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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 18, 2025 02:03 6 0

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) पुरस्कार

छत्तीसगढ़ को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में सम्मानित किया गया है।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) पुरस्कार के बारे में

यह पुरस्कार उन राज्यों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के उदाहरण प्रस्तुत करने योग्य क्रियान्वयन का प्रदर्शन किया है। जिससे कुशलता, जवाबदेही और अधिसूचित अस्पतालों की उच्च भागीदारी सुनिश्चित होती है।

मान्यता के लिए मापदंड:

  • अस्पताल सहभागिता: छत्तीसगढ़ में 97% अधिसूचित अस्पताल सक्रिय हैं, जो भारत में सर्वाधिक है (राष्ट्रीय औसत लगभग 52%)।
  • दावा प्रक्रिया कुशलता: लगभग शून्य लंबित दावे, और दावा स्वीकृति अवधि को घटाकर 7–10 दिन किया गया है।
  • धोखाधड़ी पहचान और अनुपालन: 32,000 से अधिक फील्ड ऑडिट किए गए तथा अनियमित अस्पतालों (52 में से 45) के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। संदिग्ध दावों में लगभग 75% की कमी दर्ज की गई।
  • पारदर्शिता और विश्वास:  यह पुरस्कार अस्पतालों और लाभार्थियों के योजना पर विश्वास और पारदर्शिता को प्रतिबिंबित करता है।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के बारे में:

  • यह भारत सरकार की एक मुख्य स्वास्थ्य बीमा योजना है जो कमजोर वर्गों को द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
  • प्रारंभ: इस योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में आयुष्मान भारत मिशन के अंतर्गत सर्वजन स्वास्थ्य कवरेज  सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • नोडल मंत्रालय: इस योजना का क्रियान्वयन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के माध्यम से किया जाता है।

मुख्य विशेषताएँ

  • प्रति परिवार प्रति वर्ष ₹5 लाख तक के अस्पताल खर्चों का कवरेज।
  • अधिसूचित सरकारी और निजी अस्पतालों में नकदरहित (Cashless) उपचार की सुविधा।
  • धोखाधड़ी रोकथाम, दावा सत्यापन और समय पर लाभ वितरण पर विशेष ध्यान।
  • राज्य स्वास्थ्य विभागों में सुधार को प्रोत्साहित करना ताकि अनुपालन और गुणवत्तापूर्ण सेवा सुनिश्चित हो सके।

प्रशियन ब्लू कैप्सूल

भारत ने इंडोनेशिया को सीजियम-137 प्रदूषण के प्रभावों को कम करने में सहायता हेतु ‘प्रशियन ब्लू कैप्सूल’ की तत्काल आपूर्ति की है।

सीजियम-137 प्रदूषण के बारे में

  • परिचय: सीजियम-137 एक रेडियोधर्मी समस्थानिक है, जो परमाणु रिएक्टरों में विखंडन प्रक्रियाओं तथा परमाणु हथियारों के विस्फोटों के दौरान उत्पन्न होता है। इसकी अर्द्ध-आयु लगभग 30 वर्ष होती है।
  • स्रोत और पर्यावरणीय उपस्थिति: यह मृदा, जल तथा खाद्य श्रृंखलाओं को प्रदूषित कर सकता है, विशेषकर जब रेडियोधर्मी पदार्थों के अनुचित निपटान या दुर्घटनावश उत्सर्जन होते हैं।
  • स्वास्थ्य प्रभाव: सीजियम-137 के संपर्क से रेडिएशन बीमारी, कैंसर और अंगों को क्षति का जोखिम बढ़ जाता है। 
    • यह शरीर के कोमल ऊतकों विशेषकर मांसपेशियों में आसानी से अवशोषित होकर पूरे शरीर में समान रूप से प्रसारित हो जाता है।
  • आपात स्थिति में:  प्रभावित जनसंख्या में रेडियोधर्मी संपर्क और आंतरिक प्रदूषण को सीमित करने के लिए शीघ्र नियंत्रण और चिकित्सीय उपाय अत्यंत आवश्यक होते हैं।

