100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal November 11, 2025 04:27 18 0

क्रिसमस द्वीप पर गूगल का AI डेटा सेंटर प्रोजेक्ट

नवंबर 2025 में, गूगल ने हिंद महासागर में स्थित ऑस्ट्रेलिया के बाह्य क्षेत्र क्रिसमस द्वीप पर एक प्रमुख AI डेटा सेंटर स्थापित करने की योजना की घोषणा की।

परियोजना के बारे में 

  • यह परियोजना वर्ष 2025 की शुरुआत में गूगल और ऑस्ट्रेलियाई रक्षा विभाग के बीच हुए एक क्लाउड साझेदारी समझौते के बाद सामने आई है।
  • यह केंद्र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में AI-सक्षम सैन्य कमान, नियंत्रण और डिजिटल लचीलापन का समर्थन करने वाले एक रणनीतिक AI डेटा हब के रूप में कार्य करेगा।
  • यह गूगल की समुद्र-तल केबल अवसंरचना से जुड़ा होगा, जिससे ऑस्ट्रेलिया की डिजिटल सुरक्षा और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सुदृढ़ किया जाएगा।

क्रिसमस द्वीप के बारे में 

  • अवस्थिति: यह द्वीप जावा (इंडोनेशिया) के दक्षिण में लगभग 360 किमी. और ऑस्ट्रेलिया की मुख्य भूमि के उत्तर-पश्चिम में लगभग 1,400 किमी. की दूरी पर हिंद महासागर में स्थित है।
  • भूगोल: यह द्वीप एक महासागरीय पर्वत की चोटी है, जिसकी सबसे ऊँची चोटी ‘मर्रे’ हिल है, जिसकी ऊँचाई 361 मीटर है।
  • पर्यावरण: यह द्वीप अपने फॉस्फेट भंडार, उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, और प्रत्येक वर्ष होने वाले प्रसिद्ध ‘रेड क्रेब्स’ के प्रवास के लिए जाना जाता है।
  • स्थिति: यह ऑस्ट्रेलिया का एक बाह्य क्षेत्र है, जिसका मुख्य बंदरगाह ‘फ्लाइंग फिश कोव’ है। द्वीप का अधिकांश भाग क्रिसमस आइलैंड राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है।

महत्त्व

  • यह परियोजना किसी दूरस्थ ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र में स्थापित होने वाली पहली AI अवसंरचना पहल है।
  • यह रणनीतिक रक्षा क्षमता, स्थानीय आर्थिक विकास, और डिजिटल प्रगति—तीनों को जोड़ने वाला एक ऐतिहासिक कदम है।
  • इस पहल से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के डिजिटल प्रभुत्व और सुरक्षा को दीर्घकालिक मजबूती मिलने की उम्मीद है।

आदित्य-L1 ने कोरोनाल मास इजेक्शन को कैप्चर किया

नवंबर 2025 में, भारत के आदित्य-L1 मिशन ने नासा (NASA) के सहयोग से पहली बार दृश्य प्रकाश में एक कोरोनल मास इजेक्शन (CME) को कैप्चर किया।

मुख्य निष्कर्ष 

  • पहला दृश्य-प्रकाश CME अवलोकन: आदित्य-L1 ने विश्व में पहली बार दृश्य तरंगदैर्घ्य (Visible Wavelengths) में CME का स्पेक्ट्रोस्कोपिक अवलोकन किया, जिससे सौर विस्फोट के प्रारंभिक विस्तार तथा संरचना का खुलासा हुआ।
  • CME क्या है: यह सूर्य के कोरोना से उत्सर्जित प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का विशाल विस्फोट होता है, जो अंतरिक्ष में यात्रा करते हुए अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करता है।
  • विस्तृत प्लाज्मा विश्लेषण: भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) और NASA के संयुक्त विश्लेषण से CME के दौरान सौर प्लाज्मा के तापमान, घनत्व और गति पर सटीक आँकड़े प्राप्त हुए।

महत्त्व 

  • उन्नत अंतरिक्ष-मौसम पूर्वानुमान: दृश्य-प्रकाश डेटा के माध्यम से सौर विस्फोटों की बेहतर निगरानी संभव हुई है, जिससे सैटेलाइट, नेविगेशन, और पॉवर ग्रिड पर पड़ने वाले सौर तूफानों के प्रभाव का पूर्वानुमान लगाना आसान होगा।
  • वैश्विक सहयोग को सशक्त बनाना: यह उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय सौर भौतिकी में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है और वैश्विक स्तर पर सौर चुंबकीय गतिविधियों की निगरानी को और मजबूत करती है।

