भारत की पुरुष एवं महिला टीमों ने बुडापेस्ट में 45वें शतरंज ओलंपियाड में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है।
सोवियत काल के बाद यह दूसरी बार था, जब किसी देश ने दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीता। गौरतलब है कि चीन ने भी वर्ष 2018 में यह उपलब्धि हासिल की थी।
शतरंज ओलंपियाड के बारे में
इसका आयोजन ‘FIDE इंटरनेशनल शतरंज फेडरेशन’ (FIDE International Chess Federation) द्वारा किया जाता है।
45वाँ शतरंज ओलंपियाड हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित किया गया।
शीर्ष ओपन टीम ने हैमिल्टन-रसेल कप जीता।
शीर्ष महिला टीम विजेता: वेरा मेन्चिक कप (Vera Menchik Cup)।
ओपन एवं महिला वर्ग में सर्वश्रेष्ठ संयुक्त वर्गीकरण: नोना गैप्रिंडाश्विली ट्रॉफी (Nona Gaprindashvili Trophy)।
भारत का पहला व्यापक कैंसर मल्टी-ओमिक्स डेटा पोर्टल
हाल ही में इंडियन कैंसर जीनोम एटलस (ICGA) फाउंडेशन ने घोषणा की है कि उसने भारत का पहला व्यापक कैंसर मल्टी-ओमिक्स डेटा पोर्टल लॉन्च किया है।
ICGA कैंसर मल्टी-ओमिक्स डेटा पोर्टल के बारे में
इंडियन कैंसर जीनोम एटलस (ICGA) फाउंडेशन ने भारत का पहला कैंसर मल्टी-ओमिक्स डेटा पोर्टल लॉन्च किया है।
यह प्लेटफॉर्म विशेष रूप से भारतीय कैंसर रोगियों के डेटा तक खुली पहुँच प्रदान करता है, जिससे यह देश में कैंसर अनुसंधान के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपकरण बन जाता है।
यह पोर्टल भारतीय आबादी के लिए अनुसंधान को आगे बढ़ाने एवं कैंसर के उपचार में सुधार लाने के उद्देश्य से चिकित्सकीय रूप से सहसंबद्ध डेटा प्रदान करता है।
यह भारत में अपनी तरह का पहला पोर्टल है, जो स्तन कैंसर के रोगियों के नैदानिक परिणामों के साथ-साथ उनके एकीकृत DNA, RNA एवं प्रोटीन प्रोफाइल प्रदान करता है।
डेटा भारत के PRIDE दिशा-निर्देशों के तहत विश्व स्तर पर शोधकर्ताओं के लिए सुलभ है, जो कैंसर अनुसंधान में नैतिक डेटा साझाकरण एवं सहयोग को बढ़ावा देता है।
भारतीय कैंसर जीनोम एटलस (Indian Cancer Genome Atlas- ICGA)
इंडियन कैंसर जीनोम एटलस (ICGA) एक राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में विभिन्न प्रकार के कैंसर का मानचित्रण करना है।
यह ICGA फाउंडेशन द्वारा संचालित है, जो एक धारा 8 गैर-लाभकारी संगठन है, जो सार्वजनिक-निजी-परोपकारी साझेदारी के माध्यम से कार्य करता है।
इस पहल को 50 से अधिक चिकित्सकों, शोधकर्ताओं एवं डेटा विश्लेषकों की एक विविध टीम द्वारा समर्थित किया गया है।
ICGA का मुख्य लक्ष्य: भारतीय रोगियों के लिए कैंसर निदान एवं उपचार में सुधार करना, साथ ही कैंसर जीव विज्ञान की वैश्विक समझ में योगदान देना।
फाउंडेशन का पहला प्रोजेक्ट: स्तन कैंसर की मल्टी-ओमिक्स प्रोफाइलिंग पर ध्यान केंद्रित करता है, भविष्य में इस दृष्टिकोण को अन्य कैंसर तक विस्तारित करने की योजना है।
सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों का एशियाई संगठन (ASOSAI)
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 24 सितंबर, 2024 को नई दिल्ली में ASOSAI की 16वीं सभा का उद्घाटन किया।
एशियाई सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों का संगठन (Asian Organization Of Supreme Audit Institutions- ASOSAI) के बारे में
ASOSAI इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ सुप्रीम ऑडिट इंस्टिट्यूशंस (INTOSAI) के क्षेत्रीय समूहों में से एक है।
यह एशिया में सहयोग को बढ़ावा देने एवं सार्वजनिक लेखापरीक्षा मानकों में सुधार पर केंद्रित है।
