संयुक्त राज्य अमेरिका का ‘फेडरल ट्रेड कमीशन’ (FTC) जल्द ही ‘क्लिक-टू-कैंसिल’ नियम लागू करेगा, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सबस्क्रिप्शन एवं मेंबरशिप कैंसिल करना काफी आसान हो जाएगा।
‘क्लिक-टू-कैंसिल’ नियम के मुख्य पहलू
इसका उद्देश्यकंपनियों को कैंसिलेशन प्रक्रिया को जटिल बनाने से रोकना है, यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ता साइन-अप करते ही आसानी से सेवाओं से बाहर निकल सकें। अनुपालन में विफल रहने पर कंपनियों को नागरिक दंड का सामना करना पड़ सकता है।
‘कैंसिलेशन’ में आसानी: कंपनियों को उपभोक्ता द्वारा साइन अप करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उसी माध्यम (ऑनलाइन, फोन, आदि) के अंतर्गत कैंसिलेशन विकल्प प्रदान करना चाहिए।
कैंसिल करने की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल या बोझिल नहीं होनी चाहिए।
प्रतिनिधियों के साथ कोई अनिवार्य वार्ता नहीं: यदि साइन अप करने के लिए लाइव या वर्चुअल प्रतिनिधि से बात करने की आवश्यकता नहीं है, तो कैंसिल करने के लिए भी इसकी आवश्यकता नहीं हो सकती है।
फोन कैंसिलेशन के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं: कंपनियों को नियमित व्यावसायिक घंटों के दौरान कॉल का उत्तर देना होगा या संदेश लेना होगा एवं तुरंत प्रतिक्रिया देनी होगी।
कैंसिल करने के विकल्प: व्यक्तिगत रूप से साइन अप के लिए, कंपनियों को व्यक्तिगत रूप से कैंसिलेशन के लिए मजबूर किए बिना, फोन या ऑनलाइन के माध्यम से कैंसिलेशन विकल्प प्रदान करना होगा।
लागू कार्यक्रम: यह नियम लगभग सभी ‘नेगेटिव आप्शन प्रोग्राम्स’ (Negative Option Programs) पर लागू होता है, जिसमें स्वचालित नवीनीकरण, निरंतरता योजना एवं विभिन्न मीडिया (ऑनलाइन, फोन, व्यक्तिगत रूप से) पर निःशुल्क परीक्षण ऑफर शामिल हैं।
नेगेटिव आप्शन प्रोग्राम वे हैं, जहाँ कंपनियाँ मान लेती हैं कि ग्राहक ने किसी सेवा को स्वीकार कर लिया है, जब तक कि वे इसे विशेष रूप से अस्वीकार नहीं करते (उदाहरण के लिए, नि:शुल्क परीक्षण जो स्वचालित रूप से भुगतान की गई सदस्यता में परिवर्तित हो जाते हैं)।
यह नियम क्यों लाया गया?
शिकायतों में वृद्धि: FTC ने मुश्किल से कैंसिल होने वाली मेंबरशिप और सब्सक्रिप्शन के संबंध में शिकायतों की संख्या में वृद्धि देखी है। वर्ष 2021 में 42 की तुलना में वर्ष 2024 में दैनिक शिकायतें बढ़कर लगभग 70 हो गईं।
सबस्क्रिप्शन इकॉनमी में वृद्धि: बढ़ती सदस्यता अर्थव्यवस्था एवं बढ़ती कीमतों ने ग्राहकों को सदस्यता बनाए रखने के लिए भ्रामक प्रथाओं का उपयोग करने वाली कंपनियों के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
उपभोक्ता जागरूकता: अध्ययनों से पता चलता है कि कई उपभोक्ता इस बात से अनजान हैं कि वे अप्रयुक्त सेवाओं के लिए भुगतान कर रहे हैं एवं अक्सर अपनी मासिक सदस्यता लागत को कम आँकते हैं।
क्या भारत में भी ऐसा ही नियम है?
