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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal November 08, 2025 05:45 39 0

इमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ESTIC) 2025

हाल ही में दूरसंचार सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने एमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ESTIC) 2025 के दौरान 6G प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और प्रयोगों से संबंधित भारत की पहलों को उजागर किया।

ESTIC 2025 के बारे में 

  • प्रकृति: ESTIC 2025 एक राष्ट्रीय मंच है, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिकों, उद्योगों और नीति-निर्माताओं के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना है, ताकि नवाचार-आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके। 
    • इसका आयोजन स्थल भारत मंडपम, नई दिल्ली है।
  • फोकस क्षेत्र: इसमें उन्नत प्रौद्योगिकियों, सतत् नवाचार और अनुसंधान एवं तकनीकी अभिसरण के माध्यम से ज्ञान-संचालित भारत को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • भागीदारी: वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने ‘उन्नत सामग्री और विनिर्माण’ पर सत्र का नेतृत्व किया, जिसमें भारत की अनुसंधान एवं विकास (R&D) नेतृत्व क्षमता पर बल दिया गया।

6G अनुसंधान और प्रयोगों को बढ़ावा देने की पहलें

  • 100 5G प्रयोगशालाएँ: ये प्रयोगशालाएँ देशभर में स्थापित की गईं ताकि 6G प्रोटोटाइप विकास, नवाचार, और शैक्षणिक–औद्योगिक सहयोग को प्रोत्साहन मिल सके।
  • भारत 6G एलायंस: वैश्विक 6G संगठनों के साथ 10 अंतरराष्ट्रीय साझेदारियाँ की गईं ताकि भारत का वैश्विक R&D प्रभाव क्षेत्र मजबूत हो।
  • विजन 2030: वर्ष 2030 तक वैश्विक 6G पेटेंट में 10% हिस्सेदारी का लक्ष्य, दूरसंचार प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षा के अनुरूप है।

5G बनाम 6G प्रौद्योगिकी

  • गति और कनेक्टिविटी: 5G वास्तविक समय संचार के लिए कम विलंबता के साथ 10 Gbps तक की गति प्रदान करता है, जबकि 6G का लक्ष्य 1 Tbps तक की गति प्रदान करना है, जिससे अल्ट्रा-फास्ट डेटा ट्रांसफर और होलोग्राफिक संचार जैसे इमर्सिव अनुभव संभव हो सकें।
  • तकनीकी दायरा: 5G इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और स्मार्ट शहरों का समर्थन करता है, जबकि 6G बुद्धिमान, स्वायत्त नेटवर्क और वास्तविक समय वैश्विक कनेक्टिविटी को सक्षम करने के लिए AI, क्वांटम संचार और उन्नत सेंसिंग को एकीकृत करता है।

सिरो-मालाबार चर्च

भारतीय प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में सिरो-मालाबार चर्च के प्रमुख मेजर आर्कबिशप मार राफेल थट्टिल और वरिष्ठ बिशपों से मुलाकात की। इस बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण और समावेशी शासन पर चर्चा की गई।

सिरो-मालाबार चर्च के बारे में

  • ऐतिहासिक उत्पत्ति: सिरो-मालाबार चर्च की शुरुआत सेंट थॉमस द अपोस्टल से मानी जाती है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने 42 से 72 ईसवी के मध्य भारत में ईसाई धर्म का प्रचार किया था।
  • प्राचीन संबंध: 189 ईसवी में अलेक्जेंड्रिया से आए मिशनरी पैंटेन्स की यात्रा के बाद भारतीय ईसाइयों ने फारसी साम्राज्य के ‘चर्च ऑफ द ईस्ट’ से धार्मिक संबंध बनाए रखे।
  • विकास: 7वीं शताब्दी में इस चर्च को मेट्रोपॉलिटन का दर्जा प्राप्त हुआ, जो पूर्वी ईसाई परंपरा के भीतर इसके धार्मिक स्वायत्तता  का प्रतीक था।
    • धार्मिक स्वतंत्रता: धार्मिक संस्थाओं का यह अधिकार है कि वे अपने आंतरिक मामलों को, जिसमें आस्था, सिद्धांत और चर्च प्रशासन के मामले शामिल हैं, राज्य या सिविल न्यायालयों के बाहरी हस्तक्षेप के बिना नियंत्रित करें।
  • वर्तमान स्थिति: सिरो-मालाबार चर्च भारत के तीन प्रमुख पूर्वी कैथोलिक चर्चों में से एक है। इसका मुख्यालय केरल में है और यह रोम स्थित पोप के प्रति निष्ठावान है।

