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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 25, 2025 04:00 88 0

46वाँ आसियान शिखर सम्मेलन

भारतीय प्रधानमंत्री कुआलालंपुर में आयोजित आसियान (ASEAN) शिखर सम्मेलन में वर्चुअल रूप से भाग लेंगे।

आसियान (ASEAN) के बारे में

  • दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संघ (आसियान) की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को बैंकॉक, थाईलैंड में हुई थी।
  • सदस्य: ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम। (10 सदस्य)
  • उद्देश्य: दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना।
  • सचिवालय: मुख्यालय जकार्ता, इंडोनेशिया में है।

आसियान 2025 शिखर सम्मेलन के बारे में

  • 46वाँ आसियान शिखर सम्मेलन कुआलालंपुर, मलेशिया में आयोजित होगा।
  • थीम: ‘समावेशिता और सततता (Inclusivity and Sustainability)’।
  • भागीदारी: सभी सदस्य देशों और आमंत्रित साझेदारों, जिनमें भारत भी शामिल है, के नेता नीतिगत संवाद और बहुपक्षीय चर्चाओं में भाग लेंगे।

भारत–आसियान साझेदारी

  • भारत और आसियान के बीच साझेदारी की शुरुआत वर्ष 1992 में हुई, जब भारत को क्षेत्रीय संवाद भागीदार का दर्जा मिला।
  • वर्ष 1995 में इसे पूर्ण वार्ता साझेदार तथा वर्ष 2012 में सामरिक साझेदारी के स्तर तक उन्नत किया गया।
  • रणनीतिक संबंध: भारत और आसियान के बीच सुरक्षा, व्यापार, और क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित गहरे रणनीतिक संबंध हैं।
  • आर्थिक सहयोग: भारत, आसियान–भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र (AIFTA) का सदस्य है, जो व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करता है।
  • सांस्कृतिक और संपर्क पहलें: भारत, आसियान के साथ सांस्कृतिक, शैक्षिक, डिजिटल, और भौतिक संपर्क परियोजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लेता है।

सारंडा वन

सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया है कि सारंडा वन (Saranda Forest) को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया जाए ताकि जैव विविधता, विशेषतः हाथियों और स्लॉथ वियर (Sloth Bears) की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

सारंडा वन के बारे में

  • यह झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में स्थित है, जो अपने सघन साल (शोरिया रोबस्टा) के वनों के लिए प्रसिद्ध है।

वन से संबंधित प्रमुख समस्याएँ

  • जैव विविधता के लिए खतरे: अवैध खनन और मानवजनित दबावों के कारण अवास-स्थल का क्षरण, विखंडन तथा वन्यजीव जनसंख्या में गिरावट देखी जा रही है।
  • संरक्षण बनाम खनन का संघर्ष: इस क्षेत्र में लौह अयस्क और मैंगनीज के महत्त्वपूर्ण भंडार (भारत के कुल लौह अयस्क का लगभग 26%) हैं, जिसके कारण खनन राजस्व और जैव विविधता संरक्षण के बीच असंतुलन उत्पन्न होता है।
  • आदिवासी अधिकार और कानूनी अनुपालन:  अभयारण्य अधिसूचना से हो, मुंडा और अन्य आदिवासी समुदायों के वन अधिकार अधिनियम और पाँचवीं अनुसूची के तहत प्राप्त अधिकारों पर प्रभाव पड़ने की आशंका है।

साल वृक्ष के बारे में

  • साल एक पर्णपाती, कठोर लकड़ी वाला वृक्ष है, जो भारत, नेपाल और आस-पास के क्षेत्रों में पाया जाता है और सघन वनों का निर्माण करता है, जो समृद्ध जैव विविधता का पोषण करते हैं।
  • आर्थिक महत्त्व: इसकी लकड़ी अत्यंत मजबूत और टिकाऊ होती है, जिसका उपयोग निर्माण कार्यों, फर्नीचर, और रेलवे स्लीपर बनाने में किया जाता है। साल से प्राप्त राल (Resin) का उपयोग वार्निश और पारंपरिक औषधियों में किया जाता है।
  • पर्यावरणीय भूमिका: साल के वन मृदा अपरदन को रोकते हैं और हाथी, हिरण तथा अनेक पक्षी प्रजातियों जैसे वन्यजीवों के लिए आवास प्रदान करते हैं।

सेविला फोरम ऑन डेब्ट

सेविला फोरम ऑन डेब्ट (Sevilla Forum on Debt) का शुभारंभ संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD-16) के दौरान जिनेवा में किया गया।

