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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal December 04, 2025 04:01 3 0

अभ्यास एकुवेरिन

भारत-मालदीव द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास एकुवेरिन का 14वाँ संस्करण 2-15 दिसंबर, 2025 तक केरल के तिरुवनंतपुरम् में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें अंतर-संचालन और आतंकवाद-रोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

अभ्यास एकुवेरिन (EKUVERIN) के बारे में

  • अभ्यास एकुवेरिन, जिसका अर्थ धिवेही भाषा मेंमित्र” है, भारत और मालदीव के बीच एक वार्षिक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी।
  • इसका उद्देश्य रक्षा सहयोग को मजबूत करना तथा दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को बढ़ावा देना है।
  • स्थान: यह अभ्यास क्रमानुसार भारत और मालदीव में आयोजित किया जाता है, जो सैन्य साझेदारी में समानता को दर्शाता है।
  • भागीदार: भारतीय सेना और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के बीच संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है।
  • मुख्य क्षेत्र
    • अर्द्ध-नगरीय, वन और तटीय भू-भाग में उग्रवाद-रोधी तथा आतंकवाद-रोधी अभियानों पर प्रशिक्षण।
    • विशिष्ट सैन्य प्रौद्योगिकियों का एकीकरण, सिमुलेशन-आधारित प्रशिक्षण और सर्वोत्तम परिचालन प्रथाओं का आदान–प्रदान।
  • महत्त्व
    • सुरक्षा आपात स्थितियों में संयुक्त अभियानों हेतु अंतरसंचालन क्षमता को सुदृढ़ करता है।
    • हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समुद्री सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को सशक्त करता है।
    • भारत–मालदीव सामरिक सहयोग के बीच रक्षा कूटनीति को गहरा करता है।

भारत–मालदीव के अन्य सैन्य अभ्यास

  • एकता: समुद्री सहयोग और तटीय सुरक्षा पर केंद्रित द्विपक्षीय अभ्यास।
  • दोस्ती: भारत, मालदीव और श्रीलंका की भागीदारी वाला एक त्रिपक्षीय समुद्री अभ्यास, जिसका उद्देश्य समुद्री खोज-और-बचाव तथा मादक पदार्थ-रोधी अभियानों में समन्वय बढ़ाना है।

रेज बैट’ (Rage Bait)

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने वर्ष 2025 के शब्द के रूप मेंरेज बैट” (Rage Bait) को चुना है, जो बढ़ती ऑनलाइन शत्रुता और जुड़ाव-संचालित डिजिटल व्यवहार को दर्शाता है।

रेज बैट’ (Rage Bait) के बारे में 

  • रेज बैट’ (Rage Bait) से तात्पर्य ऐसे ऑनलाइन कंटेंट से है, जिसे जानबूझकर क्रोध, आक्रोश या हताशा भड़काने के लिए तैयार किया जाता है, ताकि रीच और प्लेटफार्म दृश्यता बढ़े।
  • रेज बैट’ का उदाहरण: इसमें ध्रुवीकरण संबंधी पोस्ट, हिंसक वीडियो, कहानियाँ, या राजनीति, सामाजिक व्यवहार या षड्यंत्र के विषयों पर भ्रामक आख्यान शामिल हैं।
  • महत्त्व: ‘रेज बैट’ यह दर्शाता है कि कैसे सोशल मीडिया एल्गोरिदम उत्तेजक या नकारात्मक कंटेंट को तेजी से बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे वर्ष 2025 में डिजिटल संस्कृति और ऑनलाइन संचार पैटर्न में बदलाव आ रहा है।

रेज बैट’ के निहितार्थ

  • एल्गोरिथम-आधारित कंटेंट: प्लेटफार्म आक्रोश-युक्त कंटेंट को प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि उच्च भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ अधिक टिप्पणियाँ, शेयर और ऑनलाइन बिताया गया समय उत्पन्न करती हैं।
  • आक्रोश का मुद्रीकरण: एक्स (ट्विटर), यूट्यूब आदि जैसे रीच-आधारित भुगतान मॉडल, रचनाकारों को वित्तीय लाभ के लिए उत्तेजक कंटेंट पोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे विभाजनकारी चर्चा सामान्य हो जाती है।
  • ऑनलाइन शत्रुता: उत्तेजक कंटेंट के लगातार संपर्क से डिजिटल विभाजन में वृद्धि होती है, उपयोगकर्ता तनाव बढ़ता है, और व्यापक “मानसिक विकृति” संबंधी प्रवृत्तियों में वृद्धि होती है।