स्थापित: वर्ष 1979 में 11 सदस्य SAI के साथ स्थापित; तब से सदस्यता बढ़कर 48 SAI हो गई है।
प्रस्ताव: सबसे पहले 9वीं INTOSAI कांग्रेस (अक्टूबर 1977, लीमा, पेरू) के दौरान फिलीपींस के SAI के अध्यक्ष टैंटुइको द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
चार्टर पर हस्ताक्षर: सितंबर 1978में, 9 एशियाई SAI ने बर्लिन, पश्चिम जर्मनी में ASOSAI चार्टर पर हस्ताक्षर किए।
सभा: सभा में संगठन के सभी सदस्य शामिल होते हैं एवं इसकी बैठक तीन वर्ष में एक बार होती है।
पहली सभा: मई 1979 में नई दिल्ली, भारत में आयोजित की गई, जहाँ नियमों एवं विनियमों को मंजूरी दी गई।
सचिवालय: ASOSAI के सचिवालय का नेतृत्व महासचिव करता है, जिसे विधानसभा द्वारा चुना जाता है।
ASOSAI सचिवालय तीन वर्ष की अवधि के लिए कार्य करता है जिसे दो बार (9 वर्ष तक) नवीनीकृत किया जा सकता है।
वर्तमान में, चीन के राष्ट्रीय लेखा परीक्षा कार्यालय के महालेखा परीक्षक ASOSAI के महासचिव हैं।
भारत की सदस्यता: भारत ASOSAI का सदस्य है।
भारत ASOSAI का एक चार्टर सदस्य है एवं भारत के CAG को वर्ष 2024-2027 की अवधि के लिए ASOSAI के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है।
वैनकॉमायसिन
(Vancomycin)
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance) 21वीं सदी के सबसे बड़े संकटों में से एक है और स्टैफाइलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus Aureus) एक महत्त्वपूर्ण जीवाणु प्रजाति है, जो इस चुनौती का नेतृत्व कर रही है।
मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Methicillin Resistant Staphylococcus Aureus) शायद ही कभी वैनकोमाइसिन (Vancomycin) का प्रतिरोध करता है; भारत में अब तक ऐसे केवल 16 मामले सामने आए हैं।
मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (MRSA) के बारे में
स्टैफिलोकोकस ऑरियस AMR में योगदान देने वाली एक महत्त्वपूर्ण जीवाणु प्रजाति है।
मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (MRSA) एक स्ट्रेन है, जिसने कई एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लिया है।
वर्ष 2019 में, MRSA वैश्विक स्तर पर 1,00,000 से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार था।
वैनकॉमायसिन (Vancomycin) के बारे में
वैनकोमाइसिन एक एंटीबायोटिक है, जिसका उपयोग मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (MRSA) सहित ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया (Gram-positive Bacteria) के कारण होने वाले गंभीर जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है।
40 वर्षों से MRSA के उपचार के लिए वैनकोमाइसिन का उपयोग किया जाता रहा है।
MRSA शायद ही कभी वैनकोमाइसिन के प्रति प्रतिरोध विकसित करता है, लेकिन जब ऐसा होता है, तो यह वैनकोमाइसिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Vancomycin-Resistant Staphylococcus Aureus- VRSA) बन जाता है।
VRSA अभी भी अपेक्षाकृत दुर्लभ है, भारत में अब तक केवल 16 मामले दर्ज किए गए हैं।
VRSA सह-संक्रमण के दौरान अन्य वैनकोमाइसिन-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से vanA ऑपेरॉन (vanA Operon) नामक जीन क्लस्टर के स्थानांतरण के माध्यम से वैनकोमाइसिन के प्रति प्रतिरोध प्राप्त करता है।
वैनकोमाइसिन प्रतिरोध के अधिग्रहण से आमतौर पर बैक्टीरिया का विकास धीमा हो जाता है एवं फिटनेस कम हो जाती है, यही कारण है कि VRSA दुर्लभ रहता है।
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