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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal December 03, 2025 03:19 7 0

अटल पेंशन योजना (APY)

अक्टूबर 2025 तक अटल पेंशन योजना (APY) में कुल नामांकन 8.34 करोड़ से अधिक हो गया है।

अटल पेंशन योजना (APY) के बारे में

  • यह एक सरकारी समर्थित पेंशन योजना है, जिसका उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को वृद्धावस्था में आय सुरक्षा प्रदान करना तथा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति संबंधी बचत को प्रोत्साहित करना है।
    • इसने स्वावलंबन योजना (जिसे NPS लाइट भी कहा जाता था) का स्थान लिया।
  • प्रारंभ: 1 जून 2015।
  • प्रशासन: पेंशन निधि विनियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा संचालित।
  • कार्यान्वयन: बैंकों और डाकघरों के माध्यम से, जिन्हें पॉइंट्स ऑफ प्रेजेन्स–अटल पेंशन योजना (PoP–APY) के रूप में नामित किया गया है।
  • पात्रता
    • भारतीय नागरिक, जिनकी आयु 18–40 वर्ष है और जिनके पास बैंक या डाकघर में बचत खाता है तथा जो आयकर दाता नहीं हैं।
    • न्यूनतम योगदान अवधि: 20 वर्ष (आयु 60 वर्ष होने पर पेंशन प्राप्ति हेतु)।
  • लाभ
    • 60 वर्ष की आयु से ₹1000, ₹2000, ₹3000, ₹4000 या ₹5000 की गारंटीड न्यूनतम मासिक पेंशन।
    • यदि निवेश प्रतिफल पर्याप्त न हो, तो सरकार कमी की पूर्ति करती है ताकि गारंटीड पेंशन सुनिश्चित रहे।
    • अभिदाता की मृत्यु होने पर पेंशन उसके जीवनसाथी को मिलती रहती है, दोनों की मृत्यु होने पर संचित धनराशि नामित व्यक्ति को वापस कर दी जाती है।
    • योगदान पर धारा 80CCD(1) के अंतर्गत कर लाभ तथा धारा 80CCD(1B) के तहत ₹50,000 तक की अतिरिक्त कटौती के लिए पात्र हैं।

APY के अंतर्गत प्रमुख उपलब्धियाँ

  • विस्तृत कवरेज: अक्टूबर 2025 तक 8.34 करोड़ से अधिक सदस्य, जो ग्रामीण एवं असंगठित क्षेत्रों में गहरी पहुँच दर्शाता है।
  • महिला भागीदारी: कुल नामांकनों में 48% महिलाएँ (लगभग 4.04 करोड़, अक्टूबर 2025 तक)।
  • विस्तारित जन-जागरूकता: बहुभाषी अभियान, डिजिटल ऑनबोर्डिंग (ई-APY, मोबाइल ऐप) तथा बैंक मित्र/स्वयं-सहायता समूह आधारित क्षमता-वृद्धि से देशव्यापी स्वीकृति में वृद्धि हुई है।

विश्व दूरसंचार विकास सम्मेलन (WTDC)

भारत ने बाकू, अजरबैजान में आयोजित WTDC-2025 में वैश्विक डिजिटल प्रशासन में अग्रणी नेतृत्व के रूप में अपनी भूमिका निभाई है।

WTDC के बारे में

  • यह अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के दूरसंचार विकास क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चार वर्षीय सम्मेलन है, जो विकासशील देशों के लिए दूरसंचार और सूचना-संचार प्रौद्योगिकी विकास रणनीतियों को निर्धारित करने हेतु वैश्विक हितधारकों को एक मंच पर लाती है।
  • प्रमुख केंद्र बिंदु (WTDC-25): सम्मेलन का ध्यान सार्थक संपर्कता, समावेशी डिजिटल परिवर्तन, स्मार्ट समुदाय, नवाचार पारितंत्र, दुष्प्रभाव-रोधी साइबर सुरक्षा, विनियामक आधुनिकीकरण तथा सूचना-संचार प्रौद्योगिकी आधारित आपदा तैयारी पर केंद्रित रहा।

