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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal November 21, 2025 03:56 27 0

ट्रेड इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स (TIA) पोर्टल

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भारत के व्यापार तंत्र में पारदर्शिता और डेटा-आधारित निर्णय लेने हेतु ट्रेड इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स (TIA) पोर्टल का शुभारंभ किया।

ट्रेड इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स (TIA) पोर्टल के बारे में

  • TIA पोर्टल एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो वाणिज्य विभाग द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें वैश्विक और द्विपक्षीय व्यापार डेटा को विश्लेषणात्मक प्रयोग के लिए एकत्रित किया जाता है।
  • उद्देश्य: इस पोर्टल का उद्देश्य साक्ष्य आधारित नीति निर्माण को मजबूत करने और हितधारकों को सुलभ, एकीकृत और स्वचालित व्यापार इंटेलिजेंस टूल्स के माध्यम से सशक्त करने का उद्देश्य रखता है।
  • TIA पोर्टल की प्रमुख विशेषताएँ
    • एकीकृत व्यापार डेटाबेस: यह पोर्टल UN कॉमट्रेड सहित विभिन्न वैश्विक और द्विपक्षीय डेटाबेस को एकीकृत एनालिटिक्स प्रणाली में संकलित करता है।
  • विस्तृत दृश्य विश्लेषण: यह 28 से अधिक डैशबोर्ड पर 270 से अधिक संवादात्मक दृश्य उपलब्ध कराता है, जो भारत, वैश्विक और द्विपक्षीय व्यापार पैटर्न को शामिल करती हैं।
  • ट्रेड वॉच टॉवर: यह देश स्तर पर इंटेलिजेंस उपलब्ध कराता है तथा चैंपियन उत्पादों की पहचान हेतु वैश्विक माँग व भारत की आपूर्ति की क्षमताओं का मानचित्रण करता है।
  • स्वचालित कार्यप्रणाली: मासिक व्यापार रिपोर्ट और डेटा एक्सट्रैक्शन प्रक्रियाएँ स्वचालित हैं, जिससे मैनुअल प्रयास घटते हैं और ‘रियल-टाइम एक्सेस’ सुनिश्चित होती है।
  • विशेषीकृत डैशबोर्ड: यह पोर्टल उत्पादन-संयुक्त पहल (PLI) वस्तुओं, क्रिटिकल मिनरल्स, मार्केट डाइवर्सिफिकेशन और टैरिफ विश्लेषण टूल्स (विकासाधीन) सहित निगरानी हेतु डैशबोर्ड प्रदान करता है।
  • उन्नत व्यापार सूचकांक: ट्रेड कंप्लीमेंटैरिटी, रिवील्ड कंपैरेटिव एडवांटेज तथा ट्रेड इंटेंसिटी इंडेक्स जैसे टूल्स के माध्यम से प्रतिस्पर्द्धात्मकता व बाजार का गहन विश्लेषण किया जा सकता है।
  • ओपन-सोर्स, लागत-प्रभावी मॉडल: यह प्लेटफॉर्म ओपन-सोर्स ढाँचे पर कार्य करता है, जिसमें सर्वर लागत न्यूनतम है, जिससे स्केलेबिलिटी और दीर्घकालिक सततता सुनिश्चित होती है।

कोडाईकनाल सौर वेधशाला (KSO) 

कोडाईकनाल सौर वेधशाला (Kodaikanal Solar Observatory) के 100 से अधिक वर्षों के सौर आँकड़ों का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने सूर्य के अतीत के ध्रुवीय चुंबकीय व्यवहार का पुनर्निर्माण किया है ताकि भविष्य के सौर चक्र की भविष्यवाणी में सुधार किया जा सके।

कोडाईकनाल सौर वेधशाला के मुख्य निष्कर्ष

  • सदियों पुराने चुंबकीय पुनर्निर्माण: कोडाईकनाल वेधशाला की ऐतिहासिक Ca II K  इमेज की सहायता से 1970 के दशक से पहले के ध्रुवीय चुंबकीय क्षेत्र का मानचित्रण किया गया।
  • Ca II K इमेज सूर्य की क्रोमोस्फीयर की विशेष पराबैंगनी किरणों द्वारा ली गई तस्वीरें हैं, जो प्लाजेस, नेटवर्क क्षेत्रों और फाइब्रिल्स जैसी चुंबकीय संरचनाओं को दर्शाती हैं, जो  श्वेत-प्रकाश की इमेज में दिखाई नहीं देतीं।
  • ध्रुवीय नेटवर्क की पहचान: एल्गोरिदम ने “ध्रुवीय नेटवर्क” संरचनाओं का पता लगाया, जो अतीत के ध्रुवीय क्षेत्र की शक्ति को विश्वसनीय रूप से दर्शाती हैं।
  • वैश्विक डेटा समाकलन: कोडाईकनाल के सर्वेक्षण को रोम के प्रिसिजन सोलर फोटोमेट्रिक टेलीस्कोप (PSPT) के अवलोकनों के साथ जोड़ा गया, जिससे निरंतर, गुणवत्ता संपन्न सौर चुंबकीय डेटा सेट निर्मित किया गया।

