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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal December 25, 2025 05:21 19 0

ICAO परिषद

भारत को अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन परिषद में उच्चतम मत समर्थन के साथ पुनः निर्वाचित किया गया है।

अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के बारे में

  • अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी है, जो वैश्विक नागरिक उड्डयन के समन्वय के लिए उत्तरदायी है।
  • स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1944 में अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन अभिसमय (शिकागो अभिसमय) के अंतर्गत की गई।
  • मुख्यालय: मॉन्ट्रियल, कनाडा।
  • उद्देश्य: विश्व स्तर पर नागरिक उड्डयन के सुरक्षित, संरक्षित, सुव्यवस्थित एवं सतत् विकास को सुनिश्चित करना।
  • सदस्यता: इसमें 193 सदस्य देश शामिल हैं, जो सभी शिकागो अभिसमय के हस्ताक्षरकर्ता हैं।
    • भारत इस अभिसमय का संस्थापक हस्ताक्षरकर्ता है।
  • मुख्य कार्य: मानक एवं अनुशंसित व्यवहार विकसित करना, विमानन सुरक्षा, संरक्षा, दक्षता, पर्यावरण संरक्षण तथा क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करना।
  • ‘नो कंट्री लेफ्ट बिहाइंड’ (NCLB) पहल: यह पहल विकासशील देशों की विमानन क्षमता सुदृढ़ करने एवं वैश्विक मानकों के सामंजस्य हेतु है, जिसमें भारत एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभरा है।

अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन की संरचना

  • महासभा: 193 सदस्य देशों से युक्त सर्वोच्च निकाय, जो प्रत्येक तीन वर्ष में बैठक कर नीति निर्धारण, बजट स्वीकृति तथा संगठन के कार्यों की समीक्षा करता है।
  • परिषद: महासभा द्वारा निर्वाचित 36 सदस्यीय शासी निकाय, जो निर्णयों के कार्यान्वयन, वित्तीय प्रबंधन तथा मानक एवं अनुशंसित व्यवहारों को अपनाने हेतु उत्तरदायी है।
  • महासचिव: सचिवालय का प्रमुख कार्यकारी, जो दैनिक प्रशासनिक कार्यों की निगरानी करता है।
  • सचिवालय: पाँच ब्यूरो (वायु नौवहन, वायु परिवहन, तकनीकी सहयोग, विधिक कार्य एवं बाह्य संबंध, तथा प्रशासन एवं सेवाएँ) के माध्यम से नियमित कार्यों का संचालन करता है।
  • सहायक निकाय: वायु नौवहन आयोग, विशेषज्ञ पैनल एवं सात क्षेत्रीय कार्यालय, जो वैश्विक कार्यान्वयन में सहायक हैं।

अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन परिषद के बारे में

  • अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन परिषद महासभा सत्रों के मध्य संगठन का स्थायी शासी निकाय है।
  • सदस्य चयन: प्रत्येक तीन वर्ष में आयोजित महासभा 36 सदस्य देशों को तीन वर्ष के कार्यकाल हेतु परिषद में निर्वाचित करती है।
  • संरचना: प्रत्येक परिषद सदस्य देश एक राजनयिक प्रतिनिधि नियुक्त करता है, जबकि सदस्य देश एक गैर-मतदान परिषद अध्यक्ष का चयन करते हैं।
  • परिषद सदस्य देश (2022–2025)
    • भाग I: वायु परिवहन में प्रमुख महत्त्व वाले देश
      • ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका।
    • भाग II: अंतरराष्ट्रीय नागरिक वायु नौवहन सुविधाओं में प्रमुख योगदान देने वाले देश
      • अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, मिस्र, आइसलैंड, भारत, मैक्सिको, नाइजीरिया, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन एवं वेनेजुएला।
    • भाग III: भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने वाले देश
      • बोलीविया, चिली, अल साल्वाडोर, इक्वेटोरियल गिनी, इथियोपिया, घाना, जमैका, मलेशिया, मॉरिटानिया, कतर, कोरिया गणराज्य, रोमानिया, संयुक्त अरब अमीरात एवं जिम्बाब्वे।
  • भूमिका एवं कार्य: परिषद सचिवालय की निगरानी करती है, नीतियाँ अपनाती है, मानकों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती है तथा निरंतर कूटनीतिक एवं तकनीकी निर्णय लेती है।