नहीं, भारत में वर्तमान में ऐसा कोई विनियमन नहीं है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से सबस्क्रिप्शन कैंसिलेशन को सरल बनाना है।
भारतीय विकास एवं आर्थिक सहायता योजना (Indian Development and Economic Assistance Scheme- IDEAS)
भारत ने भारतीय विकास एवं आर्थिक सहायता योजना (Indian Development and Economic Assistance Scheme- IDEAS) के तहत ‘वाटर पाइपलाइन रिप्लेसमेंट प्रोजेक्ट’ (Water Pipeline Replacement Project) को वित्तपोषित करने के लिए मॉरीशस को 487.60 करोड़ रुपये की अपनी पहली रुपये-मूल्य वाली क्रेडिट लाइन (LoC) बढ़ा दी है।
भारतीय विकास एवं आर्थिक सहायता योजना (IDEAS) के बारे में
लॉन्च वर्ष: IDEA योजना को शुरुआत में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2003-04 के केंद्रीय बजट में भारत विकास पहल के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
उद्देश्य
विदेशों में भारत के रणनीतिक आर्थिक हितों का लाभ उठाने एवं बढ़ावा देने पर ध्यान देने के साथ, विशेष रूप से अफ्रीका, दक्षिण एशिया तथा अन्य क्षेत्रों में विकासशील देशों को अनुदान या परियोजना सहायता प्रदान करना।
बुनियादी ढाँचे एवं द्विपक्षीय सहयोग के माध्यम से ग्लोबल साउथ में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाना।
IDEA की मुख्य विशेषताएँ
द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर एशिया (नेपाल, भूटान एवं बांग्लादेश को छोड़कर), अफ्रीका तथा अन्य क्षेत्रों में क्रेडिट लाइन (LoC) का विस्तार करना।
शामिल मंत्रालय
विदेश मंत्रालय (MEA): IDEA योजना के तहत LoC के कार्यान्वयन एवं विस्तार की देखरेख करता है।
वित्त मंत्रालय: योजना के लिए प्रारंभिक घोषणा एवं बजट आवंटन के लिए जिम्मेदार है।
मॉरीशस ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ (LoC) के बारे में
मॉरीशस की इस परियोजना में मॉरीशस में लगभग 100 किलोमीटर पुरानी जल पाइपलाइन को बदलना शामिल होगा।
ऋण सहायता का वित्तपोषण भारतीय स्टेट बैंक द्वारा रियायती शर्तों के तहत किया जा रहा है।
यह भारत द्वारा परियोजना वित्तपोषण के लिए रुपये में दी जाने वाली क्रेडिट लाइन का पहला उदाहरण है।
स्कैम से बचो
(Scam se Bacho)
हाल ही में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव ने एक राष्ट्रीय उपयोगकर्ता जागरूकता अभियान ‘स्कैम से बचो’ (Scam se Bacho) लॉन्च किया।
‘स्कैम से बचो’ अभियान के बारे में
यह भारत में ऑनलाइन घोटालों एवं साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए एक राष्ट्रव्यापी पहल है।
इसे 9 भारतीय भाषाओं में आयोजित किया गया है।
यह एक सुरक्षा उपकरण के रूप में टू-फैक्टर ऑथेन्टिकेशन, ब्लॉक एवं रिपोर्ट तथा व्हाट्सऐप की समूह गोपनीयता सेटिंग्स जैसी सुविधाओं पर जोर देता है।
प्रमुख मंत्रालय: यह अभियान केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, केंद्रीय गृह मंत्रालय, केंद्रीय सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय एवं भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की एक संयुक्त पहल है।
उद्देश्य
भारतीय नागरिकों को साइबर खतरों से स्वयं को बचाने के लिए उपकरणों एवं ज्ञान के साथ सशक्त बनाना।
डिजिटल सुरक्षा एवं सतर्कता की संस्कृति को बढ़ावा देना।
मेटा की विशेषज्ञता का लाभ उठाएँ: यह अभियान भारतीयों को उनकी ऑनलाइन गतिविधियों को सुरक्षित रखने एवं सुरक्षित डिजिटल प्रगति सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाने हेतु मेटा के वैश्विक ज्ञान का उपयोग करेगा।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve)
