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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal November 14, 2025 01:49 43 0

DNA प्रोफाइलिंग

लाल किला ब्लास्ट केस (नवंबर 2025) में, जाँचकर्ताओं ने अज्ञात शवों की पहचान करने के लिए DNA  नमूने एकत्र किए हैं।

DNA प्रोफाइलिंग के बारे में 

  • DNA  प्रोफाइलिंग एक फॉरेंसिक तकनीक  है, जिसका उपयोग व्यक्तियों की पहचान उनके अद्वितीय आनुवंशिक पैटर्न के आधार पर की जाती है।
  • यह विशेष रूप से तब उपयोगी होती है, जब शव विस्फोट, आग या सड़न के कारण पहचान में नहीं आते हैं।

मातृ DNA  का महत्त्व 

  • माता का DNA पहचान विश्लेषण के माध्यम से पहचान के लिए एक विश्वसनीय आनुवंशिक संदर्भ प्रदान करता है, क्योंकि बच्चा अपने माता-पिता में से प्रत्येक से अपने DNA का आधा हिस्सा प्राप्त करता है।
  • माता के गाल की स्वैब या रक्त का नमूना फॉरेंसिक विशेषज्ञों को उच्च सटीकता के साथ आनुवंशिक मिलान की पुष्टि करने में मदद करता है।

DNA  प्रोफाइलिंग की प्रक्रिया

  • नमूना संग्रहण और निष्कर्षण: DNA को रक्त, दाँत, हड्डियों या ऊतकों से निकाला जाता है, विशेषकर उन भागों से जो कठोर परिस्थितियों में सबसे अधिक संरक्षित रहते हैं।
    • DNA  को अलग और शुद्ध किया जाता है ताकि विश्लेषण से पहले उसकी गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जा सके।
  • STR प्रोफाइलिंग (Short Tandem Repeat Analysis): STRs DNA के छोटे दोहराए जाने वाले अनुक्रम होते हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अद्वितीय होते हैं।
    • पॉलिमरेज चेन रिएक्शन (PCR) तकनीक का उपयोग कर इन क्षेत्रों को बढ़ाया जाता है और कैपिलरी इलेक्ट्रोफोरेसिस द्वारा विश्लेषण किया जाता है ताकि DNA  प्रोफाइल तैयार हो सके।
    • पहचान की पुष्टि के लिए इस प्रोफाइल की तुलना रिश्तेदारों के संदर्भ नमूनों से की जाती है।
  • माइटोकॉन्ड्रियल DNA  विश्लेषण: जब न्यूक्लियर DNA  क्षतिग्रस्त हो जाता है, तब माइटोकॉन्ड्रियल DNA  (mtDNA) का विश्लेषण किया जाता है, जो केवल माँ से विरासत में मिलता है
  • DNA पहचान में चुनौतियाँ: प्रमुख चुनौतियों में गर्मी या रसायनों से DNA का क्षरण, संग्रह के दौरान संदूषण तथा कई पीड़ितों के DNA नमूनों का मिश्रित होना शामिल है, जिससे सटीक पहचान करना जटिल हो जाती है।

क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप (QDM)

हाल ही में भारत ने अपना पहला स्वदेशी क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप (QDM) लॉन्च किया है।

क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप (QDM) के बारे में 

  • क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप एक उन्नत क्वांटम सेंसर उपकरण है, जिसे गतिशील, नैनोस्केल चुंबकीय क्षेत्र इमेजिंग के लिए डिजाइन किया गया है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) के तहत IIT बॉम्बे में पी-क्वेस्ट समूह द्वारा विकसित।

