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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal November 20, 2025 03:58 12 0

युवा AI फॉर आल

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) ने इंडियाएआई मिशन के तहत, ‘युवा AI फॉर आल’ नामक राष्ट्रीय स्तर का एक निःशुल्क पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों, विशेषकर युवाओं के मध्य आधारभूत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) साक्षरता का निर्माण करना है।

‘युवा AI फॉर आल’ पहल के बारे में

  • प्रथम पहल: छात्रों, पेशेवरों और सामान्य शिक्षार्थियों को बुनियादी AI अवधारणाओं से परिचित कराने के लिए डिजाइन किया गया 4.5 घंटे का, स्व-गति वाला ऑनलाइन पाठ्यक्रम है।
  • सुलभ शिक्षा: फ्यूचरस्किल्स प्राइम, iGOT कर्मयोगी और कई एड-टेक पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्म पर निःशुल्क उपलब्ध है।
  • प्रमाणन: पाठ्यक्रम पूरा होने पर शिक्षार्थियों को भारत सरकार द्वारा प्रमाणित एक प्रमाण-पत्र प्राप्त होता है।
  • मुख्य शिक्षण मॉड्यूल
    • AI को समझना: AI क्या है, यह कैसे कार्य करता है और आधुनिक AI प्रणालियों के पीछे की अवधारणाओं का परिचय देता है।
    • दैनिक जीवन में AI: यह दर्शाता है कि AI शिक्षा, रचनात्मकता, कार्यस्थलों और सार्वजनिक सेवाओं में कैसे परिवर्तन ला रहा है।
    • सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग: नैतिक सिद्धांतों, AI उपकरणों के सुरक्षित उपयोग और जिम्मेदार AI व्यवहार को शामिल करता है।
  • लक्ष्य: MeitY का लक्ष्य डिजिटल अंतराल को पाटने और एथिकल AI अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए 1 करोड़ भारतीयों को बुनियादी AI कौशल में प्रशिक्षित करना है।
  • संस्थागत भागीदारी: संगठन, विद्यालय और विश्वविद्यालय व्यापक पहुँच सुनिश्चित करने हेतु पाठ्यक्रम को प्रोत्साहित करने, एकीकृत करने तथा सहस्थापित करने के लिए इंडिया AI के साथ साझेदारी कर सकते हैं।

महत्त्व

  • निःशुल्क और समावेशी पहुँच: बिना किसी लागत या पूर्वापेक्षा के सभी भारतीय नागरिकों के लिए खुले, व्यापक डिजिटल समावेशन का समर्थन करता है।
  • अनुकूलित शिक्षण प्रारूप: यह प्रारूप सभी छात्रों और कार्यरत पेशेवरों के लिए उपयुक्त, कभी भी, कहीं भी सीखने में सक्षम बनाता है।
  • भविष्य की तैयारी: शिक्षार्थियों को AI-संचालित अर्थव्यवस्था में भागीदारी के लिए आवश्यक आधारभूत कौशल हासिल करने में मदद करता है।

कोडेक्स कार्यकारी समिति

भारत को कोडेक्स कार्यकारी समिति के 48वें सत्र CAC48 में सर्वसम्मति से पुनः निर्वाचित किया गया, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा और व्यापार मानकों को आकार देने में भारत के नेतृत्व की पुष्टि हुई।

कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन (CAC) के बारे में

  • परिचय: कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन एक अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानक-निर्धारक निकाय है, जिसकी स्थापना खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संयुक्त रूप से वर्ष 1963 में वैश्विक स्तर पर समन्वित खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानदंड विकसित करने के लिए की थी।
  • सदस्य: इस आयोग में 189 सदस्य हैं, जिनमें भारत और यूरोपीय संघ सहित 188 देश शामिल हैं।
  • मुख्यालय: कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन का सचिवालय रोम, इटली में स्थित है, जिसके वार्षिक सत्र रोम और जिनेवा के बीच बारी-बारी से आयोजित होते हैं।
    • CAC48 का आयोजन रोम में FAO मुख्यालय में किया गया था।

कोडेक्स कार्यकारी समिति (भूमिका और संरचना)

  • संरचना: इस समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं एशिया सहित कोडेक्स क्षेत्रों के क्षेत्रीय प्रतिनिधि और FAO एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि शामिल हैं।
  • भूमिका: यह समिति आयोग की कार्यकारी शाखा के रूप में कार्य करती है, मानकों को अपनाने से पहले उनकी समीक्षा करती है, अंतर-समिति समन्वय का मार्गदर्शन करती है और कोडेक्स कार्य प्रणाली में रणनीतिक और वैज्ञानिक सुसंगतता सुनिश्चित करती है।

