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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 29, 2024 04:54 45 0

ग्रामीण भारत में 95% भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकृत

ग्रामीण भारत डिजिटल भूमि रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहा है, जिससे भूमि के प्रबंधन एवं स्वामित्व का एक नया तरीका सामने आ रहा है।

संबंधित तथ्य

  • वर्ष 2016 के बाद से प्रमुख प्रगति: लगभग 95% ग्रामीण भूमि रिकॉर्ड अब डिजिटल हो गए हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए भूमि स्वामित्व अधिक सुरक्षित एवं आसान है।

डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (Digital India Land Records Modernization Programme- DILRMP)

  • कार्यक्रम अवलोकन: DILRMP, पूर्व में राष्ट्रीय भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम के नाम से जाना जाता था।
    • इसे वर्ष 2016 में केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में पुनर्गठित किया गया था।
  • लक्ष्य: भूमि उपयोग में सुधार, नीति-निर्माण में सहायता एवं लेनदेन को सुव्यवस्थित करने के लिए एक पारदर्शी, वास्तविक समय भूमि सूचना प्रणाली स्थापित करना।
  • लाभ: भूमि विवादों में कमी, धोखाधड़ी वाले लेनदेन में कमी, अन्य एजेंसियों के साथ डेटा साझा करना आदि।

DILRMP के तहत प्रमुख पहल

  • यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (Unique Land Parcel Identification Number- ULPIN)
    • प्रत्येक भूमि पार्सल को भू-निर्देशांक के आधार पर 14 अंकों का अल्फ़ान्यूमेरिक कोड प्राप्त होता है।
    • 29 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लागू, यह रियल एस्टेट के प्रबंधन, विवादों को सुलझाने एवं आपदा प्रबंधन का समर्थन करने में सहायता करता है।
  • ‘नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम’ (NGDRS)
    • पूरे भारत में पंजीकरण प्रक्रिया को मानकीकृत करता है।
    • ऑनलाइन दस्तावेज जमा करने, भुगतान, नियुक्तियाँ एवं खोज की सुविधा प्रदान करता है।
    • 18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा अपनाया गया, 12 अन्य में डेटा साझाकरण के साथ।

e-कोर्ट एकीकरण

  • तेजी से मामले के समाधान एवं कम विवादों के लिए भूमि रिकॉर्ड को ई-कोर्ट से जोड़ा गया है।
  • 26 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में स्वीकृत।

भूमि अभिलेखों का लिप्यंतरण (Transliteration)

  • भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए भारतीय संविधान के अभिलेखों का 22 भाषाओं में अनुवाद किया जाता है।
  • वर्तमान में 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में उपयोग में है।

भूमि सम्मान (Bhoomi Samman)

  • 16 राज्यों के 168 जिलों ने रिकॉर्ड एवं मानचित्रों के डिजिटलीकरण सहित मुख्य कार्यक्रम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ‘प्लैटिनम ग्रेडिंग’ हासिल की है।

भूमि अभिलेखों को डिजिटाइज करने का महत्त्व 

  • विवादों एवं धोखाधड़ी में कमी: डिजिटलीकरण धोखाधड़ी, विवादों एवं धीमी मैन्युअल प्रक्रियाओं जैसे लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों का समाधान करता है।
  • स्वामित्व रिकॉर्ड तक आसान पहुँच: डिजिटल पहुँच के साथ, भूमि स्वामित्व की जानकारी अधिक पारदर्शी है एवं अतिक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।
  • हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए सशक्तीकरण: भूमि रिकॉर्ड तक बेहतर पहुँच से भूमि अधिकार मजबूत होते हैं, विशेषकर कमजोर समूहों के लिए।
  • उन्नत भूमि प्रबंधन: भू-स्थानिक उपकरणों के साथ एकीकरण से सर्वेक्षण सटीकता एवं योजना में सुधार होता है।
  • उचित मुआवजा: भूमि अधिग्रहण या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, डिजिटल रिकॉर्ड समय पर, उचित मुआवजा सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।

मेटा एवं ‘इंडियाAI’ ने IIT जोधपुर में सेंटर फॉर जेनेरेटिव AI, ‘सृजन’ का अनावरण किया

इंडियाAI एवं मेटा ने IIT जोधपुर में सेंटर फॉर जेनेरेटिव AI, सृजन (Shrijan) की स्थापना की घोषणा की है, साथ ही ‘कौशल तथा क्षमता निर्माण के लिए YuvAi पहल’ की शुरुआत की है।

