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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 17, 2025 03:52 22 0

टाइगर ग्रीन स्टेटस असेसमेंट रिपोर्ट 

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की पहली ग्रीन स्टेटस असेसमेंट रिपोर्ट में यह बताया गया है कि एशिया में बाघ गंभीर रूप से कम हुए हैं, लेकिन संरक्षण प्रयासों से उनके प्राकृतिक आवासों  में पुनर्प्राप्ति की संभावना बनी हुई है।

  • यदि बाघों को उनके सभी उपयुक्त ऐतिहासिक आवासों में पुनर्स्थापित किया जाए तो जंगली बाघों की संख्या 25,000 से अधिक हो सकती है, जो वर्तमान वैश्विक आबादी (लगभग 5,500) से पाँच गुना अधिक है।

 बाघ का ग्रीन स्टेटस असेसमेंट

  • IUCN ग्रीन स्टेटस असेसमेंट किसी प्रजाति की पुनर्प्राप्ति (Recovery) का आकलन करता है। यह मापन करता है कि प्रजाति पूरी तरह स्वस्थ, सक्षम है या नहीं,  और क्या वह अपने पारिस्थितिकी कार्यों को पूरा कर रही है। यह IUCN रेड लिस्ट का पूरक मूल्यांकन है।
    • यह प्रक्रिया वर्ष 2012 में आरंभ की गई थी।
    • IUCN का ‘ग्रीन स्टेटस ऑफ स्पीशीज’ किसी प्रजाति की संख्या स्थिति को आठ स्तरों में वर्गीकृत करके उसकी पुनर्प्राप्ति प्रगति और संरक्षण सफलता का आकलन करता है:
      • जंगल से विलुप्त
      • अत्यंत गंभीर रूप से कमी
      • वृहद पैमाने पर कमी
      • मध्यम रूप से कमी
      • अल्प कमी
      • पूर्ण रूप से पुनर्प्राप्त
      • अप्रभावित या स्थिर
      • अनिर्णीत
  • मुख्य निष्कर्ष: ऐतिहासिक और निरंतर मानवीय प्रभावों के कारण बाघों की जनसंख्या में भारी गिरावट और उनके क्षेत्र में संकुचन हुआ है।
    • कई आबादियाँ क्षेत्रीय रूप से विलुप्त या गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
  • संरक्षण प्रभाव:  मौजूदा संरक्षण पहलों से बाघों की संख्या में तीव्र गिरावट में कमी आई है, छह स्थानिक इकाइयों में विलुप्ति को रोका है और जनसंख्या की बहाली को संभव बनाया है।
    • इन प्रयासों के बिना, प्रजाति पुनर्प्राप्ति स्कोर केवल 5% होगा और यह गंभीर रूप से संकटग्रस्त की श्रेणी में आ जाएगा।
    •  भविष्य की संभावनाएँ: निरंतर और गहन संरक्षण के साथ, बाघों की संख्या में दीर्घावधि में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है और संभवतः 100 वर्षों के भीतर सभी स्थानिक इकाइयों में उनकी वापसी हो सकती है।

बाघ (पैंथेरा टाइग्रिस) के बारे में

  • बाघ विश्व की सबसे बड़ी ‘कैट’ प्रजाति है और एशियाई पारिस्थितिकी तंत्रों में एक प्रमुख शिकारी प्रजाति है।
  • वितरण: बाघ मूल रूप से एशिया के हैं, और उनकी आबादी दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया में विस्तृत है।
    • आवास की हानि और मानवीय दबाव के कारण उनकी ऐतिहासिक आवास सीमा में अत्यधिक कमी आई है।
    •  भारत में वर्तमान में 3,600 से अधिक जंगली बाघ हैं, जो विश्व की कुल संख्या का लगभग 75% है।
  • संरक्षण स्थिति 
    • IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त (Endangered)
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत): अनुसूची – I
    • CITES: परिशिष्ट – I ।
  • खतरे: आवास की हानि, विखंडन, मानव जनसंख्या वृद्धि, शिकार में कमी, जलवायु परिवर्तन से इस प्रजाति को खतरा बना हुआ है।
  • संरक्षण का महत्त्व: बाघों की संख्या में और अधिक गिरावट को रोकने, जनसंख्या में सुधार को बढ़ावा देने तथा एशिया में उनके दीर्घकालिक अस्तित्व को सुरक्षित करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।

