर सकते हैं।

उद्देश्य

  • स्पार्क-4.0 का लक्ष्य छात्रों में अनुसंधान की रुचि को जगाना, विश्लेषणात्मक कौशल विकसित करना और शास्त्रीय आयुर्वेद ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान से जोड़ना है।
  • यह आयुष क्षेत्र में दीर्घकालिक अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने और साक्ष्य-आधारित अनुसंधान पद्धति को प्रोत्साहित करने का प्रयास है।

लाभ 

  • कुल 300 BAMS छात्र चयनित किए जाएँगे, जिनमे से प्रत्येक छात्र को ₹50,000 की स्कॉलरशिप प्रदान की जाएगी (₹25,000 प्रति माह दो माह के लिए)
  • चयनित छात्र अल्पकालिक स्वतंत्र अनुसंधान परियोजनाएँ करेंगे, जिन्हें शिक्षक मार्गदर्शन के अंतर्गत संचालित किया जाएगा। प्रतिभागी छात्रों को अनुसंधान पद्धति, प्रयोगात्मक डिजाइन और डेटा विश्लेषण का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा।
  • परियोजना के सफल समापन और अंतिम अनुसंधान रिपोर्ट की स्वीकृति के बाद छात्रों को प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.