ग्लोबल इंडिसेज फॉर रिफॉर्म्स एंड ग्रोथ (GIRG) पहल

भारत सरकार 26 अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों में अपनी रैंकिंग सुधारने हेतु ग्लोबल इंडिसेज फॉर रिफॉर्म्स एंड ग्रोथ (GIRG) पहल के अंतर्गत प्रयासों को तीव्र कर रही है।

ग्लोबल इंडिसेज फॉर रिफॉर्म्स एंड ग्रोथ (GIRG) पहल के बारे में

  • GIRG पहल एक समन्वित सरकारी प्रयास है, जिसका उद्देश्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों पर भारत के प्रदर्शन को व्यवस्थित रूप से सुधार कर वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को सुदृढ़ करना है।
  • उद्देश्य: अंतरालों की पहचान करना, राष्ट्रीय आँकड़ों को वैश्विक कार्य प्रणालियों के अनुरूप बनाना और आर्थिक, विकासात्मक, शासन तथा औद्योगिक प्रगति का समर्थन करने वाले लक्षित सुधार लागू करना।
  • शामिल सूचकांक: यह पहल 16 अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा प्रकाशित 26 सूचकांकों को चार विषयों के अंतर्गत शामिल करती है:
    • अर्थव्यवस्था
    • विकास
    • शासन
    • उद्योग
  • संस्थागत समन्वय
    • ढाँचे का समन्वयक: नीति आयोग का विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (DMEO) इसका नॉलेज पार्टनर तथा केंद्रीय समन्वयक है।
    • अंतर-मंत्रालयी दृष्टिकोण: 17 नोडल मंत्रालयों को विशिष्ट सूचकांक सौंपे गए हैं।

नोडल मंत्रालयों की जिम्मेदारियाँ

  • सूचकांक कार्य प्रणालियों की समीक्षा तथा संरचनात्मक अंतरालों की पहचान।
  • वैश्विक आकलनों में नवीनतम आधिकारिक भारतीय आँकड़ों का उपयोग सुनिश्चित करना।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन एजेंसियों से सटीकता एवं पारदर्शिता हेतु संवाद करना।
  • रैंकिंग में सुधार हेतु सुधारात्मक उपायों व नीतिगत सुधारों को लागू करना।

GIRG का महत्त्व

  • यह पहल भारत की डेटा विश्वसनीयता, नीतिगत संवेदनशीलता और साक्ष्य-आधारित सुधार दृष्टिकोण को मजबूत करती है।
  • वैश्विक रैंकिंग में सुधार से भारत की  अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ती है, निवेश आकर्षित होता है और दीर्घकालिक आर्थिक परिवर्तन को समर्थन मिलता है।

चाय विकास एवं संवर्द्धन योजना (TDPS)

सरकार ने असम में चाय विकास एवं संवर्द्धन योजना (TDPS) के अंतर्गत उल्लेखनीय प्रगति की सूचना दी है।