लॉजिस्टिक्स एक्सीलेंस, एडवांसमेंट एंड परफॉर्मेंस शील्ड (LEAPS) 2025

हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भारत मंडपम, नई दिल्ली में LEAPS 2025 का शुभारंभ किया, जो पीएम गतिशक्ति की चौथी वर्षगाँठ का प्रतीक है।

लॉजिस्टिक्स एक्सीलेंस, एडवांसमेंट एंड परफॉर्मेंस शील्ड (LEAPS) 2025 के बारे में

  • LEAPS 2025 भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य भारत में लॉजिस्टिक्स उत्कृष्टता का मानक स्थापित करना और भारत की वैश्विक आपूर्ति शृंखला में प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता  को सशक्त बनाना है।
    • यह पहल राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) और पीएम गतिशक्ति के उद्देश्यों के अनुरूप है।
  • प्रारंभ: उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा, जो केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत है।
  • मुख्य उद्देश्य: भारत के लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम में श्रेष्ठ अभ्यास और नेतृत्व को पहचानना और पुरस्कृत करना
    • सरकार, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, जिससे दक्षता, पारदर्शिता और लचीलापन को प्रोत्साहन मिले।
  • दायरा: इसमें वायु, सड़क, समुद्री और रेल माल ऑपरेटरों, वेयरहाउसिंग सेवाओं, मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्टरों, एमएसएमई, स्टार्ट-अप और शैक्षणिक संस्थानों सहित लॉजिस्टिक्स हितधारकों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
  • श्रेणियाँ:  LEAPS 2025 के अंतर्गत 13 श्रेणियों में आवेदन आमंत्रित किए गए हैं,
    जो 5 प्रमुख खंडों (Segments) में विभाजित हैं:

    • कोर लॉजिस्टिक्स: वायु, सड़क, रेल, समुद्री, मल्टीमॉडल और वेयरहाउस सेवा प्रदाता।
    • एमएसएमई (MSME): लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता।
    • स्टार्टअप्स: लॉजिस्टिक्स टेक्नोलॉजी और ऑपरेशन्स।
    • संस्थान: लॉजिस्टिक्स शिक्षा को बढ़ावा देने वाले शैक्षणिक संस्थान।
    • विशेष श्रेणियाँ: ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स और थर्ड-पार्टी लॉजिस्टिक्स (3PL) सेवा प्रदाता।
  • स्थायित्त्व पर ध्यान: यह पहल भारत के आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 विजन के साथ संरेखित करने के लिए ग्रीन लॉजिस्टिक्स, ESG (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) प्रथाओं और नवाचार पर जोर देती है।
  • महत्त्व: LEAPS 2025, PM गतिशक्ति और NLP, 2022 के परिवर्तनकारी ढाँचे पर आधारित है, जो भविष्य के लिए तैयार, सतत् लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देता है, जो मेक इन इंडिया और राष्ट्रीय आर्थिक विकास का समर्थन करता है।

विश्व खाद्य दिवस 2025

विश्व खाद्य दिवस 2025, 16 अक्टूबर को मनाया गया, जिसमें कृषि खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