प्रशियन ब्लू कैप्सूल के बारे में

  • परिचय: प्रशियन ब्लू एक गहरे नीले रंग का यौगिक है, जो रेडियोधर्मी सीजियम और थैलियम से होने वाले आंतरिक प्रदूषण के उपचार में प्रभावी औषधीय एजेंट के रूप में कार्य करता है।
  • क्रियाविधि:  यह यौगिक आंतों में रेडियोधर्मी कणों से बंध जाता है, जिससे उनका शरीर में अवशोषण रुकता है, और वे मल के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं, परिणामस्वरूप आंतरिक अंगों को प्राप्त होने वाले विकिरण में कमी आती है।
  • प्रयोग और वैश्विक मान्यता:  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रशियन ब्लू को रेडियोलॉजिकल आपातकालीन स्थितियों के लिए अनिवार्य औषधि के रूप में सूचीबद्ध किया है, जो परमाणु आपदा तैयारी में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
  • भारत का योगदान: इन कैप्सूलों की आपूर्ति के माध्यम से भारत ने क्षेत्रीय परमाणु सुरक्षा सहयोग और मानवीय स्वास्थ्य सहायता  को सशक्त किया है, जिससे समयबद्ध और लक्षित चिकित्सा सहयोग सुनिश्चित हुआ है।

टाइम रोंडो क्रिस्टल (Time Rondeau Crystal – TRC)

एक अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान दल ने पदार्थ की एक नई अवस्था की खोज की है, जिसे टाइम रोंडो क्रिस्टल (Time Rondeau Crystal – TRC) कहा गया है, जिसकी रिपोर्ट नेचर फिजिक्स में प्रकाशित हुई है।

टाइम क्रिस्टल (Time Crystals) क्या हैं?

  • टाइम क्रिस्टल पदार्थ की एक नई अवस्था है, जिसमें किसी प्रणाली की संरचना समय में दोहराई जाती है, ठीक वैसे ही जैसे स्थानिक क्रिस्टल (Spatial Crystals) में संरचनात्मक स्थान में दोहराई जाती है
  • यह सममिति के स्वतः विघटन का प्रतिरूप है, अर्थात्, प्रणाली बिना किसी बाहरी ऊर्जा इनपुट के नियतांतरालिक दोलन का स्वाभाविक प्रदर्शन करती है।
  • प्रस्तावित: वर्ष 2012 में नोबेल पुरस्कार विजेता फ्रैंक विल्चेक (Frank Wilczek) द्वारा।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • स्थिर, भू-ऊर्जा अवस्था में भी समय के साथ आवधिक गति।
    • कोई ऊर्जा क्षय नहीं- दोलन स्वाभाविक रूप से जारी रहता है।
    • मजबूती: बाहरी व्यवधानों या शोर (Noise) के प्रति प्रतिरोधी।

टाइम रोंडो क्रिस्टल (TRC) क्या है?

  • टाइम रोंडो क्रिस्टल (TRC) समय-आधारित क्रम (Time-Based Order) का एक नया प्रस्तावित रूप है (वर्ष 2024)।
  • साधारण टाइम क्रिस्टल के विपरीत, जो पूर्ण और नियमित पुनरावृत्ति दिखाता है, TRC में केवल विशेष अंतरालों पर क्रमबद्धता होती है, जबकि बीच-बीच में अव्यवस्था दिखाई देती है।
  • इसका नाम “रोंडो (Rondeau)” एक संगीतिक संरचना से प्रेरित है, जिसमें मुख्य थीम (A) विभिन्न अंतरों के बाद पुनः आती है (A–B–A–C–A)
  • इस प्रकार, TRCs आंशिक या आंतरायिक समय-क्रम प्रदर्शित करते हैं — यह आवृत्तता और अनियमितता का एक संकर रूप है।

IUCN स्पीशीज सर्वाइवल कमीशन (SSC) 

प्रसिद्ध भारतीय वन्यजीव संरक्षण विशेषज्ञ विवेक मेनन को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (IUCN) की स्पीशीज सर्वाइवल कमीशन (SSC) का अध्यक्ष (Chairman) निर्वाचित किया गया है, उनका कार्यकाल वर्ष 2025–2029 तक रहेगा।

महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • यह चयन ऐतिहासिक है क्योंकि विवेक मेनन IUCN स्पीशीज सर्वाइवल कमीशन के प्रथम एशियाई अध्यक्ष बने हैं।