महत्त्व 

  • बैठक में शिक्षा, सामाजिक कल्याण और अंतरधार्मिक सद्भाव में चर्च की भूमिका पर प्रकाश डाला गया तथा अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति सरकार के समावेशी, संवाद-आधारित दृष्टिकोण को सुदृढ़ किया गया।

डिजाइनर नैनोकणों के लिए ‘एटॉमिक स्टेंसिल्स’

अमेरिका और दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने एक अभिनव तकनीक ‘एटॉमिक स्टेंसिलिंग’ (Atomic Stencilling) विकसित की है, जिसके माध्यम से नैनो कणों पर पॉलीमर पैच को सटीक रूप से पैटर्न किया जा सकता है। यह खोज उन्नत नैनोमैटेरियल डिजाइन के लिए एक नया मार्ग खोलती है।

‘एटॉमिक स्टेंसिल्स’ के बारे में

  • स्टेंसिल (Stencil) एक पतली चादर होती है, जिसमें विशिष्ट आकारों या अक्षरों के काटे हुए डिजाइन बने होते हैं, जिनसे रंग या स्याही छिड़ककर सतह पर सटीक पैटर्न बनाया जाता है।
  • यह ऐसे टेंपलेट के माध्यम से रंगद्रव्य लगाने से उत्पन्न डिजाइन या इमेज को भी संदर्भित करता है।
  • एटॉमिक स्टेंसिल इसी अवधारणा को नैनो-स्तर पर दोहराता है, जिसमें आयोडाइड परमाणुओं का उपयोग सूक्ष्म मास्क के रूप में किया जाता है ताकि सोने के नैनो कणों पर नियंत्रित पैटर्न बनाए जा सकें।
  • प्रक्रिया
    • आयोडाइड परमाणु नैनोकणों की सतह के विशेष भागों से चिपक जाते हैं, जिससे एक सूक्ष्म स्टेंसिल बनता है।
    • इसके बाद लंबी श्रृंखला वाले अणुओं (पॉलिमर) को अप्रकाशित क्षेत्रों में जोड़ा जाता है, जिससे सटीक सतही पैच बनते हैं।
  • नियंत्रण और विविधता: आयोडाइड की मात्रा और वितरण बदलकर, वैज्ञानिकों ने 20 से अधिक प्रकार के ‘पैची नैनो कण’ बनाए, जिनके विशिष्ट ज्यामितीय और रासायनिक स्वरूप हैं।
  • स्व-संगठन: ये पैची नैनोकण स्वतः व्यवस्थित होकर क्रमबद्ध 3D संरचनाएँ बनाते हैं, जिससे नियंत्रित स्व-संगठन की क्षमता प्रदर्शित होती है।
  • प्रयोग और उपयोगिता: यह तकनीक मेटामटेरियल्स के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करती है, जो प्रकाश, ध्वनि, और रासायनिक अभिक्रियाओं को नियंत्रित कर सकते हैं। इसके संभावित उपयोग क्षेत्र लक्षित औषधि वितरण, उत्प्रेरक विज्ञान, स्मार्ट मटेरियल्स हैं।
  • विस्तार की संभावना: यह विधि गोल्ड नैनोरॉड्स (Gold Nanorods) सहित अन्य प्रणालियों पर भी लागू की जा सकती है, जिससे आकार, आकृति और रासायनिक संरचना में वांछित परिवर्तन संभव है।

नैनो कणों के बारे में

  • परिभाषा: नैनो कण वे पदार्थ होते हैं, जिनका कम-से-कम एक आयाम 1–100 नैनोमीटर (nm) के बीच होता है, जो मानव बाल की मोटाई से हजारों गुना छोटा है।
  • प्रकार: नैनोस्फीयर, नैनोरॉड, नैनोशीट, नैनोट्यूब, और नैनोवायर ये सभी संरचनात्मक रूपों में भिन्न होते हैं और उनके भौतिक व रासायनिक गुण भी अलग होते हैं।
  • प्रयोग: इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा, ऊर्जा और पर्यावरण विज्ञान में लक्षित दवा वितरण, संवेदन और उत्प्रेरण जैसे कार्यों के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
  • महत्त्व:  नैनो कणों की आकृति और सतह रासायनिक संरचना को नियंत्रित करने की क्षमता अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। इससे ऐसे पदार्थ विकसित किए जा सकते हैं, जिनके भौतिक और रासायनिक गुण उद्देश्य अनुसार अनुकूलित किए जा सकें।

