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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal November 12, 2025 03:43 71 0

बुकर पुरस्कार 2025

हंगेरियन-ब्रिटिश लेखक डेविड सालाय को उनके उपन्यास ‘फ्लेश’ (Flesh) के लिए वर्ष 2025 का बुकर पुरस्कार प्रदान किया गया। वे यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले हंगेरियन-ब्रिटिश लेखक बने।

वर्ष 2025 के विजेता के बारे में 

  • डेविड सालाय का जन्म एक हंगेरियन पिता और ब्रिटिश माता से हुआ था। वे अपनी संक्षिप्त, प्रभावशाली भाषा और पुरुषत्व, एकाकीपन तथा मानवीय संघर्ष संबंधी गहन विमर्श के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • उनका योगदान: उनका उपन्यास “फ्लेश (Flesh)” एक व्यक्ति की उस यात्रा को चित्रित करता है, जिसमें वह हंगरी के एक साधारण हाउसिंग एस्टेट से लंदन के उच्चवर्गीय समाज तक पहुँचता है। यह कथा वर्ग, प्रवासन और सत्ता-संबंधों जैसे विषयों को आत्मविश्लेषी और संवेदनशील शैली में उभारती है।

बुकर पुरस्कार के बारे में 

  • परिचय: बुकर पुरस्कार विश्व के सबसे प्रतिष्ठित अंग्रेजी भाषा के कथा साहित्य पुरस्कारों में से एक है, जिसे वर्ष 1969 से उत्कृष्ट साहित्यिक रचनाओं को सम्मानित करने के लिए दिया जा रहा है।
  • उत्पत्ति: इस पहल की नींव टॉम माशलर और ग्राहम सी. ग्रीन ने रखी थी। इसके वित्तपोषक बुक्कर मैककॉनेल कंपनी ने औपनिवेशिक व्यापार से अर्जित पूँजी को सांस्कृतिक संरक्षण और साहित्यिक प्रतिष्ठा की दिशा में मोड़कर एक नए युग की शुरुआत की।
  • पात्रता और चयन: यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष उन उपन्यासों को दिया जाता है, जो UK या आयरलैंड में अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हुए हों। विजेताओं का चयन लेखकों और समीक्षकों की बहुसांस्कृतिक जूरी द्वारा किया जाता है।
  • भारतीय विजेता
    • इन अ फ्री स्टेट (वर्ष 1971): वी.एस. नायपॉल
    • मिडनाइट्स चिल्ड्रन (वर्ष 1981): सलमान रुश्दी
    • द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स (वर्ष 1997): अरुंधति रॉय
    • द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस (वर्ष 2006): किरण देसाई
    • द व्हाइट टाइगर (वर्ष 2008): अरविंद अडिगा।

अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के बारे में 

  • परिचय: अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2005 में हुई थी। यह पुरस्कार उन साहित्यिक कृतियों को सम्मानित करता है, जो अंग्रेजी में अनूदित होकर यू.के. में प्रकाशित होती हैं।
  • विकास: शुरुआत में यह पुरस्कार प्रत्येक दो वर्ष में प्रदान किया जाता था, परंतु वर्ष 2015 से इसका संस्करण वार्षिक हो गया। इसका उद्देश्य वैश्विक साहित्यिक संवाद को बढ़ावा देना और लेखकों तथा अनुवादकों दोनों को समान रूप से सम्मानित करना है।
  • वर्ष 2025 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार: यह पुरस्कार कन्नड़ लेखक बानू मुश्ताक की कृति “हार्ट लैंप” को प्राप्त हुआ, जिसका अनुवाद दीपा भाश्ती ने अंग्रेजी में किया।

ऑड रेडियो सर्किल (ORCs) 

नवंबर 2025 में, भारत के RAD@home खगोल विज्ञान नेटवर्क के नागरिक वैज्ञानिकों ने लोफार (LOFAR) दूरबीन डेटा का उपयोग करके एक दुर्लभ डबल ऑड रेडियो सर्कल (ORC) की खोज की है।

मुख्य निष्कर्ष 

  • यह खोज वैश्विक स्तर पर केवल दूसरी ज्ञात “ट्विन ORCs” की घटना है, जिससे अंतरिक्ष की गहन रेडियो संरचनाओं की समझ और बढ़ी है।
  • शोधकर्ताओं ने लोफार (LOFAR) और GMRT के पुरालेख डेटा का उपयोग कर इस घटना की पुष्टि की, जिससे भारत का योगदान लो-फ्रीक्वेंसी रेडियो खगोल विज्ञान में और मजबूत हुआ।

