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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 13, 2024 03:07 77 0

तुंगभद्रा बाँध (Tungabhadra Dam)

हाल ही में तुंगभद्रा नदी पर बने 71 वर्ष पुराने बाँध का एक गेट टूट जाने के बाद कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के लाखों लोगों के  समक्ष संभावित बाढ़ का  खतरा उत्पन्न हो गया है।

तुंगभद्रा बाँध 

  • अवस्थिति: तुंगभद्रा बाँध जिसे पंपा सागर के नाम से भी जाना जाता है, कृष्णा नदी की सहायक तुंगभद्रा नदी पर बनाया गया है। 
    • यह बाँध कर्नाटक के कोप्पल जिले के मुनिराबाद में अवस्थित है।
  • महत्त्व: यह एक बहुउद्देशीय बाँध है, जो सिंचाई, विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण आदि की सुविधा प्रदान करता है।
  • क्षमता: तुंगभद्रा बाँध, जिसका उद्घाटन वर्ष 1953 में हुआ था, की अधिकतम भंडारण क्षमता 133 TMCFT (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) है। 

तुंगभद्रा नदी

  • यह कृष्णा नदी की एक महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है।
  • यह नाम दो नदियों तुंगा एवं भद्रा के संगम से आया है।
  • तुंगा एवं भद्रा नदियों का उद्गम पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों से होता है। 
  • ये दोनों नदियाँ कुडली में मिलती हैं, जो कर्नाटक के शिमोगा जिले में प्रवाहित होती हुई  तुंगभद्रा नदी का निर्माण करती  है।
  • प्रमुख सहायक नदियाँ: भद्रा, हरिद्रा, वेदवती, तुंगा, वरदा एवं कुमदावती।
  • महत्त्व: इस नदी बेसिन में चावल, कपास, गन्ना और तिलहन सहित कई फसलों का उत्पादन होता है। 
    • इस नदी बेसिन में मछलियों की कई प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, जिससे मछली पालन उद्योग को लाभ होता है। 
    • इसके अतिरिक्त, तुंगभद्रा नदी बेसिन लौह अयस्क, मैंगनीज एवं बॉक्साइट जैसे खनिज संसाधनों से समृद्ध है।
तुर्काना झील

(Lake Turkana)

हाल ही में, डच सरकार द्वारा वित्त पोषित यूनेस्को (UNESCO) एवं विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के नेतृत्व में 10-वर्षीय अनुसंधान परियोजना के प्रारंभिक निष्कर्षों से अफ्रीका की तुर्काना झील (Lake Turkana) में मछलियों की उच्च क्षमता की जानकारी मिलती है।

तुर्काना झील के बारे में

  • अवस्थिति: तुर्काना झील, उत्तर-पश्चिमी केन्या एवं दक्षिण-पश्चिमी इथियोपिया में अवस्थित है। 
  • यह अफ्रीका की चौथी सबसे बड़ी झील एवं विश्व की सबसे बड़ी स्थायी रेगिस्तानी झील है। 
  • इसे यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है एवं यह अपनी अद्वितीय जैव विविधता तथा सांस्कृतिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह एक गर्म, शुष्क एवं सुदूर क्षेत्र में स्थित है तथा झील के किनारे एवं आसपास के क्षेत्रों में समुदायों के लिए संसाधन प्रदान करता है।
  • तुर्काना क्षेत्र: तुर्काना क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या लगभग 1 मिलियन है, जिनकी आजीविका पशुचारण, मछली पालन एवं कुछ हद तक कृषि  पर आधारित है।
  • जलग्रहण क्षेत्र: तुर्काना झील का जलग्रहण क्षेत्र शुष्क क्षेत्र है और इसे दक्षिण-पश्चिम से तुर्कवेल (Turkwel) और केरियो (Kerio) नदियाँ तथा उत्तर से ओमो (Omo) नदी जल उपलब्ध कराती है।
    • ओमो नदी: तुर्काना झील एक बंद बेसिन में अवस्थित है और इसकी लिम्नोलॉजी (Limnology), पारिस्थितिकी एवं मत्स्य पालन ओमो नदी से बाढ़ के मौसमी चक्रों द्वारा संचालित होता है, जो झील के प्रवाह का 90% से अधिक प्रदान करता है।
  • बाधाएँ: उच्च वाष्पीकरण दर और प्रति दशक 8 मीटर तक के झील स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण अर्द्ध-लवणीय जल ने ऐतिहासिक रूप से सतत् विकास पहलों में बाधा उत्पन्न की है।
भारत का पहला 24 घंटे खुला रहने वाला अनाज ATM

हाल ही में विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और ओडिशा सरकार ने राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में भारत की पहली चौबीसों घंटे अनाज वितरण मशीन, ‘ग्रेन ATM’, जिसे ‘अन्नपूर्ति‘ (Annapurti) के नाम से भी जाना जाता है, लॉन्च किया है।

