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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal December 06, 2025 04:06 4 0

FIDE रेटिंग

भारत के तीन वर्ष सात माह  के सर्वज्ञ सिंह कुशवाहा आधिकारिक FIDE रेटिंग प्राप्त करने वाले अब तक के सबसे कम आयु के शतरंज खिलाड़ी बन गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) के बारे में

  • अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) प्रतिस्पर्द्धी शतरंज के लिए वैश्विक नियामक प्राधिकरण है और सभी अंतरराष्ट्रीय शतरंज नियमों, टूर्नामेंटों और मानकों का प्रबंधन करता है।
  • मुख्यालय: लॉजेन, स्विट्जरलैंड।
  • भूमिका: FIDE विश्व शतरंज रैंकिंग का प्रबंधन करता है, प्रमुख चैंपियनशिप आयोजित करता है, अंतरराष्ट्रीय खिताब प्रदान करता है, और ओवर-द-बोर्ड, ऑनलाइन और रैपिड शतरंज प्रारूपों को नियंत्रित करने वाले नियम तैयार करता है।

FIDE रेटिंग प्रणाली

  • FIDE रेटिंग किसी खिलाड़ी की प्रतिस्पर्द्धी क्षमता की एक संख्यात्मक माप है, जिसे FIDE-रेटेड टूर्नामेंटों में प्रदर्शन के आधार पर मासिक रूप से अपडेट किया जाता है।
  • रेटिंग प्राप्त करने की प्रक्रिया: खिलाड़ियों को प्रारंभिक रेटिंग पाने के लिए महासंघ द्वारा अनुमोदित FIDE-रेटेड आयोजनों में भाग लेना आवश्यक है और उन्हें कम-से-कम पाँच मैच पूर्व से FIDE-रेटेड विरोधियों के खिलाफ खेलना होंगे।
  • आधार रेटिंग 1400 से शुरू होती है, लेकिन इसे कम या अधिक भी रेट किया जा सकता है।
  • रेटिंग स्तर
    • FIDE मास्टर (FM): आमतौर पर 2300 की रेटिंग प्राप्त करने पर प्रदान किया जाता है, हालाँकि कुछ स्पर्द्धाओं में विशिष्ट श्रेणियों में कम सीमा का उपयोग किया जा सकता है।
    • ग्रैंडमास्टर (GM): इसके लिए खिलाड़ियों को 2500 की रेटिंग प्राप्त करनी होगी और अंतरराष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंटों में खेलकर तीन ग्रैंडमास्टर मानदंड हासिल करने होंगे।

अभ्यास गरुड़ शक्ति

हाल ही में हिमाचल प्रदेश के बकलोह स्थित विशेष बल प्रशिक्षण स्कूल में गरुड़ शक्ति अभ्यास का 10वाँ संस्करण आयोजित किया गया।

अभ्यास गरुड़ शक्ति के बारे में

  • अभ्यास गरुड़ शक्ति भारत और इंडोनेशिया के बीच एक द्विपक्षीय विशेष बल अभ्यास है, जिसका उद्देश्य अंतर-संचालन, समन्वय और पेशेवर सैन्य सहयोग को बढ़ाना है।
  • पहला संस्करण: अभ्यास गरुड़ शक्ति का उद्घाटन संस्करण वर्ष 2012 में भारत में आयोजित किया गया था, जिसने दोनों देशों के बीच संरचित विशेष बल सहयोग की शुरुआत को चिह्नित किया।
  • वर्ष 2025 के प्रतिभागी: पैराशूट रेजिमेंट (SF) के भारतीय विशेष बल और इंडोनेशियाई विशेष बलों के सैन्यकर्मी।
  • फोकस क्षेत्र: प्रशिक्षण में आतंकवाद-रोधी रणनीति, स्नाइपिंग, हेलीबोर्न ऑपरेशन, लड़ाकू शूटिंग, और ड्रोन, काउंटर-मानव रहित विमान प्रणाली (UAS) और पहाड़ी इलाकों में लोइटर-म्यूनिशन हमलों की योजना बनाना शामिल है।

महत्त्व

  • दोनों देशों के विशेष बलों के बीच सामरिक अंतर-संचालन और आपसी विश्वास को मजबूत करता है।
  • उच्च-तीव्रता वाले आतंकवाद-रोधी और विशेष अभियानों के लिए संयुक्त तैयारी को बढ़ाता है।
  • सामरिक रक्षा सहयोग को गहरा करता है और भारत-इंडोनेशिया द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करता है।