सौर चक्र के बारे में

  • सौर चक्र सूर्य की चुंबकीय गतिविधियों में आवधिक वृद्धि और गिरावट को दर्शाता है, जो सोलर फ्लेयर, सन स्पॉट और कोरोनल मास उत्सर्जन में परिवर्तन में परिलक्षित होती है।
  • अवधि: लगभग 11 वर्षों का होता है।
    • पूर्ण चुंबकीय चक्र लगभग 22 वर्षों का होता है।
  • सौर चक्र के चरण
    • सौर न्यूनतम: कम सौर कलंक की घटनाएँ, कम सौर गतिविधियाँ।
    • सौर अधिकतम: अधिकतम सौर कलंक की घटनाएँ, सोलर फ्लेयर्स और CMEs।
    • चुंबकीय क्षेत्र उत्क्रमण: अधिकतम होता है, जब सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव विपरीत हो जाते हैं।
  • प्रमुख विशेषताएँ
    • यह सूर्य के चुंबकीय डायनमो तंत्र द्वारा संचालित होता है।
    • सन स्पॉट की गणना और सौर विकिरण में परिवर्तनों के माध्यम से ट्रैक किया जाता है।
    • यह सौर वायु, विकिरण स्तरों और अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है।

सौर चुंबकीय डेटा पर निष्कर्षों का महत्त्व

  • बेहतर सौर चक्र पूर्वानुमान: सौर चक्र 25 और भविष्य के चक्रों के सटीक पूर्वानुमान को मजबूती प्रदान करता है।
  • वृद्धि प्राप्त अंतरिक्ष मौसम अलर्ट: उपग्रहों और विद्युत प्रणालियों को प्रभावित करने वाले सौर तूफानों की प्रारंभिक चेतावनी में सहायता करता है।
  • वैज्ञानिकों के लिए स्वतंत्र डेटा: PNI डेटा का सार्वजानिक विमोचन वैश्विक खगोल भौतिकी अनुसंधान को बढ़ावा देता है।

कोडाईकनाल सौर वेधशाला के बारे में

  • कोडाईकनाल सौर वेधशाला (KSO), 1 अप्रैल, 1899 को स्थापित, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान (IIA) द्वारा संचालित एक प्रमुख सौर वेधशाला है, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन है।
  • अवस्थिति: तमिलनाडु की पलानी पहाड़ियों में स्थित, जो सौर अवलोकनों के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करता है।
  • विशेषताएँ
    • व्यापक अभिलेखागार: 2,00,000 से अधिक ग्लास प्लेटें और 100 वर्ष पूर्व के Ca II K सौर रिकॉर्ड।
    • सौर दूरदर्शी उपकरण: इसमें H-अल्फा टेलीस्कोप, ट्विन टेलीस्कोप और WARM टेलीस्कोप शामिल हैं।
    • वैज्ञानिक उपकरण: स्पेक्ट्रोग्राफ, फोटोहेलियोग्राफ, पूर्ण डिस्क स्पेक्ट्रोहेलियोग्राफ और रेडियो स्पेक्ट्रोग्राफ।

enFnCas9 प्लेटफॉर्म

भारत ने अपनी जीन-थेरेपी क्षमताओं को वृहद स्तर पर आगे बढ़ाया है, जिसमें CSIR-IGIB और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से स्वदेशी enFnCas9 प्लेटफॉर्म का उन्नत विस्तार किया गया है।

enFnCas9 के बारे में

  • enFnCas9 एक विकसित उच्च-विश्वसनीयता आधारित CRISPR-Cas9 जीनोम-एडिटिंग तंत्र है, जिसे आनुवंशिक उत्परिवर्तन को सटीक एवं प्रभावी रूप से ठीक करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • विकसितकर्ता: CSIR–जीनोमिक्स एवं इंटीग्रेटिव बायोलॉजी संस्थान (CSIR-IGIB), भारत की स्वदेशी क्रिस्पर (CRISPR) तकनीकी पहल का हिस्सा।
  • यह IGIB की विशेषज्ञता और FELUDA जैसी पूर्व उपलब्धियों (भारत की पहली क्रिस्पर-आधारित कोविड-19 डायग्नोस्टिक) पर आधारित है।
  • यह कोशिका-आधारित (Ex vivo) और प्रत्यक्ष डिलीवरी (In vivo) दोनों जीन-थेरेपी दृष्टिकोणों के लिए उपयुक्त है।

क्रिस्पर (CRISPR)  क्या है?