ग्रेन ATM 

  • उद्देश्य: चावल एवं गेहूँ तक 24×7 पहुँच प्रदान करके राज्य में पोषण सुरक्षा को बढ़ाना।
  • ATM को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System- PDS) के माध्यम से खाद्यान्न वितरण में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए डिजाइन किया गया है।
    • प्रतीक्षा में लगने वाला समय: यह प्रत्येक पाँच मिनट में 50 किलोग्राम तक अनाज वितरित कर सकता है, जिससे प्रतीक्षा में लगने वाला समय 70 प्रतिशत कम हो जाता है।
      • मॉड्यूलर डिजाइन उपलब्ध स्थान के आधार पर आसान असेंबली की अनुमति देता है। 
    • ऊर्जा कुशल: अन्नपूर्ति ऊर्जा कुशल है, एवं इसे स्वचालित रीफिलिंग के लिए सौर पैनलों से जोड़ा जा सकता है।
  • ओडिशा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को 24×7 सुविधा प्रदान करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
  • महत्त्व: ओडिशा सरकार एवं विश्व खाद्य कार्यक्रम के बीच यह सहयोग राज्य में पोषण सुरक्षा प्राप्त करने एवं खाद्यान्न वितरण की दक्षता में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • ATM से अनाज निकालने की प्रक्रिया: लाभार्थियों को अपना आधार या राशन कार्ड नंबर दर्ज करना होगा एवं बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण करना  होगा।
    • एक बार प्रमाणित होने के बाद, मशीन पाँच मिनट के भीतर लाभार्थियों को अनाज का वितरण कर देती है।
प्रधानमंत्री जी-वन योजना (Pradhan Mantri JI-VAN Yojana) जैव ईंधन के क्षेत्र में नवीनतम विकास के साथ सामंजस्य बनाए रखने एवं अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संशोधित प्रधानमंत्री जी-वन योजना  (Pradhan Mantri JI-VAN Yojana) को मंजूरी दे दी।

प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईधन-वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना 

  • इस योजना को  मार्च 2019 में अधिसूचित किया गया था। 
  • उद्देश्य: लिग्नोसेल्युलोसिक बायोमास एवं अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक्स का उपयोग करके दूसरी पीढ़ी (2G) एथेनॉल परियोजनाओं की स्थापना के लिए एकीकृत जैव-एथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
    • किसानों को उनके कृषि अवशेषों के लिए पारिश्रमिक आय प्रदान करना, पर्यावरण प्रदूषण का समाधान करना, स्थानीय रोजगार के अवसर उत्पन्न करना एवं भारत की ऊर्जा सुरक्षा तथा आत्मनिर्भरता में योगदान देना। 
    • यह वर्ष 2070 तक नेट जीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के भारत के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करता है।
  • नोडल मंत्रालय: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (भारत सरकार)।

संशोधित योजना

  • समयसीमा: इसने योजना के कार्यान्वयन की समयसीमा को पाँच वर्ष यानी वर्ष 2028-29 तक बढ़ा दिया है।
  • समावेशन: इसके दायरे में लिग्नोसेल्यूलोसिक फीडस्टॉक्स (कृषि और वानिकी अवशेष, औद्योगिक अपशिष्ट, संश्लेषण (सिन) गैस, शैवाल आदि) से उत्पादित उन्नत जैव ईंधन शामिल हैं। 
  • ‘बोल्ट ऑन’ प्लांट एवं ‘ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट्स’ भी अब अपने अनुभव का लाभ उठाने तथा अपनी व्यवहार्यता में सुधार करने के पात्र होंगे।
  • प्राथमिकताएँ: कई प्रौद्योगिकियों एवं कई फीडस्टॉक्स को बढ़ावा देने के लिए, अब क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों तथा नवाचारों के साथ परियोजना प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जाएगी।

एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol- EBP) कार्यक्रम

  • इसे जनवरी 2003 में लॉन्च किया गया। 
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य वैकल्पिक एवं पर्यावरण अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना तथा ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता को कम करना था।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियाँ वित्तवर्ष 2025-26 के अंत तक 20% सम्मिश्रण लक्ष्य हासिल करने की राह पर हैं।
इंडेक्स फंड (Index Fund) जब निष्क्रिय निवेश की बात आती है तो भारत में खुदरा निवेशक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की तुलना में इंडेक्स फंड (Index Fund) को प्राथमिकता देते हैं।

इंडेक्स फंड (Index Fund)

