हाल ही में भारतीय सेना ने अपना पहला ओवरहॉल्ड T-90 भीष्म टैंक प्रस्तुत किया है।
संबंधित तथ्य
स्थानीय विनिर्माण: T-90 टैंकों का निर्माण लाइसेंस के तहत चेन्नई के अवाडी (Avadi) स्थित भारी वाहन फैक्ट्री (Heavy Vehicles Factory) में किया जाता है, जिससे भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमता में वृद्धि होती है।
T-90 भीष्म टैंक के बारे में
यह भारतीय सेना द्वारा वर्ष 2003 से इस्तेमाल किया जाने वाला मुख्य युद्धक टैंक है।
यह रूसी T-72 टैंक का उन्नत संस्करण है।
वजन: 47 टन (लगभग)।
यह 9.6 मीटर लंबा और 2.8 मीटर चौड़ा है।
इस टैंक में चालक दल के 3 लोग होते हैं: एक कमांडर, एक गनर और एक ड्राइवर।
ओवरहॉल्ड T-90 भीष्म टैंक की मुख्य विशेषताएँ
उत्कृष्ट गतिशीलता: टैंक कॉम्पैक्ट है और विभिन्न भू-भागों में तेजी से चल सकता है।
यह 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से जंगलों, दलदली इलाकों और पहाड़ों पर चलने में सक्षम है।
गोलाबारी: 125 मिमी. स्मूथबोर गन से लैस, जो ‘आर्मर-पियर्सिंग फिन-स्टेबलाइज्ड डिस्कार्डिंग सबोट’ (Armour-Piercing Fin-Stabilized Discarding Sabot- APFSDS) और ‘हाई-एक्सप्लोसिव एंटी-टैंक’(High Explosive Anti Tank- HEAT) राउंड जैसे विभिन्न गोला-बारूद को फायर करने में सक्षम है।
सुरक्षा: उन्नत समग्र कवच, विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच (ERA) तथा युद्धक्षेत्र में सक्रिय संरक्षण प्रणाली से सुसज्जित।
गतिशीलता: 1,000 hp इंजन द्वारा संचालित, जो इसे विभिन्न इलाकों में प्रभावी ढंग से संचालित करने में सक्षम बनाता है।
अग्नि नियंत्रण प्रणाली: इसमें लेजर रेंज फाइंडर, थर्मल इमेजिंग साइट और सटीकता बढ़ाने के लिए बैलिस्टिक कंप्यूटर के साथ एक आधुनिक अग्नि नियंत्रण प्रणाली है।
कप्पाफाइकस अल्वारेजी (Kappaphycus Alvarezii)
हाल के दिनों में भारत सरकार द्वारा विदेशी आक्रामक प्रजाति कप्पाफाइकस अल्वारेजी (Kappaphycus Alvarezii) की खेती को बढ़ावा दिया गया है।
कप्पाफाइकस अल्वारेजी के बारे में
कप्पाफाइकस अल्वारेजी लाल समुद्री शैवाल (Red Seaweed) की एक प्रजाति है, जिसकी खेती कैरेजेनान (Carrageenan) की उच्च मात्रा के लिए की जाती है, जो एक प्राकृतिक गाढ़ा एवं स्थिर करने वाला पदार्थ है, जिसका उपयोग खाद्य, सौंदर्य प्रसाधन और दवा उद्योगों में किया जाता है।
स्थानीय रूप से इसे ‘पेप्सी पासी’ (Pepsi Pasi) कहा जाता है, तमिल में ‘पासी’ (Pasi) का अर्थ ‘समुद्री शैवाल’ होता है।
समुद्री शैवाल (Seaweed) से तात्पर्य समुद्री गैर-पुष्पीय शैवाल की विभिन्न प्रजातियों से है, जो महासागरों और अन्य जल निकायों में पाई जाती हैं। उदाहरण: ग्रेसिलेरिया (Gracilaria), सारगौसम (Sargassum) आदि।
आवास: यह प्रजाति मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पनपती है।
आक्रामक स्थिति:अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) ने कप्पाफाइकस अल्वारेजी (Kappaphycus Alvarezii) को दुनिया की 100 सबसे आक्रामक प्रजातियों में से एक के रूप में वर्गीकृत किया है।
आर्थिक महत्त्व: भारत सरकार, समुद्री कृषि अर्थव्यवस्था को विकसित करने के अपने प्रयासों में कप्पाफाइकस अल्वारेजी को प्राथमिकता दे रही है, क्योंकि समुद्री शैवाल उत्पादों की वैश्विक माँग, जो प्रतिवर्ष 10% की दर से बढ़ रही है, के बीच इसकी आर्थिक व्यवहार्यता को मान्यता दी जा रही है।
समुद्री शैवाल की खेती, मछुआरा समुदाय के लिए आजीविका का एक वैकल्पिक साधन भी है।
कृषि संबंधी चुनौतियाँ
प्रारंभिक स्तर: प्रारंभिक खेती में सीमित बीज उपलब्धता के कारण इसके विकास में बाधा उत्पन्न हुई।
उत्पादकता में गिरावट: वर्ष2013 तक, उत्पादकता में उल्लेखनीय गिरावट ने किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
वर्तमान मुद्दे: वर्तमान चुनौतियों में अत्यधिक गर्मी, उच्च लवणता, प्रभावी समुद्री धाराएँ, उच्च लागत और कम बाजार मूल्य (30-32 रुपये प्रति किलोग्राम) शामिल हैं।
पर्यावरणीय चिंताएँ
आक्रामक प्रजातियाँ: इसे एक आक्रामक प्रजाति के रूप में पहचाना जाता है, जो मन्नार की खाड़ी में 21 द्वीपों में से छह को प्रभावित करती है।
पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: यह प्रजाति घना जाल बनाकर कोरल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा उत्पन्न करती है, जो कोरल के विकास में बाधा डालती है।
मछली पकड़ने में बाधाएँ: समुद्री शैवाल मछली पकड़ने के जाल में उलझ जाती है, जिससे स्थानीय मछली पकड़ने की गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सरकारी पहल: नीति आयोग ने जून 2024 में समुद्री शैवाल की खेती और प्रसंस्करण पर एक रणनीति दस्तावेज प्रकाशित किया है।
म्यूरिन टाइफस (Murine Typhus)
हाल ही में वियतनाम और कंबोडिया से लौटे केरल के एक 75 वर्षीय व्यक्ति में म्यूरिन टाइफस (Murine Typhus) नामक एक दुर्लभ जीवाणुजनित रोग का निदान किया गया है, जो राज्य में इस रोग का पहला मामला है।
म्यूरिन टाइफस (Murine Typhus) के बारे में
म्यूरिन टाइफस एक संक्रामक जूनोटिक रोग है, जो पिस्सू जनित बैक्टीरिया रिकेट्सिया टाइफी (Rickettsia Typhi) के कारण होता है।
जूनोटिक रोग संक्रामक बीमारियाँ हैं, जो जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती हैं। उदाहरण: रेबीज (Rabies), साल्मोनेलोसिस (Salmonellosis) आदि।
संचरण: यह संक्रमित पिस्सू के काटने से मनुष्यों में फैलता है।
यह बीमारी तब फैलती है जब संक्रमित पिस्सू का मल त्वचा पर किसी कट या खरोंच के संपर्क में आता है।
संक्रमित पिस्सू के मल के संपर्क में आने से भी संक्रमण हो सकता है।
म्यूरिन टाइफस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या एक व्यक्ति से पिस्सू में नहीं फैलता है।
वैकल्पिक नाम: इसे एंडेमिक टाइफस (Endemic Typhus), फ्ली बोर्न टाइफस (Flea-borne Typhus) या फ्ली बोर्न स्पॉटेड फीवर (Flea-borne Spotted Fever) के नाम से भी जाना जाता है।
प्राथमिक प्रसारक: चूहे और नेवले जैसे कृंतक।
अन्य प्रसारक: रोग फैलाने वाले पिस्सू अन्य छोटे स्तनधारियों, जिनमें बिल्लियों और कुत्तों जैसे पालतू जानवर भी शामिल हैं, में निवास कर सकते हैं।
पिस्सू जीवन चक्र (Flea Life Cycle): एक बार संक्रमित होने पर, पिस्सू अपने पूरे जीवनकाल में रोग संचारित कर सकते हैं।
भौगोलिक प्रसार: म्यूरिन टाइफस का प्रसार तटीय उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में देखा गया है, जहाँ चूहों की आबादी अधिक है।
भारत में पूर्वोत्तर राज्यों, मध्य प्रदेश और कश्मीर में मामले देखे गए हैं।
लक्षण: लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 7 से 14 दिन बाद शुरू होते हैं और इसमें बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द, मतली, त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं।
म्यूरिन टाइफस का उपचार
निदान: नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (Next Generation Sequencing-NGS) जैसी उन्नत तकनीकें निदान की पुष्टि कर सकती हैं।
नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग (NGS)/मैसिवली पैरेलल (Massively Parallel) या डीप सीक्वेंसिंग (Deep Sequencing), एक DNA अनुक्रमण तकनीक है, जो आनुवंशिक सूचना का तीव्र और व्यापक विश्लेषण करने में सक्षम बनाती है।
उपचार के विकल्प: वर्तमान में कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन (Antibiotic Doxycycline) प्रभावी है, लेकिन शीघ्र निदान महत्त्वपूर्ण है।
रोकथाम की रणनीतियाँ
पिस्सू नियंत्रण: पालतू जानवरों वाले घरों को नियमित धुलाई और उपचार के माध्यम से पिस्सू नियंत्रण बनाए रखना चाहिए।
कृंतक रोकथाम: कृंतकों को घरों और रसोई से दूर रखना आवश्यक है, यह सुनिश्चित करना कि पिस्सू मल के संपर्क में आने से बचने के लिए खाद्य पदार्थों को ठीक से ढका गया हो।
PM इंटर्नशिप योजना (PM Internship Scheme)
भारत सरकार ने युवाओं को शीर्ष कंपनियों से जोड़ने के लिए PM इंटर्नशिप योजना शुरू की।
PM इंटर्नशिप योजना के बारे में
लॉन्च की तिथि: 12 अक्टूबर 2024।
नोडल मंत्रालय: कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय (भारत सरकार)
उद्देश्य: प्रमुख क्षेत्रों में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना, कौशल अंतर को कम करने में मदद करना और भारत के युवाओं के लिए दीर्घकालिक रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