चाय विकास एवं संवर्द्धन योजना (TDPS) के बारे में

  • चाय विकास एवं संवर्द्धन योजना (2021–26), जिसे भारतीय चाय बोर्ड द्वारा लागू किया गया है, भारतीय चाय सहित असम चाय की उत्पादकता, गुणवत्ता संवर्द्धन तथा बाजार विस्तार को समर्थन देती है।
  • उद्देश्य
    • उत्पादकता बढ़ाना, बाजार में आने वाली चाय की गुणवत्ता सुधारना तथा भारत के चाय निर्यात को बढ़ाना।
    • छोटे चाय उत्पादकों को SHGs, FPOs और FPC के रूप में संगठित कर सशक्त बनाना।
    • मिनी चाय कारखानों के माध्यम से मूल्य संवर्द्धन को समर्थन देना तथा अच्छी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
  • मुख्य घटक
    • प्लांटेशन विकास: पुनरोपण, पुनर्जीवन, जैविक रूपांतरण तथा तकनीकी उन्नयन।
    • बाजार संवर्द्धन: निर्यात सुविधा, ब्रांड संवर्द्धन और बाजारों का विविधीकरण।
    • लघु उत्पादकों का सशक्तीकरण: SHGs/FPOs के गठन, मिनी-कारखानों को सहायता और मूल्य शृंखला एकीकरण।
    • क्षमता निर्माण: फार्म फील्ड स्कूल, प्रशिक्षण कार्यक्रम और GAP का प्रसार।
    • अनुसंधान और कल्याण: अनुसंधान एवं विकास, गुणवत्ता सुधार तथा चाय बागान श्रमिकों के लिए कल्याणकारी उपाय।
  • असम में कार्यान्वयन (वर्ष 2021–26)
    • भारतीय चाय बोर्ड ने ₹152.76 करोड़ आवंटित किए, जिनमें से ₹150.20 करोड़ का उपयोग किया गया।
    • प्रमुख गतिविधियों में 437.42 हेक्टेयर पुनः रोपण, 318 स्वयं सहायता समूहों, 143 FPO, 26 FPC का गठन, 31 मिनी कारखानों की स्थापना, 30.32 हेक्टेयर का जैविक रूपांतरण, 30 फार्म स्कूल और 1343 प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं।
  • परिणाम: भारतीय चाय (असम चाय सहित) का निर्यात वर्ष 2021–22 में 751.07 USD मिलियन से बढ़कर वर्ष 2024–25 में 923.89 USD मिलियन हो गया। चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 7.15% दर्ज हुई।

भारतीय चाय बोर्ड

  • भारतीय चाय बोर्ड एक वैधानिक निकाय है, जो भारतीय चाय उद्योग के विनियमन और प्रोमोशन का कार्य करता है तथा केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत है।
  • स्थापना: इसकी उत्पत्ति इंडियन टी सेस बिल, 1903 से हुई, जिसने प्रचार गतिविधियों हेतु चाय निर्यात पर सेस लगाने का प्रावधान किया।
  • वर्तमान चाय बोर्ड का गठन चाय अधिनियम, 1953 के तहत किया गया और 1 अप्रैल, 1954 से यह क्रियाशील हुआ।
  • मुख्यालय: कोलकाता, पश्चिम बंगाल।
    • इसके क्षेत्रीय कार्यालय प्रमुख चाय उत्पादक राज्यों में स्थित हैं।
  • चाय बोर्ड की भूमिका
    • चाय उत्पादन, गुणवत्ता नियंत्रण, निर्यात वृद्धि, अनुसंधान एवं विकास, चाय श्रमिकों के कल्याण और नीतिगत समर्थन की देख-रेख।
    • बाजार विस्तार, प्रमाणन तथा छोटे चाय उत्पादकों को सहायता प्रदान करना।

DRDO उच्च गति रॉकेट-स्लेड परीक्षण

DRDO ने स्वदेशी लड़ाकू विमान एस्केप सिस्टम का उच्च गति आधारित ‘रॉकेट-स्लेड परीक्षण’ सफलतापूर्वक किया है, जो भारत की विमानन सुरक्षा क्षमता में एक बड़ी प्रगति है।

रॉकेट–स्लेड परीक्षण के बारे में

  • रॉकेट-स्लेड परीक्षण एक गतिशील मूल्यांकन पद्धति है, जिसमें परीक्षण वस्तु को उच्च गति वाली उड़ान स्थितियों का अनुकरण करने हेतु निर्देशित रेल-पथ पर संचालित रॉकेट-चालित स्लेड पर स्थापित किया जाता है।।
  • उद्देश्य
    • आपात परिस्थितियों में कैनोपी, इजेक्शन अनुक्रम तथा एयरक्रू-रिकवरी सिस्टम का सत्यापन।
    • वास्तविक समय भार, त्वरण और सुरक्षा मापदंडों का आकलन करने में मदद करता है, जिन्हें स्थैतिक परीक्षणों द्वारा मापा नहीं जा सकता है।