16वाँ वित्त आयोग

हाल ही में 16वें वित्त आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें वर्ष 2026-31 के लिए संघ-राज्य संसाधन साझाकरण हेतु राजकोषीय सिफारिशों की रूपरेखा दी गई है।

वित्त आयोग के बारे में

  • केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण की सिफारिश करने के लिए प्रत्येक पाँच वर्ष में गठित एक संवैधानिक निकाय है।
    • यह राजकोषीय संतुलन, स्थिरता और समान विकास सुनिश्चित करता है।
  • संवैधानिक प्रावधान
    • अनुच्छेद-280(1): राष्ट्रपति को वित्त आयोग की स्थापना का आदेश देने का प्रावधान करता है।
    • अनुच्छेद-280(3): कर हस्तांतरण और सहायता अनुदान के संबंध में इसके कर्तव्यों को परिभाषित करता है।
    • अनुच्छेद-281: रिपोर्ट को एक व्याख्यात्मक ज्ञापन के साथ संसद के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है।
  • भूमिका और कार्य
    • ऊर्ध्वाधर (केंद्र-राज्य) और क्षैतिज (राज्यों के बीच) कर हस्तांतरण की सिफारिश करता है।
    • केंद्र और राज्यों की राजकोषीय स्थिति की समीक्षा करता है।
    • सहायता अनुदान, राजकोषीय समेकन के मार्ग और वित्तीय स्थिरता बढ़ाने के उपाय सुझाता है।

16वें वित्त आयोग की संरचना

  • अध्यक्ष: डॉ. अरविंद पनगढ़िया – अर्थशास्त्री एवं नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष।
  • पूर्णकालिक सदस्य
    • ए. एन. झा: पूर्व व्यय सचिव और 15वें वित्त आयोग के सदस्य।
    • एनी जॉर्ज मैथ्यू: पूर्व विशेष सचिव, व्यय विभाग।
    • निरंजन राजाध्यक्ष: कार्यकारी निदेशक, अर्थ ग्लोबल।
  • अंशकालिक सदस्य: सौम्या कांति घोष, मुख्य आर्थिक सलाहकार, SBI

पृथ्वी प्रणाली विज्ञान परिषद (ESSC)

हाल ही में पृथ्वी प्रणाली विज्ञान परिषद की पहली आम सभा की बैठक में विलय किए गए पाँच पृथ्वी विज्ञान संस्थानों में प्रशासन एकीकरण की समीक्षा की गई।

पृथ्वी प्रणाली विज्ञान परिषद (ESSC) के बारे में

  • ESSC एक एकीकृत शासी निकाय है, जिसका गठन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पाँच स्वायत्त संस्थानों को एक संस्थागत ढाँचे में विलय करके किया गया है।
  • ESSC के अंतर्गत आने वाले संस्थान
    • भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे।
    • राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR), गोवा।
    • राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), चेन्नई।
    • राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (NCESS), तिरुवनंतपुरम्।
    • भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना एवं सेवा केंद्र (INCOIS), हैदराबाद।
  • उद्देश्य: एक समेकित संस्थागत तंत्र के तहत शासन को एकीकृत करना, समन्वय में सुधार करना, प्रशासनिक दोहराव को कम करना और भारत की पृथ्वी प्रणाली विज्ञान क्षमताओं को मजबूत करना।
  • अध्यक्ष: केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, ESSC के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं और इसकी आम सभा की अध्यक्षता करते हैं।

ESSC का महत्त्व

  • एकीकृत शासन: एकाकी कार्यप्रणाली के स्थान पर समन्वित निगरानी को बढ़ावा देता है, जिससे दक्षता में सुधार होता है और ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के साथ सामंजस्य बिठाया जाता है।
  • संस्थागत पहचान: एकसमान संरचना, साझा समितियाँ और मानकीकृत दस्तावेजीकरण सुनिश्चित करता है, जिससे पृथ्वी विज्ञान संस्थानों में दृश्यता और सुसंगतता मजबूत होती है।
  • पहुँच और संचार: महासागर, क्रायोस्फीयर, वायुमंडलीय और जलवायु अनुसंधान में उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए विषय-आधारित जन-पहुँच को बढ़ावा देता है।
  • रणनीतिक एकीकरण: समेकित रिपोर्टिंग को सक्षम बनाता है और डीप ओशन मिशन, ब्लू इकोनॉमी और जलवायु-लचीलापन पहल जैसे प्रमुख मिशनों का समर्थन करता है।

रानी लक्ष्मी बाई 

प्रधानमंत्री ने रानी लक्ष्मीबाई को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी।