महत्त्व: भारत का पुनः निर्वाचन वैश्विक विमानन शासन, तकनीकी सहयोग तथा विकासशील देशों की विमानन प्रणालियों के समर्थन में उसके बढ़ते नेतृत्व को प्रतिबिंबित करता है।

समुद्र प्रताप

भारतीय तटरक्षक बल ने समुद्र प्रताप, जो भारत का पहला स्वदेशी रूप से अभिकल्पित प्रदूषण नियंत्रण पोत है, को शामिल किया है, जिससे समुद्री तेल रिसाव की रोकथाम एवं प्रतिक्रिया हेतु राष्ट्रीय क्षमता सुदृढ़ हुई है।

समुद्र प्रताप के बारे में

समुद्र प्रताप एक विशेषीकृत प्रदूषण नियंत्रण पोत है, जिसका निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा भारतीय तटरक्षक बल के लिए किया गया है। यह स्वदेशी समुद्री क्षमता के विकास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

मुख्य विशेषताएँ

  • यह पोत 114.5 मीटर लंबा, 16.5 मीटर चौड़ा है, इसका विस्थापन लगभग 4,170 टन है तथा इसमें 14 अधिकारी और 115 नाविक तैनात रहते हैं।
  • इसमें फ्लश-प्रकार साइड-स्वीपिंग आर्म्स, तेल रिसाव की पहचान हेतु उन्नत रडार प्रणालियाँ, तथा रिसे हुए तेल की पुनर्प्राप्ति, उपचार और भंडारण के लिए ऑनबोर्ड सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  • इसमें डायनामिक पोजिशनिंग सिस्टम, प्रत्याहारी स्टर्न थ्रस्टर, प्रदूषण प्रतिक्रिया नौकाएँ, बाह्य अग्निशमन प्रणालियाँ, तथा समुद्री सुरक्षा हेतु आधुनिक हथियार प्रणालियाँ सुसज्जित हैं।
  • पोत में 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहलों के अनुरूप है।

महत्त्व

  • भारत की तटरेखा, विशेष आर्थिक क्षेत्र, तथा खुले समुद्र में भारतीय तटरक्षक बल की तेल रिसाव प्रतिक्रिया एवं प्रदूषण नियंत्रण क्षमता को सुदृढ़ करता है।
  • समुद्री पर्यावरण संरक्षण कानूनों के प्रवर्तन को मजबूती प्रदान करता है, साथ ही खोज एवं बचाव तथा समुद्री विधि प्रवर्तन की भूमिकाओं का समर्थन करता है।
  • पर्यावरणीय सुरक्षा एवं तटीय सुदृढ़ता हेतु विशेषीकृत पोत निर्माण में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का सशक्त प्रदर्शन करता है।

“पा ​​पा पगली योजना

गुजरात के दाहोद जिले ने “पा पा पगली योजना” के अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से खेल-आधारित प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षण मॉडल लागू करने के लिए विशेष ध्यान आकर्षित किया है।