IUCN स्पीशीज सर्वाइवल कमीशन (SSC) के बारे में

  • परिचय: स्पीशीज सर्वाइवल कमीशन (SSC), IUCN के छह विशेषज्ञ आयोगों में से एक है, जिसकी स्थापना वर्ष 1949 में की गई थी।
  • यह 10,500 से अधिक वैश्विक विशेषज्ञों का विज्ञान-आधारित स्वैच्छिक नेटवर्क है, जो प्रजातियों के संरक्षण (Species Conservation) पर कार्य करता है।
  • यह IUCN रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटेंड स्पीशीज (विलुप्तप्राय प्रजातियों की सूची) के प्रबंधन में केंद्रीय भूमिका निभाता है। यह सरकारों और संगठनों को जैव विविधता संरक्षण की प्राथमिकताओं पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • विशेषज्ञ समूहों का समन्वय करता है, जो प्रजाति-विशिष्ट और पारिस्थितिक-आधारित संरक्षण प्रयासों पर केंद्रित हैं।
  • शासन संरचना
    • नेतृत्व: एक मार्गदर्शक समिति द्वारा संचालित, जिसका नेतृत्व कमीशन के अध्यक्ष करते हैं।
    • पुनर्गठन: प्रत्येक चार वर्ष में SSC की संरचना का पुनर्गठन किया जाता है।
    • अन्य पद: उपाध्यक्ष, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष  आदि पद शामिल होते हैं।
  • नेटवर्क समूह
    • विशेषज्ञ समूह, रेड लिस्ट अथॉरिटीज (Red List Authorities), कार्य बल, संरक्षण समितियाँ
    • ये समूह टैक्सन-आधारित (जैसे स्तनधारी, पौधे), क्षेत्रीय, या थीमैटिक (जैसे- सतत् उपयोग) हो सकते हैं।
  • सेंटर्स फॉर स्पीशीज सर्वाइवल (CSS): यह SSC चेयर के कार्यालय और प्रमुख संस्थानों के बीच साझेदारी होती है।

विवेक मेनन के बारे में

  • परिचय: विवेक मेनन एक अग्रणी भारतीय वन्यजीव संरक्षणवादी, लेखक, पर्यावरण विशेषज्ञ और फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने तीन दशक से अधिक समय से वन्यजीव संरक्षण और स्व स्थाने संरक्षण (Habitat Conservation) के लिए कार्य किया है।
  • पद एवं संस्थान: वे वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) हैं, जिसने पिछले 26 वर्षों में कई महत्त्वपूर्ण संरक्षण पहलें शुरू की हैं।
  • मुख्य योगदान:
    • हाथी संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, पूरे भारत में महत्त्वपूर्ण हाथी गलियारों की पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित की।
    • 50 से अधिक देशों में शिकार रोधी और वन्यजीव प्रवर्तन प्रशिक्षण  का नेतृत्व किया।
    • लुप्तप्राय प्रजातियों के पुनर्वास, बचाव और पुनर्प्राप्ति कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाई।
    • CITES, UNESCO और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वैश्विक संरक्षण नीतियों से जुड़े संवादों में प्रमुख भूमिका निभाई।

स्कीम फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एसोसिएशन विथ आधार‘ (SITAA) 

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने डीपफेक का मुकाबला करने और आधार प्रमाणीकरण सुरक्षा को बढ़ाने के लिए ‘स्कीम फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एसोसिएशन विथ आधार’ (Scheme for Innovation and Technology Association with Aadhaar- SITAA) योजना शुरू की है।

‘स्कीम फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एसोसिएशन विथ आधार’ के बारे में 