विश्व खाद्य दिवस, 2025 के बारे में 

  • विश्व खाद्य दिवस प्रतिवर्ष खाद्य सुरक्षा, पोषण और सतत् कृषि पद्धतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
  • यह दिवस यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल देता है कि प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित, पर्याप्त और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो, जो स्वास्थ्य, विकास और कल्याण के लिए अत्यंत आवश्यक है।
  • उत्पत्ति: यह दिवस 16 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
    • इसे पहली बार वर्ष 1981 में “भोजन सर्वप्रथम” थीम के साथ मनाया गया था और वर्ष 1984 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा औपचारिक रूप से इसका समर्थन किया गया था।
  • वर्ष 2025 की थीम: “बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए हाथ मिलाना” (“Hand in Hand for Better Foods and a Better Future”)।

भारत की भूमिका और उपलब्धियाँ

  • पिछले एक दशक में भारत ने खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 90 मिलियन मीट्रिक टन की वृद्धि दर्ज की है, जिसमें फल और सब्जियों का उत्पादन 64 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक बढ़ा है।
  • भारत दूध और बाजरा उत्पादन में विश्व स्तर पर पहले स्थान पर है और मछली, फल और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
    • वर्ष 2014 से शहद और अंडे का उत्पादन भी दोगुना हो गया है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY), और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (PM POSHAN) जैसी प्रमुख पहलों के साथ-साथ लक्षित-सार्वजनिक वितरण प्रणाली (SMART-PDS) के साथ आधार का व्यवस्थित विलय जैसे सुधार, खाद्य और पोषण सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हैं।

चिरोन (Chiron)

खगोलविदों ने बर्फीले खगोलीय पिंड “चिरोन (Chiron)” के चारों ओर बनने और विकसित होने वाली वलयों को देखा है, जो किसी छोटे “सेंटौर (Centaur)” पिंड के चारों ओर वलयों के निर्माण का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण या चित्र प्रदान करता है।

 चिरोन (Chiron) के बारे में

  • चिरोन, एक छोटा बर्फीला पिंड है, जो शनि और अरुण के बीच सूर्य की परिक्रमा करता है।  यह सेंटौर (Centaur) नामक वस्तुओं के वर्ग से संबंधित है,  जिनमें क्षुद्रग्रह  और धूमकेतु  दोनों की विशेषताएँ पाई जाती हैं।
  • कक्षीय और भौतिक विशेषताएँ
    • कक्षा: यह सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा लगभग 50 वर्षों में पूरी करता है।
    • संरचना: मुख्यतः चट्टान, जल-बर्फ और जटिल कार्बनिक यौगिकों द्वारा  निर्मित है।
    • गतिविधि: कभी-कभी गैस और धूल उत्सर्जित करता है;  वर्ष 1993 में इसमें एक छोटे धूमकेतु के समान पुच्छल तारा देखा गया था।

वलय प्रणाली

  • खगोलविदों ने चार वलय (Four Rings) अवलोकित किए हैं: तीन भीतरी वलय  क्रमशः 273 किमी., 325 किमी., और 438 किमी. की दूरी पर और एक बाहरी वलय लगभग 1,400 किमी. की दूरी पर स्थित है।
    • ये वलय धूल के एक चक्र (Dust Disk) में समाहित हैं  और इनमें वास्तविक समय आधारित परिवर्तन देखा गया है,  जो संकेत देता है कि वलयों का निर्माण अभी भी सक्रिय रूप से जारी है।
  • संभावित संरचना: जल-बर्फ और चट्टानी पदार्थ का मिश्रण, जो वलयों को स्थिरता प्रदान करता है और उन्हें उपग्रह में परिवर्तित होने से रोकता है।
    • संभावित उत्पत्ति: लघु उपग्रहों, अंतरिक्ष अपशिष्ट, या स्वयं चिरोन से उत्सर्जित पदार्थ को नष्ट करने वाली टक्कर द्वारा।
  • महत्त्व: चिरोन के वलय दर्शाते हैं कि वलय का निर्माण केवल बड़े ग्रहों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि छोटे बर्फीले पिंडों के निकट भी हो सकता है, जिससे ब्रह्मांड में डिस्क गतिशीलता और उपग्रह निर्माण के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

