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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal December 22, 2025 02:31 18 0

बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो (BoPS) 

केंद्र सरकार ने भारत की समुद्री सुरक्षा संरचना को सुदृढ़ करने हेतु एक वैधानिक बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो की स्थापना को स्वीकृति प्रदान की है।

बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो (BoPS) के बारे में

  • बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो एक नवगठित वैधानिक निकाय है, जिसे नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के मॉडल पर भारत में बंदरगाह सुरक्षा के विनियमन और समन्वय के लिए स्थापित किया गया है।
  • नोडल मंत्रालय: बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करेगा।
  • उद्देश्य: अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए एक सुदृढ़, जोखिम-आधारित एवं भविष्योन्मुख बंदरगाह सुरक्षा ढाँचा विकसित करना।
  • बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो की संरचना
    • बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो की स्थापना व्यापारिक पोत परिवहन अधिनियम, 2025 की धारा 13 के अंतर्गत की गई है, जिससे इसे वैधानिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
    • इसका नेतृत्व भारतीय पुलिस सेवा के स्तर का एक महानिदेशक करेगा, जिससे प्रभावी नियामक प्रवर्तन सुनिश्चित हो सके।
    • एक वर्ष की प्रारंभिक संक्रमण अवधि के दौरान, पोत परिवहन महानिदेशक को बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा जाएगा।

बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो की भूमिका

  • नियामक कार्य: अनिवार्य सुरक्षा आकलन, सुरक्षा संबंधी लेखा-परीक्षा तथा बंदरगाह सुरक्षा योजनाओं की स्वीकृति।
  • सुरक्षा सूचना का संरक्षक: सुरक्षा से संबंधित सूचनाओं का संग्रह, विश्लेषण एवं आदान-प्रदान, विशेष रूप से साइबर सुरक्षा तथा बंदरगाह की सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना संबंधी सुरक्षा पर ध्यान।
  • सुरक्षा प्रशिक्षण: निजी सुरक्षा एजेंसियों के प्रशिक्षण, प्रमाणन एवं विनियमन की निगरानी।
    • केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को बंदरगाह सुविधाओं के लिए एक मान्यता प्राप्त सुरक्षा संगठन के रूप में नामित किया गया है।

महत्त्व

बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो की स्थापना से बंदरगाह सुरक्षा संबंधी शासन को संस्थागत स्वरूप मिलता है, महत्त्वपूर्ण समुद्री अवसंरचना की सुरक्षा सुदृढ़ होती है तथा भारत की समग्र समुद्री एवं व्यापारिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती प्राप्त होती है।

WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय

भारतीय प्रधानमंत्री तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने पारंपरिक चिकित्सा पर द्वितीय वैश्विक शिखर सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय के नवीन परिसर का उद्घाटन किया।

  • इस अवसर पर योग में प्रशिक्षण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की तकनीकी रिपोर्ट तथा पुस्तक “फ्रॉम रूट्स टू ग्लोबल रीच: 11 इयर्स ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन इन आयुष” का भी विमोचन किया गया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय के बारे में

  • नई दिल्ली स्थित यह कार्यालय दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों के समन्वय हेतु क्षेत्रीय मुख्यालय के रूप में कार्य करता है।
  • उद्देश्य: क्षेत्रीय स्वास्थ्य सहयोग को सुदृढ़ करना तथा न्यायसंगत, साक्ष्य-आधारित और सतत् स्वास्थ्य प्रणालियों को समर्थन प्रदान करना।

महत्त्व

  • नया परिसर विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘भारतीय कार्यालय’ को भी समाहित करता है, जिससे भारत और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच संस्थागत साझेदारी और गहन होती है।
  • यह सुविधा भारत की भूमिका को क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्वास्थ्य कूटनीति, नीति समन्वय तथा क्षमता निर्माण के एक प्रमुख केंद्र के रूप में सुदृढ़ करती है।

समुदाय आधारित आपदा जोखिम न्यूनीकरण

केंद्र सरकार ने आदर्श ग्राम पंचायतों के माध्यम से समुदाय-आधारित आपदा जोखिम न्यूनीकरण को सुदृढ़ करने हेतु एक राष्ट्रीय परियोजना को स्वीकृति प्रदान की है।