  • परिचय: SITAA एक नवाचार-संचालित पहल है, जिसे UIDAI द्वारा स्टार्टअप्स, शिक्षाविदों और उद्योग भागीदारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर भारत के डिजिटल पहचान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए प्रारम्भ किया गया है।
  • नोडल मंत्रालय: यह योजना केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अंतर्गत UIDAI के माध्यम से संचालित होती है, जिसमें MeitY स्टार्टअप हब (MSH) और NASSCOM की रणनीतिक साझेदारी शामिल है।
  • उद्देश्य: डीपफेक, स्पूफिंग और प्रेजेंटेशन हमलों से आधार प्रमाणीकरण की सुरक्षा करना।
  • प्रमुख विशेषताएँ
    • उन्नत बायोमेट्रिक तकनीकों, AI-संचालित प्रमाणीकरण और डेटा गोपनीयता पर केंद्रित।
    • तीन नवाचार चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है: फेस लाइवनेस डिटेक्शन, प्रेजेंटेशन अटैक डिटेक्शन (PAD), और कॉन्टैक्टलेस फ़िंगरप्रिंट प्रमाणीकरण।
  • MSH इनक्यूबेशन, एक्सेलरेटर और तकनीकी मार्गदर्शन सहायता प्रदान करता है, जबकि नैसकॉम उद्योग संपर्क और वैश्विक पहुँच को सुगम बनाता है।

वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक 4 रिपोर्ट 

IUCN की वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक-4 रिपोर्ट में भारत के वेस्टर्न घाट, मानस राष्ट्रीय उद्यान, और सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान को ‘महत्त्वपूर्ण चिंता’ (Significant Concern) की श्रेणी में रखा गया है, जो इन स्थलों पर प्राकृतिक धरोहर संरक्षण से जुड़ी गंभीर चुनौतियों की ओर संकेत करता है।

IUCN वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक के बारे में

  • परिचय: IUCN वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक एक वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट है, जो प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों की संरक्षण स्थिति का आकलन करती है।
  • उद्देश्य: विश्व स्तर पर प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रबंधन को मजबूत करने के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टियाँ प्रदान करना।
  • प्रकाशक: इसे इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा प्रत्येक 3–4 वर्ष में प्रकाशित किया जाता है।
  • कार्यक्षेत्र: पूरे एशिया में 63 प्राकृतिक स्थलों का मूल्यांकन किया गया है, तथा उन्हें संतोषजनक, कुछ चिंताओं के साथ संतोषजनक, महत्त्वपूर्ण रूप से चिंताग्रस्त या गंभीर श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
  • मुख्य निष्कर्ष (2025)
    • “महत्त्वपूर्ण रूप से चिंताग्रस्त” श्रेणी के अंतर्गत आने वाले स्थल वर्ष 2020 में 26% से बढ़कर वर्ष 2025 में 30% हो गईं।
    • प्रमुख चुनौतियों में जलवायु परिवर्तन, पर्यटन और आक्रामक प्रजातियाँ शामिल हैं।

भारत से संबंधित प्रमुख तथ्य

  • ‘महत्त्वपूर्ण रूप से चिंताग्रस्त’ स्थल: मानस राष्ट्रीय उद्यान (असम) और सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान (पश्चिम बंगाल) को “महत्त्वपूर्ण रूप से चिंताग्रस्त स्थल” के रूप में दर्जा दिया गया है।
    • दोनों ही क्रमशः भूटान और बांग्लादेश तक विस्तृत हैं।
    • पश्चिमी घाटों को भी संरक्षण संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जहाँ सदाबहार वन क्षेत्र का 5% हिस्सा नष्ट हो गया है।
  • “कुछ चिंताओं के साथ संतोषजनक” स्थल: चार भारतीय स्थल इस श्रेणी में आते हैं:
    • ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र (हिमाचल प्रदेश)
    • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम)
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)
    • नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (उत्तराखंड)
  • संतोषजनक संरक्षित स्थल: सिक्किम स्थित कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान को “संतोषजनक” श्रेणी में रखा गया है, जो 11 एशियाई स्थलों में से इस शीर्ष श्रेणी में शामिल एकमात्र भारतीय स्थल है।
  • उभरते खतरे: भारत में प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों के लिए जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा है, उसके बाद पर्यटन है।
    • अन्य खतरों में आक्रामक प्रजातियाँ, आवास की हानि, सड़क और बुनियादी ढाँचे का विकास, वनाग्नि, शिकार और अवैध कटाई शामिल हैं।
  • प्रबंधन प्रभावशीलता: भारत के लगभग आधे मूल्यांकित स्थलों में अत्यधिक या अधिकांशतः प्रभावी सुरक्षा और प्रबंधन है।
  • “अत्यधिक प्रभावी” सुरक्षा स्थलों में 5% (वर्ष 2020) से 3% (वर्ष 2025) तक की गिरावट देखी गई, जबकि “कुछ चिंताग्रस्त” स्थलों में 6% की वृद्धि हुई।