क्वांटम-सुरक्षित संचार नेटवर्क

हाल ही में QNu लैब्स ने भारत का पहला लार्ज स्केल क्वांटम की डिस्ट्रिब्यूशन (Quantum Key Distribution-QKD) नेटवर्क सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है, जो क्वांटम-सुरक्षित संचार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

क्वांटम की डिस्ट्रिब्यूशन (QKD) नेटवर्क के बारे में

  • परिभाषा:  QKD एक अत्याधुनिक संचार तकनीक है, जो क्वांटम कणों का उपयोग करके एन्क्रिप्शन की (Encryption Key) का आदान-प्रदान करती है। यह तकनीक डेटा सुरक्षा को लगभग अभेद्य बनाती है क्योंकि क्वांटम सिद्धांतों के अनुसार किसी भी हस्तक्षेप का पता तुरंत चल जाता है।
  • विकास: 500 किमी. लंबा यह क्वांटम-सुरक्षित नेटवर्क QNu लैब्स प्राइवेट लिमिटेड, बंगलूरू द्वारा विकसित किया गया है, जो मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर अवसंरचना का उपयोग करता है।
  • सहयोग: इस नेटवर्क का प्रदर्शन भारतीय सेना के सदर्न कमांड के सहयोग से किया गया, जिसने समर्पित परीक्षण फाइबर नेटवर्क उपलब्ध कराया।
  • समर्थन: इस परियोजना को IISER पुणे में राष्ट्रीय अंतःविषय साइबर-भौतिक प्रणाली मिशन (NMICPS) के अंतर्गत आई-हब क्वांटम टेक्नोलॉजी फाउंडेशन के माध्यम से वित्तपोषित किया गया था।
  • महत्त्व: यह उपलब्धि भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा को और सशक्त बनाती है तथा भारत की क्वांटम संचार क्षमता को वैश्विक स्तर पर स्थापित करती है।

QNu लैब्स प्राइवेट लिमिटेड

  • QNu लैब एक बंगलूरू-स्थित क्वांटम टेक्नोलॉजी स्टार्ट-अप है, जिसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा नेशनल क्वांटम मिशन (NQM) के तहत सहयोग प्राप्त है।
  • अन्य नवाचार: QNu लैब ने क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर सिस्टम-इन-पैकेज (QSIP) भी विकसित किया है, जो क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिदम के लिए क्वांटम-प्रमाणित यादृच्छिकता प्रदान करता है।
  • प्रासंगिकता: ये नवाचार उभरते साइबर खतरों और भविष्य के क्वांटम हमलों के विरुद्ध भारत की तैयारी को सुदृढ़ करते हैं, जो NQM के तहत सुरक्षित डिजिटल बुनियादी ढाँचे के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

विश्व असमानता डेटाबेस

नोबेल पुरस्कार विजेता जोसेफ स्टिग्लिट्ज के नेतृत्व में तैयार की गई विश्व असमानता डेटाबेस की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शीर्ष 1% अमीर नागरिक अब देश की कुल संपत्ति का 62% हिस्सा रखते हैं।