खाड़ी सहयोग परिषद: साखिर घोषणा

बहरीन के मनामा में आयोजित 46वें खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) शिखर सम्मेलन में साखिर घोषणा जारी की गई।

GCC शिखर सम्मेलन के बारे में

  • GCC शिखर सम्मेलन, सहयोग की समीक्षा और संयुक्त नीतियों को परिभाषित करने के लिए GCC के सदस्य राष्ट्रों के प्रमुखों की एक वार्षिक बैठक है।
  • बहरीन में 2025 शिखर सम्मेलन: मनामा के साखिर पैलेस में आयोजित खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के 46वें शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय तनाव की बढ़ती परिस्थितियों के बीच नेता उपस्थित हुए।
  • साखिर घोषणा: यह 2025 के खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के  शिखर सम्मेलन के समापन पर अपनाया गया संयुक्त वक्तव्य है।

साखिर घोषणा के मुख्य उद्देश्य

  • आर्थिक एकीकरण: यह घोषणा GCC कॉमन मार्केट को सुदृढ़ करने, सीमा शुल्क संघ को पूर्णता प्रदान करने और संयुक्त जल एवं ऊर्जा संपर्क परियोजनाओं के विस्तार के माध्यम से क्षेत्रीय आर्थिक अभिसरण को मजबूत बनाता है।
  • डिजिटल परिवर्तन और स्थिरता: यह डिजिटल अवसंरचना विस्तार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और साइबर सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा देता है, और जलवायु कार्रवाई, स्वच्छ ऊर्जा विकास और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
  • सुरक्षा और रक्षा सहयोग: यह घोषणा-पत्र आतंकवाद-रोधी प्रयासों को तीव्र करके, संयुक्त नौसैनिक अभियानों को बढ़ाकर और परमाणु-हथियार-मुक्त मध्य पूर्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करके सामूहिक सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता और शासन: यह फिलिस्तीन, सीरिया और लेबनान का समर्थन करके, वैश्विक साझेदारियों को गहरा करके और युवा सशक्तीकरण तथा खाड़ी पहचान के संरक्षण को प्राथमिकता देकर क्षेत्रीय राजनयिक जुड़ाव को मजबूत करता है।

खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के बारे में

  • खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) एक क्षेत्रीय राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1981 में खाड़ी देशों के बीच सहयोग तथा सामूहिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
  • सदस्य देश (6): बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE)।
  • मुख्यालय: रियाद, सऊदी अरब।
  • उद्देश्य: GCC आर्थिक एकीकरण को मजबूत करने, रक्षा और सुरक्षा नीतियों में समन्वय स्थापित करने, सांस्कृतिक तथा सामाजिक सहयोग को बढ़ाने एवं क्षेत्रीय चुनौतियों का सामूहिक रूप से सामना करने के लिए कार्य करता है।

RELOS समझौता

रूस ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की वर्ष 2025 की भारत यात्रा से पहले भारत के साथ रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (RELOS) समझौते की औपचारिक पुष्टि कर दी है।

RELOS समझौते के बारे में

रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (RELOS) समझौता एक द्विपक्षीय सैन्य लॉजिस्टिक्स समझौता है, जो भारत और रूस को ईंधन भरने, मरम्मत, आपूर्ति, बर्थिंग और रखरखाव के लिए एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करने में सक्षम बनाता है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • पारस्परिक आधार पहुँच: यह समझौता मिशनों और तैनाती के दौरान सैन्य सहायता के लिए सैन्य ठिकानों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों तक पारस्परिक पहुँच प्रदान करता है।
  • परिचालन सहायता: यह दोनों देशों के विमानों, युद्धपोतों और सैन्य इकाइयों के लिए ईंधन भरने, पुनः पूर्ति, रखरखाव और मरम्मत को सक्षम बनाता है।
  • उन्नत अंतर-संचालनीयता: RELOS, इंद्रा (INDRA) जैसे त्रि-सेवा अभ्यासों सहित संयुक्त सैन्य अभ्यासों के दौरान बेहतर समन्वय की सुविधा प्रदान करता है।
  • HADR सहयोग: यह क्षेत्रीय संकटों में त्वरित तथा समन्वित मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) अभियानों का समर्थन करता है।