हेनले पासपोर्ट सूचकांक 2025

हाल ही में हेनले पासपोर्ट सूचकांक 2025 जारी कर दिया गया है।

शीर्ष 10 पासपोर्ट रैंकिंग

  • प्रथम स्थान- सिंगापुर: 193 गंतव्यों तक वीजा-मुक्त पहुँच प्रदान करता है।
  • दूसरा स्थान- दक्षिण कोरिया और तीसरा स्थान – जापान: क्रमशः लगभग 190 और 189 गंतव्यों तक पहुँच प्रदान करते हैं
  • विभिन्न यूरोपीय देश, साथ ही न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा, शेष शीर्ष 10 स्थानों पर हैं।
  • संयुक्त अरब अमीरात के स्थान में सुधार हुआ है, जो अब 8वें स्थान पर है, जहाँ नागरिकों को 184 गंतव्यों तक वीजा-मुक्त पहुँच प्राप्त है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका 12वें स्थान पर  है (मलेशिया के साथ संयुक्त रूप से), जहाँ 180 गंतव्यों तक पहुँच प्रदान की जाती है।
  • यूनाइटेड किंगडम भी अपने सबसे निचले स्थान पर खिसक गया है, जो 8वें स्थान पर है।
  • चीन में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है वर्ष 2015 में इसका स्थान 94वें स्थान पर था जो वर्ष 2025 में 64वें स्थान पर आ गया है उसे 82 गंतव्यों तक वीजा-मुक्त पहुँच प्राप्त हुई है।

भारत की स्थिति

  • भारत इस सूचकांक में 85वें स्थान पर है, जो वर्ष 2024 में 80वें स्थान से नीचे है।
  • वीजा-मुक्त पहुँच: भारतीय पासपोर्ट धारक अब 57 गंतव्यों तक वीजा-मुक्त या आगमन पर वीजा के माध्यम से पहुँच सकते हैं।
  • ऐतिहासिक उतार-चढ़ाव
    • निम्नतम रैंकिंग: वर्ष 2021 में 90
    • उच्चतम रैंकिंग: वर्ष 2006 में 71

हेनले पासपोर्ट सूचकांक के बारे में

  • हेनले पासपोर्ट सूचकांक (HPI) एक वैश्विक रैंकिंग प्रणाली है, जो यह बताती है कि किसी देश के नागरिकों को यात्रा स्वतंत्रता कितनी प्राप्त है  अर्थात, वे कितने देशों में बिना पूर्व वीजा या आगमन पर वीजा (Visa-on-Arrival) के प्रवेश कर सकते हैं।
  • प्रकाशक संस्था: इसे हेनले एंड पार्टनर्स एक वैश्विक नागरिकता और निवास परामर्शदाता संस्था द्वारा जारी किया जाता है।
  • प्रथम प्रकाशन: वर्ष 2006 में।
  • डेटा स्रोत: इसका डेटा इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के डेटाबेस से लिया जाता है, जिसमें 199 देशों और 227 गंतव्यों की वीजा नीतियाँ शामिल हैं।

कार्यप्रणाली

  • प्रत्येक देश के पासपोर्ट को स्कोर इस आधार पर दिया जाता है कि उसके धारक कितने गंतव्यों तक पहुँच सकते हैं:
    • वीजा-फ्री एंट्री (Visa-Free Entry), जहाँ वीजा की आवश्यकता नहीं।
    • वीजा-ऑन-अराइवल या इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल ऑथराइजेशन (eTA), जहाँ आगमन पर वीजा या ऑनलाइन अनुमति मिलती है।
  • इन दोनों श्रेणियों में आने वाले देशों की कुल संख्या उस पासपोर्ट का हेनली पासपोर्ट स्कोर बनती है।
  • इसके बाद देशों को उसी के अनुसार रैंक प्रदान की जाती है, जितना अधिक स्कोर होगा, पासपोर्ट उतना ही मजबूत होगा।

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