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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal December 26, 2025 04:37 16 0

सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना 

सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना की इकाई–2 (250 मेगावाट) के वाणिज्यिक संचालन का उद्घाटन केंद्रीय विद्युत, आवास एवं शहरी कार्य मंत्री द्वारा किया गया।

सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना के बारे में

  • परियोजना का महत्त्व: सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है।
  • अवस्थिति: यह परियोजना सुबनसिरी नदी पर अवस्थित है, जो अरुणाचल प्रदेश और असम में विस्तृत है।
  • स्थापित क्षमता: कुल क्षमता 2000 मेगावाट (8 × 250 मेगावाट)
  • डिजाइन: इसे ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ योजना के रूप में, कम जलाशय भंडारण के साथ अभिकल्पित किया गया है।
  • प्रमुख अभियांत्रिकी विशेषताएँ: पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा बाँध: यह 116 मीटर ऊँचा कंक्रीट द्वारा निर्मित गुरुत्त्व बाँध है।
    • इसमें भारत के सबसे भारी जलविद्युत जनरेटर रोटर, सबसे बड़े स्टेटर, तथा सबसे बड़े मुख्य इनलेट वाल्व लगाए गए हैं।
    • भारत में पहली बार बाँध कंक्रीटीकरण के लिए रोटेक के टॉवर बेल्ट का उपयोग किया गया।
  • बाढ़ नियंत्रण एवं जल प्रबंधन: यह सुबनसिरी नदी पर निर्मित पहला कैस्केडेड बाँध है।
    • बाढ़ के दौरान जलाशय का लगभग एक-तिहाई भाग खाली रखा जाएगा, ताकि निचले प्रवाह क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
  • विद्युत वितरण: विद्युत आपूर्ति भारत के 16 लाभार्थी राज्यों को की जाएगी।
    • अरुणाचल प्रदेश और असम को नि:शुल्क विद्युत आवंटन।
    • 1000 मेगावाट क्षमता पूर्वोत्तर भारत के लिए आरक्षित, जिससे क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा सुदृढ़ होगी।

सुबनसिरी नदी के बारे में

  • ब्रह्मपुत्र की सबसे लंबी सहायक नदी; अरुणाचल प्रदेश और असम से होकर प्रवाहित होती है।
  • उद्गम: हिमालय में कांगरी हिमनद क्षेत्र के निकट (तिब्बत–अरुणाचल सीमा)।
  • प्रवाह मार्ग: अरुणाचल प्रदेश से दक्षिण की ओर बहते हुए असम में प्रवेश करती है और डिब्रूगढ़–लखीमपुर क्षेत्र के निकट ब्रह्मपुत्र में मिलती है।

तंजावुर पेंटिंग

डाक विभाग ने बंगलूरू से अयोध्या तक श्रीराम की तंजावुर शैली की एक अमूल्य चित्रकला का सुरक्षित परिवहन किया।

तंजावुर चित्रकला (तंजोर पेंटिंग) के बारे में

  • कला का स्वरूप: तंजावुर चित्रकला दक्षिण भारत की एक शास्त्रीय कला शैली है।
  • उद्गम और इतिहास: इसका उद्गम तमिलनाडु के तंजावुर में सत्रहवीं शताब्दी के आस-पास मराठा शासन के दौरान हुआ। इसकी पृष्ठभूमि ग्यारहवीं शताब्दी में बृहदीश्वर मंदिर की चोलकालीन भित्ति-चित्रकला से संबंधित है।
    • नायक और मराठा शासकों के संरक्षण में इस कला का विशेष विकास हुआ।
  • विशिष्ट शैली: गहरे, सजीव रंग, सशक्त संयोजन तथा ‘एम्बॉस्ड’ से उत्पन्न त्रि-आयामी प्रभाव इसकी पहचान हैं।
  • सामग्री और अलंकरण: स्वर्ण पत्तर, काँच के मनके, मोती तथा रत्नों का व्यापक उपयोग, जिससे चित्रों को भव्य और चमकदार रूप मिलता है।
  • विषयवस्तु: मुख्य रूप से हिंदू देवी-देवताओं जैसे कृष्ण, राम, बालाजी (वेंकटेश्वर), गणेश, लक्ष्मी, शिव और सरस्वती को भव्य मुद्राओं में विस्तृत आभूषणों के साथ चित्रित किया गया है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: इसे शुभ माना जाता है और पूजा कक्षों में समृद्धि तथा आशीर्वाद के लिए स्थापित किया जाता है।
  • भौगोलिक संकेतक: इस चित्रकला शैली को वर्ष 2007 में भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्राप्त हुआ।