  • इंडेक्स फंड एक प्रकार का निष्क्रिय रूप से प्रबंधित म्यूचुअल फंड है, जो निफ्टी 50, निफ्टी नेक्स्ट 50, सेंसेक्स इत्यादि जैसे मार्केट इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करता है एवं दोहराने की कोशिश करता है। 
  • अपने चुने हुए सूचकांक के प्रदर्शन को दोहराने के लिए, इंडेक्स फंड उन शेयरों को रखते हैं, जिनमें चुने गए सूचकांक को उसी अनुपात में शामिल किया जाता है जिस अनुपात में सूचकांक को दोहराया जा रहा है।
  • इंडेक्स फंड: वे संयुक्त निवेश हैं, जिनका उद्देश्य निष्क्रिय रूप से बाजार सूचकांकों के रिटर्न को दोहराना है।
    • सक्रिय निवेश: कोई अपना पैसा किसी योजना में निवेश करेगा एवं फिर एक फंड मैनेजर रणनीतिक निर्णय लेगा, जिसमें यह भी शामिल होगा कि कौन से स्टॉक खरीदने या बेचने हैं तथा किस कीमत पर प्रतिभूतियों का पोर्टफोलियो बनाना है। इसमें कई खरीद और बिक्री लेनदेन शामिल होंगे, इसलिए इसे सक्रिय निवेश कहा जाता है।
    • निष्क्रिय निवेश: फंड मैनेजर स्टॉक का एक पोर्टफोलियो बनाएगा और इंडेक्स के समान अनुपात में अलग-अलग स्टॉक आवंटन बनाए रखेगा। किस स्टॉक में निवेश करना है, यह चुनने के बजाय, फंड मैनेजर केवल चुने गए इंडेक्स के पोर्टफोलियो  को ही दोहराएगा।
  • मोतीलाल ओसवाल संस्था द्वारा विश्लेषित आँकड़ों से पता चलता है, कि पिछले आठ वर्षों में निष्क्रिय फंडों के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियाँ 38 गुना बढ़ी हैं, जो वर्ष 2015 में 20,000 करोड़ रुपये से बढ़कर आज 7.6 लाख करोड़ रुपये हो गई हैं।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Exchange traded funds- ETF) 

  • ETFs में म्यूचुअल फंड और स्टॉक की विशेषताएँ सम्मिलित होती हैं, जिससे निवेशकों को विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश करने का अवसर मिलता है, साथ ही व्यक्तिगत स्टॉक की तरह स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड करने की सुविधा भी मिलती है।
  • स्टॉक की तरह ट्रेड: ETFs पूरे दिन स्टॉक एक्सचेंजों पर बाजार कीमतों पर खरीदे और बेचे जाते हैं, जो आपूर्ति एवं माँग के आधार पर उतार-चढ़ाव करते हैं।
  • वास्तविक समय मूल्य निर्धारण: ETF की कीमत पूरे दिन बदलती रहती है क्योंकि अंतर्निहित परिसंपत्तियों के मूल्यों में उतार-चढ़ाव होता है।
AI की डिजिटल वॉटरमार्किंग

OpenAI के पास एक ऐसी विधि है, जो किसी भी प्रकार की AI-जनित सामग्री की पहचान कर सकती है। चाहे वह इमेज हो, टेक्स्ट हो या यहाँ तक ​​कि AI-संपादित मूल सामग्री भी हो।

डिकोडिंग AI वॉटरमार्किंग 

  • OpenAI का नया टूल ‘एंटी-चीटिंग’ तकनीक का उपयोग करके AI-जनित सामग्री का पता लगाने में सक्षम होगा। 
  • महत्त्व: इससे विभिन्न उद्देश्यों के लिए AI के दुरुपयोग से बचने में मदद मिल सकती है। 
  • AI वॉटरमार्किंग: AI वॉटरमार्किंग को एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता मॉडल के आउटपुट में ‘पहचानने योग्य, अद्वितीय सिग्नल’ एम्बेड करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
    • इसमें टेक्स्ट या इमेज, या AI उत्पन्न सामग्री का कोई भी रूप शामिल हो सकता है। 
    • यह सिग्नल जिसे वॉटरमार्क के रूप में जाना जाता है, इसे स्कैन करने के लिए डिजाइन किए गए एल्गोरिदम द्वारा पता लगाया जा सकता है।
पर्सीड उल्कापात 

(Perseid Meteor Shower)

वार्षिक रूप से घटने वाली ब्रह्मांडीय घटना ‘पर्सीड उल्कापात’ (Perseid Meteor Shower) के अपने चरम पर पहुँचने के कारण इस सप्ताह आसमान में रोशनी के बनने की संभावना है।