समुदाय-आधारित आपदा जोखिम न्यूनीकरण को सुदृढ़ करने हेतु राष्ट्रीय परियोजना के बारे में

  • यह राष्ट्रीय परियोजना पंचायती राज संस्थाओं में जमीनी स्तर पर आपदा-सहनशीलता को अंतर्निहित करने का लक्ष्य रखती है।
  • उद्देश्य: आपदा जोखिम न्यूनीकरण को स्थानीय शासन में एकीकृत करने के लिए एक जमीनी स्तर से प्रारंभ, समुदाय-संचालित दृष्टिकोण अपनाना।
  • नोडल निकाय: केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
  • बजट प्रावधान: ₹507.37 करोड़।

मुख्य घटक

  • 20 राज्यों में क्लस्टर-आधारित आदर्श ग्राम पंचायतों का विकास, ताकि दीर्घकालिक एवं जोखिम-विशिष्ट आपदा शमन रणनीतियों का प्रदर्शन किया जा सके।
  • पंचायत योजना में आपदा जोखिम न्यूनीकरण का संस्थागत सुदृढ़ीकरण एवं नीतिगत एकीकरण, जिसमें ग्राम पंचायत विकास योजनाएँ भी शामिल हैं।
  • राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, निर्वाचित प्रतिनिधियों, पंचायत कर्मियों तथा सामुदायिक स्वयंसेवकों हेतु क्षमता निर्माण एवं जन-जागरूकता।
  • आपदा योजना, व्यय निगरानी तथा वास्तविक समय सूचना प्रसार के लिए डिजिटल मंचों का उपयोग।

महत्त्व

  • यह परियोजना बहु-जोखिम आपदा खतरों का समाधान करते हुए आपदा-सहनशील ग्राम पंचायतों के प्रतिरूपणीय एवं विस्तार योग्य मॉडल विकसित करती है।
  • यह आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु सेंडाई फ्रेमवर्क (2015–2030) के अनुरूप है, जिसमें रोकथाम, तैयारी और स्थानीय स्तर की सहनशीलता को प्राथमिकता दी गई है।
  • यह स्थानीय शासन और सामुदायिक स्वामित्व को सुदृढ़ कर ग्रामीण आजीविका तथा अवसंरचना को आपदाओं से सुरक्षित करता है।

भारत टैक्सी

केंद्र सरकार ने 1 जनवरी से दिल्ली में संचालन प्रारंभ करते हुए ‘भारत टैक्सी’ को लॉन्च किया, जो भारत की पहली सहकारी तथा चालक-स्वामित्व वाली ‘राइड-हेलिंग’ सेवा है।

भारत टैक्सी के बारे में

  • ‘भारत टैक्सी’ एक सहकारी मोबिलिटी प्लेटफॉर्म है, जो ऐप-आधारित कैब एग्रीगेटर्स के विकल्प के रूप में डिजाइन किया गया है और इसमें चालक और यात्रियों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • उद्देश्य: किफायती, पारदर्शी और निष्पक्ष राइड-हेलिंग सेवाएँ प्रदान करना, साथ ही चालकों की आय और कार्य परिस्थितियों में सुधार करना।
  • नोडल निकाय: यह सेवा सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा प्रबंधित की जाती है, जो केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के व्यापक दृष्टिकोण के अंतर्गत कार्य करती है।
  • कार्य प्रणाली: भारत टैक्सी शून्य कमीशन, चालक-स्वामित्व सहकारी मॉडल पर संचालित होती है, जिसमें चालक सामूहिक रूप से प्लेटफॉर्म के मालिक, प्रशासनकर्ता और लाभार्थी होते हैं।
  • चालक-केंद्रित प्रावधान
    • चालक सीधे किराए का अधिकतम 80 प्रतिशत प्राप्त करते हैं, जिससे आय की स्थिरता बढ़ती है।
    • भुगतान मासिक क्रेडिट सिस्टम के माध्यम से किया जाता है, जो पारदर्शिता और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

मुख्य विशेषताएँ

  • पारदर्शी और पूर्वानुमेय किराए, जो मूल्य वृद्धि और अत्यधिक शुल्क से बचाव करते हैं।
  • मल्टी-मॉडल विकल्प, जिसमें कार, ऑटो-रिक्शा और दोपहिया वाहन शामिल हैं, सभी को एक ही मोबाइल ऐप से बुक किया जा सकता है।
  • डिजिटल पहुँच, बहुभाषी ऐप एंड्रॉइड और iOS पर उपलब्ध, जिससे बुकिंग और वाहन ट्रैकिंग आसानी से हो सके।
  • सुरक्षा-केंद्रित डिजाइन, जिसमें सत्यापित चालक ऑनबोर्डिंग, दिल्ली पुलिस के साथ समन्वय और राइड-शेयरिंग विकल्प शामिल हैं।