आयोजित परीक्षण के बारे में

  • परिचय: इस परीक्षण ने नियंत्रित उच्च-वेग (800 किमी/घंटा) की परिस्थितियों में लड़ाकू विमानों के लिए स्वदेशी एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन को प्रदर्शित किया।
  • संचालन: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से:
    • वैमानिकी विकास एजेंसी (ADA)
    • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और
    • भारतीय वायु सेना (IAF) एवं एयरोस्पेस मेडिसिन संस्थान।
  • आयोजित: रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) सुविधा, टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला (TBRL), चंडीगढ़।
    • TBRL , DRDO की प्रयोगशाला है, जो उच्च विस्फोटक संयोजनों के विकास, उत्पादन, प्रसंस्करण तथा वारहेड, शेल एवं अन्य आयुधों के विस्फोट, प्राणघातकता व विखंडन अध्ययन में संलग्न है।
  • परीक्षण की मुख्य विशेषताएँ
    • LCA तेजस के अग्रभाग को ले जाने वाली दोहरी स्लेड प्रणाली, ठोस रॉकेट मोटर्स के चरणबद्ध दहन द्वारा संचालित।
    • महत्त्वपूर्ण पायलट-सुरक्षा मापदंडों को रिकॉर्ड करने के लिए उपकरणयुक्त मानवरूपी परीक्षण डमी का उपयोग।
    • संपूर्ण अनुक्रम ऑनबोर्ड और भू-आधारित इमेजिंग प्रणालियों के माध्यम से कैप्चर किया गया।
  • महत्त्व
    • भारत को उन चुनिंदा देशों (अमेरिका/रूस/फ्रांस) की श्रेणी में स्थापित करता है, जिनके पास स्वदेशी गतिशील एस्केप–सिस्टम परीक्षण क्षमता है।
    • सैन्य विमानन सुरक्षा में आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करता है तथा LCA तेजस और भविष्य के लड़ाकू विमान कार्यक्रमों को समर्थन प्रदान करता है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बारे में

  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक प्रख्यात विद्वान, विधिवेत्ता, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने और सबसे दीर्घकाल तक इस पद पर रहने वाले राष्ट्राध्यक्ष हैं।
  • जन्म एवं प्रारम्भिक जीवन: जन्म 3 दिसंबर 1884, जीरादेई (सीवान), बिहार।
  • शिक्षा: प्रारम्भ में फारसी, हिन्दी और गणित में प्रवीणता प्राप्त की, प्रेसिडेन्सी कॉलेज में अध्ययन किया तथा बाद में कोलकाता में विधि-शिक्षा ग्रहण की।
    • उन्होंने बिहार के लंगर सिंह कॉलेज के प्राचार्य के रूप में भी कार्य किया।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद के प्रमुख योगदान

  • स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
    • वर्ष 1917 के चंपारण सत्याग्रह में सक्रिय सहयोग तथा असहयोग आंदोलन का बिहार में नेतृत्व।
    • वर्ष 1921 में वकालत छोड़कर नेशनल कॉलेज, पटना की स्थापना की।
    • नमक सत्याग्रह (1931) (सविनय अवज्ञा आंदोलन) तथा भारत छोड़ो आंदोलन (वर्ष 1942) के दौरान कारावास।
    • स्वदेशी शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु बिहार विद्यापीठ की स्थापना की।
    • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में तीन बार निर्वाचित:
      • 1934 (बॉम्बे अधिवेशन)
      • 1939 (त्रिपुरी अधिवेशन)
      • 1947 (स्वतंत्रता उपरांत)
  • संविधान सभा में नेतृत्व
    • 11 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित।
  • प्रमुख समितियों का नेतृत्व
    • राष्ट्रीय ध्वज पर अनौपचारिक समिति
    • कार्य संचालन नियम समिति
    • वित्त एवं कर्मचारी समिति
    • संचालन समिति।
  • साहित्यिक योगदान: उन्होंने सत्याग्रह एट चंपारण, आत्मकथा, इंडिया डिवाइडेड, बापू के कदमों में, तथा सिन्स इंडिपेन्डेन्स जैसी महत्त्वपूर्ण कृतियाँ लिखीं।
  • विरासत
    • वे एकमात्र भारतीय राष्ट्रपति हैं, जो दो बार पुनर्निर्वाचित हुए (वर्ष 1952, वर्ष 1957), और लगभग 12 वर्ष तक पदासीन रहे।
    • राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन (अब अमृत उद्यान) को जनसाधारण के लिए खोलने की परंपरा प्रारंभ की।
    • भारतरत्न (वर्ष 1962) से सम्मानित एवं उसी वर्ष सक्रिय राजनीति से संन्यास ग्रहण किया।