विश्व असमानता रिपोर्ट के बारे में

  • यह रिपोर्ट विश्व असमानता डेटाबेस द्वारा प्रकाशित की गई थी तथा जी-20 के दक्षिण अफ्रीकी प्रेसीडेंसी द्वारा इसे तैयार किया गया था।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य वैश्विक संपत्ति असमानता के रुझानों को उजागर करना और उनके सामाजिक, राजनीतिक तथा पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डालना है।
  • चिंता: रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि असमानता “आपातकालीन स्तरों” तक पहुँच गई है, जिससे लोकतंत्र, आर्थिक स्थिरता, और जलवायु लक्ष्यों को खतरा उत्पन्न हो रहा है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • वैश्विक प्रवृत्तियाँ: विश्व के शीर्ष 1% लोगों के पास अब कुल वैश्विक संपत्ति का 41% नियंत्रण है, जबकि निचले 50% लोगों को मात्र 1% आय प्राप्त होती है।
  • भारतीय परिप्रेक्ष्य: भारत में शीर्ष 1% वर्ग की संपत्ति हिस्सेदारी वर्ष 2000 से 2023 के बीच 54% से बढ़कर 62% हो गई है।  यह आँकड़ा चीन (54%) की तुलना में कहीं अधिक है।
  • तुलनात्मक दृष्टि: अमेरिका में भी शीर्ष 1% की संपत्ति हिस्सेदारी वर्ष 1980 के बाद से 5% बढ़ी है, जिससे धन का संकेंद्रण लगातार गहराता जा रहा है।
  • वृहद प्रभाव: बढ़ती असमानता लोकतांत्रिक संस्थानों के क्षरण से जुड़ी है और यह खाद्य, स्वास्थ्य और बुनियादी सेवाओं तक पहुँच को सीमित करती है, जिससे अरबों लोगों का जीवन प्रभावित होता है।

असमानता से निपटने के लिए सिफारिशें

  • वैश्विक सहयोग: रिपोर्ट ने G20 देशों से आह्वान किया है कि वे आय और संपत्ति असमानता को कम करने के लिए संयुक्त वैश्विक प्रयासों का समर्थन करना।
  • संस्थागत तंत्र: एक अंतरराष्ट्रीय असमानता पैनल (IPI) स्थापित करने का सुझाव दिया गया है, जो वैश्विक असमानता प्रवृत्तियों की निगरानी करेगा।
  • नीति मार्गदर्शन: IPI को सरकारों को विश्वसनीय डेटा और विश्लेषण प्रदान करना चाहिए ताकि वे समावेशी तथा सतत् आर्थिक विकास के लिए लक्षित नीतियाँ तैयार कर सकें।

लक्जमबर्ग

भारत और लक्जमबर्ग ने अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारतीय स्पेस स्टार्ट-अप्स को यूरोपीय बाजारों में प्रवेश के लिए समर्थन प्रदान करना है।

लक्जमबर्ग के बारे में

  • अवस्थिति: लक्जमबर्ग उत्तर-पश्चिमी यूरोप में स्थित एक छोटा स्थलरुद्ध देश है, जो अपनी रणनीतिक भौगोलिक स्थिति, आर्थिक समृद्धि और राजनीतिक स्थिरता के लिए प्रसिद्ध है।
  • सीमाएँ: इसकी सीमा पश्चिम और उत्तर में बेल्जियम, दक्षिण में फ्राँस और पूर्व और उत्तर-पूर्व में जर्मनी से लगती है।
  • भौतिक विशेषताएँ: उत्तरी क्षेत्र, ओसलिंग, आर्डेन्स पर्वतमाला का हिस्सा है, जहाँ से सूरे नदी पूर्व की ओर बहती है।
    • दक्षिणी इलाका, बॉन पेज, में उपजाऊ घाटियाँ और राजधानी, लक्जमबर्ग शहर है।
  • जलवायु:  यहाँ की जलवायु मध्यम और समशीतोष्ण है, जिसमें वर्ष भर संतुलित वर्षा होती है।

‘ऑपरेशन व्हाइट कौल्ड्रॉन’

राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने ‘ऑपरेशन व्हाइट कौल्ड्रॉन’ (Operation White Cauldron)” के तहत गुजरात के वलसाड जिले में छापेमारी कर एक बहु-राज्यीय मादक पदार्थ नेटवर्क को निष्क्रिय किया है।

‘ऑपरेशन व्हाइट कौल्ड्रॉन’ के बारे में

  • यह DRI द्वारा समन्वित कार्रवाई है, जिसका उद्देश्य अवैध रूप से अल्प्राजोलम (Alprazolam) जैसे मनोसक्रिय पदार्थों  के निर्माण और तस्करी को रोकना है। यह कार्रवाई मादक द्रव्य एवं मनोसक्रिय पदार्थ अधिनियम, 1985 (NDPS Act, 1985) के प्रावधानों के तहत की गई।

