10वें ‘जंगली गधा आबादी अनुमान’ (Wild Ass Population Estimation- WAPE) के अनुसार, गुजरात में जंगली गधों की आबादी 7,672 आँकी गई।
मुख्य निष्कर्ष
यह वर्ष 2020 के अनुमान में दर्ज 6,082 से 26.14% की वृद्धि दर्शाता है।
सुरेंद्रनगर जिले में सबसे अधिक 2,705 जंगली गधे थे, इसके बाद कच्छ (1,993), पाटन (1,615), बनासकांठा (710), मोरबी (642), एवं अहमदाबाद (7) थे।
भारतीय जंगली गधों के बारे में
एशियाई जंगली गधे की एक उप-प्रजाति, जिसे वैज्ञानिक रूप सेइक्वस हेमिओनस खुर (Equus Hemionus Khur) के नाम से जाना जाता है।
इसकी पहचान पूँछ के आगे के भाग, कंधे के पिछले भाग पर विशिष्ट सफेद निशानों तथा पीठ पर सफेद किनारे वाली पट्टी से होती है।
वितरण: दुनिया में भारतीय जंगली गधों की आबादी भारत के गुजरात में कच्छ के रण तक ही सीमित है।
पर्यावास: ये रेगिस्तान एवं घास के मैदान जैसे पारिस्थितिकी तंत्र में निवास करते हैं।
संरक्षण की स्थिति
IUCN की रेड लिस्ट में: निकट संकटग्रस्त (Near Threatened) के रूप में सूचीबद्ध।
CITES:परिशिष्ट II (Appendix II) के अंतर्गत सूचीबद्ध।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972):अनुसूची-I (Schedule-I) के अंतर्गत वर्गीकृत।
विश्वव्यापी प्रजातियाँ: वैश्विक स्तर परजंगली गधे की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं:
अफ्रीका में एक प्रजाति: इक्वस अफ्रीकैनस (Equus Africanus)
एशिया में दो प्रजाति: इक्वस हेमिओनस (Equus Hemionus) एवं ई. किआंग्स (E. Kiangs)
जंगली गधा अभयारण्य (Wild Ass Sanctuary) के संबंध में
यह अभयारण्य गुजरात के कच्छ के छोटे रण में अवस्थित है।
यह एकमात्र स्थान जहाँ भारतीय जंगली गधा, जिसे स्थानीय भाषा में खच्चर कहा जाता है, पाया जाता है।
यह अभयारण्य राबरी (Rabari) एवं भरवाड (Bharwad) जनजातियों का घर है।
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (Central Electricity Regulatory Commission)
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (Central Electricity Regulatory Commission- CERC) ने विद्युत की माँग में अचानक वृद्धि से निपटने में हितधारकों की तैयारियों का आकलन करने के लिए एक सदस्यीय पीठ नियुक्त की है।
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CERC) के बारे में
वैधानिक निकाय: इस आयोग कोभारत सरकार द्वारा विद्युत नियामक आयोग अधिनियम, 1998 के तहत स्थापित किया गया था।
संरचना: इसमें एक अध्यक्ष एवं चार अन्य सदस्य शामिल हैं, जिसमें पदेन सदस्य के रूप में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष भी शामिल हैं।
भूमिका
विद्युत के थोक बाजारों में प्रतिस्पर्द्धा, दक्षता एवं अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।
विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार करना एवं निवेश को प्रोत्साहित करना।
उपभोक्ताओं को लाभ पहुँचाने के लिए माँग-आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए संस्थागत बाधाओं को दूर करने पर सरकार को सलाह देना।
नियामक: CERC भारत के विद्युत क्षेत्र के लिए नियामक के रूप में कार्य करता है।
विद्युत अधिनियम, 2003 (Electricity Act, 2003)
यह भारत के विद्युत क्षेत्र को नियंत्रित करने वाला एक केंद्रीय कानून है।
केंद्रीय (केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग) एवं राज्य (राज्य विद्युत नियामक आयोग) दोनों स्तरों पर विद्युत नियामक आयोगों की स्थापना का प्रावधान करता है।