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) के बारे में

  • UNCTAD एक स्थायी अंतर-सरकारी निकाय है, जिसकी स्थापना वर्ष 1964 में समावेशी और सतत् वैश्विक व्यापार और विशेष रूप से विकासशील देशों के विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
  • UNCTAD 16: कॉन्फ्रेंस 20-23 अक्टूबर, 2025 तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित की गई थी।
  •  थीम: “भविष्य का निर्माण: समानता, समावेशन और सतत् विकास के लिए आर्थिक परिवर्तन को बढ़ावा देना”  (“Shaping the Future: Driving Economic Transformation for Equitable, Inclusive, and Sustainable Development”)।

सेविला फोरम ऑन डेब्ट (Sevilla Forum on Debt) के बारे में

  • पहल: स्पेन द्वारा शुरू की गई, जिसे UNCTAD और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (UN DESA) का समर्थन प्राप्त है।
  • उद्देश्य: संप्रभु ऋण सुधार पर स्वतंत्र और समावेशी संवाद तथा कार्रवाई के लिए मंच प्रदान करना।
  • प्रतिभागी:  विकसित और विकासशील देश, ऋणदाता, अंतरराष्ट्रीय संस्थान, नागरिक समाज, और शैक्षणिक समुदाय।
  • कार्य: वर्ष 2025 में आयोजित वित्तपोषण विकास के लिए चौथे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (FfD4) में अपनाए गए सेविला कमिटमेंट के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
    • यह समझौता वैश्विक वित्त प्रणाली के आधुनिकीकरण, ऋणी देशों की अभिव्यक्ति को सशक्त करने, तथा उत्तरदायी ऋण प्रथाओं को बढ़ावा देने का रोडमैप प्रस्तुत करता है।
  • पूरक प्लेटफॉर्म: यह सेविला प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन का हिस्सा है, जो ऋण विराम खंड गठबंधन और ऋण स्वैप के लिए वैश्विक केंद्र जैसी पहलों का पूरक है।

वैश्विक ऋण की स्थिति

  • वर्ष 2024 में सार्वजनिक ऋण 102 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें विकासशील देशों का हिस्सा 31 ट्रिलियन डॉलर था तथा उन्हें 921 बिलियन डॉलर ब्याज के रूप में चुकाना पड़ा।
  •  लगभग 3.4 अरब लोग ऐसे देशों में रहते हैं, जहाँ ऋण भुगतान पर खर्च स्वास्थ्य या शिक्षा पर किए जाने वाले खर्च से अधिक है। यह ऋण सुधार (Debt Reform) की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।

महत्त्व

  • यह फोरम विकासशील देशों के लिए एक बड़ी सफलता है, जो वित्तीय सुधारों को विकास प्राथमिकताओं से जोड़ते हुए, असंवहनीय ऋण बोझ को कम करने के लिए समन्वित वैश्विक कार्रवाई को बढ़ावा देता है।

‘स्पेशलिटी’ उर्वरक

हाल ही में चीन द्वारा यूरिया और ‘स्पेशलिटी’ उर्वरक (Specialty Fertilisers) के निर्यात को निलंबित करने के कारण भारत में इनकी कीमतों में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे वैश्विक और घरेलू बाजार दोनों प्रभावित हुए हैं।

‘स्पेशलिटी’ उर्वरक क्या हैं?

  • परिभाषा: ‘स्पेशलिटी’ उर्वरक ऐसे पोषक स्रोत हैं, जिन्हें विशिष्ट मृदा और फसल परिस्थितियों में उपयोग किया जाता है ताकि उच्च दक्षता (Efficiency) और अधिकतम फसल उत्पादन (Optimum Yield) प्राप्त किया जा सके।
  • भूमिका: ये धीरे-धीरे पोषक तत्त्वों का उत्सर्जन करते हैं, हानि कम करते हैं, नाइट्रोजन के प्रयोग की क्षमता को बेहतर बनाते हैं और पौधों की वृद्धि बढ़ाते हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण संबंधी चिंताएँ और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का समाधान होता है।
  • उदाहरण: टेक्निकल मोनोअमोनियम फॉस्फेट (TMAP) और AdBlue जैसे एमिशन-कंट्रोल सॉल्यूशन।

भारत में स्थिति

  • उच्च आयात निर्भरता: भारत अपनी ‘स्पेशलिटी’ उर्वरकों की लगभग 95% आवश्यकता का आयात करता है, मुख्य रूप से चीन से, जिसमें TMAP और AdBlue शामिल हैं।
  • उपभोग पैटर्न: भारत में प्रतिवर्ष लगभग 2.5 लाख टन स्पेशलिटी उर्वरक उपयोग किए जाते हैं, जिनमें से 60–65% खपत रबी सीजन (अक्टूबर–मार्च) में होती है।
  • कीमत वृद्धि का जोखिम: चीन के वर्तमान निर्यात प्रतिबंध के कारण कीमतों में 10–15% तक वृद्धि की संभावना है। हालाँकि, चालू रबी सीजन के लिए आपूर्ति वैश्विक व्यापारियों के माध्यम से सुनिश्चित कर ली गई है।
    • साउथ अफ्रीका, चिली और क्रोएशिया जैसे दूसरे देश भी हैं, लेकिन वे केवल कुछ ही उत्पादों को शामिल करते हैं।