सस्टेनेबल एक्वाकल्चर इन मैंग्रोव इकोसिस्टम्स (SAIME)

हाल ही में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने सुंदरबन के “सस्टेनेबल एक्वाकल्चर इन मैंग्रोव इकोसिस्टम्स (SAIME)” मॉडल को “ग्लोबल टेक्निकल रिकग्निशन” से सम्मानित किया है, जो जीविकोपार्जन को मैंग्रोव संरक्षण के साथ जोड़ने का एक अद्वितीय उदाहरण है।

सस्टेनेबल एक्वाकल्चर इन मैंग्रोव इकोसिस्टम्स (SAIME) के बारे में

  • परिचय (Introduction):  SAIME एक पारिस्थितिकी तंत्र आधारित और जलवायु-अनुकूल मत्स्यपालन मॉडल है, जो पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र में  मैंग्रोव संरक्षण को सतत् आजीविका के साथ एकीकृत करता है।
  • विकसित: नेचर एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसाइटी (NEWS) द्वारा विकसित और स्थानीय मत्स्य किसानों के सहयोग से कार्यान्वित।
  • भौगोलिक क्षेत्र: यह परियोजना पश्चिम बंगाल के चैतालैंड मधवपुर में  लगभग 29.84 हेक्टेयर क्षेत्र में लागू की गई है, जिसमें 42 मत्स्य कृषक (Fish Farmers) शामिल हैं।
  •  मुख्य विशेषताएँ
    • मत्स्य तालाबों में 5% से 30% तक मैंग्रोव आवरण सुनिश्चित किया जाता है।
    • ब्लैक टाइगर झींगा की एकल प्रजाति पालन के लिए  मैंग्रोव की पत्तियों (Mangrove Litter) का उपयोग चारे के रूप में किया जाता है।
    • यह एक सामुदायिक भागीदारी आधारित मॉडल है, जो उत्तम मत्स्यपालन प्रथाओं का पालन करते हुए संरक्षण और आजीविका के बीच संतुलन स्थापित करता है।

SAIME का प्रभाव 

  • किसानों की वार्षिक औसत शुद्ध आय में 100% से अधिक वृद्धि हुई है, मुख्यतः उत्पादन लागत में कमी के कारण।
  • यह रसायन-मुक्त झींगा पालन को बढ़ावा देता है।
  • जलवायु परिवर्तन और समुद्र-स्तर वृद्धि के विरुद्ध तटीय अनुकूलन को सशक्त बनाता है।
  • कार्बन अवशोषण को समर्थन देता है और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में योगदान करता है।

 FAO ग्लोबल टेक्निकल रिकग्निशन के बारे में 

  • यह पुरस्कार उत्कृष्ट नेतृत्व, नवाचार और सहयोग को सम्मानित करता है, जो सतत् कृषि-खाद्य प्रणालियों के रूपांतरण में सहायक हैं।
  • यह FAO के छह प्रमुख क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान को प्रदर्शित करता है:
    • सतत् पशुधन परिवर्तन
    • वन हेल्थ, पशु स्वास्थ्य एवं संदर्भ केंद्र
    • दक्षिण-दक्षिण एवं त्रिकोणीय सहयोग
    • लचीली कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के लिए भूमि, मृदा एवं जल संसाधन प्रबंधन
    • सतत् जलीय खाद्य प्रणालियाँ
    • सतत् वन उत्पादन एवं संरक्षण
    • सतत् पौध उत्पादन एवं संरक्षण।
  • यह पहल समावेशी एवं अनुकुलित खाद्य सुरक्षा के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहित करती है।

ग्रीन क्रैकर्स (Green Crackers)

 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पर्यावरण संरक्षण और त्योहार मनाने के अधिकार के बीच संतुलन स्थापित करते हुए दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री और प्रयोग की अनुमति दे दी है।

ग्रीन क्रैकर्स क्या हैं?