राजस्थान वन विभाग ने रणथंभौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve) के महत्त्वपूर्ण बाघ आवास के बफर जोन के अंदर एक प्रमुख परिसर के निर्माण को रोक लगा दी है।
संबंधित तथ्य
उल्लंघन: संबंधितनिर्माण को अवैध माना गया क्योंकि यह महत्त्वपूर्ण बाघ आवास के भीतर हो रहा था।
निर्माण संबंधी पर्यावरणीय चिंताएँ
बाघ आवास स्थान: रणथंभौर टाइगर रिजर्व, बाघों के लिए एक महत्त्वपूर्ण आवास स्थान है एवं रिजर्व के भीतर किसी भी निर्माण को वन संरक्षण अधिनियम, 1980 (Forest Conservation Act,1980) का उल्लंघन माना जाता है।
अधिक बाघ घनत्त्व वाला बाघ अभयारण्य: 71 बाघों एवं शावकों के साथ रणथंभौर टाइगर रिजर्व (RTR) भारत का तीसरा सबसे अधिक घनत्व वाला बाघ अभयारण्य है।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व (RTR) के बारे में
अवस्थिति: सवाई माधोपुर जिला, राजस्थान।
स्थापना: वर्ष 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित।
खेल अभयारण्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए संरक्षित क्षेत्र है, विशेष रूप से खेल के लिए शिकार किए जाने वाले जानवरों के संरक्षण के लिए।
वर्ष 1980 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
यह रिजर्व बड़े रणथंभौर टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा है, जिसमें कैलादेवी अभयारण्य (Kailadevi Sanctuary) एवं सवाई मानसिंह अभयारण्य (Sawai Mansingh Sanctuary) शामिल हैं।
क्षेत्र एवं स्थलाकृति
क्षेत्र: रिजर्व लगभग 1,334 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें कोर जोन 392 वर्ग किलोमीटर है।
स्थलाकृति: इसमें ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियाँ, पठार, घास के मैदान, जंगल, झीलें एवं नदियाँ हैं।
रणथंभौर किला: यूनेस्कोविश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site), प्रसिद्ध रणथंभौर किला, पार्क के आकर्षण को बढ़ाता है।
वनस्पति एवं जीव
वनस्पति: रिजर्व में शुष्क पर्णपाती जंगलों, घास के मैदानों एवं झाड़ियों के साथ एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र है। प्रमुख वृक्ष प्रजातियों में ढाक, बरगद, पीपल तथा विभिन्न बबूल शामिल हैं।
जीव-जंतु: बंगाल टाइगर मुख्य आकर्षण है।
अन्य वन्यजीवों में तेंदुए, स्लॉथ बियर, लकड़बग्घा, हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर एवं भारतीय लोमड़ी शामिल हैं।
रातापानी वन्यजीव अभयारण्य एवं टाइगर रिजर्व (Ratapani Wildlife Sanctuary and Tiger Reserve)
वर्ष 2015 के बाद से, मध्य प्रदेश में रेलवे ट्रैक पर 14 तेंदुए, 7 बाघ एवं एक भालू की मौत हो गई है, जिससे राज्य वन्यजीव विभाग ने रातापानी वन्यजीव अभयारण्य एवं टाइगर रिजर्व (Ratapani Wildlife Sanctuary and Tiger Reserve) से गुजरने वाली 26.5 किमी लंबी बरखेड़ा-बुदनी रेलवे लाइन परियोजना पर चिंता व्यक्त की है।
रातापानी वन्यजीव अभयारण्य एवं टाइगर रिजर्व के बारे में
विंध्य पहाड़ियों पर स्थित रातापानी वन्यजीव अभयारण्य में पथरीले जंगल एवं जलीय वातावरण है।
इसकी सीमा पश्चिम में कोलार नदी से लगती है एवं उत्तर में नर्मदा नदी से मिलती है।
रातापानी जलाशय मगरमच्छों एवं विविध जलीय जीवों का समर्थन करता है।
इस अभयारण्य में भीमबेटका भी शामिल है, जो एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो अपने प्राचीन शैल आश्रयों एवं चित्रों के लिए जाना जाता है।
वनस्पति और जीव
जीव-जंतु: चिंकारा, स्लॉथ बियर एवं पैराडाइज फ्लाईकैचर (मध्य प्रदेश का राजकीय पक्षी)।
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