अल्प्राजोलम के बारे में

  • वर्ग (Class): अल्प्राजोलम एक बेंजोडायजेपीन (Benzodiazepine) वर्ग की मनोसक्रिय औषधि है। इसे मुख्यतः चिंता  और पैनिक डिसऑर्डर के उपचार हेतु चिकित्सकीय रूप से दिया जाता है।
  • दुरुपयोग: इसे नशे के रूप में भी प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह उत्तेजना, उत्साह और तनाव मुक्ति प्रदान करता है।
  • रासायनिक तैयारी: इसे रासायनिक रूप से P-नाइट्रोक्लोरोबेंजीन, फॉस्फोरस पेंटासल्फाइड और एथिल एसीटेट जैसे यौगिकों का उपयोग करके संश्लेषित किया जाता है, जिसके लिए अक्सर नियंत्रित प्रयोगशाला स्थितियों की आवश्यकता होती है।
  • स्वास्थ्य प्रभाव: जब अल्प्राजोलम का दुरुपयोग किया जाता है या बिना चिकित्सीय देख-रेख के इसका सेवन किया जाता है, तो इससे गंभीर अत्यधिक नींद, निर्भरता, श्वसन अवसाद, स्मृति हानि और यहां तक कि ओवरडोज से मृत्यु भी हो सकती हैं।
    • दीर्घकालिक दुरुपयोग से मिर्गी, चिड़चिड़ापन और गंभीर वापसी लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।

कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने अपनी नवीनतम विश्व प्राकृतिक धरोहर स्थलों की वैश्विक समीक्षा में कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान को “अच्छा (Good)” श्रेणी में रेट किया है। यह एकमात्र भारतीय राष्ट्रीय उद्यान है, जिसे यह सकारात्मक रेटिंग प्राप्त हुई है, जबकि पश्चिमी घाट तथा सुंदरबन जैसे अन्य स्थलों को गंभीर संरक्षण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान पर निष्कर्ष

  • प्रभावी संरक्षण प्रबंधन: उद्यान को जैव विविधता संरक्षण, सामुदायिक सहभागिता और न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के लिए वैश्विक सराहना मिली है।
  • नेपाल के कंचनजंगा संरक्षण क्षेत्र के साथ सीमा पार सहयोग से अवैध शिकार पर रोक और जैव विविधता संरक्षण में सहायता मिलती है।
  • उद्यान के आपदा तैयारी उपाय, जिनमें हिमनद झील के विस्फोट के बाद आई बाढ़ के खतरे का मानचित्रण भी शामिल है, प्रभावी जलवायु लचीलापन तथा अनुकूली प्रबंधन को प्रदर्शित करते हैं।

 कंचनजंगा  राष्ट्रीय उद्यान के बारे में

  • अवस्थिति: सिक्किम राज्य में स्थित, इसे वर्ष 2016 में भारत का पहला “मिश्रितयूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। इसका क्षेत्रफल लगभग 1,784 वर्ग किलोमीटर है
  • प्राकृतिक विशेषताएँ: यह उद्यान उपोष्णकटिबंधीय वनों से लेकर माउंट कंचनजंगा  (ऊँचाई: 8,586 मी.) तक विस्तृत है। इसमें लगभग 280 हिमनद और 70 हिमानी झीलें शामिल हैं। प्रमुख जीव प्रजातियों में हिम तेंदुआ, लाल पांडा और हिमालयी थार शामिल है।
  • सांस्कृतिक एवं सामुदायिक महत्त्व: लेपचा और तिब्बती बौद्ध समुदायों के लिए यह एक पवित्र परिदृश्य है। मायेल ल्यांग और बेयुल जैसी पारंपरिक अवधारणाएँ आध्यात्मिक विरासत और आधुनिक संरक्षण प्रयासों के सहअस्तित्व का प्रतीक हैं।
  • बायोस्फीयर रिजर्व एकीकरण: वर्ष 2018 में विस्तारित, बायोस्फीयर रिजर्व कोर क्षेत्रों को बफर क्षेत्रों के साथ एकीकृत करता है, जिससे पर्यावरण के अनुकूल खेती के माध्यम से स्थायी आजीविका को सक्षम किया जा सके, जो सामंजस्यपूर्ण संरक्षण और सामुदायिक विकास को दर्शाता है।

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