पर्सीड उल्कापात 

  • धूमकेतु: 109पी/स्विफ्ट-टटल।
  • रेडियंट: नक्षत्र पर्सियस (Constellation Perseus)।
  • सक्रिय: 14 जुलाई से 1 सितंबर, 2023 (पीक 13 अगस्त)।
  • अधिकतम गतिविधि उल्का पिंडों की संख्या: प्रति घंटे 100 उल्का पिंड तक।
  • उल्कापिंडों की गति: 37 मील (59 किमी.) प्रति सेकंड।
  • पर्सीड उल्कापात: पर्सीड उल्कापात, जो अगस्त के मध्य में चरम पर होता है, को वर्ष का सबसे अच्छा उल्कापात माना जाता है। 
  • तीव्र और चमकीले उल्कापिंडों के साथ, पर्सीड अक्सर पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरते समय अपने पीछे प्रकाश की तरंगे छोड़ते हैं। 
  • पर्सीड अपने फायरबॉल (Fireballs) के लिए भी जाने जाते हैं। 
    • फायरबॉल (Fireballs): ये प्रकाश और रंग के बड़े विस्फोट होते हैं, जो औसत उल्का पिंड की तुलना में अधिक समय तक बने रह सकते हैं।
विश्व हाथी दिवस 2024 (World Elephant Day 2024) विश्व भर में हाथियों के संरक्षण में आने वाली चुनौतियों एवं उनकी सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस (World Elephant Day) मनाया जाता है। 

विश्व हाथी दिवस 2024

  • थीम: विश्व हाथी दिवस-2024 की आधिकारिक थीम ‘प्रागैतिहासिक सौंदर्य, धार्मिक प्रासंगिकता एवं पर्यावरणीय महत्त्व को व्यक्त करना’ (Personifying prehistoric beauty, theological relevance, and environmental importance) है। 
    • यह हाथियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। 
  • इतिहास: कनाडा की पैट्रिशिया सिम्स और थाईलैंड की एलिफेंट रीइंट्रोडक्शन फाउंडेशन (जो थाईलैंड की महामहिम रानी ‘सिरीकिट’ की एक परियोजना है) ने मिलकर 12 अगस्त, 2012 को विश्व हाथी दिवस मनाने का संकल्प लिया था।
  • हाथियों की IUCN स्थिति: IUCN हाथी की दो प्रजातियों को मान्यता देता है-
    • लॉक्सोडोंटा अफ्रीकाना (अफ्रीकी सवाना हाथी) को लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 
    • लॉक्सोडोंटा साइक्लोटिस (अफ्रीकी जंगली हाथी) को गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 

पर्वत प्रहार (Parvat Prahaar)

हाल ही में भारतीय सेना ने लद्दाख में एक रणनीतिक सैन्य अभ्यास, ‘पर्वत प्रहार’ आयोजित किया, जिसमें उच्च ऊँचाई वाले युद्ध और संचालन पर ध्यान केंद्रित किया गया।

‘पर्वत प्रहार’ (Parvat Prahaar)

  • अभ्यास: ‘पर्वत प्रहार’ सैन्य अभ्यास लद्दाख के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में भारतीय सेना द्वारा आयोजित एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक पहल है।
  • उद्देश्य: यह अभ्यास भारत-चीन सीमा के पास पर्वतीय इलाकों में सेना की तैयारियों एवं परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित है।
    • उत्तरी कमान की माउंटेन स्ट्राइक कोर, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ इस संवेदनशील क्षेत्र में संचालन के लिए जिम्मेदार है, इस अभ्यास में शामिल है।
  • ‘पर्वत प्रहार’ सैन्य अभ्यास की पृष्ठभूमि: वर्ष 2020 में गलवान संघर्ष के बाद से भारत और चीन लंबे समय से सैन्य गतिरोध में लगे हुए हैं।
    • कई दौर की बातचीत के बावजूद, महत्त्वपूर्ण प्रगति सीमित रही है। 
    • इन तनावों के जवाब में, भारत ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है।
  • WMCC बैठक: हाल ही में भारत और चीन ने भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (Working Mechanism for Consultation and Coordination- WMCC) की बैठक संपन्न की है और जल्द ही LAC पर गतिरोध को हल करने के लिए कोर कमांडर स्तर की वार्ता के अगले दौर की संभावना है।

‘पर्वत प्रहार’ सैन्य अभ्यास के मुख्य उद्देश्य

  • ऊँचाई वाले क्षेत्रों पर युद्ध क्षमता विकसित करना: सैनिकों को उच्च-ऊँचाई वाली स्थितियों में प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए प्रशिक्षण देना।
  • परिचालन संबंधी तत्परता: चुनौतीपूर्ण इलाकों में विभिन्न सैन्य इकाइयों एवं उपकरणों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन और वृद्धि करना।
  • युद्ध परिदृश्यों का अनुकरण: सैनिकों की क्षमताओं का परीक्षण एवं सुधार करने के लिए वास्तविक दुनिया की युद्ध स्थितियों का निर्माण करना।

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