गिनी-बिसाऊ

गिनी-बिसाऊ की सेना ने चुनाव परिणाम जारी होने से पहले ही राष्ट्रपति एम्बालो को पद से हटा दिया, तथा क्षेत्रीय कूटनीतिक दबाव के बीच जनरल होर्ता एन’टैम को संक्रमणकालीन नेतृत्त्वकर्त्ता  के रूप में स्थापित कर दिया।

  • सैन्य जुंटा ने बिसाऊ में कर्फ्यू लगा रखा है, चुनाव स्थगित कर दिए हैं, तथा संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने के लिए पश्चिमी अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय (ECOWAS) और अफ्रीकी संघ की माँगों का सामना कर रहा है।

गिनी-बिसाउ के बारे में

  • गिनी-बिसाउ पश्चिम अफ्रीका का एक छोटा देश है, जिसका क्षेत्रफल 36,125 वर्ग किमी. है। यह उत्तरी एवं पश्चिमी गोलार्द्ध में स्थित है और इसकी राजधानीबिसाउ’ है।
  • इसकी सीमा उत्तर में सेनेगल तथा पूर्व और दक्षिण में गिनी से लगती है, तथा अटलांटिक महासागर इसकी पश्चिमी सीमा बनाता है।
  • भूदृश्य: यह भू-भाग मुख्यतः मैंग्रोव दलदलों, दलदली भूमि और ज्वारीय मैदानों से ढका है, जो लगभग 100 किमी. तक अंदर की ओर विस्तृत है।
    • पूर्वी आंतरिक क्षेत्र में ‘फूटा जल्लोन’ पठार के निकट सवाना वनभूमि है।
  • मुख्य नदियाँ: गेबा, कोरोबाल और काच्यू नदी प्रणाली, जो इसके मुहाना (एस्चुएरी) पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देती हैं।
  • बीजागोस द्वीपसमूह:  तट के निकट स्थित यह द्वीपसमूह लगभग 18 प्रमुख द्वीपों का समूह है, जो ओरांगो द्वीप राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रसिद्ध है।

पहल (DBTL) योजना 

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने राज्यसभा को पहल (LPG का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) योजना के अंतर्गत प्रमुख सुधारों की जानकारी दी है।

पहल (LPG का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) योजना के बारे में

  • पहल (LPG का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) भारत की प्रमुख पहल है, जिसके माध्यम से पात्र उपभोक्ताओं के बैंक खातों में LPG सब्सिडी सीधे हस्तांतरित की जाती है।
  • उद्देश्य: इसका प्राथमिक उद्देश्य सब्सिडी लीकेज को कम करना, LPG कनेक्शनों की दोहराव को रोकना तथा यह सुनिश्चित करना है कि सब्सिडी सही लाभार्थियों को प्राप्त हो।
  • क्रियान्वयन प्राधिकरण
    • योजना केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा प्रारंभ की गई।
    • इसका क्रियान्वयन तेल विपणन कंपनियों द्वारा किया जाता है।
    • आधार-आधारित सत्यापन हेतु UIDAI तकनीकी सहयोग प्रदान करता है।
  • पात्रता मानदंड
    • सभी घरेलू LPG उपभोक्ता जो KYC पूर्ण करते हैं तथा अपने आधार अथवा बैंक खाते को LPG उपभोक्ता संख्या से लिंक करते हैं, पात्र हैं।
    • आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार, आवेदक तथा उसके जीवनसाथी की कुल कर योग्य आय पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में ₹10,00,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • सब्सिडी: सरकार PMUY लाभार्थियों को 14.2 किग्रा LPG सिलेंडर पर प्रति वर्ष 12 रिफिल तक ₹300 की लक्षित सब्सिडी प्रदान करती है।
    • प्रत्येक सिलेंडर खरीद के बाद सब्सिडी राशि सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है।