महत्त्वपूर्ण पहल

  • सेंटर फॉर जेनरेटिव AI ‘सृजन’ (Shrijan)
    • स्थान: IIT जोधपुर
    • उद्देश्य: जेनरेटिव AI (GenAI) में उन्नत अनुसंधान एवं विकासएवंlll तथा नैतिक, जिम्मेदार AI विकास को बढ़ावा देना।
    • फोकस: AI में खुले विज्ञान नवाचार को बढ़ावा देता है।
    • प्रभाव: शोधकर्ताओं, छात्रों एवं AI चिकित्सकों को जिम्मेदार AI विकास के लिए ज्ञान तथा उपकरणों के साथ सशक्त बनाता है।

कौशल एवं क्षमता निर्माण के लिए YuvAi पहल

  • सहयोगी: मेटा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE)।
  • उद्देश्य: 1,00,000 युवा डेवलपर्स एवं छात्रों (18-30 आयु वर्ग) को AI तथा ओपन-सोर्स लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLMs) में प्रशिक्षित करना।
  • संबोधित क्षेत्र: स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, स्मार्ट शहर एवं वित्तीय समावेशन।

कौशल विकास एवं संसाधन केंद्र

  • अवयव
    • पाठ्यक्रम, केस अध्ययन एवं खुले डेटासेट के साथ GenAI रिसोर्स हब।
    • मेटा द्वारा ‘युवा डेवलपर्स के लिए LLM’ पाठ्यक्रम।
    • मूलभूत AI अवधारणाओं पर मास्टर प्रशिक्षण कार्यशालाएँ।
  • LLM हैकथॉन जारी करना: छात्र शीर्ष विचारों के लिए मार्गदर्शन, सीड ग्रांट और बाजार समर्थन के साथ AI समाधान का प्रस्ताव देते हैं।
  • AI इनोवेशन एक्सेलेरेटर: इनक्यूबेशन एवं फंडिंग के माध्यम से ओपन-सोर्स AI मॉडल के साथ कार्य करने वाले 10 छात्र-नेतृत्व वाले स्टार्टअप का समर्थन करता है।

सहयोग का महत्त्व 

  • स्वदेशी AI समाधानों को बढ़ावा देता है: तकनीकी संप्रभुता को बढ़ाते हुए भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप AI के विकास का समर्थन करता है।
  • AI इकोसिस्टम को मजबूत करता है: ओपन-सोर्स AI नवाचार, अनुसंधान क्षमताओं एवं जिम्मेदार तैनाती को बढ़ाता है।
  • AI टैलेंट अंतराल को कम करता है: युवाओं को जेनरेटिव AI एवं LLMs में प्रशिक्षित करता है, उन्हें वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से निपटने तथा भारत के AI कार्यबल को बढ़ावा देने के लिए तैयार करता है।
  • क्षेत्र-विशिष्ट AI अनुप्रयोगों को बढ़ावा देता है: स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा एवं कृषि जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • वैश्विक AI नेतृत्व: इसका उद्देश्य 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में योगदान करते हुए भारत को AI में अग्रणी बनाना है।

आगे की राह

  • AI नीति ढाँचे को मजबूत करना: GenAI CoE AI नीति, मानकों एवं नैतिक दिशा-निर्देशों में योगदान देगा।
  • क्षेत्रीय एवं वैश्विक AI भागीदारी को बढ़ावा देना: भारत के डिजिटल परिवर्तन को बढ़ाने के लिए वैश्विक उद्योग के नेताओं के साथ सहयोगात्मक नवाचार।
  • ओपन-सोर्स AI समुदाय को बनाए रखना: शिक्षा जगत, उद्योग एवं सरकार के बीच दीर्घकालिक ओपन-सोर्स सहयोग को बढ़ावा देता है।

IndiaAI मिशन के बारे में

  • IndiaAI एक सरकार समर्थित पहल है, जिसका उद्देश्य भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना है।
  • IndiaAI मिशन का उद्देश्य
    • 10,370 करोड़ रुपये के बजट वाले इस मिशन का लक्ष्य AI विकास का समर्थन करने के लिए 10,000 से अधिक GPUs का एक विशाल बुनियादी ढाँचा स्थापित करना है। 
    • इसमें प्रमुख भारतीय भाषाओं को कवर करने वाले डेटासेट पर 100 बिलियन से अधिक मापदंडों के साथ AI मॉडल का प्रशिक्षण शामिल है, जिससे स्वास्थ्य सेवा, कृषि एवं शासन जैसे क्षेत्रों को लाभ होता है।

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