WTDC-25 में भारत का प्रमुख योगदान

  • नेतृत्वकारी भूमिकाएँ: भारत ने सम्मेलन के उपाध्यक्ष सहित कई उच्च-स्तरीय पद ग्रहण किए, डिजिटल परिवर्तन समूहों की अध्यक्षता की तथा ITU-D अध्ययन समूहों (वर्ष 2026–29) के लिए दो उपाध्यक्ष पद प्राप्त किए।
  • प्रमुख वैश्विक प्रस्तावों को आगे बढ़ाना
    • प्रस्ताव 85 को स्मार्ट सतत् नगरों से स्मार्ट ग्रामों तक विस्तारित करने हेतु प्रोत्साहित किया, नवाचार तथा भविष्य-तत्परता से संबंधित प्रस्ताव 89 और 90 को सुदृढ़ किया।
    • दूरसंचार के दुरुपयोग, अवांछित संदेश नियंत्रण और उपकरण सुरक्षा से संबंधित साइबर सुरक्षा प्रस्ताव 45 और 84 को मजबूत किया।
    • प्रारंभिक चेतावनियों, जलवायु कार्रवाई, ई-कचरा प्रबंधन और डिजिटल समावेशन से जुड़े आपदा-संबंधी प्रस्ताव 34 और 66 को और सुदृढ़ किया।
    • भारत की वैश्विक डिजिटल उपस्थिति को सुदृढ़ करना: भारत की सक्रिय भागीदारी और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों ने उसे वैश्विक दूरसंचार विकास के एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित किया।

अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के बारे मे

  • ITU दूरसंचार और सूचना-संचार प्रौद्योगिकी के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट संस्था है, जिसकी स्थापना वर्ष 1865 में हुई थी और यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी संस्था है।
  • प्रमुख कार्य
    • वैश्विक संचार नेटवर्कों और संपर्कता का समन्वय।
    • रेडियो स्पेक्ट्रम तथा उपग्रह कक्षाओं का आवंटन।
    • वैश्विक दूरसंचार मानकों का विकास।
    • विश्वभर में डिजिटल पहुँच और समावेशन को समर्थन देना।
  • सदस्यता: इसमें 194 देश और 1000 से अधिक संस्थाएँ शामिल हैं। इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
    • भारत वर्ष 1869 में सदस्य बना और वर्ष 1952 से ITU परिषद का नियमित सदस्य है।
  • प्रतिवेदन: ITU राष्ट्रीय साइबर तैयारी का आकलन करने वाला वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) प्रकाशित करता है।

सिम बाइंडिंग 

केंद्र सरकार ने साइबर धोखाधड़ी पर रोक, निगरानी क्षमता सुनिश्चित करने और डिजिटल संचार सेवाओं में दूरसंचार साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ करने हेतु सभी ऑनलाइन मैसेज प्लेटफॉर्म के लिए सिम बाइंडिंग को अनिवार्य किया है।

सिम बाइंडिंग के बारे में

  • सिम बाइंडिंग एक सुरक्षा तंत्र है, जो पंजीकरण के समय उपयोग किए गए विशिष्ट सिम को उपयोगकर्ता की संदेश या प्रमाणीकरण सेवा से स्थायी रूप से जोड़ देता है।
  • पंजीकृत सिम के अनुपस्थित होने पर अनुप्रयोग संबंधी कार्य करना बंद कर देता है, जिससे हार्डवेयर-आधारित सिम पहचानकर्ताओं जैसे  IMSI और ICCID के माध्यम से पहचान सत्यापन सुनिश्चित होता है।
  • सिम बाइंडिंग के प्रावधान
    • मैसेज प्लेटफॉर्म को पंजीकरण के समय उपयोग किए गए सिम से निरंतर रूप से जुड़ा रहना होगा।
    • पंजीकृत सिम के भौतिक रूप से अनुपस्थित होने पर उपयोगकर्ता की पहुँच अवरुद्ध की जाएगी।
    • वेब इंटरफेस (जैसे WhatsApp Web) को प्रत्येक 6 घंटे में स्वतः लॉगआउट होना होगा।
    • प्लेटफॉर्म को 90 दिनों के भीतर कार्यान्वयन पूरा कर दूरसंचार विभाग को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
  • सिम बाइंडिंग’ को सक्षम करने वाला विधिक प्रावधान: दूरसंचार साइबर सुरक्षा संशोधन नियम, 2025
    • ये नियम दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा अधिसूचित किए गए।
    • उपयोगकर्ता पहचान हेतु मोबाइल संख्या का उपयोग करने वाले OTT-आधारित संचार प्लेटफार्म को विनियमित करने के लिए दूरसंचार पहचानकर्ता उपयोगकर्ता इकाई (TIUE) की अवधारणा प्रस्तुत करता है।
    • सरकार को सिम–उपकरण–खाता के निरंतर संबंध को लागू करने का अधिकार प्रदान करता है, जिससे डिजिटल संचार सुरक्षा मजबूत होती है।