आदित्य-L1 के बारे में

  • परिचय: भारत का पहला समर्पित सौर वेधशाला मिशन है, जिसे ISRO द्वारा विकसित किया गया और 2 सितंबर, 2023 को लॉन्च किया गया।
  • स्थिति: यह लैंग्रेज पॉइंट 1 पर स्थित है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर (1.5 मिलियन किमी.) की दूरी पर स्थित है।  इस स्थिति से यह पृथ्वी की छाया से मुक्त होकर सूर्य का सतत् अवलोकन कर सकता है।
  • उद्देश्य: सूर्य के कोरोना, चुंबकीय क्षेत्रों, सौर पवन और पृथ्वी के पर्यावरण को प्रभावित करने वाली अंतरिक्ष-मौसम घटनाओं का अध्ययन करना।

‘रिसस’ मकॉक

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा की गई, ने ‘रिसस’ मकॉक (Rhesus Macaque) को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-II में पुनः शामिल करने की सिफारिश की है।

‘रिसस’ मकॉक के बारे में

  • ‘रिसस’ मकॉक (मकॉका मुल्टा/ Macaca mulatta) यह भारत की सबसे व्यापक रूप से पाई जाने वाली प्राइमेट प्रजातियों में से एक है, जो वनों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक प्रत्येक प्रकार के पर्यावरण में स्वयं को अनुकूलित करने की क्षमता रखती है।
  • आवास और वितरण: यह उत्तर और मध्य भारत में पाई जाती है। इसका निवास स्थान उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण वनों, ग्रामीण क्षेत्रों, और शहरों तक विस्तृत है। यह प्रायः मानव बस्तियों के समीप रहती है, जिससे मानव-वन्यजीव संपर्क अधिक होता है।
  • विशेषताएँ: मध्यम आकार के ये बंदर गुलाबी चेहरे और भूरे फर वाले होते हैं। इनकी सामाजिक बुद्धिमत्ता और समूहगत व्यवहार अत्यंत जटिल होता है।
  • चिंताएँ: शहरीकरण, आवास विखंडन और मानवों द्वारा भोजन कराना जैसे कारणों से मानव–वानर संघर्ष बढ़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप फसलों का नुकसान, संपत्ति की क्षति और मानव दुर्घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं।

संरक्षण स्थिति 

  • IUCN: कम चिंताग्रस्त (Least Concern)  इसकी व्यापक वितरण सीमा के कारण।
  • CITES: परिशिष्ट II में शामिल — जिससे इसके अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित किया जा सके।
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: पहले यह अनुसूची-II में सूचीबद्ध थी, अब पुनः इसे शामिल करने का उद्देश्य क्रूरता, अवैध और अनियंत्रित व्यापार को रोकना है।

वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 की अनुसूचियाँ

  • अनुसूची I: उच्चतम स्तर की सुरक्षा वाली प्रजातियाँ, इन अपराधों के लिए सबसे कठोर दंड का प्रावधान है।
  • अनुसूची II: कम संरक्षण वाली प्रजातियाँ, लेकिन वैज्ञानिक प्रबंधन और संघर्ष शमन के लिए नियामक प्रावधानों के अंतर्गत आती हैं।
  • अनुसूची III: इसमें अतिदोहन को रोकने के लिए संरक्षित पादप प्रजातियाँ शामिल हैं।
  • अनुसूची IV: CITES परिशिष्टों के अंतर्गत प्रजातियों को सूचीबद्ध करता है, जो भारत के कानून को वैश्विक संरक्षण दायित्वों के साथ संरेखित करता है।

मालाबार अभ्यास-2025

INS सह्याद्री (INS Sahyadri), एक स्वदेशी रूप से निर्मित गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रिगेट, ने मालाबार अभ्यास-2025 के 29वें संस्करण में भारत का प्रतिनिधित्व किया। यह अभ्यास पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित एक रणनीतिक अमेरिकी सैन्य अड्डा ‘गुआम’ में आयोजित किया गया।