रानी लक्ष्मीबाई के बारे में

  • शुरुआती जीवन: रानी लक्ष्मीबाई, जिनका जन्म वर्ष 1828 में वाराणसी में हुआ था, इनका बचपन का नाम मणिकर्णिका ताँबे था, महाराजा गंगाधर राव से शादी के बाद ये झाँसी की रानी बनीं।
  • दत्तक ग्रहण और व्यपगत का सिद्धांत
    • अपने शिशु पुत्र और पति की मृत्यु के बाद, उन्होंने आनंद राव, जिनका नाम बाद में दामोदर राव रखा गया, को झाँसी का उत्तराधिकारी बनाया।
    • लॉर्ड डलहौजी द्वारा लागू की गई हड़प नीति के तहत, बिना किसी पुरुष उत्तराधिकारी के राज्यों को हड़पने का आदेश दिया गया था।
    • अंग्रेजों ने दामोदर राव को कानूनी उत्तराधिकारी मानने से इनकार कर दिया और झाँसी पर अधिकार करने के लिए हड़प नीति लागू की, जिसका रानी लक्ष्मीबाई ने कड़ा विरोध किया।
  • सन् 1857 के विद्रोह में भूमिका
    • सन् 1857 के विद्रोह के दौरान, जब ह्यूरोज ने झाँसी के आत्मसमर्पण की माँग की, तो रानी लक्ष्मीबाई ने इनकार कर दिया और किले की रक्षा के लिए महिलाओं सहित एक सेना जुटाई।
    • उन्हें नाना साहब का समर्थन प्राप्त था। झाँसी पर अप्रैल 1858 में ब्रिटिश अधिग्रहण के बाद उन्होंने प्रबल प्रतिरोध किया और कालपी में तात्या टोपे से आ मिलीं। इसके उपरांत उन्होंने विद्रोह को जारी रखने के उद्देश्य से ग्वालियर की ओर प्रस्थान किया।
    • ग्वालियर में निर्णायक संघर्ष हुआ, जहाँ उन्होंने अंग्रेजी सेना के विरुद्ध असाधारण साहस का परिचय देते हुए अपनी सेना का नेतृत्व किया।
  • शहादत और विरासत
    • रानी लक्ष्मीबाई 17 जून, 1858 को ब्रिटिश सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हो गईं।
    • जनरल ह्यूरोज ने टिप्पणी की कि “यहाँ वह महिला लेटी थी, जो विद्रोहियों में एकमात्र पुरुष थी“, जो उसके अद्वितीय साहस और नेतृत्व पर प्रकाश डालता है।

छठवें राष्ट्रीय जल पुरस्कार

भारत के राष्ट्रपति ने जल संरक्षण और बड़े पैमाने पर भूजल पुनर्भरण प्रयासों में राष्ट्रव्यापी उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए छठवें राष्ट्रीय जल पुरस्कार और जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार प्रदान किए।

राष्ट्रीय जल पुरस्कारों के बारे में

  • जल शक्ति मंत्रालय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय जल पुरस्कार, जल संरक्षण, सतत् प्रबंधन और समुदाय-संचालित पहलों में अनुकरणीय योगदान के लिए दिए जाते हैं।
  • उद्देश्य: लोगों में जल के महत्त्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और उन्हें जल उपयोग के सर्वोत्तम तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना।
  • सर्वोच्च प्रदर्शन करने वाला राज्य: महाराष्ट्र पहले, गुजरात दूसरे और हरियाणा तीसरे स्थान पर रहा।
  • सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति
    • श्री किशोर जायसवाल; बिहार (पूर्वी क्षेत्र)
    • श्री बजरंग लाल जैथू; राजस्थान (पश्चिमी क्षेत्र)
    • श्री मोहन चंद्र कंडपाल;उत्तराखंड (उत्तरी क्षेत्र)
    • श्री पोडिली राजशेखर राजू; आंध्र प्रदेश (दक्षिणी क्षेत्र)।
  • अन्य श्रेणियों में शामिल हैं: सर्वश्रेष्ठ जिला, सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत, सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय, सर्वश्रेष्ठ स्कूल या कॉलेज, सर्वश्रेष्ठ उद्योग, सर्वश्रेष्ठ जल उपयोगकर्ता संघ, सर्वश्रेष्ठ संस्थान (स्कूल या कॉलेज के अलावा) और सर्वश्रेष्ठ नागरिक समाज।

जल संचय जन भागीदारी के बारे में

  • जल संचय जन भागीदारी पहल सामुदायिक कार्रवाई, कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) साझेदारी और लागत-प्रभावी भूजल पुनर्भरण प्रयासों के माध्यम से सहभागी जल प्रबंधन को बढ़ावा देती है।
    • वर्ष 2024 में शुरू की गई जल संचय-जन भागीदारी पहल के तहत, 35 लाख से अधिक भूजल पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण किया गया है।

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