  • क्रिस्पर (CRISPR) एक प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली है, जो जीवाणुओं में पाई जाती है, जिससे वे वायरस के विरुद्ध रक्षा हेतु बाह्य DNA को काट सकते हैं।
  • वैज्ञानिकों ने इस प्रणाली को जीन एडिटिंग के लिए अनुकूलित किया है, जिससे जीवित प्राणियों में DNA में सटीक परिवर्तन किए जा सकते हैं।
  • मुख्य घटक
    • क्रिस्पर (CRISPR) अनुक्रम: जीवाणुओं में दोहराए गए DNA खंड जो वायरस को संचित करते हैं।
    • Cas प्रोटीन (जैसे Cas9): आणविक “कैंची” जो लक्षित स्थानों पर DNA को काटती है।
    • गाइड RNA: Cas9 को उस विशिष्ट DNA अनुक्रम पर निर्देशित करता है, जिसे एडिट किया जाना है।

स्वदेशी enFnCas9 का महत्त्व 

  • स्वदेशी जीन-थेरेपी को नया आयाम: यह भारत की क्षमताओं को दर्शाता है कि यह देशी, उच्च क्षमता युक्त क्रिस्पर (CRISPR)  तकनीकों का विकास कर रहा है, जिससे विदेशी प्लेटफॉर्म्स पर निर्भरता कम होती है।
  • जटिल बीमारियों का समाधान: सिकल सेल रोग जैसी उच्च-भार युक्त बीमारियों के लिए सुलभ जीन-एडिटिंग थेरेपी उपलब्ध कराना, जो विशेष रूप से आदिवासी आबादी के लिए अनुकरणीय रहेगी।
  • जैव-निर्माण क्षमता को बढ़ावा: सीरम इंस्टिट्यूट की वैश्विक स्तर की उत्पादन क्षमता का लाभ उठाते हुए, प्रयोगशालाओं में हुए नवाचारों को बड़े पैमाने पर उपयोगी चिकित्सा विधियों में बदला जा सकता है।
  • जीनोमिक संप्रभुता को मजबूती: यह भारत को जीनोम विज्ञान, प्रिसिजन मेडिसिन और भविष्य की बायोटेक्नॉलाजी में रणनीतिक नेतृत्व प्रदान करने में सहायक है।
  • समान स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा: क्रमिक और ‘कटिंग-एज’ उपचारों को सुलभ, किफायती तथा सामुदायिक केंद्रित बनाना, जिससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं का अनुपालन हो।
  • वैश्विक वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को बढ़ावा: क्रिस्पर (CRISPR) अनुसंधान और अगली पीढ़ी की जेनिटिक चिकित्सा में भारत को अग्रणी योगदानकर्ता के तौर पर स्थापित करना।

20वाँ G20 शिखर सम्मेलन 2025

भारतीय प्रधानमंत्री दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 20वें G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

G20 शिखर सम्मेलन 2025 के बारे में

  • 20वां G20 शिखर सम्मेलन ग्लोबल साउथ द्वारा आयोजित चौथा सम्मेलन है, जो वैश्विक शासन में दक्षिणी नेतृत्व के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
  • वर्ष 2025 का ध्येय वाक्य: ‘एकजुटता, समानता और सततता’।
  • अवस्थिति: जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका।
    • यह अफ्रीका में आयोजित होने वाला पहला G20 शिखर सम्मेलन है।
  • सचिवालय: इस समूह का स्थायी सचिवालय नहीं है।
  • वर्तमान ट्रोइका: ब्राजील (वर्ष 2024), दक्षिण अफ्रीका (वर्ष 2025) और संयुक्त राज्य अमेरिका (वर्ष 2026)।
  • वर्ष 2025 के G20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख फोकस क्षेत्र
    • समावेशी और सतत् विकास: व्यापार सुविधा, विकास वित्तपोषण और वैश्विक ऋण जोखिमों का समाधान करना।
    • वैश्विक लचीलापन: आपदा जोखिम में कमी, जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई, न्यायपूर्ण ऊर्जा संक्रमण और वैश्विक खाद्य प्रणालियों को सुदृढ़ करना।
    • न्यायपूर्ण भविष्य: महत्त्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग, श्रम मानकों में सुधार तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का शासन।

G20 के बारे में

  • G20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख वैश्विक मंच है, जिसमें प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ और क्षेत्रीय समूह शामिल हैं।
  • उत्पत्ति: वर्ष 1999 में स्थापित, प्रारंभ में यह वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के लिए एक मंच था, वर्ष 2008 से यह राष्ट्राध्यक्षों का शिखर सम्मेलन भी बन गया।
  • G20 के सदस्य
    • 19 देश: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यू.के. और USA।
    • 2 क्षेत्रीय निकाय: यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ।
  • वित्तीय निगरानी और शेरपा नेतृत्त्व: वित्तीय निगरानी की अगुवाई वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक गवर्नर करते हैं।

महत्त्व 

G20 वैश्विक GDP का 90%, विश्व व्यापार का 80%, विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या और आधी भूमि सीमा का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे यह वैश्विक आर्थिक तथा विकासात्मक एजेंडा निर्धारण में केंद्रीय भूमिका निभाता है।

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