वर्ष 2024 का SASTRA-रामानुजन पुरस्कार जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, (संयुक्त राज्य अमेरिका) के अलेक्जेंडर डन को प्रदान किया जाएगा।
अलेक्जेंडर डन ने मॉड्यूलर फॉर्म, अर्द्ध-पूर्णांक भार फॉर्म, मेटाप्लेक्टिक फॉर्म तथा अभाज्य संख्याओं और पूर्णांक विभाजनों के साथ उनके संबंधों के अध्ययन में कई सफलताएँ हासिल की हैं।
SASTRA-रामानुजन पुरस्कार
SASTRA-रामानुजन पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जो वर्ष 2005 से गणित के क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले युवा गणितज्ञ को दिया जाता है।
यह पुरस्कार ‘शनमुघा कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान अकादमी’ (Shanmugha Arts, Science, Technology & Research Academy- SASTRA) द्वारा दिया जाता है।
यह पुरस्कार श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिन 22 दिसंबर को तमिलनाडु के कुंभकोणम में SASTRA-विश्वविद्यालय परिसर में प्रदान किया जाता है।
पुरस्कार में 10,000 डॉलर का नकद पुरस्कार एवं एक प्रशस्ति-पत्र शामिल है।
अपनी स्थापना के बाद से ही इस पुरस्कार को वैश्विक ख्याति प्राप्त हुई है।
श्रीनिवास रामानुजन का योगदान
श्रीनिवास रामानुजन ने गणित में, विशेषकर संख्याओं और दीर्घवृत्तीय क्रियाकलापों के विश्लेषणात्मक सिद्धांत में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
उनके कार्य में पूर्ण संख्याओं केविभाजन, हाइपरजियोमेट्रिक शृंखला एवं यूलर स्थिरांक में प्रगति भी शामिल थी।
रामानुजन का शोध प्रतिष्ठित अंग्रेजी एवं यूरोपीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ था।
पाई (Pi) के लिए अभूतपूर्व अनंत शृंखला सहित 3,900 सूत्र एवं समीकरण संकलित किए।
गेम थ्योरी में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, जो विशुद्ध रूप से अंतर्ज्ञान पर आधारित था।
रामानुजन संख्या (1729)
दो अलग-अलग घनों के योग के रूप में दो तरीकों से व्यक्त की जाने वाली सबसे छोटी संख्या:
1729, 10 एवं 9 के घनों का योग है – 10 का घन 1000 है तथा 9 का घन 729 है, दोनों संख्याओं को जोड़ने पर परिणाम 1729 आता है।
1729, 12 एवं 1 के घनों का योग भी है, 12 का घन 1728 है तथा 1 का घन 1 है, दोनों को जोड़ने पर परिणाम 1729 आता है।
22 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है।
केफियेह
प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी लेखिका झुम्पा लाहिड़ी ने न्यूयॉर्क शहर के नोगुची संग्रहालय से एक पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि संग्रहालय ने केफियेह स्कार्फ पहनने के लिए तीन कर्मचारियों को निकाल दिया था।
केफियेह के बारे में
केफियेह स्कार्फ एक परिधान है, जो लंबे समय से फिलिस्तीनी एकजुटता से जुड़ा हुआ है।
लोकप्रियता
फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के नेता यासिर अराफात ने 1970 के दशक में केफियेह को लोकप्रिय बनाया।
नेल्सन मंडेला ने फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए इसे पहना, जिससे इसकी वैश्विक मान्यता और बढ़ गई।
केफियेह पर प्रतिबंध
पश्चिम में, इसे इजरायल के विरोध से जोड़ा गया है, जिसके कारण समय-समय पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिसमें 7 अक्टूबर, 2023 के बाद का प्रतिबंध भी शामिल है।
कनाडाई एवं ऑस्ट्रेलियाई विधानमंडलों ने स्कार्फ को विभाजनकारी प्रतीक बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया।
झुम्पा लाहिड़ी
एक ब्रिटिश मूल के अमेरिकी लेखक।
प्रसिद्ध: द नेमसेक (2003), इंटरप्रेटर ऑफ मैलाडीज (1999) और द लोलैंड।
पुरस्कार: इंटरप्रेटर ऑफ मैलाडीज के लिए वर्ष 2000 में पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त हुआ।
विषय-वस्तु: उनका कार्य अक्सर आप्रवासी अनुभव, पहचान एवं सांस्कृतिक मतभेदों की व्याख्या करना है।
भारत एशिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश बन गया
भारत, एशिया पॉवर इंडेक्स में जापान को पीछे छोड़ कर तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बन गया, जो इसके बढ़ते भू-राजनीतिक महत्त्व को दर्शाता है।
भारत के उत्थान के प्रमुख कारक
आर्थिक विकास: भारत की महामारी के बाद आर्थिक सुधार के कारण आर्थिक क्षमता में 4.2 अंक की वृद्धि हुई।
क्रय शक्ति समता (PPP) के मामले में यह अब विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
भविष्य की संभावनाएँ: भारत की युवा आबादी के कारण भविष्य के संसाधनों में 8.2 अंक की वृद्धि हुई, जो चीन एवं जापान में बढ़ती उम्र की आबादी की तुलना में जनसांख्यिकीय लाभ का संकेत है।
राजनयिक प्रभाव: बहुपक्षीय मंचों पर सक्रिय भागीदारी के साथ, भारत वर्ष 2023 में राजनयिक संवादों में 6वें स्थान पर रहा।