भारत-रूस RELOS का महत्त्व

  • सामरिक पहुँच का विस्तार: भारत को 40 से अधिक रूसी नौसैनिक और वायुसैनिक अड्डों तक पहुँच प्राप्त हुई है, जिनमें व्लादिवोस्तोक और मरमन्स्क जैसे प्रमुख आर्कटिक और प्रशांत क्षेत्र के अड्डे शामिल हैं, जिससे भारत की परिचालन क्षमता हिंद महासागर से आगे तक विस्तृत हो गई है।
  • नौसैनिक और वायुसैनिक अभियानों को बढ़ावा: यह समझौता भारत की लंबी दूरी की समुद्री गश्त, आर्कटिक मिशन और उन महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों की निगरानी करने की क्षमता को मजबूत करता है, जो भारत के अधिकांश व्यापार प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।
  • रक्षा आपूर्ति शृंखला को मजबूत करता है: RELOS, Su-30MKI, T-90 टैंक, मिग और सुखोई विमान, और S-400 प्रणालियों जैसे संयुक्त प्लेटफॉर्मों के लिए लाजिस्टिक में सुधार करता है, जिससे विलंब कम होता है और मिशन की तैयारी में सुधार होता है।
  • सामरिक साझेदारी को बढ़ावा: यह समझौता भारत–रूस के मध्य दीर्घकालिक रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करता है, ब्रह्मोस और पनडुब्बी कार्यक्रम जैसी प्रमुख संयुक्त परियोजनाओं को पूर्णता प्रदान करता है और द्विपक्षीय विश्वास और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाता है।

क्षुद्रग्रह बेन्नू 

नासा के 2023 OSIRIS-REx मिशन द्वारा संगृहीत नमूनों का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों ने क्षुद्रग्रह बेन्नू में ग्लूकोज और राइबोज का पता लगाया है, जिससे यह पुष्ट होता है कि प्रारंभिक सौर मंडल में जीवन-निर्माण करने वाले अणु मौजूद थे।

  • OSIRIS-REx (वर्ष 2016-2023) मिशन ने प्रारंभिक सौर-प्रणाली रसायन विज्ञान और कार्बनिक अणुओं का अध्ययन करने के लिए बेन्नू के नमूने एकत्र किए तथा उन्हें पृथ्वी पर वापस लाया।

क्षुद्रग्रह बेन्नू के नमूनों से प्रमुख निष्कर्ष

  • जीवन-संबंधी शर्कराओं का पता लगाना: शोधकर्ताओं ने बेन्नू  पाउडर के नमूनों में ग्लूकोज (पृथ्वी पर जीवन के लिए प्राथमिक ऊर्जा स्रोत) और राइबोज (RNA का प्रमुख घटक) की पहचान की।
  • कार्बनिक अणुओं की उपस्थिति: अमीनो अम्ल, न्यूक्लियोबेस और कार्बोक्जिलिक अम्ल भी पाए गए, जो दर्शाता है कि पृथ्वी पर जीवन के उद्भव से पहले ही जीवन के निर्माण खंड अंतरिक्ष में व्यापक रूप से मौजूद थे।
  • DNA शर्करा का पता नहीं चला: वैज्ञानिकों को DNA में प्रयुक्त शर्करा, डीऑक्सीराइबोज, नहीं मिली, जिससे पुष्टि होती है कि ये अणु बेन्नू पर जीवन का नहीं, बल्कि प्रारंभिक रासायनिक जटिलता का संकेत देते हैं।

क्षुद्रग्रह बेन्नू के बारे में

  • बेन्नू एक B-प्रकार का पृथ्वी-निकट क्षुद्रग्रह है, जो पृथ्वी के 30% की तुलना में उच्च कार्बन सामग्री और लगभग 4% कम परावर्तकता के लिए जाना जाता है।
    • B-प्रकार के क्षुद्रग्रह असामान्य, कार्बन-समृद्ध क्षुद्रग्रह हैं, जो अधिकांशतः बाहरी क्षुद्रग्रह बेल्ट में पाए जाते हैं और प्रारंभिक सौरमंडल के प्राचीन पदार्थों से युक्त होते हैं।
    • इन्हें अक्सर कार्बनयुक्त चोंड्राइट उल्कापिंडों से जोड़ा जाता है।
  • प्रभाव संभावना: वर्ष 2175-2199 के बीच पृथ्वी से टकराने की संभावना है, जिससे बेन्नू सबसे अधिक निगरानी वाले क्षुद्रग्रहों में से एक बन गया है।
  • यह निष्कर्ष इस साक्ष्य को मजबूत करते हैं कि जीवन के आवश्यक अणु अंतरिक्ष में बने तथा पृथ्वी के प्रीबायोटिक रसायन विज्ञान तथा सौर मंडल के विकास के बारे में साक्ष्य प्रदान करते हैं।

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