  • ‘ग्रीन क्रैकर’ शब्द का अर्थ यह नहीं है कि यह पटाखा प्रदूषण-मुक्त है; बल्कि, इसका अर्थ है पारंपरिक पटाखों की तुलना में पर्यावरण पर कम प्रभाव उत्पन्न करता है।
  • इस फॉर्मूलेशन को भारत के “ग्रीन क्रैकर्स इनिशिएटिव” के तहत वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा विकसित किया गया है।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • उत्सर्जन में कमी: पार्टिकुलेट मैटर (PM) और कुछ अन्य गैसों के उत्सर्जन में 30% की कमी का लक्ष्य प्राप्त करना।
    • विषाक्त घटकों में कमी
      • इनमें बेरियम नाइट्रेट, आर्सेनिक, पारा या लीथियम जैसे हानिकारक रसायन न हों।
      • कम विषाक्त उत्सर्जन वाले वैकल्पिक ऑक्सीडाइजर और स्टेबलाइजर का उपयोग करना।
    • ध्वनि प्रदूषण का स्तर: ध्वनि स्तर 120 डेसीबल तक सीमित, पारंपरिक पटाखों (जो प्रायः 150 डेसीबल से अधिक होते हैं) से कम।
    • प्रमाणन: CSIR-NEERI प्रमाणन, ग्रीन लोगो और प्रमाण-पत्र/उत्सर्जन डेटा से लिंक करने वाला क्यूआर कोड होना आवश्यक है।
    • निर्माण: पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) से लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है।

अभ्यास ‘समुद्र शक्ति’

भारतीय नौसेना और इंडोनेशियाई नौसेना के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘समुद्र शक्ति’ का 5वाँ संस्करण विशाखापत्तनम में प्रारंभ हुआ।

समुद्र शक्ति अभ्यास के बारे में

  • उत्पत्ति: वर्ष 2018
  • अवस्थिति: विशाखापत्तनम, भारत
  • भाग लेने वाले जहाज
    • भारत: INS कवरती – एंटी सबमरीन वारफेयर कार्वेट  (पूर्वी बेड़ा)
    • इंडोनेशिया: KRI जॉन लाइ – कार्वेट विथ इंटीग्रल हेलीकाप्टर।
  • उद्देश्य: दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन, आपसी समझ और समुद्री सुरक्षा समन्वय को बढ़ाना।
  • इस अभ्यास के दो चरण हैं – बंदरगाह चरण और समुद्री चरण।
  • बंदरगाह चरण की गतिविधियाँ
    • व्यावसायिक आदान-प्रदान: समुद्री संचालन और लॉजिस्टिक पर विषय वस्तु विशेषज्ञ आदान-प्रदान (SMEE) सत्र।
    • ‘क्रॉस-डेक’ दौरे: एक-दूसरे के प्लेटफॉर्मों से परिचित होने के लिए चालक दल के सदस्यों के बीच वार्ता।
    • सांस्कृतिक और खेल आयोजन: सौहार्द बढ़ाने के लिए संयुक्त योग सत्र और मैत्रीपूर्ण खेल आयोजन।
  • समुद्री चरण में उच्च गति वाले नौसैनिक ऑपरेशन शामिल हैं:
    • समन्वित समुद्री निगरानी के लिए वायु रक्षा एवं हेलीकॉप्टर युद्धाभ्यास।
    • सोनार प्रणालियों का उपयोग करते हुए फायरिंग अभ्यास और पनडुब्बी रोधी युद्ध प्रशिक्षण।
    • समुद्री डकैती और तस्करी रोधी अभियानों का अनुकरण करने के लिए VBSS (विजिट, बोर्ड, सर्च एंड सीजर) ऑपरेशन।
  • इंडोनेशिया के साथ अन्य अभ्यास
    • द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास ‘गरुड़ शक्ति’
    • इंडो-कॉरपैट
    • बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘कोमोडो’
    • बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘मिलान’।

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