विवरण और कार्य सिद्धांत

  • QDM हीरे में नाइट्रोजन-रिक्ति (NV) केंद्रों पर आधारित है, जो परमाणु-स्तरीय दोष हैं जो कमरे के तापमान पर क्वांटम सुसंगतता बनाए रखने में सक्षम हैं।
  • ये NV केंद्र चुंबकीय, विद्युत और तापीय विविधताओं का पता लगाते हैं, तथा उन्हें ऑप्टिकली डिटेक्टेड मैग्नेटिक रेजोनेंस (ODMR) नामक प्रक्रिया के माध्यम से ऑप्टिकल संकेतों में परिवर्तित करते हैं।
  • यह तकनीक एक ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप की तरह त्रि-आयामी (3D), नैनोस्केल चुंबकीय क्षेत्र इमेजिंग को सक्षम बनाती है और गतिशील चुंबकीय गतिविधियों का व्यापक दृश्य प्रदान करती है।

अनुप्रयोग

  • न्यूरोसाइंस: उच्च सटीकता के साथ न्यूरल चुंबकीय गतिविधियों की मैपिंग।
  • पदार्थ विज्ञान: नए पदार्थों में चुंबकीय गुणधर्म और दोषों का अध्ययन।
  • सेमीकंडक्टर डायग्नोस्टिक्स: 3D चिप आर्किटेक्चर और दबे हुए धारा पथों का गैर-विनाशकारी परीक्षण करना।
  • ऊर्जा और पृथ्वी विज्ञान: ऊर्जा भंडारण प्रणालियों और भूवैज्ञानिक संरचनाओं में चुंबकत्व की जाँच करना।
  • डेटा प्रोसेसिंग: भविष्य में AI और मशीन लर्निंग के साथ एकीकृत होकर कंप्यूटेशनल इमेजिंग और डेटा व्याख्या को और बेहतर बनाएगा।

अमोनियम नाइट्रेट

जाँचकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या लाल किले विस्फोट में मुख्य विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग किया गया था।

अमोनियम नाइट्रेट के बारे में

  • संरचना और प्रकृति: अमोनियम नाइट्रेट एक रासायनिक यौगिक (NH₄NO₃) है जिसका उपयोग ईंधन तेल के साथ मिलाकर उर्वरक और औद्योगिक विस्फोटक के रूप में व्यापक रूप से किया जाता है।
  • नियमन और लाइसेंसिंग: इसकी पहुँच को सख्ती से विनियमित किया जाता है, 30 मीट्रिक टन तक के भंडारण के लिए जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति की आवश्यकता होती है, जबकि इससे अधिक मात्रा के भंडारण के लिए विस्फोटक अधिनियम के तहत PESO (पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन) की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
  • ट्रैकिंग और नियंत्रण: सभी वैध लेन-देन सिस्टम फॉर एक्सप्लोसिव ट्रैकिंग एंड ट्रेसिंग (SETT) के माध्यम से मॉनिटर किए जाते हैं, हालाँकि अवैध व्यापार और डायवर्जन अभी भी एक गंभीर चुनौती बने हुए हैं।

आतंकी हमलों में उपयोग 

  • ऐतिहासिक पैटर्न: वर्ष 2012 से पहले, अमोनियम नाइट्रेट लगभग हर बड़े आतंकी हमले में पाया गया था, जिसमें वर्ष 1996–97 दिल्ली सीरियल ब्लास्ट भी शामिल हैं।
  • IED में भूमिका: आतंकी संगठन इसका उपयोग अमोनियम नाइट्रेट-फ्यूल आयल (Ammonium Nitrate–Fuel Oil/ANFO) मिश्रण तैयार करने में करते हैं, जहाँ एक डेटोनेटर बड़े पैमाने पर विस्फोट को आरंभ करता है।
    • एक सामान्य ANFO मिश्रण में लगभग 94% अमोनियम नाइट्रेट और 6% फ्यूल ऑयल होता है; औद्योगिक-ग्रेड अमोनियम नाइट्रेट से ऐसा मिश्रण तैयार किया जा सकता है।
  • फॉरेंसिक पहचान: अमोनियम नाइट्रेट के अवशेष नाइट्रेट आयन और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO₂) छोड़ते हैं, जिनका पता विस्फोट स्थल की सफाई के बाद भी क्रोमैटोग्राफिक परीक्षणों के माध्यम से लगाया जा सकता है।