ऑड रेडियो सर्किल (ORCs) के बारे में

  • परिभाषा: ORCs बड़े, मंद वृत्ताकार रेडियो स्रोत होते हैं, जो दूरस्थ आकाशगंगाओं को घेरे रहते हैं। ये केवल रेडियो तरंगदैर्ध्य में दिखाई देते हैं और पहली बार वर्ष 2019 में देखे गए थे।
  • संभावित उत्पत्ति: वैज्ञानिकों का सुझाव है कि वे आकाशगंगाओं के टकराव या अतिविशाल ब्लैक होल विलय के दौरान उत्पन्न शक्तिशाली आघात तरंगों के परिणामस्वरूप हो सकते हैं, जो अरबों वर्षों में विस्तारित होने वाले प्लाज्मा वलय का निर्माण करते हैं।
  • महत्त्व: ORCs मौजूदा गैलेक्टिक विकास और रेडियो जेट गतिविधियों के मॉडलों को चुनौती देते हैं। ये ऊर्जावान अंतर-आकाशगंगीय घटनाओं के अध्ययन के लिए नए संकेत प्रदान करते हैं।

LOFAR और GMRT के बारे में

  • LOFAR : यूरोप स्थित इंटरफेरोमेट्रिक रेडियो दूरबीन, जिसका मुख्यालय नीदरलैंड में है, जो गहन अंतरिक्ष निम्न-आवृत्ति अवलोकन में विशेषज्ञता रखती है।
  • GMRT (जाइंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप): पुणे (भारत) के निकट स्थित, विश्व की सबसे बड़ी लो-फ्रीक्वेंसी रेडियो वेधशालाओं में से एक है। इसका संचालन राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र (NCRA) – टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) द्वारा किया जाता है।

RAD@home पहल (2013)

  • इस पहल की शुरुआत प्रोफेसर आनंदा होता ने की थी। यह एक सिटिजन-साइंस प्लेटफॉर्म है, जिसमें लगभग 4,700 सदस्य फेसबुक के माध्यम से जुड़े हुए हैं।
  • बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त नागरिक वैज्ञानिक रेडियो गैलेक्सी और ऑड रेडियो सर्किल(ORCs) जैसी दुर्लभ खगोलीय वस्तुओं की पहचान में मदद करते हैं। इस पहल ने भारत में सहभागी अंतरिक्ष अनुसंधान को नई दिशा दी है।

मधुमेह से संबंधित किडनी संबंधी जटिलताओं का पता लगाने के लिए जैव रासायनिक संकेतक 

भारतीय शोधकर्ताओं ने मधुमेह से संबंधित किडनी संबंधी जटिलताओं का पता लगाने के लिए प्रारंभिक रक्त-आधारित जैव-रासायनिक संकेतकों की पहचान की है, जिससे भारत में अधिक व्यक्तिगत और निवारक मधुमेह प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

नए संकेतकों के बारे में 

  • खोज और विधि: यह अध्ययन IIT बॉम्बे, उस्मानिया मेडिकल कॉलेज और क्लैरिटी बायो सिस्टम्स के सहयोग से किया गया।
  • शोधकर्ताओं ने उन्नत मेटाबोलोमिक्स तकनीक का उपयोग कर रक्त के नमूनों में छिपे जैव रासायनिक परिवर्तनों का विश्लेषण किया।
    • मेटाबोलोमिक्स एक समग्र अध्ययन है, जिसमें कोशिकाओं, ऊतकों या जैव द्रवों के भीतर उपस्थित सूक्ष्म अणुओं (मेटाबोलाइट्स) का विश्लेषण किया जाता है, ताकि जैव रासायनिक प्रक्रियाओं और रोग स्थितियों को समझा जा सके।
  • प्रयुक्त विश्लेषणात्मक उपकरण 
    • LC–MS (लिक्विड क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री): जटिल जैविक नमूनों में उपस्थित सूक्ष्म अणुओं को अत्यंत सटीकता से अलग करने और पहचानने की तकनीक।
    • GC–MS (गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री): यह विधि वाष्पशील यौगिकों की पहचान उनके आणविक द्रव्यमान और संरचना के आधार पर करती है, जिससे महत्त्वपूर्ण चयापचयी परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है।
  • मुख्य निष्कर्ष; शोधकर्ताओं ने कुल 26 महत्त्वपूर्ण मेटाबोलाइट्स (Metabolites) की पहचान की, जिनमें  वैलरोबेटाइन (Valerobetaine), राइबोथाइमिडीन (Ribothymidine), और फ्रुक्टोसिल-पाइरोग्लूटामेट (Fructosyl-Pyroglutamate) प्रमुख हैं। इनमें से 7 किडनी-संबंधी संकेतक, जैसे- एरबिटोल (Arabitol), मयो-इनोजिटॉल (Myo-inositol), राइबोथाइमिडीन (Ribothymidine), और 2PY  मधुमेह जनित किडनी रोग  का प्रारंभिक पूर्वानुमान करने में सक्षम पाए गए।