मजबूत नेतृत्व एवं भारत की गुटनिरपेक्ष रणनीतिक मुद्रा ने इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाया।
सांस्कृतिक प्रभाव: भारत का वैश्विक प्रवासी एवं सांस्कृतिक निर्यात मजबूत बना हुआ है, जिससे सॉफ्ट पॉवर मजबूत हो रही है।
एशिया पॉवर इंडेक्स
वर्ष 2018 में लोवी इंस्टिट्यूट द्वारा लॉन्च किया गया, सूचकांक एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति की गतिशीलता का आकलन करता है।
यह एशिया-प्रशांत के 27 देशों का मूल्यांकन करता है, बाहरी वातावरण को आकार देने एवं प्रतिक्रिया देने की उनकी क्षमता की जाँच करता है।
वर्ष 2024 का संस्करण एशिया में शक्ति वितरण का अब तक का सबसे व्यापक आकलन प्रस्तुत करता है।
तिमोर-लेस्ते को पहली बार शामिल किया गया है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में इसके बढ़ते महत्त्व को दर्शाता है।
सूचकांक राज्यों की भौतिक क्षमताओं एवं अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनके प्रभाव दोनों पर केंद्रित है।
शक्ति मापन के मानदंड एवं पैरामीटर
संसाधन आधारित निर्धारक
आर्थिक क्षमता: GDP, तकनीकी प्रगति, वैश्विक कनेक्टिविटी।
सैन्य क्षमता: रक्षा व्यय, सशस्त्र बलों की ताकत, लंबी दूरी का प्रक्षेपण।
लचीलापन: संस्थागत मजबूती, सुरक्षा एवं संसाधन स्थिरता।
भविष्य के संसाधन: वर्ष 2035 तक अनुमानित आर्थिक, सैन्य एवं जनसांख्यिकीय कारक।
प्रभाव आधारित निर्धारक
आर्थिक संबंध: व्यापार एवं आर्थिक कूटनीति के माध्यम से लाभ उठाना।
रक्षा नेटवर्क: गठबंधन एवं सैन्य सहयोग की ताकत।
राजनयिक प्रभाव: वैश्विक मंचों पर पहुँच एवं भागीदारी।
सांस्कृतिक प्रभाव: सांस्कृतिक निर्यात एवं अंतरराष्ट्रीय जनमत के माध्यम से प्रभाव।
वेम्बनाड झील
नेहरू ट्रॉफी बोट रेस (NTBR) का 70वाँ संस्करण केरल के अलाप्पुझा जिले में पुन्नमडा झील (Punnamada Lake) में आयोजित किया जाएगा।
वेम्बनाड झील
वेम्बनाड झील केरल की सबसे बड़ी झील एवं भारत की सबसे लंबी झील है।
अन्य नाम: इसे विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों से जाना जाता है।
उत्तरी क्षेत्रों में वेम्बनाड कायल।
कुट्टनाड में वेम्बनाड कोल।
अलाप्पुझा में पुन्नमडा झील।
कोच्चि क्षेत्र में कोच्चि झील।
झील का स्रोत: झील को चार नदियों से जल प्राप्त होता है: मीनाचिल, अचंकोविल, पम्पा एवं मणिमाला।
भौगोलिक महत्त्व: झील को एक संकीर्ण बेरियर द्वीप द्वारा अरब सागर से अलग किया गया है, जो बैकवाटर स्ट्रेच के रूप में इसके महत्त्व में योगदान देता है, जो केरल के पर्यटन की पहचान है।
वल्लमकली (नेहरू ट्रॉफी बोट रेस): वल्लमकली या स्नेक बोट रेस प्रत्येक वर्ष आयोजित होती है, जिसमें नेहरू ट्रॉफी बोट रेस एक प्रमुख आकर्षण है, जो वेम्बनाड के एक हिस्से, पुन्नमडा झील में आयोजित की जाती है।
रामसर साइट: वेम्बनाड झील को वर्ष 2002 में रामसर कन्वेंशन में शामिल किया गया था, इसे अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई थी।
यह पश्चिम बंगाल में सुंदरबन के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा रामसर स्थल है।
कुमारकोम पक्षी अभयारण्य: वेम्बनाड झील के पूर्वी तट पर स्थित, अभयारण्य विश्व भर से प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है।
ABHED लाइटवेट बुलेट प्रूफ जैकेट
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT-D) के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर ‘एडवांस्ड बैलेस्टिक्स फॉर हाई एनर्जी डिफीट’(Advanced Ballistics for High Energy Defeat- ABHED) नाम से लाइटवेट बुलेट प्रूफ जैकेट विकसित किए हैं।
ABHED लाइटवेट बुलेट प्रूफ जैकेट
IIT दिल्ली में DRDO इंडस्ट्री एकेडेमिया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (DIA-CoE) में विकसित किया गया।
यह पॉलिमर एवं स्वदेशी बोरॉन कार्बाइड सिरेमिक सामग्री से निर्मित है।
DRDO इंडस्ट्री एकेडेमिया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (DIA-CoE)
भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में DRDO द्वारा स्थापित।
लक्ष्य: DRDO प्रयोगशालाओं, शिक्षा जगत, स्टार्टअप एवं उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर एक निर्देशित अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
उद्देश्य: अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना।
फोकस क्षेत्र
उन्नत रक्षा प्रणालियों एवं प्लेटफॉर्मों के विकास को बढ़ावा देना।
अनुसंधान बहु-विषयक एवं बहु-संस्थागत प्रयासों पर केंद्रित है।
सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से रक्षा क्षमताओं के दीर्घकालिक विकास को कायम रखता है।
वर्तमान स्थिति: पूरे भारत में IIT, IISc जैसे सक्षम संस्थानों में DRDO द्वारा 15 DIA-CoEs स्थापित किए गए हैं।
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