श्रीलंका को भारत की पुनर्निर्माण सहायता

विनाशकारी चक्रवात दित्वाह के बाद भारत ने विश्वसनीय पड़ोसी के रूप में अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करते हुए श्रीलंका के लिए एक बड़े सहायता पैकेज की घोषणा की है।

श्रीलंका के लिए पुनर्निर्माण पैकेज

  • भारत ने श्रीलंका के लिए 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर का पुनर्निर्माण पैकेज घोषित किया है।
  • यह भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और सागर” (अब महासागर) नीतियों पर आधारित है, जिनका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग और आपदा-प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करना है।
  • विवरण: 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रियायती क्रेडिट लाइन तथा 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान।
  • यह सहायता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके को भेजे गए पत्र के माध्यम से औपचारिक की गई।
  • प्रमुख क्षेत्र: सड़कों, रेल और पुलों का पुनर्निर्माण, आवासों का पुनर्निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की बहाली, कृषि सहायता और आपदा से निपटने की बेहतर तैयारी।

ऑपरेशन ‘सागर बंधु’

  • भारत ने चक्रवात दित्वाह के तट पर पहुँचने के दिन ही ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ शुरू किया, जिसमें उसने पहले प्रतिक्रिया देते हुए त्वरित मानवीय सहायता पहुँचाई।
  • ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ (हिंदी में जिसका अर्थ है “सागर का मित्र”) श्रीलंका के लिए एक त्वरित मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) मिशन है।
  • नौसैनिक तैनाती: भारतीय नौसेना के जहाज, जिनमें विमानवाहक पोत INS विक्रांत और फ्रिगेट INS उदयगिरि शामिल हैं, तैनात किए गए।
  • हवाई एवं स्थलीय समर्थन
    • हवाई और जमीनी सहायता: भारतीय वायु सेना के विमानों (C-130J, C-17, Mi-17 हेलीकॉप्टर) ने राहत सामग्री को हवाई मार्ग से पहुँचाया, NDRF टीमों ने बचाव कार्य किया, भारतीय सेना ने हजारों लोगों का उपचार करने के लिए ‘फील्ड’ अस्पताल स्थापित किए और संपर्क के लिए बेली पुलों का निर्माण किया।

कुट्टानाड में बत्तख पालन की प्रथा

एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) के बार-बार होने वाले प्रकोपों ​​ने कुट्टानाड की पारंपरिक बत्तख पालन प्रणाली को पतन की और अग्रसर किया है।

कुट्टनाड में बत्तख पालन

  • अवस्थिति: केरल के कुट्टनाड क्षेत्र में प्रचलित, जो बैकवॉटर और धान के खेतों वाला निम्न-स्थलीय आर्द्र क्षेत्र है।
    • यह कृषि समुदायों की सदियों पुरानी पारंपरिक आजीविका है।
  • पालन प्रणाली एवं विधि: यह आर्द्रभूमि और धान के खेतों में खुले, मुक्त-परिवहन पर आधारित है और चावल तथा बत्तख की एकीकृत कृषि प्रणाली का हिस्सा है।
  • बत्तखों की नस्लें: देशी नस्लें जैसे चारा और चेम्बल्ली, जो आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी के अनुरूप अनुकूलित हैं।
  • उत्पादन चक्र: बतखों का पालन-पोषण आमतौर पर वर्ष में दो बार किया जाता है, और उत्पादन चक्र विशेष रूप से क्रिसमस तथा ईस्टर के बाजारों को लक्षित करते हैं।
  • लाभ: एकीकृत प्रणाली में बत्तखें कीट नियंत्रण, खरपतवार हटाने, मृदा वातन  तथा प्राकृतिक खाद उपलब्ध कराने में सहायक है।
  • चिंताएँ: खुले में बत्तख पालन प्रणाली और प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति के कारण यह व्यवस्था एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।

एवियन इन्फ्लुएंजा A (H5N1)