मालाबार अभ्यास के बारे में

  • उद्गम: इसे प्रारंभ में वर्ष 1992 में भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में शुरू किया गया था। इसके बाद में इसमें जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हुए, जिससे यह क्वाड साझेदारों का बहुपक्षीय अभ्यास बन गया।
  • आवृत्ति: यह एक वार्षिक नौसैनिक अभ्यास है, जो हिंद और प्रशांत महासागरों में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
  • चरण
    • ‘हार्बर’ चरण: योजना, ब्रीफिंग, और समन्वय पर केंद्रित।
    • ‘सी’ चरण: संयुक्त नौसैनिक अभ्यास, एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW), तोपखाना अभ्यास, और वायु अभियानों का संचालन।
  • उद्देश्य: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौसेनाओं के बीच समुद्री क्षेत्र जागरूकता, अंतर-संचालन और संयुक्त परिचालन तत्परता को बढ़ाता है।
    • नौवहन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के सामूहिक संकल्प का प्रतीक।
  • भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व: सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) का समर्थन करता है। INS सह्याद्री (प्रोजेक्ट 17 वर्ग) जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत की स्वदेशी नौसैनिक क्षमता का प्रदर्शन।

गुआम के बारे में 

  • यह पश्चिमी प्रशांत महासागर में माइक्रोनेशिया में एक अमेरिकी द्वीप क्षेत्र है।
  • यहाँ प्रमुख अमेरिकी नौसैनिक और वायुसैनिक अड्डे (विशेष रूप से एंडरसन एयर फोर्स बेस और नेवल बेस गुआम) स्थित हैं।

ज्वालामुखीय तड़ित (Volcanic Lightning) 

नवंबर 2025 में, वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखीय तड़ित नामक एक दुर्लभ और प्राकृतिक घटना का पुनः अध्ययन किया, यह एक अत्यंत आकर्षक दृश्य है, जो पूरे विश्व में प्रमुख ज्वालामुखी विस्फोटों के दौरान देखा गया है।

ज्वालामुखीय तड़ित क्या है?

  • परिभाषा: ज्वालामुखीय तड़ित उस विद्युत चमक को कहा जाता है, जो ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान उत्पन्न होती है, और यह सामान्य आँधी-तूफान से स्वतंत्र रूप से घटित होती है।
  • इस घटना का पहला प्रलेखित उल्लेख माउंट वेसुवियस (79 ईसवी) के विस्फोट के दौरान मिलता है, जिसे प्लिनी द यंगर (Pliny the Younger) ने वर्णित किया था।
  • निर्माण की स्थिति: ज्वालामुखीय स्तंभ में राख कणों, शैल खंडों और बर्फ क्रिस्टलों के परस्पर टकराव से स्थैतिक विद्युत आवेश उत्पन्न होता है।
  • प्रक्रिया: जैसे-जैसे ये आवेश बढ़ते हैं, वे या तो ज्वालामुखीय मुख के पास या विस्फोट स्तंभ के ऊपरी हिस्से में बिजली के रूप में उत्सर्जित होते हैं।
    • मैग्मा द्वारा उत्सर्जित जलवाष्प वातावरण में आर्द्रता एवं बर्फ क्रिस्टलों के निर्माण को बढ़ावा देती है, जिसके परिणामस्वरूप विद्युत गतिविधियाँ और अधिक तीव्र हो जाती हैं।
  • प्रारंभिक चेतावनी उपाय: वर्ल्ड वाइड लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क (WWLLN) जैसी आधुनिक चेतावनी प्रणालियाँ ज्वालामुखीय तड़ित का शीघ्र पता लगा लेती हैं तथा विस्फोट संबंधी महत्त्वपूर्ण चेतावनी प्रदान करती हैं।
    • सतत् उपग्रह निगरानी और AI-आधारित मानचित्रण विस्फोट पूर्वानुमान को और सशक्त करते हैं।
    • इन जाँचों से निवासियों को बाहर निकालने तथा विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल का मार्गदर्शन करने में मदद मिलती है।

ज्वालामुखीय तड़ित के प्रभाव

  • मानव सुरक्षा: राख के बादल श्वासरोध का कारण बन सकते हैं और आस-पास के क्षेत्रों में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करते हैं।
  • विमानन: राख के कण विमान इंजनों में प्रवेश करके इंजन फेलियर का कारण बन सकते हैं, जिससे उड़ान मार्गों में तत्काल परिवर्तन की आवश्यकता पड़ती है।
  • बुनियादी ढाँचा: बिजली और राख का संयोजन विद्युत आपूर्ति बाधित कर सकता है तथा संचार नेटवर्क को प्रभावित करता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.