पात्रता
आयु: 21-24 वर्ष
शिक्षा: हाईस्कूल डिप्लोमा या स्नातक डिग्री (BA, B.Sc, B.Com, BCA, BBA, B.Pharma)
पारिवारिक आय: सालाना ₹8 लाख से कम (लगभग $9,600 USD)
सरकारी कौशल या प्रशिक्षुता कार्यक्रमों में नामांकित नहीं हो।
परिवार का कोई भी सदस्य स्थायी सरकारी नौकरी वाला नहीं होना चाहिए।
कार्यक्रम विवरण
तेल एवं गैस, यात्रा एवं आतिथ्य तथा बैंकिंग जैसे 24 क्षेत्रों में इंटर्नशिप की पेशकश की जाती है।
भारत भर के 737 जिलों में इंटर्नशिप अवसर उपलब्ध हैं।
इंटर्नशिप अवधि: 1 वर्ष।
स्टाइपेंड: ₹5,000 प्रति माह।
वित्तपोषण और समयसीमा
सरकार ने इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए 800 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
दिसंबर के पहले सप्ताह तक इंटर्न का पहला बैच शुरू होने की उम्मीद है।
चयन प्रक्रिया नवंबर में होगी।
टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (Terminal High Altitude Area Defense-THAAD)
संयुक्त राज्य अमेरिका इजरायल में एक उन्नत मिसाइल रोधी प्रणाली, टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (Terminal High Altitude Area Defense-THAAD) तैनात कर रहा है तथा इसे संचालित करने के लिए एक अमेरिकी सैन्य दल भी तैनात कर रहा है।
टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) के बारे में
यह एक अमेरिकी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जिसे छोटी, मध्यम और मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को उनके अंतिम चरण में मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है।
यह इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जो विशेष रूप से ईरान और उसके सहयोगियों से बढ़ते खतरों के मद्देनजर तैनात किया गया है।
THAAD की क्षमताएँ: यह हिट-टू-किल दृष्टिकोण का उपयोग करके मिसाइलों को उनके अंतिम चरण में ही रोक सकता है।
इसे पूर्व चेतावनी और लक्ष्य की पहचान के लिए अंतरिक्ष आधारित और भूमि आधारित निगरानी स्टेशनों के साथ जोड़ा गया है।
रेंज: THAAD, 150 से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्यों को भेद सकता है।
यूनिफिल (लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल) [UNIFIL- (United Nations Interim Force in Lebanon)]
इजरायल रक्षा बलों (IDF) के टैंकों ने दक्षिण लेबनान के राम्याह में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के एक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार को नष्ट कर दिया।
संबंधित तथ्य
यूनिफिल ने इस उल्लंघन की निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 (2006) का उल्लंघन बताया।
कार्रवाई का आह्वान: भारत सहित सैन्य योगदान देने वाले 40 देशों द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य में शांति सैनिकों पर हमलों की निंदा की गई तथा अपने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए UNIFIL के मिशन के प्रति सम्मान का आह्वान किया गया।
यूनिफिल (लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल) के बारे में
यूनिफिल की स्थापना मार्च 1978 में सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत की गई थी।
उद्देश्य
दक्षिणी लेबनान से इजरायली सेना की वापसी की पुष्टि करना।
अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बहाल करना।
क्षेत्र में प्रभावी प्राधिकरण को फिर से स्थापित करने में लेबनानी सरकार की सहायता करना।
संरचना: 48 योगदान देने वाले देशों से लगभग 10,500 शांति सैनिक।
सबसे बड़े योगदानकर्ता: इंडोनेशिया, इटली, भारत, नेपाल और चीन।
वित्तपोषण: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रतिवर्ष अनुमोदित एक पृथक खाते के माध्यम से वित्तपोषण किया जाता है, जो व्यापक संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का एक हिस्सा है।
संलग्नता के नियम: शांति सैनिक केवल आत्मरक्षा में या अपने अनिवार्य कर्तव्यों को पूरा करने के लिए बल का उपयोग कर सकते हैं।
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