निवेश पर भारत-UAE उच्च स्तरीय संयुक्त कार्य बल (India-UAE High Level Joint Task Force on Investments)
हाल ही में निवेश पर भारत-UAE उच्च स्तरीय संयुक्त कार्य बल (India-UAE High Level Joint Task Force on Investments) की 12वीं बैठक मुंबई में आयोजित हुई।
12वीं बैठक के मुख्य परिणाम
डिजिटल भुगतान सहयोग
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (National Payments Corporation Of India- NPCI) भारत की RuPay प्रणाली के आधार पर संयुक्त अरब अमीरात में JAYWAN कार्ड योजना बनाने के लिए अल एतिहाद पेमेंट्स (Al Etihad Payments- AEP) के साथ सहयोग कर रहा है।
दुबई में इन्वेस्ट इंडिया कार्यालय
भारत में संयुक्त अरब अमीरात के निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत दुबई में इन्वेस्ट इंडिया कार्यालय खोलेगा, जो मध्य पूर्व में पहला कार्यालय होगा।
फूड पार्क: भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच अधिक सहयोग और निवेश के क्षेत्रों में फूड पार्क को भी शामिल किया गया है।
अबू धाबी निवेश प्राधिकरण (Abu Dhabi Investment Authority- ADIA) गिफ्ट सिटी (गुजरात) में एक सहायक कंपनी स्थापित करेगा।
‘निवेश पर भारत-UAE उच्च स्तरीय संयुक्त कार्य बल‘ के बारे में
इस कार्य बल की स्थापना वर्ष 2013 में की गई थी।
उद्देश्य: भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापार, निवेश तथा आर्थिक संबंधों को बढ़ाना।
हलारी गधा (Halari Donkey)
हलारी गधों (Halari Donkeys) को बुद्धिमान जानवर माना जाता है, जो इंसानों द्वारा किए जाने वाले मेहनती कार्यों में सहायक होते हैं।
हलारी गधा (Halari Donkey) के बारे में
हलारी गधे को IUCN की रेड लिस्ट में लुप्तप्राय (Endangered) रूप से सूचीबद्ध किया गया हैं, जिनकी आबादी 500 से कम है।
उत्पत्ति: भारत के गुजरात के हलार क्षेत्र की स्थानीय प्रजाति, विशेष रूप से जामनगर एवं द्वारका जिलों में पाई जाती है।
भौतिक विशेषताएँ
वे सफेद रंग के होते हैं तथा उनके थूथन एवं खुर काले होते हैं।
वे मजबूत शरीर वाले और आकार में बड़े होते हैं।
बनावट: आमतौर पर यह गधों की अन्य नस्लों की तुलना में सफेद, बड़े और अधिक लचीले होते हैं।
सामाजिक व्यवहार: मनुष्यों के साथ घनिष्ठ संबंध होता हैं एवं अक्सर अपने मालिकों के साथ मिलकर कार्य करते हैं।
दूध: इसके दूध में मिठास एवं उच्च लैक्टोज सामग्री पाई जाती है।
इसका उपयोग दूध पाउडर एवं कॉस्मेटिक उत्पाद बनाने में किया जाता है।
इस दूध पाउडर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में उच्च मूल्य प्राप्त हो सकता है।
संरक्षण: राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो एवं सहजीवन ट्रस्ट (National Bureau of Animal Genetic Resources and the Sahjeevan Trust) हलारी गधों के प्रजनन एवं संरक्षण में शामिल हैं।
IUCN की रेड लिस्ट में स्थिति: लुप्तप्राय (Endangered)।
माँग: देश के अन्य भागों से भी हलारी गधा संबंधी डेयरियाँ स्थापित करने की माँग बढ़ रही है।
SECLs की प्रमुख हरित पहल: ‘एक पेड़ माँ के नाम’ के तहत 1.46 लाख से अधिक पौधे लगाए गए
प्रधानमंत्री के दूरदर्शी ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अनुरूप, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (South Eastern Coalfields Limited- SECL) ने छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में अपने परिचालन क्षेत्रों में 1,46,675 पौधे लगाए हैं।