सिम बाइंडिंग’ का महत्त्व

  • साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ करता है: यह देश के बाहर से सिम संबंधी दुरुपयोग को रोकता है तथा प्रतिरूपण, स्पूफिंग और OTP बाईपास जैसे हमलों को कम करता है।
  • अनुरेखण क्षमता बढ़ाता है: यह सिम–उपकरण–खाता संबंध सुनिश्चित करता है, जिससे साइबर धोखाधड़ी या गोपनीय संचार में संलिप्त उपयोगकर्ताओं की पहचान संभव होती है।
  • सीमा पार धोखाधड़ी में कमी: निष्क्रिय या अवैध रूप से प्राप्त सिम-लिंक्ड खातों का उपयोग करने वाले स्कैमर, मूल सिम के बिना अब अनुप्रयोगों तक पहुँच नहीं प्राप्त कर सकेंगे।
  • वित्तीय-स्तर की सुरक्षा के अनुरूप: यह मैसेज प्लेटफॉर्म को बैंकिंग और UPI अनुप्रयोगों में पहले से प्रचलित सिम-सक्रिय प्रमाणीकरण के स्तर के निकट लाता है।

यूनेस्को कार्यकारी बोर्ड

 

 

भारत वर्ष 2025–29 के कार्यकाल के लिए यूनेस्को कार्यकारी बोर्ड में पुनः निर्वाचित किया गया है, जिससे बहुपक्षीय संस्थाओं में इसकी मजबूत स्थिति की पुष्टि होती है।

यूनेस्को कार्यकारी बोर्ड के बारे में

  • यूनेस्को कार्यकारी बोर्ड, संगठन के तीन संवैधानिक अंगों में से एक है (अन्य दो हैं: महासम्मेलन और सचिवालय)।
  • स्थापना: यूनेस्को की स्थापना वर्ष 1945 में हुई और वर्ष 1946 में इसका संविधान प्रभावी होने के बाद कार्यकारी बोर्ड इसके प्रमुख शासन अंगों में सम्मिलित हुआ।
  • मुख्यालय: कार्यकारी बोर्ड तथा यूनेस्को का मुख्य सचिवालय पेरिस, फ्राँस से संचालित होता है।
  • सदस्यता: इसमें 58 सदस्य देश शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक का कार्यकाल चार वर्ष का होता है तथा इन्हें यूनेस्को के महाधिवेशन द्वारा चुना जाता है।
  • संतुलित एवं न्यायसंगत वैश्विक प्रतिनिधित्व हेतु सदस्यों का चयन क्षेत्रीय निर्वाचन समूहों के माध्यम से किया जाता है।
    • भारत समूह 4 (एशियाई एवं प्रशांत राज्य) में सम्मिलित है।

कार्यकारी बोर्ड के कार्य

  • महानिदेशक द्वारा प्रस्तुत यूनेस्को के कार्यक्रम एवं संबंधित बजट की समीक्षा करना।
  • महासम्मेलन की कार्यसूची निर्धारित करने हेतु अनुशंसाएँ तैयार कर प्रस्तुत करना।
  • यूनेस्को में नए सदस्य देशों के प्रवेश से संबंधित अनुशंसाएँ करना।
  • महानिदेशक की नियुक्ति संबंधी मार्गदर्शन प्रदान करना।
  • महासम्मेलन द्वारा स्वीकृत कार्यक्रमों के निष्पादन का दायित्व निभाना।
  • महासम्मेलन के विशेष (असाधारण) सत्रों का आह्वान करना।
  • शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति एवं ज्ञान संबंधित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और पहलों को प्रोत्साहित एवं पर्यवेक्षित करना।

संचार साथी ऐप

केंद्रीय संचार मंत्री ने स्पष्ट किया कि मोबाइल हैंडसेट पर ‘संचार साथी’ ऐप को सक्रिय करना अनिवार्य नहीं है, यह पूरी तरह से उपभोक्ताओं पर निर्भर है कि वे इसे किसी अन्य ऐप की तरह उपयोग करें या हटा दें।

  • पहले, दूरसंचार विभाग (DoT) ने सभी मोबाइल फोन निर्माताओं और आयातकों को निर्देश दिया था कि भारत में बेचे जाने वाले प्रत्येक हैंडसेट में संचार साथी साइबर सुरक्षा ऐप को 90 दिनों के भीतर सक्रिय करना होगा।

संचार साथी पहल

  • यह एक समग्र दूरसंचार सुरक्षा कार्यक्रम है, जिसे दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने, साइबर धोखाधड़ी को नियंत्रित करने और राष्ट्रीय दूरसंचार साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ करने हेतु बनाया गया है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य डिवाइस की प्रामाणिकता सत्यापित करना, उपयोगकर्ता की पहचान सुरक्षित रखना, सिम कार्ड के दुरुपयोग का पता लगाना, चोरी हुए डिवाइस को ब्लॉक करना और नागरिक-अनुकूल दूरसंचार सुरक्षा उपकरण प्रदान करना है।
  • शुभारंभ: केंद्रीय संचार मंत्रालय के अंतर्गत दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा शुरू किया गया, यह एक एकीकृत संचार साथी पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से संचालित होता है।