“पा पा पगली योजना” के बारे में

  • “पा पा पगली (बालक के प्रथम कदम)” एक खेल-आधारित पूर्व-प्राथमिक शिक्षा पहल है, जिसका उद्देश्य आंगनवाड़ी केंद्रों में तीन से छह वर्ष आयु के बच्चों को शिक्षा प्रदान करना है।
  • उद्देश्य: यह योजना प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा को सुदृढ़ करने, संज्ञानात्मक विकास को बढ़ाने तथा मस्तिष्क विकास की सबसे महत्त्वपूर्ण अवस्था में मजबूत शिक्षण आधार निर्मित करने का लक्ष्य रखती है।
  • नोडल संस्थाएँ: यह कार्यक्रम गुजरात महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख पहल है, जिसे यूनिसेफ इंडिया के तकनीकी एवं ज्ञानात्मक सहयोग से लागू किया जा रहा है।
  • मुख्य घटक
    • खेल-सह-कक्षा शिक्षण मॉडल, जिसमें संरचित खेलों को पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के साथ जोड़ा गया है।
    • भाषा विकास, मोटर कौशल, सामाजिक अंतःक्रिया तथा मूल जीवन कौशल पर केंद्रित गतिविधियाँ।
    • बच्चों की सहभागिता और जिज्ञासा बढ़ाने हेतु इंटरएक्टिव खेलों एवं शैक्षिक वीडियो का उपयोग।
  • कार्यान्वयन: यह कार्यक्रम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से संचालित किया जाता है, जिन्हें दैनिक गतिविधियों में खेल-आधारित शिक्षण को सम्मिलित करने का प्रशिक्षण दिया गया है। दाहोद जिले के 3,000 से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों में इसका क्रियान्वयन किया जा रहा है।
  • महत्त्व: उच्च ड्रॉपआउट दर वाले एक पिछड़े जिले में बच्चों के आत्मविश्वास, सीखने की क्षमता तथा विद्यालय-तत्परता में सुधार करके यह मॉडल भारत भर में प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा सुधारों हेतु एक विस्तारयोग्य रूपरेखा प्रस्तुत करता है।

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2025

हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में 24 वैज्ञानिकों एवं नवप्रवर्तकों को राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार, 2025 प्रदान किया।

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के बारे में

  • राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार भारत की सर्वोच्च राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार प्रणाली है, जो आजीवन उपलब्धि, विशिष्ट योगदान, युवा वैज्ञानिकों तथा टीम-आधारित नवाचार में उत्कृष्टता को मान्यता देती है।
  • प्रारंभ: भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023 में इसकी स्थापना की गई। वैज्ञानिक योगदानों को सम्मानित करने हेतु पुरस्कारों की पहली शृंखला अगस्त 2024 में घोषित की गई, जिसने शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार जैसे पूर्ववर्ती विज्ञान पुरस्कारों का स्थान लिया।
  • आयोजक: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत।
  • उद्देश्य: वैज्ञानिक उत्कृष्टता को सम्मानित करना, नवाचार को प्रोत्साहित करना तथा राष्ट्रीय विकास और सामाजिक परिवर्तन में विज्ञान की भूमिका को उजागर करना।

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार, 2025 की श्रेणियाँ

  • राष्ट्रीय विज्ञान रत्न पुरस्कार: ब्रह्मांड विज्ञान और विज्ञान संप्रेषण में आजीवन योगदान के लिए जयंत विष्णु नार्लीकर को मरणोपरांत प्रदान किया गया।
  • राष्ट्रीय विज्ञान टीम पुरस्कार: लैवेंडर-आधारित कृषि उद्यमिता के माध्यम से बैंगनी क्रांति को सक्षम बनाने हेतु CSIR–अरोमा मिशन को प्रदान किया गया।
  • विज्ञान श्री: कृषि, परमाणु ऊर्जा, जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान, अभियांत्रिकी, पर्यावरण, गणित, अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न विषयों में विशिष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करता है।
  • विज्ञान युवा–शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार: 45 वर्ष से कम आयु के वैज्ञानिकों को भौतिक, जीवन, चिकित्सा, पृथ्वी, कृषि और अंतरिक्ष विज्ञान में नवाचारी अनुसंधान के लिए सम्मानित किया गया।
  • महत्त्व: ये पुरस्कार भारत की वैज्ञानिक गहनता, विज्ञान में महिलाओं के बढ़ते नेतृत्व तथा समावेशी विकास और जमीनी स्तर के नवाचार में अनुसंधान की भूमिका को रेखांकित करते हैं।

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