ईरान ने आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय अभिसमय (CFT) की पुष्टि की

हाल ही में ईरान ने आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय अभिसमय (CFT) में शामिल होने के लिए एक कानून को अनुमोदित किया है, जिसका उद्देश्य वैश्विक बैंकिंग तक पहुँच में सुधार करना और प्रतिबंधों के दबाव को कम करना है।

आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय अभिसमय (CFT) के बारे में

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1999 में अपनाए गए CFT का उद्देश्य राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण को अपराध बनाना और रोकना है।
  • पक्षकार देश: अब तक 188 देशों ने इस पर हस्ताक्षर या अनुमोदन किया है, जिनमें भारत भी शामिल है। यह सबसे अधिक सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत आतंक-विरोधी संधियों में से एक है।
  • उद्देश्य: आतंकवाद के वित्तपोषण को अपराध घोषित करना, रोकना और दंडित करना, आतंकवाद से जुड़े वित्तीय नेटवर्क के विरुद्ध वैश्विक सहयोग को बढ़ाना।
  • दायरा: इसमें नागरिकों की मृत्यु या चोट पहुँचाने वाले कार्यों के लिए धन का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रावधान शामिल है।

ईरान का मामला

  • FATF ब्लैकलिस्ट: वर्ष 2020 में ईरान, उत्तर कोरिया और म्याँमार को FATF ने अपर्याप्त आतंक-वित्तपोषण नियंत्रण उपायों के कारण ब्लैकलिस्ट किया था।
  • वर्तमान परिप्रेक्ष्य: यह कदम संयुक्त राष्ट्र के नए प्रतिबंधों (सितंबर 2025) तथा वर्ष के आरंभ में बाधित हुए परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए जारी राजनयिक प्रयासों के बाद उठाया गया है।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)

  • FATF (वर्ष 1989): फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) आतंकवाद वित्तपोषण से मुकाबला (Countering Financing of Terrorism – CFT) करने हेतु अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है।
  • भारत की भागीदारी: भारत FATF का सदस्य है और इसकी सिफारिशों को राष्ट्रीय कानूनों और नीतियों में लागू करता है।
  • CFT, FATF द्वारा प्रबंधित किए जाने वाले व्यापक धन शोधन विरोधी और आतंकवाद वित्तपोषण विरोधी (AML/CFT) ढाँचे का एक प्रमुख घटक है।

मुल्लापेरियार बांध

वर्ष 2025 में पूर्वोत्तर मानसून के समय से पहले आगमन के कारण केरल और तमिलनाडु दोनों राज्यों में एक साथ भारी वर्षा हुई है, जिससे मुल्लापेरियार बाँध के आस-पास बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

मुल्लापेरियार बाँध के बारे में

  • परिचय:  मुल्लापेरियार बाँध एक गुरुत्वाकर्षण बाँध (Gravity Dam) है, जिसका निर्माण वर्ष 1895 में चूना-पत्थर (Limestone) और सुरखी (Surkhi) से किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य  केरल की पेरियार नदी के जल को तमिलनाडु के वैगई बेसिन की ओर मोड़ना था।
  • अवस्थिति:  यह बाँध पश्चिमी घाट की इलायची पहाड़ियों  में, कुमिली (Kumily) के पास इडुक्की जिले में स्थित है। यह बाँध केरल–तमिलनाडु की सीमा  पर स्थित है।
  • पारिस्थितिकी और आर्थिक महत्त्व: यह बाँध थेनी, मदुरै और डिंडीगुल जैसे दक्षिणी तमिलनाडु जिलों में सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति के लिए अत्यावश्यक है।
    • यह वैगई नदी प्रणाली पर निर्भर कृषि और क्षेत्रीय आजीविका में योगदान देती है।
    • पेरियार टाइगर रिजर्व बाँध जलाशय के चारों ओर स्थित है।
  • सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: यह बाँध भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में है और भारी वर्ष, भूस्खलन और अपनी आयु के कारण संभावित संरचनात्मक कमजोरियों से बढ़े हुए जोखिमों का सामना करता है।
  • अंतरराज्यीय जल विवाद: तमिलनाडु, वर्ष 2014 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के संदर्भ में जल स्तर 142 फीट तक पहुँचाने का प्रयास कर रहा है, जबकि केरल राज्य संभावित बाँध क्षति और पर्यावरणीय सुरक्षा के कारण इसे 139 फीट तक सीमित रखने पर बल दे रहा है।

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