बाल साहित्य पुरस्कार,  2025

बाल साहित्य पुरस्कार 2025, 14 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में प्रदान किया गया, जिसमें 24 भारतीय भाषाओं में बाल साहित्य में उत्कृष्ट कृतियों को सम्मानित किया गया।

बाल साहित्य पुरस्कार के बारे में

  • यह पुरस्कार साहित्य अकादमी द्वारा स्थापित किया गया है और भारत की 24 प्रमुख भाषाओं में लिखे गए बाल साहित्य में उत्कृष्टता को मान्यता देता है।
    • इन 24 भाषाओं में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची की 22 भाषाएँ शामिल हैं, साथ ही अंग्रेजी और राजस्थानी को भी  सम्मिलित किया गया है।
  • पुरस्कार के घटक: प्रत्येक पुरस्कार विजेता को ₹50,000 की नकद राशि और साहित्यिक श्रेष्ठता के लिए एक कांस्य पट्टिका प्रदान की जाती है।
  • पुरस्कृत भाषाएँ और विधाएँ: पुरस्कार कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, और संस्मरण जैसी विधाओं में दिए जाते हैं, जो भारत की बहुभाषी सृजनात्मक समृद्धि को दर्शाते हैं।
  • प्रमुख विजेता (2025): इस वर्ष कुल 24 बाल लेखकों को सम्मानित किया गया।
    • अंग्रेजी: दक्षिण: दक्षिण भारतीय मिथक और दंतकथाओं का पुनर्कथन – नितिन कुशलप्पा 
    • हिंदी: एक बटे बारह – सुशील शुक्ला
    • तमिल: ओट्राई सिरागु ओविया – विष्णुपुरम् सरवनन
    • मलयालम: पेंगुइनुकालुडे वंकाराविल – श्रीजीत मूठेदथ
    • पंजाबी: जद्दू पत्ता – पाली खादिम।
  • महत्त्व: बाल साहित्य पुरस्कार 2025 भारत की साहित्यिक समावेशिता को मजबूत करता है, क्षेत्रीय आवाजों का सम्मान करता है और बाल साहित्य में लेखकों की नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करता है।

बोत्सवाना

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और बोत्सवाना के राष्ट्रपति ड्यूमा बोको ने घोषणा की कि बोत्सवाना प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) के तहत भारत को 8 चीते सौंपेगा।

प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) के बारे में

  • उद्देश्य: अफ्रीकी देशों से अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण के माध्यम से, वर्ष 1952 में विलुप्त हो चुके चीतों को भारत में पुनः स्थापित करना।
  • प्रारंभ और भागीदार: वर्ष 2022 में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाकर इसकी शुरुआत की जाएगी।
  • नोडल एजेंसी: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)।
  • उद्देश्य: एक व्यवहार्य चीता आबादी को पुनर्स्थापित करना, चरागाह पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करना और पारिस्थितिकी पर्यटन और सामुदायिक लाभों को बढ़ाना।

बोत्सवाना (Botswana) के बारे में

  • स्थान: दक्षिणी अफ्रीका में स्थित एक स्थलरुद्ध देश।
  • सीमावर्ती देश
    • उत्तर और पश्चिम: नामीबिया
    • उत्तर-पूर्व: जांबिया
    • दक्षिण और दक्षिण-पूर्व: दक्षिण अफ्रीका
    • उत्तर-पूर्व: जिम्बाब्वे ।
  • जलवायु
    • प्रकार: मौसमी वर्षा वाली अर्द्ध-शुष्क जलवायु।
    • तापमान: गर्म ग्रीष्मकाल, जिसमें तापमान प्रायः 30°C से अधिक होता है और ठंडी सर्दियाँ, जिसमें तापमान 10°C से 20°C तक होता है।
  • भू-भाग: मुख्यतः समतल या हल्के ऊबड़-खाबड़ वाले मैदान।
  • नदियाँ: जांबेजी नदी, ओकावांगो नदी, लिंपोपो नदी।

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