सर्वोच्च न्यायालय में स्थापित नई ‘लेडी जस्टिस’ की प्रतिमा की आँखों पर से पट्टी हटा दी गई है तथा अब उनके एक हाथ में तलवार की जगह भारत के संविधान को रखा गया है, जो इस बात का प्रतीक है कि भारत में कानून न तो अंधा है और न ही दंडात्मक।
परिवर्तनों का महत्त्व
औपनिवेशिक परंपरा से छुटकारा (Shedding Colonial Tradition): ‘लेडी जस्टिस’ का नया स्वरूप ब्रिटिश युग की परंपराओं को समाप्त करने के व्यापक प्रयासों के साथ मेल खाता है क्योंकि देश भारतीय न्याय संहिता के साथ एक नए युग में प्रवेश कर रहा है।
‘लेडी जस्टिस’ के हाथ में संविधान (Constitution in Hand): वह एक ऐसी न्याय प्रणाली का प्रतिनिधित्व करती है, जो अब दंड पर केंद्रित नहीं है बल्कि संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर निष्पक्षता एवं समानता सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
न्याय के तराजू को बनाए रखना (Retaining the Scales of Justice): ‘लेडी जस्टिस’ के दाहिने हाथ में तराजू को बनाए रखा गया है, जो न्याय के संतुलन का प्रतीक है, यह सुनिश्चित करता है कि न्यायालय निष्पक्ष एवं निष्पक्ष निर्णय पर पहुँचने से पहले दोनों पक्षों के तथ्यों एवं तर्कों पर विचार करे।
‘लेडी जस्टिस’ की उत्पत्ति
लेडी जस्टिस की प्रतिमा प्राचीन ‘ग्रीक एवं रोमन प्रतिमा विज्ञान’ (Greek and Roman Iconography) से उत्पन्न हुई है।
ऐसा माना जाता है कि वह समाज को चलाने वाले कानून और नैतिक बल का प्रतीकात्मक व्यक्तित्व है।
प्राचीन ग्रीस में, थेमिस (Themis) एक टाइटनेस (Titaness) थी, जिसे अक्सर तराजू एवं तलवार के साथ दर्शाया जाता था, जो ईश्वरीय कानून एवं नैतिक न्याय से संबंधित थी।
यह व्यापक रूप से माना जाता है कि आधुनिक समय की लेडी जस्टिस की उत्पत्ति रोमन पौराणिक कथाओं में न्याय की देवी जस्टिटिया (Justitia) से हुई है, जिन्हें इस्तितिया (Iustitia) के नाम से भी जाना जाता था।
पुरानी मूर्ति में प्रतीकात्मकता (Symbolism in old Statue)
इस प्रकार न्याय की देवी निष्पक्षता (आँखों पर पट्टी), न्याय (तराजू) और प्रवर्तन (तलवार) के प्रतीकात्मक गुणों का प्रतीक है।
अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता
हाल ही में केंद्रीयसंस्कृति मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (International Buddhist Confederation- IBC) के सहयोग से, पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस (Abhidhamma Divas) मनाया।
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के बारे में
यह एक ‘बुद्धिष्ट अम्ब्रेला बॉडी’ है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और जो विश्व भर के बौद्धों के लिए एक साझा मंच के रूप में कार्य करती है।
अभिधम्म दिवस (Abhidhamma Divas)
इस दिन का महत्त्व: अभिधम्म दिवस भगवान बुद्ध के तैंतीस दिव्य प्राणियों (तावतिंस देवलोक) के दिव्य क्षेत्र से उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में संकासिया (संकिसा बसंतपुर) में अवतरण का प्रतीक है।
ऐतिहासिक चिह्न: संकिसा में अशोकन हाथी स्तंभ (Asokan Elephant Pillar) इस महत्त्वपूर्ण घटना का स्थायी प्रतीक है।
सांस्कृतिक महत्त्व: अभिधम्म दिवस का उत्सव प्रथम वर्षावास (वस्सा) और पावारणा उत्सव के अंत के साथ मेल खाता है, यह वह समय है जब भिक्षु एवं भिक्षुणियाँ एक समारोह के साथ अपने एकांतवास की अवधि का समापन करते हैं।
पाली भाषा
पाली विभिन्न बोलियों का मिश्रण है, जिसे प्राचीन भारत में बौद्ध और जैन संप्रदायों द्वारा अपनाया गया था।
पाली, बौद्ध साहित्य की आधारभूत भाषा है, जिसमें त्रिपिटक (ट्रिपल बास्केट): विनय, सुत्त और अभिधम्म पिटक के साथ-साथ जातक कथाएँ शामिल हैं, जो बुद्ध के पिछले जन्मों का वर्णन करती हैं।
पाली का निरंतर अध्ययन: पाली का अध्ययन अभी भी श्रीलंका, म्याँमार, थाईलैंड, जापान, कोरिया, तिब्बत, चीन और मंगोलिया जैसे बौद्ध-बहुल देशों में किया जाता है।
काराकोरम वन्यजीव अभयारण्य