महत्त्व 

  • यह खोज सरल ‘फिंगर-प्रिक-बेस्ड’ (finger-prick-based) डायग्नोस्टिक टेस्ट विकसित करने में मदद करेगी। इन परीक्षणों से किडनी रोग का प्रारंभिक पता और व्यक्तिगत मधुमेह उपचार संभव होगा। यह भारत में तेजी से बढ़ते मधुमेह प्रसार को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि है।

अंगोला

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंगोला की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगाँठ के अवसर पर 11 नवंबर, 2025 को लुआंडा (Luanda) में आयोजित समारोह में भाग लिया।

  •  यह यात्रा अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ लोरेन्सो के निमंत्रण पर की गई। इस दौरे का उद्देश्य भारत और अंगोला के बीच ऐतिहासिक मित्रता, स्वतंत्रता संग्राम में भारत के समर्थन को पुनः सुदृढ़ करना और व्यापार, ऊर्जा व शिक्षा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को गहराई देना है।

अंगोला के बारे में 

  • अवस्थिति: अंगोला दक्षिणी अफ्रीका के पश्चिमी तट पर स्थित है, जिसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर लुआंडा है।
  • सीमाएँ: दक्षिण में: नामीबिया, पूर्व में: जांबिया, उत्तर-पूर्व में: कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, उत्तर में: कांगो गणराज्य, पश्चिम में: अटलांटिक महासागर।
  • भौगोलिक क्षेत्र:  तटीय मैदानी क्षेत्र, आंतरिक पहाड़ियाँ और पर्वत, पूर्वी उच्च पठार जिसे ‘प्लानाल्टो’ (Planalto) कहा जाता है।
  • पर्वत: सेरा दा लेबा पर्वत शृंखला, मोरो डी मोको अंगोला की सबसे ऊँची चोटी (2,620 मीटर)।
  • नदियाँ: क्वान्जा नदी अटलांटिक महासागर में 960 किमी. पश्चिम की ओर बहती है, जो जल विद्युत शक्ति प्रदान करती है, जांबेजी नदी पूर्वी सीमा बनाती है।
  • जलवायु और वनस्पति:  तटीय क्षेत्र में आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है, जबकि उच्च पठारी क्षेत्रों में शीतल और शुष्क मौसम रहता है।
  • वनस्पतियाँ: तटीय क्षेत्रों में घास के मैदान, मध्य भाग में सवाना और आंतरिक क्षेत्रों में शुष्क वन  पाए जाते हैं।

पारा आधारित दंत अमलगम को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना

नवंबर 2025 में जिनेवा में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देशों ने ‘मिनामाटा कन्वेंशन ऑन मर्करी’ के तहत वर्ष 2034 तक पारा-आधारित दंत अमलगम को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की।

पारा द्वारा निर्मित दाँतों की फिलिंग

  • दंत अमलगम (Dental amalgam) एक सामग्री है, जिसका उपयोग कैविटी भरने के लिए किया जाता है।  यह तरल पारे को चाँदी, टिन और ताँबे जैसे धातु मिश्रण के साथ मिलाकर बनाया जाता है।
  • यह अपनी मजबूती, दीर्घायु और कम लागत के लिए जाना जाता है।
  • इन फिलिंग्स में लगभग 50% पारा होता है, जो समय के साथ हानिकारक विषैली वाष्प उत्सर्जित कर सकता है, जो दंत चिकित्सकों और मरीजों दोनों के लिए खतरनाक है।

पारे की फिलिंग के विकल्प 

  • रेजिन: दाँतों के रंग के समान प्लास्टिक और काँच द्वारा निर्मित पदार्थ, जो सुरक्षित और आकर्षक विकल्प प्रदान करते हैं।
  • ग्लास आयनोमर सीमेंट: फ्लोराइड उत्सर्जक, जैव-अनुकूल सामग्री जो लघु भंडारण और बाल दंत चिकित्सा के लिए उपयुक्त है।