संचार साथी’ ऐप के बारे में

  • परिचय: ‘संचार साथी’ ऐप दूरसंचार विभाग द्वारा विकसित एक नागरिक सुरक्षा उपकरण है, जो हैंडसेट के IMEI नंबरों को सत्यापित करने, धोखाधड़ी वाले संचार की रिपोर्ट करने और मोबाइल पहचान को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने के लिए है।
  • प्रमुख विशेषताएँ
    • IMEI सत्यापन: उपकरण का IMEI वास्तविक, डुप्लीकेट या ब्लैकलिस्टेड है, इसकी पुष्टि करता है।
    • चोरी के उपकरणों का अवरोधन: खोए हुए फोन के IMEI को अवरुद्ध करने और प्राप्त उपकरणों के पता लगाने की सुविधा।
    • सिम एवं पहचान प्रबंधन: उपयोगकर्ता की पहचान से जुड़े सभी मोबाइल कनेक्शन प्रदर्शित करता है, ताकि अनधिकृत उपयोग की  निगरानी की  जा सके।
    • धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग: “चक्षु” उपकरण फिशिंग, इंपरसनेशन घोटाले, नकली KYC अलर्ट तथा संदिग्ध नंबरों को चिह्नित करता है।
    • स्पैम एवं स्कैम की पहचान: मास्क्ड अंतरराष्ट्रीय कॉल, स्पैम मैसेज तथा असुरक्षित लिंक की रिपोर्टिंग की सुविधा देता है।
  • DoT  निर्देश (2025)
    • भारत हेतु निर्मित या आयातित सभी हैंडसेट में संचार साथी’ ऐप पूर्व-स्थापित, दृश्य, कार्यशील तथा प्रथम डिवाइस सेटअप के समय सक्रिय होना चाहिए।
    • निर्माता ऐप की किसी भी विशेषता को निष्क्रिय या सीमित नहीं कर सकते।
    • बिक्री माध्यम में पहले से मौजूद उपकरणों को सॉफ्टवेयर अद्यतन के माध्यम से ऐप प्रदान किया जाएगा।
    • 90 दिनों के भीतर कार्यान्वयन पूर्ण करना होगा तथा 120 दिनों में अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

पोक्रोव्स्क (Pokrovsk)

रूस ने पूर्वी यूक्रेन के पोक्रोव्स्क पर पूर्ण नियंत्रण का दावा किया है।

पोक्रोव्स्क के बारे में

  • पोक्रोव्स्क को रूस द्वारा क्रास्नोअर्मेस्क (Krasnoarmeysk) के रूप में संदर्भित किया जाता है और यह डोनेट्स्क (Donetsk) क्षेत्र में एक प्रमुख युद्धक्षेत्र रहा है, जहाँ वर्ष 2024 के मध्य से संघर्ष जारी रही है।
  • अवस्थिति: यह शहर पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क प्रांत में स्थित है।

सामरिक महत्त्व

  • प्रमुख लाजिस्टिक केंद्र: ऐतिहासिक रूप से यह यूक्रेनी सैन्य आपूर्ति और परिवहन का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र रहा है।
  • ऊर्जा क्षेत्र: यह यूक्रेन के एकमात्र ‘कोकिंग-कोयला’ खनिज स्रोत पोक्रोव्स्के खदान के निकट अवस्थित है।
  • प्रमुख शहरों का केंद्र: इसके पतन से क्रामातोर्स्क (Kramatorsk) तथा स्लोवियान्स्क (Sloviansk) की दिशा में अग्रगमन का मार्ग प्रशस्त होता है, जो डोनेट्स्क क्षेत्र में यूक्रेन-नियंत्रित सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शहरी केंद्रों के रूप में स्थित हैं।
  • डोनबास कॉरिडोर पर नियंत्रण: यह डोनेट्स्क (Donetsk) और लुहांस्क (Luhansk) पर पूर्ण प्रभुत्व की दिशा में रूसी प्रगति को मजबूत करने में मदद करता है, जो एक साथ मिलकर व्यापक डोनबास क्षेत्र का निर्माण करते हैं।

रूस के दावे और सैन्य स्थिति

  • विजय की घोषणा: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कथित अधिकार को विशेष सैन्य अभियान” के प्रारंभिक सैन्य लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक बताया।
  • जारी सैन्य अभियान: रूसी कमांडरों ने पोक्रोव्स्क (Pokrovsk) और मिर्नोहराद (Myrnohrad) के आस-पाससैन्य अभियान” जारी रहने की जानकारी दी तथा दावा किया कि हजारों यूक्रेनी सैनिक अब भी घिरे हुए हैं।

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