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife-NBWL) ने पाँच महत्त्वपूर्ण सड़क खंडों को मंजूरी दी है, जिनमें से चार वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ काराकोरम वन्यजीव अभयारण्य (Karakoram Wildlife Sanctuary) से होकर गुजरते हैं।
काराकोरम वन्यजीव अभयारण्य के बारे में
अवस्थिति: भारतीय संघ शासित प्रदेश लद्दाख के लेह जिले में काराकोरम पर्वतमाला के पूर्वी भाग में अवस्थित है।
स्थापना: अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1987 में की गई थी।
जीव-जंतु: हिम तेंदुआ, तिब्बती मृग (चिरू), तिब्बती जंगली गधा (किआंग), आइबेक्स और नीली भेड़ (भरल) जैसी प्रजातियों का आवास।
ऊँचाई सीमा: साल्टोरो कांगरी चोटी पर ऊँचाई लगभग 4,200 मीटर से लेकर 7,500 मीटर से अधिक तक है।
जलवायु: कठोर सर्दियों और कम तापमान के साथ ठंडी रेगिस्तानी जलवायु।
वनस्पति: सख्त घास, झाड़ियाँ जैसी विरल वनस्पति।
कठोर पारिस्थितिकी स्थितियों के कारण उच्च औषधीय गुणों वाले पौधों का विकास हुआ है, उदाहरण: हिमालयन रूबर्ब (रुम इमोडी-Rheum Emodi)।
नदियाँ: श्योक और नुब्रा नदियाँ इस क्षेत्र से होकर बहती हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के बारे में
LAC वह सीमांकन है, जो भारतीय नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करता है।
इसे तीन सेक्टरों में विभाजित किया गया है: पूर्वी सेक्टर, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम शामिल हैं; मध्य सेक्टर, जिसमें उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं; और पश्चिमी सेक्टर, जो लद्दाख में स्थित है।
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) के बारे में
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) एक वैधानिक बोर्ड है, जिसका गठन आधिकारिक तौर पर वर्ष 2003 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत किया गया था।
इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
यह वन्यजीव संबंधी सभी मामलों की समीक्षा और राष्ट्रीय उद्यानों तथा अभयारण्यों में और उसके आसपास परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए एक सर्वोच्च निकाय है।
कैबिनेट ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 3% DA बढोतरी को मंजूरी दी
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मूल्य वृद्धि की भरपाई के लिए केंद्र सरकार के कर्मचारियों को महँगाई भत्ते (Dearness Allowance- DA) और पेंशनभोगियों को महँगाई राहत (Dearness Relief- DR) की एक अतिरिक्त किस्त को मंजूरी दी।
महँगाई भत्ते (DA) के बारे में
महँगाई भत्ता (DA) भारत में कर्मचारियों को दिया जाने वाला एक मौद्रिक लाभ है, जो उन्हें मुद्रास्फीति के कारण जीवनयापन की बढ़ती लागत से निपटने में मदद करता है।
उद्देश्य: DA का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मुद्रास्फीति के बावजूद कर्मचारियों की वास्तविक आय या तो स्थिर रहे या न घटे।
गणना
महँगाई भत्ते की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में की जाती है।
यह अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (All India Consumer Price Index- AICPI) पर आधारित है, जो पूरे भारत में खुदरा कीमतों पर नजर रखता है।
DA कर्मचारी के स्थान के आधार पर अलग-अलग होता है, यानी, चाहे वह शहरी, अर्द्ध-शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में तैनात हो।
कर-देयता: वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए DA पूरी तरह से कर योग्य है।
पेंशनभोगियों पर प्रभाव: पेंशनभोगियों को भी DA मिलता है, जिसे महँगाई राहत (DR) के रूप में संदर्भित किया जाता है, ताकि उनकी पेंशन पर मुद्रास्फीति के प्रभाव को प्रबंधित करने में मदद मिल सके।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में परिवर्तन के आधार पर हर छह महीने में संशोधित किया जाता है।
DA% = [(पिछले 12 महीनों के लिए AICPI (आधार वर्ष 2001 = 100) का औसत – 115.76)/115.76] x 100
औद्योगिक महँगाई भत्ता (Industrial Dearness Allowance-IDA)
केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों पर लागू।
CPI में परिवर्तन के आधार पर तिमाही आधार पर संशोधित।
DA% = [(पिछले 3 महीनों के लिए AICPI (आधार वर्ष 2001 = 100) का औसत – 126.33)/126.33] x 100
प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र
हाल ही में दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (DEPwD) ने राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (NIEPVD), देहरादून में भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (ALIMCO) के एक नए ‘प्रधानमंत्री दिव्यांग केंद्र (PMDK)’ का उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र (PMDK) के बारे में
PMDK केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत ALIMCO की पहल का हिस्सा है।
यह विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों को सहायता और सशक्त बनाने के लिए बनाई गई पहल है, जिसमें विशेष रूप से दृष्टिबाधित व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
पहला प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र (PM Divyasha Kendra-PMDK) गोवा मेडिकल कॉलेज, बम्बोलिम, गोवा में स्थापित किया गया था।
अब तक 46 PMDK खोले जा चुके हैं और उनमें से 34 देश के प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में चालू हो चुके हैं।
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश के प्रत्येक 100 किलोमीटर के दायरे में केंद्र खोलने का फैसला किया है।
ताकि सहायक उपकरणों का लाभ पात्र लाभार्थी को न्यूनतम प्रतीक्षा समय के साथ उसके घर के निकट उपलब्ध कराया जा सके।
भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (ALIMCO) के बारे में
ALIMCO एक अनुसूची ‘C’ मिनीरत्न श्रेणी II केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम है, जो सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन कार्यरत है।
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत है।
100% स्वामित्व भारत सरकार के पास है।
उद्देश्य
दिव्यांग व्यक्तियों (PwDs) के लिए कृत्रिम अंग और अन्य सहायक उपकरणों सहित पुनर्वास सहायता सामग्री का निर्माण और वितरण करना।
लाभप्रदता के बजाय दिव्यांगजनों के लिए अधिकतम लाभ पर ध्यान केंद्रित करना।
अद्वितीय निर्माता: ALIMCO भारत में एकमात्र निर्माता है, जो एक ही छत के नीचे विभिन्न प्रकार के सहायक उपकरण बनाता है, जो सभी प्रकार की दिव्यांगताओं की पूर्ति करता है।
प्राथमिक फोकस: उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सहायता और उपकरण प्रदान करना, जिससे देश भर में दिव्यांगों के लिए व्यापक पहुँच सुनिश्चित हो सके।
प्रशासन: भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (DEPwD) के अधीन कार्य करता है।
भारत द्वारा पहला स्वदेशी बहुउद्देश्यीय पोत ‘समर्थक’ (‘Samarthak’)
हाल ही में भारतीय नौसेना ने कट्टुपल्ली में L&T शिपयार्ड द्वारा निर्मित दो बहुउद्देश्यीय पोत (MPV) परियोजनाओं के तहत पहले पोत ‘समर्थक’ (Samarthak) के जलावतरण के साथ एक महत्त्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।
बहुउद्देश्यीय पोत ‘समर्थक’ (Samarthak) के बारे में
भारतीय नौसेना ने 15 अक्टूबर, 2024 को बहुउद्देश्यीय पोत (MPV) परियोजना के तहत पहला पोत समर्थक लॉन्च किया।
L&T शिपयार्ड, कट्टुपल्ली द्वारा निर्मित।
राष्ट्रीय पहलों के साथ संरेखण
आत्मनिर्भर भारत और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हिस्सा।
भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देता है।
पोत विवरण
लंबाई: 106 मीटर, चौड़ाई: 16.8 मीटर
अधिकतम गति: 15 नॉट
इसका नाम समर्थक है, जो इसकी बहुमुखी भूमिका को दर्शाता है।
कार्य और क्षमताएँ
जहाजों को खींचना, लक्ष्य को भेदना/पुनर्प्राप्त करना।
मानव रहित स्वायत्त वाहनों का संचालन करना।
विकासाधीन स्वदेशी हथियारों और सेंसर का परीक्षण करना।
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