पारा प्रदूषण और उसका प्रभाव

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मर्करी को विश्व के 10 सबसे खतरनाक सार्वजनिक स्वास्थ्य रसायनों में से एक के रूप में पहचाना है।
    • WHO ने दीर्घकालिक संपर्क के लिए पारे की वाष्प का सहनीय स्तर 0.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (0.2 µg/m³) और कुल पारा सेवन की सीमा 2 µg प्रति किलोग्राम शरीर भार प्रतिदिन निर्धारित की है।
  • पारा प्रदूषण वायु, जल और मृदा को दूषित करता है और मछलियों में जैव संचयन के माध्यम से खाद्य शृंखला में प्रवेश करता है।
  • पारे का प्रभाव: यह तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है तथा किडनी और फेफड़ों को नुकसान पहुँचा सकता है।
  • मिनामाटा रोग: यह गंभीर पारा विषाक्तता के कारण होता है, विशेष रूप से मिथाइल मरकरी से संदूषित मछली और शंख खाने से और इसके लक्षणों में सुन्नता, मांसपेशियों में कमजोरी, दृष्टि हानि, और सुनने और बोलने में क्षति शामिल है।

मिनामाटा कन्वेंशन ऑन मरकरी

  • इस कन्वेंशन का उद्देश्य मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को पारे के दुष्प्रभावों से बचाना है। इसे वर्ष 2013 में अपनाया गया और वर्ष 2017 में लागू किया गया।
    • भारत ने 30 सितंबर, 2014 को इस पर हस्ताक्षर किए और 18 जून, 2018 को इसे अनुमोदित किया।
  • वर्ष 2025 संशोधन: इसमें वर्ष 2034 तक वैश्विक स्तर पर दंत अमलगम के चरणबद्ध उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • भारत की भूमिका: भारत ने इस वर्ष 2034 वैश्विक लक्ष्य का समर्थन किया है और सुरक्षित, पारा मुक्त दंत तकनीकों के विकास को मिनामाटा लक्ष्यों के अनुरूप बढ़ावा देने पर सहमति जताई है।

ISSF विश्व चैंपियनशिप

हाल ही में भारतीय निशानेबाजों ने मिस्र के काहिरा में आयोजित ISSF विश्व चैंपियनशिप में कई पदक जीतकर इतिहास रच दिया।

ISSF विश्व चैंपियनशिप के बारे में

  • इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन (ISSF) विश्व चैंपियनशिप ओलंपिक शूटिंग स्पर्द्धाओं की सबसे प्रतिष्ठित वैश्विक प्रतियोगिता है, जो प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती है।
  • वर्ष 2025 का संस्करण काहिरा, मिस्र में आयोजित हुआ, जहाँ भारतीय निशानेबाजों ने पिस्टल और राइफल दोनों वर्गों में रिकॉर्ड प्रदर्शन किया।

समरथ राणा का प्रदर्शन

  • समरथ राणा ने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वे इस श्रेणी में विश्व खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने।
  • उन्होंने अभिनव बिंद्रा, रुद्रांक्ष पाटिल और तेजस्विनी सावंत जैसे दिग्गजों की सूची में शामिल होकर विश्व खिताब जीतने वाले पाँचवें भारतीय का गौरव प्राप्त किया।

आनिश भंवाला का प्रदर्शन

  • आनिश भंवाला ने पुरुषों की 25 मीटर रैपिड-फायर पिस्टल स्पर्द्धा में रजत पदक जीतकर नया इतिहास रचा। उन्होंने 28 लक्ष्य साधे और ओलंपिक इवेंट में विश्व चैंपियनशिप पदक जीतने वाले भारत के पहले व्यक्तिगत पिस्टल निशानेबाज  बने।

अभ्यास मित्र शक्ति-XI (2025)

अभ्यास मित्र शक्ति-2025 का 11वाँ संस्करण भारत और श्रीलंका के बीच आयोजित हुआ, यह द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास 10 से 23 नवंबर, 2025 तक फॉरेन ट्रेनिंग नोड, बेलगावी (कर्नाटक) में प्रारंभ हुआ।

अभ्यास  मित्र शक्ति के बारे में

  • अभ्यास  मित्र शक्ति भारत और श्रीलंका की सेनाओं के बीच आयोजित एक वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास है। इसका उद्देश्य रक्षा सहयोग और सैन्य पारस्परिकता को सुदृढ़ करना है।
  • इस अभ्यास का पहला संस्करण वर्ष 2012 में पुणे, भारत में आयोजित हुआ था।