महत्त्व

भारत टैक्सी सहकारी उद्यमशीलता को मजबूत करती है, निष्पक्ष परिवहन सेवाओं को सुनिश्चित करती है और समावेशी, जन-केंद्रित शहरी परिवहन समाधानों को बढ़ावा देती है।

भारत में पार्किंसंस रोग के लिए पहली डीप ब्रेन स्टिमुलेशन कार्यशाला

हाल ही में नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) ने भारत में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) पर पहली उन्नत कार्यशाला आयोजित की।

  • इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य पार्किंसंस रोग और अन्य गति संबंधी विकारों के प्रबंधन के लिए आधुनिक उपकरण-सहायता युक्त चिकित्सा तकनीकों के राष्ट्रीय स्तर पर क्षमता निर्माण पर केंद्रित था।

डीप-ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) के बारे में

  • परिभाषा: यह एक न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें इलेक्ट्रोड्स को मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्रों में प्रत्यारोपित किया जाता है, ताकि लक्षित विद्युत संकेत पहुँचाए जा सकें।
  • कार्यप्रणाली: इलेक्ट्रोड्स को पेसमेकर जैसे डिवाइस (इंप्लांटेबल पल्स जनरेटर) से जोड़ा जाता है, जिसे त्वचा के नीचे लगाया जा सके।
    • यह असामान्य न्यूरल सर्किट्स को मॉड्यूलेट करता है और न्यूरोकेमिकल असंतुलन को सुधारता है, जो मानसिक लक्षणों का कारण बनता है।

  • उपयोग: मुख्य रूप से पार्किंसंस, एसेंशियल ट्रेमर और डिस्टोनिया के लिए।
    • यह ऑब्सेसिव-कंपलसिव डिसऑर्डर (OCD) के लिए भी FDA द्वारा अनुमोदित है।
  • वर्ष 2025 की उपलब्धि: फरवरी 2025 में, FDA ने एडेप्टिव DBS (aDBS) को मंजूरी दी।
    • पारंपरिक प्रणालियों के विपरीत, यह क्लोज्ड-लूप सिस्टम रोगी के मस्तिष्क संकेतों के आधार पर वास्तविक समय में उत्तेजना को समायोजित करता है। (उदाहरण के लिए, मेडट्रॉनिक की ब्रेनसेंस तकनीक)
  • मुख्य लाभ: वायरलेस प्रोग्रामिंग के माध्यम से प्रतिवर्ती, अविनाशकारी और अत्यधिक लचीला।
  • सीमाएँ: यह अभी भी एक आक्रामक शल्यचिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें शल्य जोखिम और उच्च लागत शामिल है। यह लक्षण प्रबंधन का उपकरण है, उपचार नहीं।

पार्किंसंस रोग के बारे में

  • जेम्स पार्किंसंस ने वर्ष 1817 में इसे “शेकिंग पाल्सी” के रूप में वर्णित किया। यह एक दीर्घकालिक, प्रगतिशील न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है, जो मुख्यतः संचलन को प्रभावित करता है।
  • पैथोलॉजी: मस्तिष्क के ‘सबसटैंशिया नाइग्रा’ क्षेत्र में डोपामिन-उत्पादक न्यूरॉन्स का क्षय।
    • डोपामाइन मांसपेशियों की सहज और समन्वित गति के लिए आवश्यक न्यूरोट्रांसमीटर है।
  • कारण: आनुवंशिक उत्परिवर्तन, आयु में वृद्धि और पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थ (जैसे-कीटनाशक, भारी धातुएँ)।
  • जनसांख्यिकी: पुरुष, महिलाओं की तुलना में अधिक प्रभावित।
  • लक्षण प्रबंधन:
    • प्रारंभ में दवाओं (Levodopa) के माध्यम से उपचार किया जाता है, लेकिन जब ‘मोटर फ्लक्चुएशन्स’ या सीमित चिकित्सीय विकल्प होते हैं, तब DBS महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

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