  • एवियन इन्फ्लुएंजा A (H5N1), जिसे सामान्यतः  H5N1 बर्ड फ्लू कहा जाता है, इन्फ्लुएंजा A विषाणु का एक अत्यंत रोगजनक प्रकार है, जो मुख्यतः पक्षियों को प्रभावित करता है।
  • यह मानव स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बनकर उभरा है और कुक्कुट तथा जंगली पक्षियों में वैश्विक प्रकोपों का कारण रहा है।
  • उद्गम एवं प्रसार: H5N1 विषाणु जंगली पक्षियों (विशेषकर जलपक्षी जैसे बत्तख और हंस) में परिभ्रमण करते हैं, जो प्रायः बिना लक्षणों के वाहक होते हैं।
    • प्रवासी पक्षी इसके वैश्विक प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
  • पशुओं में प्रभाव: घरेलू कुक्कुट (मुर्गियाँ, टर्की, बत्तख) में अत्यंत घातक, जिससे बड़े-पैमाने पर प्रकोप फैलता है और पशुओं को मारना पड़ता है।
  • मनुष्यों में संचरण: मुख्यतः संक्रमित पक्षियों, उनके मल या संदूषित वातावरण के सीधे संपर्क के माध्यम से।
    • वर्ष 2025 के अंत तक मानव से मानव में संक्रमण का कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया है।
  • मनुष्यों में लक्षण: इसके लक्षण हल्के (आँखों में कंजंक्टिवाइटिस/आँखों का लाल होना, हल्के फ्लू जैसे लक्षण) से लेकर गंभीर (निमोनिया, तीव्र श्वसन संकट, बहु-अंग विफलता) तक हो सकते हैं।

सुशासन दिवस

प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया जाता है।

सुशासन दिवस के बारे में

  • स्मरण: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर मनाया जाता है।
  • घोषणा: भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014 में घोषित।
  • उद्देश्य: पारदर्शी, जवाबदेह और कुशल शासन को बढ़ावा देना।
  • थीम (वर्ष 2025): प्रशासन गाँव की ओर”-शासन का ग्रामीण क्षेत्रों की ओर उन्मुखीकरण।

सुशासन की अवधारणा

  • संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सुशासन भागीदारीपूर्ण, सहमति-उन्मुख, जवाबदेह, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी, दक्ष, समतामूलक, समावेशी तथा कानून के शासन पर आधारित होता है।
  • विश्व बैंक की परिभाषा: यह “विकास के लिए किसी देश के आर्थिक और सामाजिक संसाधनों के प्रबंधन में शक्ति के प्रयोग की पद्धति” है।
  • भारत का शासन संबंधी दृष्टिकोण: अटल विहारी वाजपेयी की परिकल्पना पर आधारित, भारत सुशासन सूचकांक जैसे उपकरणों के माध्यम से सुशासन का मापन और संवर्द्धन करता है, जिससे नीतिगत उद्देश्य को मापनीय, नागरिक-केंद्रित परिणामों में रूपांतरित किया जाता है।

सुशासन सूचकांक (GGI)

  • सुशासन सूचकांक को औपचारिक रूप से 25 दिसंबर, 2019 को लागू किया गया था।
  • सुशासन सूचकांक (GGI) प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा विकसित एक नैदानिक ​​एवं मानकीकरण उपकरण है।
  • यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शासन व्यवस्था के प्रदर्शन का आकलन करता है और साक्ष्य-आधारित नीति सुधारों में सहयोग प्रदान करता है।
  • यह सूचकांक कई संकेतकों का उपयोग करते हुए 10 क्षेत्रों में शासन का मूल्यांकन करता है, जिससे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच तुलनात्मक आकलन तथा सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान संभव हो पाती है।
  • भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या आकार और विकास के स्तर में व्यापक भिन्नताओं को देखते हुए, DARPG ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को चार अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया है।

अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में

  • श्री अटल बिहारी वाजपेयी (1924–2018) ने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी और चार दशकों से अधिक का विशिष्ट संसदीय जीवन रहा।
  • वे नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए, ग्वालियर से संबंधित साधारण पृष्ठभूमि से देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचे।
  • सम्मान एवं मान्यता
    • उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया और बाद में राष्ट्र के प्रति उनकी असाधारण सेवा के लिए वर्ष 2015 में भारत रत्न से नवाजा गया।
    • वर्ष 1994 में, उन्हें उनके बहुआयामी नेतृत्व और राष्ट्रवाद के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए सर्वश्रेष्ठ सांसद नामित किया गया।

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