मित्र शक्ति-XI (2025) के फोकस क्षेत्र

  • उद्देश्य: संयुक्त राष्ट्र के चार्टर VII के अंतर्गत उप अभियानों का अभ्यास करना, जिसमें आतंकवाद-रोधी और शांति रक्षा मिशन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • प्रतिभागी: इसमें भारत की राजपूत रेजिमेंट के 170 कर्मी और श्रीलंका की गजबा रेजिमेंट के 135 कर्मी शामिल होंगे, साथ ही दोनों पक्षों की वायु सेना भी इसमें भाग लेगी।
  • अभ्यास 
    • प्रमुख सामरिक अभ्यासों में छापा मारना, नष्ट करना, हेलीबोर्न मिशन, हताहतों को निकालना तथा युद्ध स्थितियों के अंतर्गत हेलीपैड सुरक्षित करना शामिल है।
    • इसमें आधुनिक युद्ध क्षेत्र की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ड्रोन, मानवरहित हवाई प्रणालियों (C-UAS) और हेलीकॉप्टर संचालन को एकीकृत किया गया है।
    • सहनशक्ति और युद्ध तत्परता बढ़ाने के लिए आर्मी मार्शल आर्ट्स रूटीन (AMAR), कॉम्बैट रिफ्लेक्स शूटिंग और योगा।
  • महत्त्व: यह अभ्यास भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को सुदृढ़ करता है। परस्पर विश्वास और संयुक्त परिचालन क्षमता को बढ़ाता है। यह संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण और मानवीय अभियानों के लिए दोनों देशों की सेनाओं की सामरिक समन्वय क्षमता को मजबूत बनाता है।

COP-32 का आयोजन इथियोपिया में 

इथियोपिया वर्ष 2027 में COP-32 जलवायु सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसके लिए अदीस अबाबा को आधिकारिक स्थल के रूप में चुना गया है। यह निर्णय ब्राजील में आयोजित COP-30 सम्मेलन के दौरान लिया गया।

कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज के बारे में 

  • कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (COP), संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा सम्मेलन (UNFCCC) की सर्वोच्च निर्णय-निर्माण संस्था है। इसका उद्देश्य सभी देशों को एक साथ लाकर वैश्विक जलवायु कार्रवाई  को आगे बढ़ाना है।
  • COP30 (वर्ष 2025): COP-30, जिसे ब्राजील ने बेलेम में आयोजित किया है, का उद्देश्य वैश्विक जलवायु वित्त तंत्र को सुदृढ़ करना और अमेजन वर्षावनों सहित वन संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देना है।
  • COP-31 (वर्ष 2026): COP-31 की मेजबानी के अधिकार अभी भी अनिश्चित हैं, ऑस्ट्रेलिया और तुर्की दोनों ही नेतृत्व के लिए प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं, जिन्हें क्रमशः प्रशांत द्वीप राष्ट्रों और यूरोपीय भागीदारों का समर्थन प्राप्त है।
  • COP-32 (वर्ष 2027): अफ्रीकी समूह द्वारा सर्वसम्मति से समर्थित इथियोपिया, अदीस अबाबा में COP-32 की मेजबानी करेगा, यह पहली बार होगा जब कोई पूर्वी अफ्रीकी देश शिखर सम्मेलन का नेतृत्व करेगा।

इथियोपिया के बारे में 

  • परिचय: इथियोपिया, पूर्वी अफ्रीका में स्थित एक स्थलरुद्ध देश है, जिसका क्षेत्रफल 1,104,300 वर्ग किमी. है तथा अदीस अबाबा इसकी राजधानी और सर्वाधिक आबादी वाला शहर है।
  • सीमाएँ: इसकी सीमाएँ इरीट्रिया (उत्तर), जिबूती और सोमालिया (पूर्व), केन्या (दक्षिण), दक्षिण सूडान (पश्चिम) और सूडान (उत्तर-पश्चिम) से लगती हैं।
  • भूगोल: इथियोपिया का भूभाग ऊबड़-खाबड़ ऊँचे इलाकों, रिफ्ट घाटी और गहरी नदी घाटियों से भरा हुआ है।
    • सबसे ऊँची चोटी, माउंट रास डेजेन (वर्ष 4,533 मीटर), इसके उत्तरी भाग में अवस्थित है, जबकि ब्लू नाइल और अवाश जैसी प्रमुख नदियाँ इसकी उपजाऊ घाटियों को आकार देती हैं।

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