‘एक पेड़ माँ के नाम’ के बारे में
अभियान का नाम: #एक_पेड़_मां_के_नाम (#Plant4Mother)।
लॉन्च तिथि: विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून 2024।
उद्देश्य: पर्यावरणीय जागरूकता एवं सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देते हुए, माताओं तथा धरती माता को श्रद्धांजलि के रूप में वृक्षारोपण को बढ़ावा देना।
उद्देश्य: माताओं का सम्मान करना एवं पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना।
एक आवश्यक स्वच्छता पहल, 2024 के ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के भाग के रूप में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ के तहत वृक्षारोपण प्रयासों को और मजबूत किया गया।
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (South Eastern Coalfields Limited- SECL) के संबंध में
SECL एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (Public Sector Undertaking- PSU) है एवं भारत में सबसे बड़े कोयला उत्पादकों में से एक है।
कोयला भंडार: SECLs का कोयला भंडार छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में फैला हुआ है।
खदानें: SECL में 92 खदानें हैं, जिनमें 70 भूमिगत, 21 खुली खदान एवं 1 मिश्रित खदानें शामिल हैं।
कुसमुंडा खदान (Kusmunda Mine), दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कोयला खदान है।
मुख्यालय: बिलासपुर, छत्तीसगढ़।
सहायक कंपनी: यह कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी है।
प्रशासनिक नियंत्रण: केंद्रीय कोयला मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्यान्वित।
PSU स्थिति: ‘मिनीरत्न’।
हरिकेन मिल्टन
हरिकेन मिल्टन 24 घंटे से भी कम समय में गंभीर श्रेणी 5 के तूफान में परिवर्तित हो गया तथा मेक्सिको की खाड़ी से होते हुए फ्लोरिडा की ओर बढ़ गया।
रैपिड इंटेसीफिकेशन (Rapid Intensification- RI) के बारे में
‘रैपिड इंटेसीफिकेशन’ (RI): अमेरिकी राष्ट्रीय मौसम सेवा द्वारा 24 घंटों के भीतर उष्णकटिबंधीय चक्रवात की अधिकतम सतत् हवा की गति में कम-से-कम 30 समुद्री मील (~ 35 मील प्रति घंटे) की वृद्धि के रूप में परिभाषित किया गया है।
यह छोटी अवधि में सैफिर-सिम्पसन पैमाने पर तूफान को श्रेणी 1 से श्रेणी 3 तक बढ़ा सकता है।
‘रैपिड इंटेसीफिकेशन’ के कारण
महासागरीय ऊष्मा
गर्म समुद्री सतह का तापमान, विशेषकर जब गर्म जल की गहन परतों में प्रवेश करता है, तूफानों को तीव्र होने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
उदाहरण: मेक्सिको की खाड़ी में, हरिकेन मिल्टन की तीव्रता के दौरान समुद्र की सतह का तापमान 30°C (86°F) था।
पवन अपरूपण (Wind Shear)
पवन अपरूपण का तात्पर्य ऊँचाई के साथ वायु की गति या दिशा में परिवर्तन से है।
पवन अपरूपण की कम तीव्रता तूफानों को एकीकृत होने एवं बढ़ने में सहायक होती है, जबकि पवन अपरूपण की अधिक तीव्रता उनकी एकीकरण क्षमता को बाधित कर सकती है।
लवणता
गर्म समुद्री सतह के तापमान एवं कम लवणता से तूफानों के लिए नमी की उपलब्धता बढ़ जाती है, जिससे तूफान की तीव्रता बढ़ जाती है।
कम लवणता सतह पर ऊष्मा को अवरोधित करती है, जिससे तूफान की तीव्रता बढ़ती है।
तड़ितझंझा गतिविधि
चक्रवात के भीतर तीव्र तूफान के विस्फोट इसके परिसंचरण को पुनर्गठित कर सकते हैं, जिससे तीव्रता तेज हो सकती है।
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