अयोग्य उपभोक्ताओं को हटाने हेतु उठाए गए उपाय

  • कॉमन LPG डाटाबेस प्लेटफॉर्म (CLDP): आधार, बैंक विवरण, राशन कार्ड डाटा एवं अन्य पहचान के माध्यम से प्रतिलिपि या धोखाधड़ी वाले कनेक्शनों को हटाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण: नए PMUY और पहल लाभार्थियों के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य।
    • नवंबर 2025 तक कुल PMUY लाभार्थियों में से 69% का प्रमाणीकरण किया जा चुका है।
  • निष्क्रिय या फर्जी कनेक्शनों का निष्कासन
    • योजना प्रारंभ होने से अब तक 8.63 लाख PMUY कनेक्शन अयोग्यता के आधार पर समाप्त किए गए।
    • जनवरी 2025 में जारी नए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के अनुसार निष्क्रिय कनेक्शनों को हटाना अनिवार्य है।
  • तृतीय-पक्ष मूल्यांकन: अनुसंधान एवं विकास पहल (RDI) द्वारा किए गए अध्ययन में 90% से अधिक उत्तरदाताओं ने सब्सिडी प्रतिपूर्ति तंत्र से संतोष व्यक्त किया।

राष्ट्रीय विधान सूचकांक

 

भारत राष्ट्रीय विधान सूचकांक (NLI) प्रस्तुत करने की योजना बना रहा है, जो राज्य विधानसभाओं एवं विधान परिषदों के प्रदर्शन, पारदर्शिता और नवाचार क्षमता का मूल्यांकन करने वाला देश का पहला राज्य-वार मानकीकरण तंत्र होगा।

राष्ट्रीय विधान सूचकांक (NLI) क्या है?

  • यह एक वार्षिक सूचकांक है, जो भारत में राज्य विधानमंडलों के कार्य-निष्पादन का तुलनात्मक एवं डाटा-आधारित मूल्यांकन तंत्र प्रदान करेगा।
  • इसका उद्देश्य विधानसभाओं को उत्पादक, पारदर्शी, अनुसंधान-संचालित और डिजिटल रूप से सक्षम बनाना है।
  • उद्देश्य
    • विधान गुणवत्ता एवं नवाचार का राष्ट्रीय स्तर पर तुलनात्मक मूल्यांकन करना।
    • सुधारों के लिए आवश्यक अंतराल एवं चुनौतियों की पहचान करना।
    • सहकर्मी शिक्षण को बढ़ावा देना तथा अंतर-राज्यीय विषमताओं को उजागर करना।
    • लोकसभा अध्यक्ष/विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को संस्थागत उत्कृष्टता का प्रमुख प्रेरक बनाना।
  • प्रमुख संकेतक
    • उत्पादकता संकेतक
      • बैठक के दिनों की संख्या तथा सत्रों की अवधि।
      • समितियों को भेजे गए विधेयकों का प्रतिशत।
      • विधेयक पारित करने में लगने वाला औसत समय।
      • प्रश्नकाल और सदन में बहस के लिए समर्पित कुल घंटे।
  • पारदर्शिता एवं संस्थागत सुदृढ़ता
    • डिजिटलीकरण का स्तर, अभिलेखों की वास्तविक समय में उपलब्धता।
    • ज्ञान-संरक्षण हेतु तकनीक का उपयोग।
    • विधायी कार्यों में ई-शासन उपकरणों का समावेशन।

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